Career builder : भारत एवं विश्व
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भारत एवं विश्व से सम्वन्धित: प्रमुख तथ्य

1  -   India and World

   ## Geography## (  भौगोलिक  परिद्रश्य  )                                Geographic - Creation

 (A) Structure Of The Earth  - ( प्रथ्वी की संरचना  )  :- 
                                                             a   -   Volcano (ज्वालामुखी ) 
ज्वाला मुखी भू - पटल पर पाए जाने वाले - मुख छिद्र - दरार होते है !जिनसे गैसे - तरल पदार्थ - एवं ठोस पदार्थों के उदगार होते है !
  #* ज्वालामुखिय - पदार्थ -: ज्वालामुखी उदगार से निकलने वाली गैसों में  सर्वाधिक मात्रा - (80%) जलवाष्प की पाई जाती है !
# इसके पश्चात - Co2- So2 इत्यादि गैसों के भी उत्सर्जन होते है !
# ज्वाला मुखी उदगार स्व निकलने वाले तरल पदार्थों के रूप में - प्रथ्वी की तप्त एवं द्रवित - चट्टानों - की प्रधानता है , जिसे धरातल के अन्दर - मैग्मा - तथा - धरातल के नीचे "लावा " कहा जाता है !
# ज्वालामुखिय उदगार से निकलने वाले - बड़े - बड़े तप्त एवं ज्वालामुखिय बम लैपिली ,, स्कोरिया ,,piroclaast "पायरो -क्लास्ट" तथा जुमिस की प्रधानता होती है !
#  1 *ज्वालामुखीय बम :- उदगार के समय निकलने वाले बड़े - बड़े तप्त - शिलाखंड - ज्वालामुखीय बम कहलाते है !
# 2* लैल्पी :- उदगार के समय निकलने वाले मटर के दाने के समान  शिलाखंड लैलिपी कहलाते है !
# 3*स्कोरिया " उदगार के समय निस्सृत कुछ cm व्यास वाले , बंदूक की गोली के समान - शिलाखंड अवस्कर स्कोरिया कहलाते है !
#4*पायरो - क्लस्ट " -- उदगार के समय निकलने वाले विभिन्न अकार प्रकार के लावा - से युक्त - चट्टानी खंड जो संयुक्त रूप से गिरते है !बे ज्वाला अग्नि - ख्न्दाश्म  कहलाते है !
# 5*प्युमिस - ज्वालामुखीय उदगार के समय - निकलने वाले झागदार शिलाखंड - प्युमिस कहलाते है !इन्हें झामक भी कहा जाता है !




2.  जलीय- स्थ्लाकृतियाँ -एवं शुष्क - स्थ्लाकृतियाँ -# 

                                                                      आद्र प्रदेशों में नदियाँ अपरदन - परिवहन एवं निक्षेपंन क्रिया करती है , नदियों के इन कार्यों से - विभिन्न प्रकार के स्थल रूपों का विकास होता है !

a- Gorge and Canyon:-
 नदियों के लमववत   कटाव क्रिया से ," V"आकार की घाटी , गार्ज़ एवं कान्नियन के रूप में विकसित होती है !
# ** संयुक्त राज्य अमेरिका में ," Collorado"  नदी पर ग्रैंड कैनियन का विकास हुआ है !
#** भारत में सुत्लुज़ - सिन्धु - , ब्रहमपुत्र - आदि नदियाँ अपने प्रवाह मार्ग पर गार्ज़ बनाती है !

b- जल - गर्तिका - (Photholes)-: नदियों के प्रवाह मार्ग में - जल - दाब एवं घर्षण क्रिया - से गर्तों का विकास होता है !, छोटे - छोटे गर्तों को , जल् - गर्तिका कहा जाता है !जिसका आकार बडने पर , अवनमन - कुंढ  विकसित  होता है !

C - जल - प्रपात (Water - Falls ):- नदियों के प्रवाह मार्ग में - चट्टानों के अपरदन - के कारण नदी का जल ऊँचे - स्थल - खंड से - निम्न - स्थल खंड - पर प्रवाहित होता है , ऐसे स्थलरुप पर जल का प्रवाहित होना , जल - प्रपात के अंतर्गत आता है !













3. हिम्नदीय एवं तटीय  स्थालाक्रितियाँ :- 

                                                            सागर तट वर्ती क्षेत्रों से प्रभावित होकर - साग्रिये तरंगों की उत्पत्ती होती है !
U आकार की घाटी -: हिमनदियों द्वारा उसके प्रवाह - मार्ग में नदी , - निर्मित किसी घाटी में - अपघर्षण - एबम उत्पातन के कारण , क्रिया करने के पश्चात - उसे U आकार में परिवर्तित कर दिया जाता है !
# लटकती घाटी -: हिमानी क्षेत्र में किसी मुख्या हिमनदी - घाटी में गिरने वाली सहायक नदी हिमनदी को लटकती हुई घाटी कहा जाता है !

                                                              ० ब्रह्माण्ड ० 
०-ब्रह्माण्ड आकाशिय पिंडों की एक सुव्यवस्था है , जिसमे एक निश्चित दुरी पर समस्त अकाशिय पिंड ,एक निश्चित दिशा में ,हमेशा गतिशील पाए जाते है !
०ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के सम्वन्ध में तीन सिद्धांतों का प्रतिपादन किया गया है !
1 ० बिग बैंग का सिद्धांत - 

2० सतत स्रष्टि सिद्धांत -

3० संकुचन विमोचन का सिद्धांत - 

० ब्रह्माण्ड में पाए जाने वाले सभी आकाशीय पिंडो की विशेषताओं का वैज्ञानिक अध्यन 'खगोलशास्त्र 'में किया जाता है !
०- आकाशिय पिंडों का मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्यन ज्योतिष विज्ञान में किया जाता है !

०- आकाशिये पिंडो की भौतिक अवस्थाओं का अध्यन करने वाले विज्ञान को 'खगोल भौतिकी 'कहा जाता है ! 
०- सौर मंडल की उत्पत्ति का समय ब्रह्माण्ड में लगभग - आज से करीब - चार से पांच अरब वर्ष पूर्व निर्धारित किया गया है !

०पोलैंड के खगोलशास्त्री 'निकोलस कोपरनिकस ' ने 1543 ईसवी में सूर्य केन्द्रित संकल्पना प्रतिपादित की थी !
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