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MPPSC special Streategy #2019

Mppsc # 2019 Special 

                         
mp 
 

दोस्तों मध्यप्रदेश के बारे में कुछ सामान्य जानकारियाँ मै , आपको अपने पिछले आर्टिकल्स में बता चूका हु ,किन्तु इस आर्टिकल का मुख्या उद्देश्य , लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा 2019 में , मध्य प्रदेश से संदर्भित आने वाले , तथ्यों का महत्त्व पूर्ण तरीके से क्रम बार अध्यन रूप रेखा प्रदान करने जा रहा हु , जो निश्चित ही आपके लिए अति महत्त्व पूर्ण साबित होगा !


Madhya - Pradesh - At a Glance-:

                                                                      HISTORY
                                                                      # इतिहास #
1-- प्राचीन काल -:
                     *-    नवदा टोली , खरगोन जिले में , नर्मदा नदी के  तट ,पर , एक ताम्र पाषाण काल का स्थल है 
                    =- * रामायण काल में विन्ध्य प्रदेश व् सतपुडा , में सम्पूर्ण वन क्षेत्र ,निषाद जातियों के अधीन था !
*-- सम्राट रामगुप्त की मुद्राएँ ,  एरन से प्राप्त हुई है !यही पर सती - प्रथ के प्राचीनतम साक्ष्य मिले है , इन समस्त साक्ष्यों को 510इ . पूर्व के ,स्तम्भ लेखों से खोजा गया है !

-*आदमगढ़ होशंगावाद जिले में , नर्मदा नदी के दक्षिणी , तट ,पर , स्थित , एक पुरातात्विक स्थल है , इन्ही गुफाओं में शैल -चित्रों का अंकन मिलता है , 

-*यहाँ से पूर्व पाशंकालीन ,औज़ार आदि भी प्राप्त हुए है , 

-*यह स्थान जिसका सम्वन्ध मध्यपाशान काल से है ,में भेड व् बकरिओं के साथ , प्राचीन मानव के साथ को वर्णित करता है !

--- * - इन्ही गुफाओं में कुछ , शिकार आदि के चित्रों से यह ,पता चलता है ,की , किस तरीके से यह लोग ,सामुहिकं एकत्रित ,होकर बड़े से बड़े पशुओं का शिकार कर लेते थे !

***--मध्य प्रदेश में   "महेश्श्वर "खरगोन जिले में , नर्मदा नदी , के तट ,पर , स्थित है , जिसका सम्वन्ध ताम्र पाषाण काल से है !
**- ध्यान रहे "महेश्वर " को ही पूर्व में "महिष्मती " के नाम से जाना ,जाता था !

**-- एक अन्य पुरातात्विक स्थल , "नालछा ",की खोज  सन 2010  में हुई थी , 
** यह धार जिले के "कारम नदी " के "बेसिन "में है !
***-"
***-मध्यप्रदेश के रायेसेंन में एक अन्य पुर्तात्विक स्थल , "भीम बैथिका " विश्व धरोहर 'के रूप में संरक्षित है , 
* यहाँ की गुफाओं में , पूर्व एतिहासिक काल की , चित्रकारी की अद्भुत , कला देखने को मिलती है !

** मध्य प्रदेश में अन्य ,पाए गये स्थल ,   "नागदा " उज्जैन में - ,, ऐरण " सागर -- ,, कैथल -- उज्जैन में -- त्रिपुरी ---जबलपुर में , पाए गये ताम्र पाषाण काल के स्थान है !

***-"भरहुत " मध्यप्रदेश के सतना जिले में स्थित है , एवं यह स्थान बौद्ध , स्तुप  के लिए प्रसिद्द है !
इतिहासकारों के मतानुसार , इन स्तुप को ,कुछ इतिहासकार - , सम्राट अशोक के काल से सम्वन्धित मानते है , एवं कुछ इतिहास कार ,इसे , शुंग काल से स्म्वंधित मानते है !
** इन स्तूपों को , ध्वस्त होने के पश्चात , कोलकाता के स्न्ग्रहाल्या में फिरसे पुनर्निर्मित करवाया गया था !

***-मध्य प्रदेश में "दंद्कारन्य "जिसे आज हम लोग "बस्तर " के नाम से जानते है , के साथ ,"  महाकांतर "
के सघन वन क्षेत्र थे , " यदुवंशी  नरेश " मधु " यहाँ के शाशक थे ! यदुवंशी "नरेश मधु " महाराज "दशरथ "के समकालीन थे ," महाकांतर " का उल्लेख ,समुद्र गुप्त की , प्रयाग प्रशस्ती  , में भी , हुआ है ! आज यह क्षेत्र ,छात्तिशगढ़ में स्थित है !


**- 
                            मध्य प्रदेश में प्राचीन काल के महाजन पदों के आधुनिक नाम :
                    प्राचीन जनपद                                                        आधुनिक नाम 
           1 *     अवन्ती                                                       ---         उज्जैन
        
           2 *      वत्स                                                       --------    ग्वालियर 
           3 *      अनूप                                                      --------    निमाड़ 
          4 *       चेदी                                                       ----------   खजुराहो 
          5 *     नलपुर                                                    ------ ---- शिवपुरी -नरवर 
          6 *    दशार्ण                                          -------------------      विदिशा 
   याद रखने योग्य -: 
                                  मध्य काल में विदिशा को , "भिलसा " नाम से ,एवं प्राचीन काल में " बेसनगर " के नाम से जाना जाता था !

#//#* द्वितीये नगरीय करण के दौरान ,उज्जैनी , भारत का एक प्रमुख व्यापारिक . ,,नगरीय केंद्र था !
#//## *  "वढवानी "में  मिले सिक्कों को नन्द वंश के सिक्कों के रूप में पहचाना गया है !, अत: इनसे यह अनुमान लगाया गया है ,कि , सम्वन्धित क्षेत्र , का सम्वन्ध नन्द साम्राज्य से था !

#* ग्यारश पुर विदिशा जिले में स्थित , एक पुरातात्विक स्थल है , यहाँ ,ब्राह्मण ,बौद्ध , व् जैन धर्म से सम्वन्धित , गुप्त कालीन , व् उत्तर गुप्त कालीन अवशेष मिले है !

#//*- बेसनगर से यूनानी , राजदूत ," हलिओडोरस" का " गरुण " स्तम्भ लेख , जो भगवान विष्णु को समर्पित है , मिला है !

#*# श्रीदेवी  विदिशा  के  श्रेष्ठी पुत्री  थी \ अशोक भी सम्राट  बनने से पूर्व  अवन्ती  प्रान्त के राज्यपाल थे , बाद में सम्राट  अशोक  ने  उनसे विवाह कर लिया \
#*# कटनी  जिले में मिले रूपनाथ  अभिलेख  और  साँची  स्तम्भ  लेख   सिद्ध करते है कि  मौर्य  साम्राज्य  मध्य प्रदेश  का अंग था \

#*# मौर्य काल  में अवन्ती   मौर्य साम्राज्य   का एक प्रान्त   था  जिसकी  राजधानी  उज्जयिनी थी  \

#*# सम्राट अशोक  साँची  में अभिलेख लिखे है ,यह अभिलेख  इसकी सतह पर की गयी अदभुत पालिश के लिए  प्रसिद्द है \


#*#  मध्य प्रदेश के तीन विश्व धरोहरों में से एक  साँची  रायसेन  जिले  में  स्थित है ,यहाँ के बौद्ध स्तुपो  की  नीव  सम्राट  अशोक  ने रखीं  थी , लेकिन  शुंग  काल  में इनमे परिवर्धन किया गया , बौद्ध भिक्षु    सारिपुत्र और  महामोगल्यायन  की अस्थियाँ   इन स्तूपों में रखी  गयी है !

#*#  शकों के सबसे प्रतापी राजा  और उज्जयनी के शक क्षत्रप  रुद्रदामन ने 130 -150 ई. तक शासन किया \

#*#  "बेसनगर"  विदिशा के निकट का स्थान है , इस स्थान का उल्लेख रामायण और कालिदास के मेघदूतम में मिलता है \ शुंग वंश की राजधानी के रूप में भी विदिशा नगर के को जाना जाता है \

#*# बाघ की गुफाये  धार जिले में नर्मदा की एक सहायक नदी बाघ के किनारे पर स्थित है ,ये बौद्ध  गुफाये  पहाड़ो को काटकर बनायीं गयी थी \इन गुफाओ का सम्बन्ध  गुप्तकाल से  माना जाता है  4 गुफाओ को           " रंग महल "के नाम से जाना जाता है \ इसकी दीवारों पर जातक कथाये  अंकित है \

#*#  कच्छ्पात राजाओं की राजधानी सिन्ह्पानी वर्तमान में मुरैना के सिन्हौनिया में महाभारत कालीन  नगर के अवशेष मिले है !

##* - गुप्त कालीन रॉक कट गुफाएं  विदिशा जिले में  स्थित - उदय -गिरी की गुफाओं को ही  कहा जाता है !
नोट ":- उदयगिरी गुफाओं  में से एक गुफा में "विष्णु के बाराह अवतार "का आख्यान है !


परमार वंश -:
                     #--*  परमार वंश का संस्थापक  उपेन्द्र / कृष्णा राज था ! इसकी राजधानी अद्धुनिक धार थी !
      #** परमारों ने मध्य भारत में 1305 तक शाशन किया , यही से अलाउद्दीन खिलज़ी द्वारा  परमार राज्य को ,दिल्ली सल्तनत में मिला लिया  गया था !
#- परमारों को ही , अग्निवंशी "क्षत्रिय माना गया है !
#-सिमुक ,मुंज ,सिन्धुराज , भोज आदि परमार वंश के प्रमुख शासक थे | 
#-परमार वंश का सबसे प्रसिद्द राजा भोज था ,राजा भोज ने 1010 से 1060 ई. तक शासन किया ,राजा भोज बहुमुखी प्रतिभा का धनी था |उसने अनेको ग्रंथों की रचना की | उसकी प्रमुख रचनाएँ (1) पतंजलि के योगसूत्र पर टीका, (2)सरस्वती कंठाभरण, (3) तत्वप्रकाश , (4) राजमार्तंड, (5) समरांगनसूत्रधार  (यह वास्तुकला का अदभुत ग्रन्थ ) है | 
#-धारानगरी में सरस्वती मां का मंदिर राजा भोज ने ही बनवाया था | जिससे ज्ञात होता है की वह विद्या प्रेमी था | 
#- भोपाल नगर की स्थापना राजा भोज ने अपने राज्य की सीमओं की रक्षा के लिए की ,यही पर एक विशाल तालाब का भी निर्माण कराया |
#-सोलंकी राजा भीम के सहयोग से गजनवी द्वारा लुटे गये सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया |
#- भर्तृहरि की गुफाओं का निर्माण उज्जैन के पास परमार वंश के शसकों ने राजा भर्तृहरि की याद में ग्यारहवीं शताब्दी में कराया था | इसमें रंगीन भित्तिचित्र है |
#- राजा भोज के जीवित रहने पर कहा जाता था, कि राजा भोज के साथ साथ ही , माँ सरस्वती को सदा यहा पर आश्रय प्राप्त होता है , यहाँ पर सदेव सदाचार व्याप्त है !
किन्तु राजा भोज के निधन के पश्चात , धर नगरी को , निराधार कहा जाने लगा था !
# परमार वंश का अंतिम राजा , "महलक देव "था !जिसे 1305 ईसवी में अलाउद्दीन खिलज़ी ने हराकर मार डाला था !
इसी के बाद मालवा भी दिल्ली सल्तनत का एक भाग बन गया था !   


##चंदेल शाशक ##-

                            //**-चंदेल शाशक आरम्भ में , प्रतिहारों के सामंत थे , प्रतिहार सामंत के निर्वल अथवा कमजोर पड़ने के बाद , चंदेलों ने अपनी स्वतंत्रता  घोषित कर दी थी !

**--चन्देल वंश का संस्थापक नानुक था !
    ==* चंदेलों की , सर्वप्रथम राजधानी खजुराहो थी ! जिसके बाद यह महोबा स्थानांतरित करके ले गये !
          -//** चंदेलों को ही चन्द्रवंशी क्षत्रिय  कहा जाता था !
      ==**//** प्रथ्वी राज चौहान से लोहा लेने वाले आल्हा - उदल  - चन्देल नरेश  परमर्दिदेव , के सेनापति थे !



      2  @   आधुनिक काल #-   

मल्हार राव होल्कर इंदौर में मराठो के होलकर वंश के संस्थपक थे !
//* 1767  से 1795 तक , राजमाता अहिल्या बाई ने "महिष्मती " महेश्वर को अपनी राजधानी बनाकर शाशन किया 
//* 3 जून 1857 को , मध्य प्रदेश में 1857 की क्रांति का पहला  उद्घोष , मध्यप्रदेश के "नीमच " से हुआ था !
**// ग्वालियर के सिंधियां वंश के संस्थापक , राणा जी राव शिंदे थे !
** ग्वालियर राजघराने पर सिंधिया राजवंश ने - 1947 तक शाशन किया !
** 1947 में  जीवाजी राव सिंधिया ने , सिंधिया राजघराने का विलय - भारत सरकार के अधीन कर दिया था !
** राज माता विजया राजे सिंधिया का जन्म (1919- 2001) सागर में हुआ था !
** राजमाता विजयाराजे का विवाह ग्वालियर के महाराजा जीवाजी राव सिंधिया के साथ हुआ था !
** राज माता विजयाराजे सिंधिया  संसद के दोनों सदनों में नियुक्त एक स्वतंत्र राजनेत्री थी !
** प्रसिद्द लेखिका मृदुला सिन्हा ने राजमाता ,विजयाराजे के ऊपर उनकी जीवनी भी लिखी थी जिसका शीर्षक " एक रानी ऐसी भी "था !

## 1821 में नरसिंहगढ़ के कुंवर चैनसिंह ने सीहोर के ब्रिटिश एजेंट मेडाक का विरोध किया , स्वतंत्रता  संग्राम में मध्यप्रदेश का प्रथम शहीद कहा जाता है |
## ग्वालियर के सैनिको ने 1857 की क्रांति में विद्रोहियों का साथ दिया |
## झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई को भारत के जॉन ऑफ़ आर्क की संज्ञा दी गयी है|
## महाराष्ट्र के सतारा जिले में रानी लक्ष्मीबाई का जन्म हुआ था ,महराजा गंगाधर राव के साथ इनका विवाह हुआ था | 1853 में इनके पति की म्रत्यु हो गयी | 
## इनका बचपन का नाम  मनु था | इन्होंने अपने दत्तक पुत्र गंगाधर राव की संरक्षिका के रूप में शासन किया\ 
## तात्या टोपे की सहायता से 1857 की क्रांति के समय रानी लक्ष्मीबाई ने ग्वालियर पर अधिकार कर  लिया | लेकिन 18 जून 1858 को अंग्रेजो से लड़ते हुए शहीद हो गयी | उनकी शहादत पर ह्यूरोज ने लिखा है -" अंग्रेजो की जीत हुई किन्तु गौरव रानी को मिला |
## बाबा गंगादास बाग में रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी अंतिम साँस ली | श्री मति सुभद्राकुमारी चौहान ने  उनकी वीरता का बखान करते हुए  प्रसिद्ध कविता "खूब लड़ी मर्दानी ,वह तो झाँसी वाली रानी थी " लिखी थी |
## रानी लक्ष्मी बाई की प्रमुख सहेली झलकारी बाई थी | 
## नाना साहेब के सबसे अभिन्न मित्र थे तात्या टोपे | तात्या टोपे का वास्तविक नाम  रामचन्द्र पांडुरंग टोपे था | रानी लक्ष्मीबाई की म्रत्यु  के पश्चात् इन्होनें  गुरिल्ला  प्रणाली से अंग्रेजो से लड़ाई लड़ी | धोखे से एक मित्र  ने  पकडवा दिया , शिवपुरी में  18  अप्रेल  1857 को फंसी दे दी गयी |
## नाना साहेब के संदेशवाहक के रूप में  ग्वालियर के महादेव शास्त्री ने काम किया | भीलों ने अंग्रेजों के प्रति भीमा नायक और खाज्य नायक के नेतृत्व में मालवा और निमाड़ में विद्रोह किया | 
## रामगढ  राज्य की रानी अवंतिबाई थी |  इन्होने  डलहौजी की हड़प नीति का विरोध किया | पकडे जाने से पहले  उन्होंने अपने पेट में तलवार मारकर प्राण त्याग कर दिए |
## सेठ गोविन्ददास के साथ मिलकर जबलपुर जिले में असहयोग आन्दोलन किया गया |
## मध्यप्रदेश का जलियांवाला बाग कांड छतरपुर जिले के चरणपादुका नामक स्थान पर  हुआ था , मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी 1931  को  पुलिस ने गोली चला कर अनेकों लोगों को मार दिया था |  इसलिए इसे मध्यप्रदेश का जलियांवाला बाग़ कहा जाता है | 
## जंगल सत्याग्रह सिवनी और घोडा डोंगरी में 1930 को हुआ था| 
 # मान सिंह तोमर के पिता जी का नाम "कल्याणमल :"तोमर था ! 
#झलकारी बाई  रानी   लक्ष्मी बाई की ,अन्तरंग      सहायिका थी !उसकी मुख्य विशेषता यह थी कि उसका चेहरा हु -बहू -रानी लक्ष्मी बाई से मिलता था !

#1857   की क्रांति के एक वीर - नायक तात्या - टोपे (1814-1859)का वास्तिविक नाम "रामचन्द्र -पांडुरंग -टोपे "था !वे "नाना धोंदूपन्त "  के सबसे अन्तरंग मित्र थे , जिन्होंने रानी लक्ष्मी बाई को ,ग्वालियर का किला जीतने में मदद की थी , रानी के बलिदान के पश्चात -, उन्होंने गुरिल्ला पद्धति से अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई ज़ारी रखी !किन्तु उन्ही के एक मित्र के विश्वास - घात के कारण वह पकड़े गये एवं , 18    अप्रैल 1859 को , उन्हें शिवपुरी में फांसी दे दी गई !ज्ञात हो कि "नाना ढोंदुपन्त "को ही  "नाना साहेब" के नाम से जाना जाता था !                                                     

3 @#  मध्य काल #

##- दिल्ली सल्तनत के विघटन के बाद , मध्यप्रदेश में कई , क्षेत्रीय राज्यों का उदय हुआ था ,जैसे मालवा - ग्वालियर , खानदेश इत्यादि !

                              # मालवा सल्तनत की स्थापना "दिलावर खान गौरी "ने 1392ई . में की थी !
              # होशंगशाह ने धार के स्थान पर अपनी राजधानी मांडू को बनाया था , होशंगशाह , दिलावर खा का उत्तराधिकारी यही ,होशंगशाह था ,जिसका वास्तविक नाम "अल्प'  खा था !इसने होशंगशाह की उपाधि धारण की थी , इसी ने "होशंगावाद" नगर की स्थापना भी की थी !
        *** मांडू को शादियावाद भी कहा जाता था !जिसका अर्थ "आनद की नगरी  (The City of Joy)होता है ! 
** सन 1561 में बाजबहादुर को हराकर अकबर ने , मालवा पर अधिकार कर लिया था , एवं उसे मुग़ल साम्राज्य का एक सूबा बना दिया ! बाजबहादुर मालवा का शाशक सन 1555 ई .में बना था !
## रानी रूपमती के साथ बाज्बह्दुर की कई प्रेम कथाएं प्रचलित है !
##खान देश राज्य ताप्ति नदी की घाटी में स्थित था , जो दिल्ली सल्तनत का ही एक प्रान्त था !
##- मलिक रजा फरुकी " खान देश के स्वतंत्र राज्य का संस्थापक था !
# मलिक राजा फारुकी के वंश को ही , फारुकी वंश कहा जाता था !
# फारुकी वंश का अंतिम शाशक , आदिल खान त्रितिय था !
#1601 ईसवी में , अकबर ने खान देश को - , मुग़ल साम्राज्य में मिला लिया था !
# ग्वालियर में तोमर वंश ने , 1486 -    1526 ई . तक शाशन किया , इस वंश का सबसे प्रमुख शाशक , मानसिंह तोमर था !
# कुछ लोगो के अनुसार तोमर वंश के लोगो को पांडवों का वंशज़ मानाजाता है !

राजा मानसिंह एक महान , स्थापत्यकार , प्रेमी ,व् संगीतज्ञ, मन जाता है , ग्वालियर की प्रसिद्द मोती झील का निर्माण - मान सिंह के द्वारा ही किया गया था !
## " गुजरी - रानी ," म्रग्नयानी ",, अर्थात अपनी  गुजरी  रानी , म्रग्नयनी  के लिए , गुजरी महल का निर्माण करवाया था !
##  विक्रमादित्य तोमर तोमर वंश का अंतिम शाशक था !जो 1526 ई . के पानी पत के प्रथम युद्ध में मारा गया था !
## मोहम्मद गॉस " का सम्वन्ध ग्वालियर से ही था , हुमायूँ व् अकबर उनके शिष्य थे व् , बाबर भी उनका सम्मान करता था !
## उनका ग्वालियर में स्थित मकबरा - अकबर के शाशन काल में निर्मित हुआ था !
## गौंड राज्य नर्मदा नदी की घटी में स्थित राज्य था !
==# मुग़ल काल के दौरान , जब आधे से ज्यादा मध्यप्रदेश , मुग़ल साम्राज्य के अधीन आ गया  तब भी , महा कौशल एवं गोडवाना अपनी स्वतंत्रता बनाये हुए थे !
=## मुग़ल सेनापति आसफ खा ने (1524- 1564 ) को , गोंड रानी दुर्गावती पर आक्रमण किया , युद्ध में घायल                      होने पर रानी ने स्वयं की कतार घोंप कर आत्महत्या  कर ली थी !

##  ओरछा आज वर्तमान में निवाड़ी जिला के अधीन , एक पर्यटन एवं आस्था का केंद्र है , पूर्व में ओरछा बुंदेला            राजाओं की राजधानी थी , जो की बेतवा नदी के किनारे स्थित है , ओरछा " से पूर्व - बुन्देलाओं की                         राजधानी गद्कुंधार थी , किन्तु 1531 में इसे ओरछा स्थानांतरित कर दिया गया था !
                                                                   
      
                                               # ओरछा में बुंदेला राजाओं द्वारा निर्मित छत्रिया# 


                                                  

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