# सम्विधान की रचना :
** केविनेट मिशन के प्रस्तावों में एक प्रस्ताव "सम्विधान सभा" के गठन का भी था !
**कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार सम्विधान सभा के सदस्यों का चुनाव प्रान्तिये विधान सभाओं के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से किया गया !
** प्रान्तों से प्रतिनिधियों की संख्या का निर्धारण प्रति दस लाख की जनसँख्या पर एक प्रतिनिधि के हिसाब से किया गया था !
** सम्विधान सभा के लिए कुल 389स्थान निर्धारित किये गये जिनमे प्रान्तों से 292सदस्यों देशी रियासतों से 93 सदस्यों एवं कमिश्नरी क्षेत्रों से चार सदस्यों को लिया जाना था !
## सम्विधान सभा का मुस्लिम लीग ने वहिष्कार किया ,जिसके कारण सम्विधान सभा के सदस्यों की संख्या 389 से घटकर 299 हो गई थी !
## सम्विधान सभा की पहली बैठक 09 दिसम्बर 1946 में सच्चिदानंद सिन्हा को -सभा का अस्थाई -अध्यक्ष चुना गया था !
## 11दिसम्बर 1946 को सम्विधान सभा के स्थाई अध्यक्ष के रूप में डॉ .राजेन्द्र प्रसाद को चुना गया था !
## बी .एन .राय को सम्विधान सभा का संवैधानिक सलाहकार नियुक्त किया गया !
## सम्विधान सभा की प्रथम बैठक कौंसिल चेम्बर के पुस्तकालय में हुई थी ,जो दिल्ली में स्थित है !
## "कौंसिल चेम्बर के पुस्तकालय"को अब "Constitutional Haata" के नाम से जाना जाता है !
## 15नवम्बर 1948 को सम्विधान के प्रारूप पर विचार शुरू किया गया !
## 26नवम्बर 1949को सम्विधान सभा द्वारा निर्मित सम्विधान को अंतिम रूप से स्वीकार करलिया गया !
## 24जनवरी 1950को सम्विधान सभा द्वारा सम्विधान की तीन प्रतियां सभा पटल पर रखी गई , इस सम्विधान पर 284सदस्यों ने एक एक करके तीनो प्रतियों पर हस्ताक्षर किये , !
## 26जनवरी 1950को यह भारतीय गणराज्य की अंतरिम संसद के रूप में अवतरित हुई !
## सम्पूर्ण सम्विधान के निर्माण में 2वर्ष 11महीने और 18दिन लगे !
## सम्विधान के कुछ प्रावधान 26जनवरी 49 को को ही लागू कर दिए गये थे ,एवं शेष 26जनवरी 50 को लागु किये गये !
## सम्विधान सभा पूर्ण प्रभुसत्ता संपन्न संस्था नहीं थी !15अगस्त 1947को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम प्रवर्तित होने के बाद ,सम्विधान भी पूर्ण प्रभुसत्ता सम्पन्नं संस्था हो गई !
## सम्विधान सभा का अंतिम एवं 11वा सत्र 14-26नवम्वर 1949 को सम्पन्न हुआ !इसी दिन सम्विधान को अंतरिम रूप से स्वीकार किया गया !
## नागरिकता ,निर्वाचन ,अंतरिम संसद आदि से सम्वन्धित कुछ अनुच्छेद 26नवम्वर 1949 से ही लागू हो गये थे !
## सम्विधान की मूल प्रस्तावना में 42वे सम्विधान संसोधन ,1976 के माध्यम से समाजवादी पन्थ निरपेक्ष तथा अखंडता शब्दों को जोडा गया !
## केशवानंद भारती बनाम केरल में सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि सम्विधान की प्रस्तावना में संसोधन किया जा सकता है !
##सम्विधान की प्रस्तावना में भारत को गणराज्य घोषित किया गया है !
## सम्विधान की प्रस्तावना में भारत के समस्त नागरिकों के लिए सामाजिक ,आर्थिक ,राजनैतिक न्याय ,प्रतिष्ठा और अवसर की समानता तथा व्यक्ति की गरिमा ,को सुनिश्चित करने का संकल्प लिया गया है !
## सम्विधान की प्रस्तावना का उद्देश्य लोगों को सामाजिक तथा आर्थिक ,राजनैतिक न्याय ,मत , विश्वास तथा धर्म की स्वतंत्रता ,पद एवं अवसर की समानता ,व्यक्ति की गरिमा तथा राष्ट्र की एकता के लिए भाई -चारा को बडाना है !
## 42बे सम्विधान संसोधन अधिनियम 1976के माध्यम से सम्विधान की प्रस्तावना में ,"पन्थ निरपेक्ष "शब्द को जोड़ा गया है !इससे तात्पर्य है ,की किसी भी राज्य विशेष का अपना कोई पन्थ या धर्म नहीं होगा !
## प्रस्तावना सम्विधान का एक भाग है ,जोकि सर्वथा न्याय योग्य नही है , !
## पंथ -निरपेक्षता भारतीय -लोकतंत्र की अति -विशिष्ट विशेषता है , भारत के पड़ोसी राज्य ,पाकिस्तान -, बांगलादेश ,श्रीलंका ,-म्यांमार -,, एवं नेपाल धर्म आधारित राज्य है , !
## प्रस्तावना के उद्देश्य को , पूरा करने के ध्येय से सम्विधान के अनुच्छेद 25-28 में भारत के सभी नागरिकों को धर्म तथा उपासना की स्वतंत्रता मूल अधिकार के रूप में प्रदान की !
## इस उद्देश्य के तहत राज्य -न तो किसी व्यक्ति अथवा नागरिक को कोई धर्म मानने के लिए बाध्य कर सकता है , एवं न ही किसी धर्म को मानने हेतु प्रोत्साहित कर सकता है !
## -- विशिष्टता ## --
## भारत का सम्विधान लिखित सम्विधान है , जो की ब्रिटेन के जैसे परम्पराओं और रीतिरिवाजों पर आधारित नहीं है !
## भारतीय सम्विधान में संघात्मक और एकात्मक व्यवस्थाओं का समन्वय है !
## भारतीय संघ की इकाईओं को अपना सम्विधान रखने की अनुमति नहीं है , !
## भारतीय संघ में जम्मू -कश्मीर अकेला एक एसा अपवाद राज्य है ,जिसका अपना सम्विधान है !
## भारतीय सम्विधान में केंद्र की सर्वोच्चता को स्वीकार किया गया है !
## भारतीय सम्विधान ,- सम्विधान के कुछ क्षेत्रों में नम्य तथा कुछ क्षेत्रों में अनम्य है !
## भारतीय सम्विधान के आधार पर देश का राष्ट्रपति नाम मात्र का प्रधान होता है ,क्योकि सम्विधान में संसदीय व्यवस्था को अपनाया गया है !
## संघ तथा संघ के राज्य क्षेत्र :-
## भारतीय सम्विधान में अनुच्छेद 01के आधार पर भारत को India(इंडिया )कहते हुए स्म्वोधित किया गया है !एवं स्पष्ट किया गया है कि ,भारत राज्यों का एक संघ होगा !
## भारत संघ की संसद भारतीय संघ में नये राज्यों का प्रवेश एवं स्थापना सम्विधान के अनुच्छेद 02के अनुसार कर सकता है !
## भारतीय सम्विधान के अनुच्छेद 03के अनुसार ,संसद विधि के माध्यम से :-
@किसी भी राज्य का क्षेत्र बड़ा सकती है !
@@ किसी भी राज्य का क्षेत्र घटा सकती है !
@@ किसी भी राज्य क्षेत्र की सीमाओं में परिवर्तन कर सकेगी !
@@ किसी भी राज्य के नाम में परिवर्तन कर सकेगी !
नोट :- इन सभी संदर्भित मामलों में कोई भी विधेयक -बिना राष्ट्रपति की सिफारिश के सदन में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता !
## स्वतंत्रता के समय देश में केवल दो ही प्रकार की राजनैतिक इकाइयाँ थी : - ब्रिटिश सरकार के अधीन प्रांत एवं देशी रियासते !
## देशी रियासतों के विलय में सरदार बल्लभ भाई पटेल ने अपनी महत्त्व -पूर्ण भूमिका निभाई थी !
## एस .के .दर .आयोग जिसका गठन 1948में हुआ था , ने भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन को - अस्वीकार कर दिया था !
## केंद्र सरकार के द्वारा फजल अली की अध्यक्षता में - 29दिसम्बर 1953को एक आयोग का गठन किया गया ,जिसमे "के .एम् .पन्निकर "एवं " हृदय नाथ कुंजरू " सदस्यों के रूप में शामिल थे !
## भाषाई आधार पर गठित देश का पहला राज्य आंध्र-प्रदेश है !
## पंजाब तथा हरियाणा राज्य का पुनर्गठन शाह आयोग की सिफारिशों के अनुसार संन -1966में किया गया था !
## सम्विधान में 53वां एवं 56वां संसोधन क्रमशः 1986एवं 87में किया गया था !जिसके आधार पर मिज़ोरम -,अरुणाचल प्रदेश -एवं गोवा को राज्य के रूप में मान्यता प्रदान की गई !
## उत्तरप्रदेश -मध्य-प्रदेश -,, विहार -,, का पुनर्गठन कर क्रमशः -,, उतराखंड --,, छत्तीसगढ़ --,, तथा झारखंड नामक तीन नये राज्यों का गठन संन 2000में किया गया !
## संघ राज्य क्षेत्र ##
## सम्विधान सभा का मुस्लिम लीग ने वहिष्कार किया ,जिसके कारण सम्विधान सभा के सदस्यों की संख्या 389 से घटकर 299 हो गई थी !
## सम्विधान सभा की पहली बैठक 09 दिसम्बर 1946 में सच्चिदानंद सिन्हा को -सभा का अस्थाई -अध्यक्ष चुना गया था !
## 11दिसम्बर 1946 को सम्विधान सभा के स्थाई अध्यक्ष के रूप में डॉ .राजेन्द्र प्रसाद को चुना गया था !
## बी .एन .राय को सम्विधान सभा का संवैधानिक सलाहकार नियुक्त किया गया !
## सम्विधान सभा की प्रथम बैठक कौंसिल चेम्बर के पुस्तकालय में हुई थी ,जो दिल्ली में स्थित है !
## "कौंसिल चेम्बर के पुस्तकालय"को अब "Constitutional Haata" के नाम से जाना जाता है !
## 15नवम्बर 1948 को सम्विधान के प्रारूप पर विचार शुरू किया गया !
## 26नवम्बर 1949को सम्विधान सभा द्वारा निर्मित सम्विधान को अंतिम रूप से स्वीकार करलिया गया !
## 24जनवरी 1950को सम्विधान सभा द्वारा सम्विधान की तीन प्रतियां सभा पटल पर रखी गई , इस सम्विधान पर 284सदस्यों ने एक एक करके तीनो प्रतियों पर हस्ताक्षर किये , !
## 26जनवरी 1950को यह भारतीय गणराज्य की अंतरिम संसद के रूप में अवतरित हुई !
## सम्पूर्ण सम्विधान के निर्माण में 2वर्ष 11महीने और 18दिन लगे !
## सम्विधान के कुछ प्रावधान 26जनवरी 49 को को ही लागू कर दिए गये थे ,एवं शेष 26जनवरी 50 को लागु किये गये !
## सम्विधान सभा पूर्ण प्रभुसत्ता संपन्न संस्था नहीं थी !15अगस्त 1947को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम प्रवर्तित होने के बाद ,सम्विधान भी पूर्ण प्रभुसत्ता सम्पन्नं संस्था हो गई !
## सम्विधान सभा का अंतिम एवं 11वा सत्र 14-26नवम्वर 1949 को सम्पन्न हुआ !इसी दिन सम्विधान को अंतरिम रूप से स्वीकार किया गया !
## नागरिकता ,निर्वाचन ,अंतरिम संसद आदि से सम्वन्धित कुछ अनुच्छेद 26नवम्वर 1949 से ही लागू हो गये थे !
## सम्विधान की मूल प्रस्तावना में 42वे सम्विधान संसोधन ,1976 के माध्यम से समाजवादी पन्थ निरपेक्ष तथा अखंडता शब्दों को जोडा गया !
## केशवानंद भारती बनाम केरल में सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि सम्विधान की प्रस्तावना में संसोधन किया जा सकता है !
##सम्विधान की प्रस्तावना में भारत को गणराज्य घोषित किया गया है !
## सम्विधान की प्रस्तावना में भारत के समस्त नागरिकों के लिए सामाजिक ,आर्थिक ,राजनैतिक न्याय ,प्रतिष्ठा और अवसर की समानता तथा व्यक्ति की गरिमा ,को सुनिश्चित करने का संकल्प लिया गया है !
## सम्विधान की प्रस्तावना का उद्देश्य लोगों को सामाजिक तथा आर्थिक ,राजनैतिक न्याय ,मत , विश्वास तथा धर्म की स्वतंत्रता ,पद एवं अवसर की समानता ,व्यक्ति की गरिमा तथा राष्ट्र की एकता के लिए भाई -चारा को बडाना है !
## 42बे सम्विधान संसोधन अधिनियम 1976के माध्यम से सम्विधान की प्रस्तावना में ,"पन्थ निरपेक्ष "शब्द को जोड़ा गया है !इससे तात्पर्य है ,की किसी भी राज्य विशेष का अपना कोई पन्थ या धर्म नहीं होगा !
## प्रस्तावना सम्विधान का एक भाग है ,जोकि सर्वथा न्याय योग्य नही है , !
## पंथ -निरपेक्षता भारतीय -लोकतंत्र की अति -विशिष्ट विशेषता है , भारत के पड़ोसी राज्य ,पाकिस्तान -, बांगलादेश ,श्रीलंका ,-म्यांमार -,, एवं नेपाल धर्म आधारित राज्य है , !
## प्रस्तावना के उद्देश्य को , पूरा करने के ध्येय से सम्विधान के अनुच्छेद 25-28 में भारत के सभी नागरिकों को धर्म तथा उपासना की स्वतंत्रता मूल अधिकार के रूप में प्रदान की !
## इस उद्देश्य के तहत राज्य -न तो किसी व्यक्ति अथवा नागरिक को कोई धर्म मानने के लिए बाध्य कर सकता है , एवं न ही किसी धर्म को मानने हेतु प्रोत्साहित कर सकता है !
## -- विशिष्टता ## --
## भारत का सम्विधान लिखित सम्विधान है , जो की ब्रिटेन के जैसे परम्पराओं और रीतिरिवाजों पर आधारित नहीं है !
## भारतीय सम्विधान में संघात्मक और एकात्मक व्यवस्थाओं का समन्वय है !
## भारतीय संघ की इकाईओं को अपना सम्विधान रखने की अनुमति नहीं है , !
## भारतीय संघ में जम्मू -कश्मीर अकेला एक एसा अपवाद राज्य है ,जिसका अपना सम्विधान है !
## भारतीय सम्विधान में केंद्र की सर्वोच्चता को स्वीकार किया गया है !
## भारतीय सम्विधान ,- सम्विधान के कुछ क्षेत्रों में नम्य तथा कुछ क्षेत्रों में अनम्य है !
## भारतीय सम्विधान के आधार पर देश का राष्ट्रपति नाम मात्र का प्रधान होता है ,क्योकि सम्विधान में संसदीय व्यवस्था को अपनाया गया है !
## संघ तथा संघ के राज्य क्षेत्र :-
## भारतीय सम्विधान में अनुच्छेद 01के आधार पर भारत को India(इंडिया )कहते हुए स्म्वोधित किया गया है !एवं स्पष्ट किया गया है कि ,भारत राज्यों का एक संघ होगा !
## भारत संघ की संसद भारतीय संघ में नये राज्यों का प्रवेश एवं स्थापना सम्विधान के अनुच्छेद 02के अनुसार कर सकता है !
## भारतीय सम्विधान के अनुच्छेद 03के अनुसार ,संसद विधि के माध्यम से :-
@किसी भी राज्य का क्षेत्र बड़ा सकती है !
@@ किसी भी राज्य का क्षेत्र घटा सकती है !
@@ किसी भी राज्य क्षेत्र की सीमाओं में परिवर्तन कर सकेगी !
@@ किसी भी राज्य के नाम में परिवर्तन कर सकेगी !
नोट :- इन सभी संदर्भित मामलों में कोई भी विधेयक -बिना राष्ट्रपति की सिफारिश के सदन में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता !
## स्वतंत्रता के समय देश में केवल दो ही प्रकार की राजनैतिक इकाइयाँ थी : - ब्रिटिश सरकार के अधीन प्रांत एवं देशी रियासते !
## देशी रियासतों के विलय में सरदार बल्लभ भाई पटेल ने अपनी महत्त्व -पूर्ण भूमिका निभाई थी !
## एस .के .दर .आयोग जिसका गठन 1948में हुआ था , ने भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन को - अस्वीकार कर दिया था !
## केंद्र सरकार के द्वारा फजल अली की अध्यक्षता में - 29दिसम्बर 1953को एक आयोग का गठन किया गया ,जिसमे "के .एम् .पन्निकर "एवं " हृदय नाथ कुंजरू " सदस्यों के रूप में शामिल थे !
## भाषाई आधार पर गठित देश का पहला राज्य आंध्र-प्रदेश है !
## पंजाब तथा हरियाणा राज्य का पुनर्गठन शाह आयोग की सिफारिशों के अनुसार संन -1966में किया गया था !
## सम्विधान में 53वां एवं 56वां संसोधन क्रमशः 1986एवं 87में किया गया था !जिसके आधार पर मिज़ोरम -,अरुणाचल प्रदेश -एवं गोवा को राज्य के रूप में मान्यता प्रदान की गई !
## उत्तरप्रदेश -मध्य-प्रदेश -,, विहार -,, का पुनर्गठन कर क्रमशः -,, उतराखंड --,, छत्तीसगढ़ --,, तथा झारखंड नामक तीन नये राज्यों का गठन संन 2000में किया गया !
!! भारतीय संघ !!
#27राज्य सन 1949 की स्थिति #
भारतीय संघ राज्यों के घटते - एवंबढ़ते हुए आंकड़े
सरलक्र
|
राज्य "A"
|
राज्य "B"
|
राज्य "C"
|
1
|
असम
|
हैदरावाद
|
अजमेर-मेवाड़
|
2
|
बिहार
|
जम्मू -कश्मीर
|
भोपाल
|
3
|
बम्बई
|
मध्य -भारत
|
कुर्ग
|
4
|
मध्य -प्रांत /बिहार
|
मैसूर
|
दिल्ली
|
5
|
मद्रास
|
पूप्सू
|
हिमाचल
|
6
|
उडीसा
|
राजस्थान
|
कच्छ
|
7
|
पंजाब
|
कोचीन /त्रावणकोर
|
विन्ध्य-प्रदेश
|
8
|
संयुक्त प्रांत
|
सौ-राष्ट्र
|
मणिपुर
|
09
|
पश्चिम - बंगाल
|
त्रिपुरा
|
|
10
|
बिलासपुर
|
!! राज्यों के पुनर्गठन के बाद !!
## सन - 1956 - भारत संघ : 14 राज्य #
12-मध्य प्रदेश
|
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##वर्ष 1956 से वर्ष 2000 की अवधि में राज्यों के दर्जे एवं नामों में परिवर्तन ##
वर्ष
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1960
|
|||||||||
1963
|
|||||||||
1971
|
|||||||||
1972
|
|||||||||
1972
|
मध्य प्रदेश
|
||||||||
1972
|
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Index:- (*) संदर्भित स्टार से तात्पर्य संघ राज्य क्षेत्र से है !
- (H) संदर्भित (H) से तात्पर्य सहयोगी राज्य से है !
# वर्तमान स्थिति # भारत संघ : राज्य 29#
क्रमांक
|
राज्य
|
स्थापना दिवस /सन
|
|
1
|
|||
2
|
|||
3
|
|||
4
|
|||
5
|
|||
6
|
|||
7
|
|||
8
|
|||
9
|
|||
10
|
|||
11
|
|||
12
|
|||
13
|
|||
14
|
|||
15
|
|||
16
|
|||
17
|
|||
18
|
|||
19
|
|||
20
|
|||
21
|
|||
22
|
|||
23
|
|||
24
|
|||
25
|
|||
26
|
|||
27
|
|||
28
|
|||
29
|
|||
कुल 07
क्रमांक
|
संघ राज्य क्षेत्र
|
स्थापना दिवस /सन
|
|
1
|
|||
2
|
|||
3
|
|||
4
|
दादरा नागर हवेली
|
||
5
|
|||
6
|
|||
7
|
#जम्मू -कश्मीर को विशेष दर्जा :-
जम्मू - कश्मीर को भारतीय सम्विधान के अनुच्छेद 370 के अंतर्गत विशेष दर्जा प्राप्त राज्य घोषित किया गया है !
## अनुच्छेद 352 के अंतर्गत जम्मू -कश्मीर में बिना उसकी सहमती के राष्ट्रीय आपात -लागू नहीं किया जा सकता है !
## सम्विधान के अनुच्छेद 360 के अंतर्गत वित्तीय आपात जम्मू -कश्मीर पर किसी भी तरीके से लागू नहीं हो सकता है !
## सम्विधान के अनुच्छेद 356 के अनुसार जम्मू -कश्मीर में पहले राज्यपाल -शाशन की घोषणा की जाती है !
## नियंत्रक ,महालेखक ,परीक्षक ,, निर्वाचन ,,आयोग तथा उच्चतम न्यायालय की विशेष अनुमति की अधिकारिता का विस्तार जम्मू -कश्मीर राज्य पर किया गया है !
## जम्मू -कश्मीर का अपना स्वयम का सम्विधान है ,जो वर्ष 1957 से लागू है !
भारतीय नागरिकता अधिनियम, - 1955
## भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 , को पारित करते हुए सम्विधान में नागरिकता सम्वन्धी व्यापक नियमावली तैयार की गई है !जैसे कि :-
:- किसी भी नागरिक को भारत का नागरिक तभी माना जायेगा जब वह :
@ भारत में जन्मा हो !
@ भारत में निवासरत वंशाधिकारी हो !
@ उसने नागरिकता प्राप्त करने हेतु पंजीकरण कराया हो !
@देशीकरण के द्वारा !
@ किसी भी क्षेत्र विशेष की समाविष्टि के माध्यम से !
## 26जनवरी 1950 के बाद भारत में जन्मा कोई भी व्यक्ति जन्म से ही भारत का नागरिक होगा !
नोट :- ऐसे नागरिक जो भारत में जन्मे विदेशी राजनायको एवं कर्मचारिओं के बच्चे तथा ऐसा भाग जो भारत में तो हो किन्तु किसी शत्रु के अधीन हो - ऐसी स्थिति में वे भारतीय नागरिकता से वंचित रहेंगे !
## 26 जनवरी 1950 के बाद भारत के बाहर जन्म कोई भी व्यक्ति , जिसके पिता भारतीय नागरिकता प्राप्त किये हो ,,अपेक्षाओं के अधीन रहते हुए ,भारत का नागरिक होगा !
## कुछ ऐसी परिस्थितियों में जिनमे कोई व्यक्ति विहित रीति में पंजीकरण द्वारा भारतीय नागरिकता अर्जित कर सकते है !
## विदेशी व्यक्ति कुछ उचित मान्य शर्तो के आधार पर , नागरिकता प्राप्त करने हेतु ,आवेदन देकर नागरिकता प्राप्त कर सकते है !
## यदि कोई राज्य क्षेत्र - भारत देश का अंग बन जाता है , तो भारत सरकार आदेश द्वारा यह निर्दिष्ट कर सकती है , कि उसके परिणाम स्वरुप कौन - व्यक्ति भारत के नागरिक बन सकते है !
## नागरिकता कतिपय आधारों पर - स्वेच्छा से त्याग दिए जाने या वंचित कर दिए जाने के कारण समाप्त हो सकती है !
## राष्ट्र मंडल देश के किसी नागरिक को भारत में - राष्ट्र मंडल नागरिक का दर्जा प्राप्त होगा -सरकार परस्परता के आधार पर उपयुक्त प्रावधान कर सकती है !
## 1986 में किये गये संसोधन के अनुसार कोई व्यक्ति जिसका जन्म भारत में 26जनवरी 1950- के पश्चात् किन्तु 26नवम्बर 1986के पूर्व हुआ हो , उसे देश की नागरिकता तभी प्राप्त होगी - जब उसके जन्म के समय उसके माता -पिता में से कोई एक भारत का नागरिक रहा होगा !
## भारत के प्रत्येक नागरिक को एकल -नागरिकता प्राप्त है -
## संयुक्त -राज्य अमेरिका की भाति - नागरिक को किसी -प्रदेश या प्रान्त की नागरिकता प्राप्त नहीं है !
## अलग -अलग सोलह देशों में रहने वाले भारतीय मूल के नागरिकों को -वर्ष 2003 में एक संसोधन करके - दोहरी नागरिकता प्रदान की गई !
## सम्वन्धित सोलह भारत वंशी लोगो को अधिकार /सुविधाए :-
@ भारत के अंदर शिक्षा का अधिकार !
@ व्यापारिक अथवा वाणिज्यिक क्रियाकलापों के अधिकार ! एवं :-
@ आर्थिक गतिविधियाँ चलाने के अधिकार !
@ देश में सम्पत्ति क्रय कर सकते है !
## भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम - 1986 ##
## भारतीय नागरिकता अधिनियम -:1956 -में किये गये संशोधन :-
1 - देशियकरण द्वारा तभी नागरिकता प्रदान की जाएगी ,जबकि सम्वन्धित व्यक्ति कम से कम 10 वर्षों तक भारत में रह चूका हो ! यही आव्धि पूर्व में पांच वर्षों की थी !
2 - अब भारत में जन्मे केवल उस व्यक्ति को ही नागरिकता प्रदान की जायेगी -,जिसके माता -पिता में से कोई एक भारत का नागरिक रहा हो !
3 -जो व्यक्ति पंजीकरण के माध्यम से नागरिकता प्राप्त करना चाहते है ,उन्हें भी अब भारत में कम से कम पांच वर्षो तक निवास करना होगा !यही अवधि पूर्व में सिर्फ छः माह की थी !
## संसद द्वारा सर्वसम्मति से सन 1992 में , ना गरिकता संशोधन विधेयक पारित करके यह व्यवस्था की गई कि ,भारत से बाहर जन्मे बच्चे को ,यदि उसकी माँ भारत की नागरिक है , तो उसके बच्चे को भी भारतीय नागरिकता प्राप्त होगी !
नोट # इससे पूर्व उसी स्थिति में -बच्चे को भारत की नागरिकता प्राप्त होती थी ,जबकि जन्मे बच्चे का पिता भारतीय नागरिक हो !
## कोई भी नागरिक अपनी मर्जी से अपनी नागरिकता का त्याग कर सकता है !
## कुछ विशेष वर्गो को जैसे कि ,अंगीकृत नागरिक वर्ग -,दीर्घ आवासीय नागरिक वर्ग -,, पंजीकृत नागरिक वर्ग -,, को नागरिकता से वंचित करने के अधिकार है !
## भारत सरकार उन नागरिकों की नागरिकता का भी हरण करने का अधिकार अपने पास सुरक्षित रखती है ,जो :,
@ देश में रहते हुए -शत्रु पक्ष को गोपनीय सूचनाओ को पहुचाये !
@ देश की नागरिकता के लिए किसी भी प्रकार से जाली दस्तावेजों का प्रयोग किये हो !
@ देश में निवासरत ऐसे नागरिक जो ,भारतीय सम्विधान के प्रति अपनी अनिष्ठा प्रकट करते हो !एवं ,,
@ भारत देश में निवासरत कोई एसा नागरिक जिसे भारतीय नागरिकता प्राप्त किये हुए पूर्ण पांच वर्ष नहीं हुए ,एवं ऐसे व्यक्ति को किसी न्यायालय से दो वर्ष या उससे अधिक का कारावास की सजा कारित की गई हो , तो भारत सरकार ऐसे नागरिक की नागरिकता को हरण करने का अधिकार रखती है !
**********************************************//****************************//***********************************************************************//****************************//*************************
# अनुच्छेद -'17'में अस्प्रश्यता के उन्मूलन सम्वन्धी प्रावधान का उल्लेख है !
## यही वह अनुच्छेद है, जिसके आधार पर ,संसद के द्वारा -अस्प्रश्यता -अधिनियम -1955 का निर्माण किया गया था ## सन -1976 में एक अन्य संसोधन द्वारा इसी अधिनियम का नाम "सिविल अधिकार -संरक्षण -अधिनियम 1955हुआ !
## -विधि के समक्ष समानता -:
विधि -के समक्ष समानता से आशय है कि ,देश में निवासरत कोई भी नागरिकता प्राप्त नागरिक किसी भी स्थिति में विधि -से ऊपर नहीं है !चाहे वह किसी ऊँचे -पद या ओहदे पर आसीन क्यों न हो ! ## -विधि -के समान संरक्षण -:
विधि-के समान संरक्षण से आशय ,यह है ,कि -समान लोगो के लिए -एक समान विधि होगी -तथा समान परिस्थितियों के होने पर -उसमे किसी भी प्रकार का भेदभाव कारित नहीं किया जायेगा !
- याद रखने योग्य -
2 .##
## भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 , को पारित करते हुए सम्विधान में नागरिकता सम्वन्धी व्यापक नियमावली तैयार की गई है !जैसे कि :-
:- किसी भी नागरिक को भारत का नागरिक तभी माना जायेगा जब वह :
@ भारत में जन्मा हो !
@ भारत में निवासरत वंशाधिकारी हो !
@ उसने नागरिकता प्राप्त करने हेतु पंजीकरण कराया हो !
@देशीकरण के द्वारा !
@ किसी भी क्षेत्र विशेष की समाविष्टि के माध्यम से !
## 26जनवरी 1950 के बाद भारत में जन्मा कोई भी व्यक्ति जन्म से ही भारत का नागरिक होगा !
नोट :- ऐसे नागरिक जो भारत में जन्मे विदेशी राजनायको एवं कर्मचारिओं के बच्चे तथा ऐसा भाग जो भारत में तो हो किन्तु किसी शत्रु के अधीन हो - ऐसी स्थिति में वे भारतीय नागरिकता से वंचित रहेंगे !
## 26 जनवरी 1950 के बाद भारत के बाहर जन्म कोई भी व्यक्ति , जिसके पिता भारतीय नागरिकता प्राप्त किये हो ,,अपेक्षाओं के अधीन रहते हुए ,भारत का नागरिक होगा !
## कुछ ऐसी परिस्थितियों में जिनमे कोई व्यक्ति विहित रीति में पंजीकरण द्वारा भारतीय नागरिकता अर्जित कर सकते है !
## विदेशी व्यक्ति कुछ उचित मान्य शर्तो के आधार पर , नागरिकता प्राप्त करने हेतु ,आवेदन देकर नागरिकता प्राप्त कर सकते है !
## यदि कोई राज्य क्षेत्र - भारत देश का अंग बन जाता है , तो भारत सरकार आदेश द्वारा यह निर्दिष्ट कर सकती है , कि उसके परिणाम स्वरुप कौन - व्यक्ति भारत के नागरिक बन सकते है !
## नागरिकता कतिपय आधारों पर - स्वेच्छा से त्याग दिए जाने या वंचित कर दिए जाने के कारण समाप्त हो सकती है !
## राष्ट्र मंडल देश के किसी नागरिक को भारत में - राष्ट्र मंडल नागरिक का दर्जा प्राप्त होगा -सरकार परस्परता के आधार पर उपयुक्त प्रावधान कर सकती है !
## 1986 में किये गये संसोधन के अनुसार कोई व्यक्ति जिसका जन्म भारत में 26जनवरी 1950- के पश्चात् किन्तु 26नवम्बर 1986के पूर्व हुआ हो , उसे देश की नागरिकता तभी प्राप्त होगी - जब उसके जन्म के समय उसके माता -पिता में से कोई एक भारत का नागरिक रहा होगा !
## भारत के प्रत्येक नागरिक को एकल -नागरिकता प्राप्त है -
## संयुक्त -राज्य अमेरिका की भाति - नागरिक को किसी -प्रदेश या प्रान्त की नागरिकता प्राप्त नहीं है !
## अलग -अलग सोलह देशों में रहने वाले भारतीय मूल के नागरिकों को -वर्ष 2003 में एक संसोधन करके - दोहरी नागरिकता प्रदान की गई !
##सोलह देश जिनमे ,भारतीय मूल के लोगो को "दोहरी नागरिकता "की सुविधा प्रदान की गई है !##
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सोलह देश जिनमे ,भारतीय
मूल के लोगो को "दोहरी नागरिकता "की सुविधा प्रदान की गई है !
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## सम्वन्धित सोलह भारत वंशी लोगो को अधिकार /सुविधाए :-
@ भारत के अंदर शिक्षा का अधिकार !
@ व्यापारिक अथवा वाणिज्यिक क्रियाकलापों के अधिकार ! एवं :-
@ आर्थिक गतिविधियाँ चलाने के अधिकार !
@ देश में सम्पत्ति क्रय कर सकते है !
## भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम - 1986 ##
## भारतीय नागरिकता अधिनियम -:1956 -में किये गये संशोधन :-
1 - देशियकरण द्वारा तभी नागरिकता प्रदान की जाएगी ,जबकि सम्वन्धित व्यक्ति कम से कम 10 वर्षों तक भारत में रह चूका हो ! यही आव्धि पूर्व में पांच वर्षों की थी !
2 - अब भारत में जन्मे केवल उस व्यक्ति को ही नागरिकता प्रदान की जायेगी -,जिसके माता -पिता में से कोई एक भारत का नागरिक रहा हो !
3 -जो व्यक्ति पंजीकरण के माध्यम से नागरिकता प्राप्त करना चाहते है ,उन्हें भी अब भारत में कम से कम पांच वर्षो तक निवास करना होगा !यही अवधि पूर्व में सिर्फ छः माह की थी !
## संसद द्वारा सर्वसम्मति से सन 1992 में , ना गरिकता संशोधन विधेयक पारित करके यह व्यवस्था की गई कि ,भारत से बाहर जन्मे बच्चे को ,यदि उसकी माँ भारत की नागरिक है , तो उसके बच्चे को भी भारतीय नागरिकता प्राप्त होगी !
नोट # इससे पूर्व उसी स्थिति में -बच्चे को भारत की नागरिकता प्राप्त होती थी ,जबकि जन्मे बच्चे का पिता भारतीय नागरिक हो !
## कोई भी नागरिक अपनी मर्जी से अपनी नागरिकता का त्याग कर सकता है !
## कुछ विशेष वर्गो को जैसे कि ,अंगीकृत नागरिक वर्ग -,दीर्घ आवासीय नागरिक वर्ग -,, पंजीकृत नागरिक वर्ग -,, को नागरिकता से वंचित करने के अधिकार है !
## भारत सरकार उन नागरिकों की नागरिकता का भी हरण करने का अधिकार अपने पास सुरक्षित रखती है ,जो :,
@ देश में रहते हुए -शत्रु पक्ष को गोपनीय सूचनाओ को पहुचाये !
@ देश की नागरिकता के लिए किसी भी प्रकार से जाली दस्तावेजों का प्रयोग किये हो !
@ देश में निवासरत ऐसे नागरिक जो ,भारतीय सम्विधान के प्रति अपनी अनिष्ठा प्रकट करते हो !एवं ,,
@ भारत देश में निवासरत कोई एसा नागरिक जिसे भारतीय नागरिकता प्राप्त किये हुए पूर्ण पांच वर्ष नहीं हुए ,एवं ऐसे व्यक्ति को किसी न्यायालय से दो वर्ष या उससे अधिक का कारावास की सजा कारित की गई हो , तो भारत सरकार ऐसे नागरिक की नागरिकता को हरण करने का अधिकार रखती है !
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## -- राज्य के नीति निदेशक तत्व :-
विशेष ;- सम्विधान के नीति-निदेशक तत्वों का विचार भारतीय सम्विधान में "आयरलैंड " से लिया गया है !
@-:- कोई एक राज्य स्वयम की नीतियों का निर्धारण करने हेतु जिन नीतियों का निर्धारण करेगा , सम्विधान में उसे नीति -निदेशक तत्व के द्वारा वर्णित किया गया है !
@ नीति -निदेशक तत्वों को कोई भी वैधानिक शक्ति प्राप्त नहीं है ,अत:इसे न्यायालय द्वारा लागु नहीं करवाया जा सकता है !
@ सम्विधान के अनुच्छेद 38 के अनुसार -सामाजिक व्यवस्था का निर्माण -, राज्य लोक -कल्याण की -अभिवृद्धि हेतु करेगा ,जिससे कि व्यक्तियों में असामानता की भावना का विकास न हो सके !
@ सम्विधान के अनुच्छेद 42--43 के अनुसार राज्य श्रीमिकों के लिए एक ऐसी व्यवस्था बनाएगा , जिससे उन्हें रोज़गार ,, अवकाश ,तथा शिष्ट जीवन स्तर प्राप्त हो सके !
@
@ सम्विधान के अनुच्छेद 43 (क )के अनुसार राज्य कुटीर उद्योगों को - सहकारी आधार पर -प्रोत्साहन करेगा !
@ सम्विधान के अनुच्छेद 47 के अंतर्गत -लोक -स्वास्थ्य में सुधार लाना -,, नागरिकों के पोषण -स्तर तथा --जीवन स्तर को ऊँचा करना -,प्राथमिक कर्तव्य की श्रेणी में होगा !
@ अनुच्छेद 39के अनुसार राज्य भौतिक संसाधनों का समान वितरण करेगा तथा उनका संकेन्द्रण करेगा !
@ सम्विधान के अनुच्छेद 51 के अंतर्गत - ,, राज्य - अन्तराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाये रखने का हर सम्भव प्रयास करेगा !
----**-- राज्य की नीति को प्रभावित करने वाले तत्व :-
सम्बिधान के अनुच्छेद 44 में वर्णित "राज्य नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता का निर्माण करेगा "!
** - प्रारम्भिक शैशवावस्था की देख रेख ,छः वर्ष से कम आयु के बालकों की शिक्षा का प्रावधान !
** -इसी क्रम में अनुच्छेद 48के अनुसार राज्य कृषि एवं पशुपालन को वैज्ञानिक ढंग से संगठित करेगा !
**- सम्विधान में नीति को प्रभावित करने वाले तत्त्वों में अनुच्छेद 46 के अनुसार "राज्य अनुसूचित जातियों ,अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य दुर्वल वर्गो के हितो की अभिवृद्धि के लिए कानून बनाएगा !
**- राज्य पर्यावरण संरक्षण ,वन तथा वन्य जीवों के संरक्षण एवं सम्वर्धन हेतु प्रयास सम्वन्धी प्रभावी तत्त्व अनुच्छेद 48क में वर्णित है !
**- अगले क्रम में अनुच्छेद 49 के अनुसार "राज्य ऐतिहासिक महत्व के स्मारकों ,स्थानों तथा वस्तुओं का संरक्षण सम्वन्धी उल्लेख है !
**- राज्य की नीति को प्रभावित करने वाले तत्त्वों में अनुच्छेद 50 के अनुसार -"राज्य "कार्यपालिका "एवं "न्याय पालिका "की शक्तियों का प्रथक्करण ,"करने सम्वन्धी उल्लेख है !
## नागरिकों के अप्रवर्त्निये अधिकार से संवंधित तत्त्व :-
# इन तत्त्वों में अनुच्छेद 39 (क )के अनुसार राज्य के नागरिकों को एक समान रूप से आजीविका के साधन प्राप्त करने का अधिकार :-
# इसी सन्दर्भ में अनुच्छेद 39 (घ ) के अनुसार एक समान कार्य हेतु "एक समान वेतन का अधिकार :
# अनुच्छेद 39(ड )के अनुसार -"आर्थिक शोषण के विरुद्ध अधिकार ":-
# समान न्याय एवं समान निशुल्क विधिक सहायता के अधिकार का उल्लेख ब्यालीस्बे (42बे ) सम्विधान संशोधन के अधिनियम के अनुच्छेद "39 क " में संदर्भित है !
# इनही अधिकारों के क्रम में अनुच्छेद 41 के अनुसार ,काम शिक्षा एवं लोक सहायता पाने का अधिकार निहित है !,जबकि अनुच्छेद 42 के अनुसार कार्य की न्याय संगत ,एवं मानवोचित दशाओं तथा प्रसूति सहायता सम्वन्धी अधिकार वर्णित है !
# अनुच्छेद 43 के अनुसार मजदूरों अथवा श्रमिकों को "निर्वाह पारिश्रीमिक "पाने सम्वन्धी अधिकार है !,जबकि अनुच्छेद 43 'क " के अनुसार मजदूरों को उद्योगों के प्रवंध में भाग लेने सम्वन्धी अधिकार का उल्लेख किया गया है !
!!विशेष :-ब्यालिस्बे '42 वे ' सम्विधान संशोधन के माध्यम से जोड़े गये "नीति -निदेशक -तत्त्व "!!
अनुच्छेद 48 'क ' - पर्यावरण एवं वन्य जीव संरक्षण -
अनुच्छेद 39 'च ' - अल्प-वयस्कों -,बालको -, को शोषण से बचाने के साथ -साथ स्वस्थ विकास का अवसर पाने का अधिकार :
अनुच्छेद 39'क '- एक समान न्याय एवं निशुल्क विधिक सहायता प्राप्त करने का अधिकार :-
अनुच्छेद 43'क' - उद्योगों के प्रवंध में कर्मकारों की सहभागिता सम्वन्धी अधिकार :-
!!विशेष :- चबालिस्वें '44वे 'सम्विधान संशोधन द्वारा जोड़े गये -तत्व -!!
अनुच्छेद '38 "2 " - विभिन्न व्यवसायों में लगे हुए लोगों के समूहों के मध्य -प्रतिष्ठा ,सुविधाओं - और अवसरों की असमानता को समाप्त करने का प्रयास राज्य करेगा !
नोट :-
# सम्विधान में मूल प्रारूप से कुल मिलाकर सात ( 7 ) मौलिक अधिकारों को वर्णित किया गया है !
1 - समानता का अधिकार -जिसे अनुच्छेद ' 14 से 18 'में वर्णित है !
2- अनुच्छेद 19 से 22 में 'विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार -
3 -अनुच्छेद 23 एवं 24 में "शोषण के विरुद्ध अधिकार -
4 -अनुच्छेद 25 से 28 में "धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार -
5 -अनुच्छेद 29 - 31 में "संस्कृति व् शिक्षा सम्वन्धी अधिकार -
6 -अनुच्छेद 32 - 35 में "संवैधानिक उपचारों का अधिकार -
नोट -
* '44 वे ' सम्विधान संशोधन के द्वारा सन -1978 में "सम्पत्ति के अधिकार "से सम्वन्धित 'अनुच्छेद 19(1 )'च 'एवं अनुच्छेद '31' को निरसित कर दिया गया !
## स्पष्टीकरण :-
# अनुच्छेद 14 के अनुसार भारत राज्य क्षेत्र में -राज्य किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समानता अथवा विधि द्वारा समान रूप से संरक्षण प्रदान करेगा !
----**-- राज्य की नीति को प्रभावित करने वाले तत्व :-
सम्बिधान के अनुच्छेद 44 में वर्णित "राज्य नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता का निर्माण करेगा "!
** - प्रारम्भिक शैशवावस्था की देख रेख ,छः वर्ष से कम आयु के बालकों की शिक्षा का प्रावधान !
** -इसी क्रम में अनुच्छेद 48के अनुसार राज्य कृषि एवं पशुपालन को वैज्ञानिक ढंग से संगठित करेगा !
**- सम्विधान में नीति को प्रभावित करने वाले तत्त्वों में अनुच्छेद 46 के अनुसार "राज्य अनुसूचित जातियों ,अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य दुर्वल वर्गो के हितो की अभिवृद्धि के लिए कानून बनाएगा !
**- राज्य पर्यावरण संरक्षण ,वन तथा वन्य जीवों के संरक्षण एवं सम्वर्धन हेतु प्रयास सम्वन्धी प्रभावी तत्त्व अनुच्छेद 48क में वर्णित है !
**- अगले क्रम में अनुच्छेद 49 के अनुसार "राज्य ऐतिहासिक महत्व के स्मारकों ,स्थानों तथा वस्तुओं का संरक्षण सम्वन्धी उल्लेख है !
**- राज्य की नीति को प्रभावित करने वाले तत्त्वों में अनुच्छेद 50 के अनुसार -"राज्य "कार्यपालिका "एवं "न्याय पालिका "की शक्तियों का प्रथक्करण ,"करने सम्वन्धी उल्लेख है !
## नागरिकों के अप्रवर्त्निये अधिकार से संवंधित तत्त्व :-
# इन तत्त्वों में अनुच्छेद 39 (क )के अनुसार राज्य के नागरिकों को एक समान रूप से आजीविका के साधन प्राप्त करने का अधिकार :-
# इसी सन्दर्भ में अनुच्छेद 39 (घ ) के अनुसार एक समान कार्य हेतु "एक समान वेतन का अधिकार :
# अनुच्छेद 39(ड )के अनुसार -"आर्थिक शोषण के विरुद्ध अधिकार ":-
# समान न्याय एवं समान निशुल्क विधिक सहायता के अधिकार का उल्लेख ब्यालीस्बे (42बे ) सम्विधान संशोधन के अधिनियम के अनुच्छेद "39 क " में संदर्भित है !
# इनही अधिकारों के क्रम में अनुच्छेद 41 के अनुसार ,काम शिक्षा एवं लोक सहायता पाने का अधिकार निहित है !,जबकि अनुच्छेद 42 के अनुसार कार्य की न्याय संगत ,एवं मानवोचित दशाओं तथा प्रसूति सहायता सम्वन्धी अधिकार वर्णित है !
# अनुच्छेद 43 के अनुसार मजदूरों अथवा श्रमिकों को "निर्वाह पारिश्रीमिक "पाने सम्वन्धी अधिकार है !,जबकि अनुच्छेद 43 'क " के अनुसार मजदूरों को उद्योगों के प्रवंध में भाग लेने सम्वन्धी अधिकार का उल्लेख किया गया है !
!!विशेष :-ब्यालिस्बे '42 वे ' सम्विधान संशोधन के माध्यम से जोड़े गये "नीति -निदेशक -तत्त्व "!!
अनुच्छेद 48 'क ' - पर्यावरण एवं वन्य जीव संरक्षण -
अनुच्छेद 39 'च ' - अल्प-वयस्कों -,बालको -, को शोषण से बचाने के साथ -साथ स्वस्थ विकास का अवसर पाने का अधिकार :
अनुच्छेद 39'क '- एक समान न्याय एवं निशुल्क विधिक सहायता प्राप्त करने का अधिकार :-
अनुच्छेद 43'क' - उद्योगों के प्रवंध में कर्मकारों की सहभागिता सम्वन्धी अधिकार :-
!!विशेष :- चबालिस्वें '44वे 'सम्विधान संशोधन द्वारा जोड़े गये -तत्व -!!
अनुच्छेद '38 "2 " - विभिन्न व्यवसायों में लगे हुए लोगों के समूहों के मध्य -प्रतिष्ठा ,सुविधाओं - और अवसरों की असमानता को समाप्त करने का प्रयास राज्य करेगा !
नोट :-
# सम्विधान में मूल प्रारूप से कुल मिलाकर सात ( 7 ) मौलिक अधिकारों को वर्णित किया गया है !
1 - समानता का अधिकार -जिसे अनुच्छेद ' 14 से 18 'में वर्णित है !
2- अनुच्छेद 19 से 22 में 'विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार -
3 -अनुच्छेद 23 एवं 24 में "शोषण के विरुद्ध अधिकार -
4 -अनुच्छेद 25 से 28 में "धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार -
5 -अनुच्छेद 29 - 31 में "संस्कृति व् शिक्षा सम्वन्धी अधिकार -
6 -अनुच्छेद 32 - 35 में "संवैधानिक उपचारों का अधिकार -
नोट -
* '44 वे ' सम्विधान संशोधन के द्वारा सन -1978 में "सम्पत्ति के अधिकार "से सम्वन्धित 'अनुच्छेद 19(1 )'च 'एवं अनुच्छेद '31' को निरसित कर दिया गया !
## स्पष्टीकरण :-
1.समता का अधिकार
RIGHT TO Equality
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# अनुच्छेद -'17'में अस्प्रश्यता के उन्मूलन सम्वन्धी प्रावधान का उल्लेख है !
## -विधि के समक्ष समानता -:
विधि -के समक्ष समानता से आशय है कि ,देश में निवासरत कोई भी नागरिकता प्राप्त नागरिक किसी भी स्थिति में विधि -से ऊपर नहीं है !चाहे वह किसी ऊँचे -पद या ओहदे पर आसीन क्यों न हो ! ## -विधि -के समान संरक्षण -:
विधि-के समान संरक्षण से आशय ,यह है ,कि -समान लोगो के लिए -एक समान विधि होगी -तथा समान परिस्थितियों के होने पर -उसमे किसी भी प्रकार का भेदभाव कारित नहीं किया जायेगा !
- याद रखने योग्य -
b-मौलिक अधिकार -न्याय -योग्य है !
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c-मौलिक -अधिकार वैधिक -अनुशक्ति से युक्त है !
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c-नीति-निदेशक तत्वों में वैधिक अनु शक्ति का अभाव है !
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d-नीति-निदेशक तत्व - राज्य विशेष के उपयोग हेतु होते है !
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#अनुच्छेद 19 में कुल -छह स्वतंत्रताओं का उल्लेख संदर्भित है :-
A)अनुच्छेद 19 'A' में वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सम्वन्धी अधिकार वर्णित है !
B)अनुच्छेद 19'B' में शांतिपूर्ण एवं निरायुद्ध सम्मेलन की स्वतंत्रता सम्वन्धी अधिकार वर्णित है !
C)अनुच्छेद 19'C'में संघ अथवा संगम बनाने की स्वतंत्रता का अधिकार -
D)अनुच्छेद 19'D'भारत के राज्य में अबाध संचरण की स्वतंत्रता -
E)अनुच्छेद 19'E'के अनुसार भारत के किसी भी राज्य क्षेत्र में निवास अथवा बस जाने का अधिकार -
F)अनुच्छेद 19'G'उपजीविका -,व्यापार ,अथवा कारोबार करने की स्वतंत्रता -
नोट :-
अनुच्छेद 19'E का अपवाद :-
यह कि -जम्मू -कश्मीर में बसने अथवा सम्पत्ति -क्रय -करने की स्वतंत्रता नहीं है !
3 .###
## शोषण के विरुद्ध अधिकार का उल्लेख सम्विधान के अनुच्छेद -23 एवं 24 के अंतर्गत किया गया है जो कि :-
1 -मानव का व्यापार नहीं किया जाएगा !
2- राज्य के किसी भी व्यक्ति से बेगार नहीं लिया जायेगा !
3- किसी भी फैक्ट्री -कंपनी अथवा कोई अन्य संकटमय नियोजन में 14वर्ष से कम आयु के बालको को नहीं लगाया जायेगा !
4- राज्य -सार्वजनिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु अनिवार्य सेवा अधिरोपित कर सकती है !इससे तात्पर्य अनिवार्य सैनिक सेवा -राष्ट्रनिर्माण -कार्यक्रम तथा सामाजिक सेवा से है !
4 .##
## धार्मिक स्वतंत्रता सम्वन्धी अधिकार का वर्णन -सम्विधान के अनुच्छेद 25-28के अंतर्गत किया गया है !
1 -धार्मिक कार्यो के प्रवंधो की स्वतंत्रता -
2 - अपने -अपने धर्म -का प्रचार -प्रसार करने सम्वन्धी स्वतंत्रता -
3 - कुछ शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा /प्रार्थना में उपस्थित होने के सम्वन्ध में स्वतंत्रता -
4 - धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार पर -सदाचार -जनता के स्वास्थ्य -समाज कल्याण - तथा समाज सुधार -की द्रष्टि से प्रति -बन्ध लगाये जा सकने सम्वन्धी अधिकार -
5 .##
# सम्विधान के अनुच्छेद -29 एवं 30 में संस्कृति एवं शिक्षा से सम्बन्धित प्रावधान दिए गये है :-
1 - भारत के नागरिको को अपनी विशेष भाषा -लिपि या संस्कृति को बनाये रखने का अधिकार -
2 - राज्य द्वारा पोषित अथवा राज्य निधि से सहायता प्राप्त -किसी भी शिक्षण संस्था में - प्रवेश के लिए नागरिको -को मूलवंश -धर्म -भाषा एवं जाति -के आधार पर वंचित नहीं किया जायेगा !
3 - अल्प-संख्यक वर्गो को - अपनी पसंद के शिक्षण संस्थान चलाने सम्वन्धी अधिकार अनुच्छेद 30 में वर्णित है !
6 .##
# अनुच्छेद 32-35 में दिए गये सम्वैधानिक उपचारों के अधिकार के द्वारा -मौलिक अधिकारों को -न्यायालय द्वारा प्रवर्तनिय बनाया गया है :-
1-इसके अंतर्गत -न्यायालय प्रलेख जारी कर अनुतोष प्रदान करता है !
2- अनुच्छेद 32का निलम्वन संविधान के द्वारा अन्यथा उप-वंधित किये जाने के अतिरिक्त नहीं किया जा सकता है !
3-संदर्भित अनुच्छेदों को डॉ.भीमराव आंबेडकर ने सम्विधान की आत्मा कह कर सम्बोधित किया है !
## संघ का शाशन ##
राष्ट्रपति
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कार्यपालिका विधानमंडल
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कबिनेट मंत्री
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राज्य मंत्री
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उप् राज्यमंत्री
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उच्च सदन
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निम्न सदन
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राष्ट्रपति द्वारा नामित
12 सदस्य
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राज्यों तथा संघ राज्यों से अधिकतम 238 सदस्य
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530 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित02 सद. अधि.20 प्रतिनिधि
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- राष्ट्रपति का निर्वाचन एक निर्वाचक मंडल के माध्यम से किया जाता है , इस निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य एवं राज्य की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते है !
--
क्यों बने ?-
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० राष्ट्रपति से सम्वन्धित विशेष तथ्यों पर एक नजर -
० राज्य की विधानसभा के भंग होने का देश के राष्ट्रपति - के निर्वाचन पर कोई प्रभाव नही पड़ता है !
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० राष्ट्रपति -पद के प्रत्याशी को - 50 अनुमोदकों एवं 50 प्रस्तावकों द्वारा लिखित
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०राष्ट्रपति के पद हेतु - प्रत्याशी को जमानत राशि जमा करनी अनिवार्य होती है !
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०राज्य की विधानसभाओं के सदस्य के मतो का निर्धारण :-=
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०संसद के सदस्यों के मतों का निर्धारण इस सूत्र के माध्यम से किया जाता है !
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०अवधि -राष्ट्रपति पद की अवधि पद ग्रहण करने की तारीख से ठीक पांच वर्ष तक होती है !
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०भारत के राष्ट्रपति का मासिक वेतन 1.5 लाख रूपये है , !
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०भारत के राष्ट्रपति का वेतन पूरी तरीके से आयकर से मुक्त होता है !
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०पद से मुक्त होने के पश्चात राष्ट्रपति को नौ - लाख रूपये प्रति वर्ष के मान से पेंशन मिलती है !
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! राष्ट्र - पति एवं उप राष्ट्र - पति तुलनात्मक अध्ययन !
-- राष्टपति संसद का एक मुख्य अंग होता है ! जबकि उप-राष्ट्रपति संसद के एक अंग राज्य सभा का सभापति होता है !
--- राष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के सदस्य तथा राज्य विधान मंडल के सदस्यों के द्वारा किया जाता है !जबकि उपराष्ट्रपति का निर्वाचन सिर्फ संसद के दोनों सदनों के सदस्यों के द्वारा होता है !
---- राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी में लोकसभा का सदस्य निर्वाचित हो सकने योग्य - योग्यता होनी चाहिए ,जबकि उपराष्ट्रप्ति पद के लिए प्रत्याशी को , राज्यसभा की सदस्यता के लिए अर्ह होना चाहिए !
-- राष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए 14दिन की नोटिस के साथ - संसद के किसी भी सदन में प्रस्ताव लाया जा सकता है !इसे ही महाभियोग कहा जाता है !जबकि उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए प्रस्ताव राज्यसभा में ही लाया जाता है !
---- महाभियोग की प्रक्रिया में राष्ट्रपति को अपना पक्ष रखने का अधिकार प्राप्त है !जबकि उपराष्ट्रपति को ऐसा कोई भी अधिकार नहीं दिया गया है !
---- संसद के दोनों सदनों के दो- तिहाई सदस्यों के बहुमत पारित होने के उपरान्त ही , राष्ट्रपति पर महाभियोग संकल्पित किया जा सकता है !
जबकि उपराष्ट्रपति को पद से हटाने का संकल्प राज्यसभा में उपस्थित सदस्यों के बहुमत के द्वारा पारित किया जाता है ,इसके बाद लोकसभा के द्वारा स्वीकृति भी गृहीत की जाती है !
अब तक
निर्विरोध चुने गये - उपराष्ट्रपति
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1-
01 डॉ.राधाकृष्णन
02- एम्
.हिदायेतुल्ला
03- डॉ.शंकर दयाल शर्मा
|
-- उपराष्ट्रपति - पद से सेवा - निर्वृत्त होने के कुछ समय पूर्व ही उपराष्ट्रपति कृष्ण-कान्त का निधन हो गया था !
विशेष- उपराष्ट्रपति के निर्वाचन संदर्भित सभी विवादों पर अंतिम अधिकार "सर्वोच्च न्यायालय "का ही होता है !
-राष्ट्रपति एवं उप-राष्ट्रपति के निर्वाचन से सम्वन्धित समस्त विषयों का विनियमन संसद के द्वारा किया जाता है !
उपराष्ट्रपति जो राष्ट्रपति नहीं
बन सके
|
1-गोपाल स्वरुप पाठक 2- बी . डी . जत्ती
3- एम० हिदायेतुल्ला
4- कृष्णकांत
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- यदि उपराष्ट्रपति के निर्वाचन को सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा "शून्य "घोषित कर दिया जाता है !
तो पदस्थ रहते हुए पूर्व के निर्णय किसी भी सन्दर्भ में अवैधानिक नहीं होते है !
तो पदस्थ रहते हुए पूर्व के निर्णय किसी भी सन्दर्भ में अवैधानिक नहीं होते है !
संसद
|
- संसद का निचला सदन लोकसभा एवं उच्च सदन राज्यसभा कहलाती है !
|
- भारतीय संसद राष्ट्रपति ,राज्यसभा तथा लोकसभा से मिलकर बनते है !
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- लोकसभा में जनता का प्रतिनिधित्त्व होता है ,जबकि राज्यसभा में भारत
के राज्यों
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राज्य
- सभा
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- राज्य सभा एक स्थाई सदन है ,तथा इसका विघटन नही होता इसके सदस्य 6वर्ष के लिए निर्वाचित होते है !
|
- मन्त्रिपरिषद राज्यसभा के प्रति उत्तरदाई नहीं होती है !
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- राज्यसभा की सदस्यता के लिए न्यूनतम आयु सीमा 30वर्ष है !
|
- अखिल भारतीय सेवाओं का सृजन राज्य सभा के दो तिहाई सदस्यों के बहुमत के माध्यम से किया जाता है !
|
- धन - विधयेक से सन्दर्भ में राज्य सभा को केवल सिफारिशे करने के अधिकार प्राप्त है !
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- लगातार 60 दिनों तक सदन की बैठक से अनुपस्थित रहने पर सदस्य की
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राज्यसभा के विशेषाधिकार
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अनुच० 249 के अंतर्गत राज्यसभा को यह अधिकार प्राप्त है ,कि वह राज्य सूचि के किसी विषय को राष्ट्रीय महत्त्व का घोषित कर सकती है !
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इसके परिणाम स्वरुप उक्त विषय पर संसद को विधि निर्माण का अधिकार प्राप्त हो जाता है !
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०० अनुच्छेद 312के अंतर्गत राज्यसभा नइ अखिल भारतीय - सेवाओं का सृजन कर सकती है !इसके परिणामस्वरूप केंद्र सरकार नइ अखिलभारतीय सेवाओं का सृजन हेतु अधिकृत हो जाती है !
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लोकसभा
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--लोकसभा के सदस्य सीधे जनता के माध्यम से प्रत्यक्ष निर्वाचन के माध्यम से चुने जाते है !
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-- लोकसभा संसद का निम्न सदन है ,
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-- लोकसभा की सदस्यता के लिए प्रत्याशी की आयु 25 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए !
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-- लोकसभा का सदस्य पांच वर्षो के लिये चुना जाता है !यदि चाहे तो त्यागपत्र के माध्यम से सदस्यता का त्याग कर सकता है !
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-- लगातार 60दिनों तक लोकसभा की बैठक से बिना अनुज्ञा के अनुपस्थित रहने पर उसकी सदस्यता स्वत:ही समाप्त हो जाती है !
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-- लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या 552 है , जिसमे 530सदस्य राज्यों से तथा 20सदस्य केंद्र शाशित प्रदेशों से चुने जाते है !वर्तमान में लोकसभा की सदस्य संख्या 545है !
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-- राष्ट्रपति एंग्लो - इंडियन समुदाए से दो सदस्यों को मनोनीत कर सकता है !
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--आपात उद्घोषणा की स्थिति में संसद विधि द्वारा लोकसभा की अवधि एक वर्ष के लिए बड़ा सकती है !किन्तु इस प्रकार से बड़ाई गई अवधि किसी भी स्थिति में आपात उद्घोषणा के समाप्त होने के पश्चात 6 माह से अधिक नहीं होगी !
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--लोकसभा की प्रथम बैठक के पश्चात जल्द से जल्द लोकसभा अध्यक्ष एवं लोकसभा उपाध्यक्ष का चुनाव् अपने सदस्यों के बीच से करती है !
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-- एक व्यक्ति एक समय में केवल एक ही सदन का सदस्य हो सकता है !
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-- धन - विधेयक केवल लोकसभा में ही प्रेषित किये जाते है !
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--- वार्षिक वित्तीय विवरण केवल लोकसभा में प्रस्तुत किये जाते है !
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--- संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता लोकसभा का अद्यक्ष करता है !
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-- लोकसभा में सिर्फ अनुसूचित जातियों - जनजातियो को ही आरक्षण प्रदान
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किया जाता है !अन्य किसी जाती या वर्ग को आरक्षण नहीं दिया जाता है !
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संसद सत्र- सत्रावसान एवं विघटन
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- संसद का सत्र राष्ट्रपति के द्वारा आहूत किया जाता है !
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- संसद की कार्यवाही में कोई भी सदस्य यदि अनुपस्थित है ,अथवा अन्य कोई अनाधिक्रत रूप से उपस्थित होता है ,तो यह किसी भी तरीके से सदन की कार्यवाही को प्रभावित नही करेगा !
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-- राष्ट्रपति समय - समय पर संसद का सत्रावसान करता है !सदन के सत्रावसान के परिणाम स्वरुप सदन में लम्बित विधयेक अथवा कार्य समाप्त नहीं होते !
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-- एक सत्र में कई बैठके होती है , स्थगन स्वयम सदन का कार्य होता है , जो सभापति अथवा स्पीकर के माध्यम से किया जाता है !
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-- विघटन सदन की कालावधि को समाप्त कर देता है !जबकि राज्यसभा का विघटन ही नहीं होता है !
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-- लोकसभा का विघटन राष्ट्रपति प्रधनमंत्री की सलाह से करता है !
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विघटन
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*यदि कोई विधेयक लोकसभा के माध्यम से प्रेषित नहीं किया गया किन्तु राज्यसभा में ल्म्वित है ,तो वह समाप्त नहीं किया जा सकता है !
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* यदि विधेयक राज्यसभा द्वारा पारित करके लोकसभा में भेजा जा चूका है , तथा लोकसभा में लम्बित है , उसे समाप्त ही मन जाता है !
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* वह विधेयक जिसे लोकसभा में पारित करके राज्यसभा को भेजा जाता है , एवं व्ही पर ल्म्वित रहता है , तो वह समाप्त माने जाते है !
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* इस प्रकार के विधेयकों को यदि राष्ट्रपति चाहे तो - विघटन के पूर्व संयुक्त अधिवेसन बुला कर बचा सकता है !
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* लम्वित विधेयक में वह विधेयक नहीं आता ,जो दोनों सदनों से पारित होने के पश्चात राष्ट्रपति की सहमती के लिए रखा हुआ है !
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*राज्यसभा में पुनः स्थापित कोई विधेयक जो लोकसभा में भेजे जाने के पश्चात और लोकसभा द्वारा संशोधनों के साथ राज्यसभा को लौटा दिए जाने के पश्चात उस सभा में लम्बित हो समाप्त माने जाते है !
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राष्ट्रपति द्वारा पुनर्विचार हेतु भेजे गये विधेयक समाप्त नहीं होते एवं उन पर नए सदन के द्वारा विचार किया जा सकता है !
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-लोकसभा में लम्बित शेष सभी मामले वे चाहे प्रस्ताव ,संकल्प ,संशोधन अथवा अनुपूरक अनुदान मांग हो अथवा याचिका समिति को भेजी गई याचिका हो , लोकसभा के विघटन के साथ ही समाप्त माने जाते है !
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