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MPPSC Special Study Material for 2020

# भारत का इतिहास -


                                                            # प्राचीन भारत #

जैसा की ज्ञात है , की प्राचीन भारत के इतिहास को इतिहास शाआस्त्रिओं के अनुसार - सामान्य रूप से तीन कालखंडों में विभाजित किया गया है :
1. प्रागैतिहासिक काल :
2.आद्य -एतिहासिक काल :
3.पूर्ण ऐतिहासिक काल :



                                                             " वैदिक सभ्यता "
सिन्धु सभ्यता के पश्चात वैदिक सभ्यता को भारतीय संस्कृति का आधार माना जाता है , भारतीय इतिहास में 1500ईसा .पूर्व से 600ईसा पूर्व तक , के कालखंड को -वैदिक सभ्यता की , संज्ञा दी जाती है , !
वैदिक सभ्यता को भी दो भागों में विभक्त कर प्रस्तुत किया जाता है - 1500ईसा पूर्व से 1000ईसा पूर्व तक , के कालखंड को ऋग्वैदिक सभ्यता की संज्ञा दी जाती है !तथा 1000ईसा पूर्व .से 600ईसा पूर्व तक के कालखंड को "उत्तरवैदिक सभ्यता "के रूप में जाना जाता है , वैदिक शब्द की उत्पत्ति "वेद"अथवा "ज्ञान "से हुई है  इस सभ्यता और संस्कृति के निर्माताओं को , ऋग्वेद "में "आर्य "कहा गया है !


                                             #प्राचीन भारतीय धर्म एवं धर्म दर्शन :#

प्राचीन भारतीय इतिहास का अध्यन -जहाँ भारतीय सभ्यता और संस्कृति के विभिन्न कालखंडों के विकासक्रम पर प्रकाश डालता है , वही , विभिन्न  धार्मिक आंदोलनों व् धर्मों के उद्भव को भी प्रमाणिकता प्रदान करता है !
वस्तुत:ईसा पूर्व छठी शताब्दी केवल भारत के लिए ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लिए - एक बड़ी क्रान्ति , परिवर्तनों की शताब्दी थी , सम्वन्धित कालखंड प्रबुद्ध दार्शनिक विचारों एवं सत्य के अनुसंधान का युग था !यही वो काल था जब भारत में गंगा की पवित्र मध्य घाटी में प्रमुख दो धर्मों बौद्ध धर्म एवं जैन धर्म का उद्भ भव हुआ था !


                                                           "महाजन पद युग  "
छठी सदी ईसा पूर्व में व्यापार की प्रगति ,लोहे का व्यापक प्रयोग ,मुद्रा का प्रचलन और नगरों के उत्थान ने बौद्धिक आंदोलनों के रूप में जहा एक ओर सामाजिक एवं धार्मिक क्षेत्र में क्रांतिकारी प्रयोग एवं परिवर्तन  किये -वही उन्ही परिस्थितियों ने , राजनैतिक व्यवस्था , में भी युगांतकारी परिवर्तन किये , !
उत्तर वैदिक काल के जनपद जो की अब महाजनपदों में परिवर्तित हो गये , जहा तक महाजनपदों की संख्या का प्रश्न है , विभिन्न ग्रन्थों में इसकी , अलग - अलग संख्याये मिलती है , बौद्ध ग्रन्थ " अन्ग्युत्तर निकाय "के अनुसार 16 महाजनपद ही , अस्तित्व में थे , इस ग्रन्थ में संदर्भित महाजनपदों में सर्वाधिक शक्तिशाली "मगध "है !यह हर्यक वंश के शाशक के साथ प्रभाव में आया था !इसके पश्चात नन्द वंश तक मगध ने अपनी साम्राज्यवादी नीति के तहत प्रायःसमस्त उत्तर भारत पर अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया था !
मौर्यकाल तक "मगध "सामराज्य अपराज्येय, स्थाई , और सुद्रड शाशन के रूप में स्थापित हो चूका था !



प्राचीन भारत धर्म एवं इतिहास :
# निम्न मध्य - गंगा घाटी में कुल 62 धार्मिक सम्प्रदायों का उदय हुआ था ,इन्ही में से एक प्रमुख धर्म "बौद्ध "भी था ,!बौद्ध धर्म ही पहला एसा धर्म था ,जिसने ब्रह्मंण बाद के समक्ष चुनौती प्रस्तुत की थी !

# गौतम बुद्ध का जन्म लगभग ५६३ ईसा पूर्व - कपिल वस्तु के समीप -"लुम्विनी" नामक स्थान पर हुआ था !
#गौतम बुद्ध के पिटा "सुद्धोधंन शाक्य गण के मुखिया थे !उनकी माता " माया " का सम्वन्ध " कौशल गणराज्य " से था !
#गौतम बुद्ध के जन्म के कुछ ही दिनों पश्चात ,उनकी माता "माया "का देहांत हो गया  था !
#गौतम बुद्ध की माँ के देहांत के पश्चात गौतम का पालन - पोषण उनकी "मौसी " प्रजापति गौतमी " ने किया था !
#गौतम बुद्ध का प्रारम्भिक सांसारिक जीवन सुख - सुविधाओं से पूर्ण एबम वैभव शाली तरीके  से व्यतीत हुआ था !
#गौतम बुद्ध ने 29वर्ष की अवस्था में पत्नी "यशोधरा " एवं पुत्र "राहुल " को छोड़ गृह त्याग कर  सन्यासी जीवन में प्रवेश किया था !
#गौतम बुद्ध का गृह -त्याग करना "बौद्ध - साहित्य में " महाभिनिश्क्रिम्र्ण " कहलाता है !
#गौतम बुद्ध से सम्वन्धित छार द्रश्यों में क्रमशः चार द्रश्य - वृद्ध व्यक्ति को देखना -, रोगी को देखना -, मृतक को देखना -, तथा सन्यासी को देखना शामिल है !
#"घोड़े " को बौद्ध धर्म का प्रतीक माना जाता है !
#बुद्ध के घोड़े  का नाम  "क्न्थ्क "एवं सारथि का नाम "चन्ना "था !






















 #  2  * मध्य कालीन भारत का इतिहास :
























# 3.आधुनिक भारत का इतिहास:

Modern History:-
                             
         # भारत का व्यापर मुख्य रूप से  पाश्चात्य देशो से सम्वन्धित रहा है !
#यूरोपीय देशो से आने वाली कंपनियो के पूर्व भारत का व्यापार , यूरोपीय देशो के साथ फारस की खाड़ी एवं लाल सागर मार्ग के द्वारा किया जाता था !
#नये जितने भी राष्ट्र पाश्चात्य देशो से व्यापरिक सम्वन्ध स्थापित करना चाहते थे , उन सभी के लिए सबसे बड़ी कठिनाई इटली से थी !क्योकि प्राचीन जितने भी व्यापारिक मार्ग थे उन सभी मार्गों पर इटली का पूर्ण रूप से एकाधिकार था !
#भारत युरोपिय देशों को ,सूती कपड़ा , - नील - , मसाले -, औषधियां इत्यादि भेजता था !
#काली मिर्च की मांग यूरोपीय देशो में सबसे अधिक थी !
#युरोप में काली मिर्च की अत्यधिक मांग होने के कारण , यूरोपीय लोगों को "यवन -प्रिये " कहा जाता था !
#भारत में यूरोप से सर्वप्रथम पुर्तगाली आये थे !
----* भारत में "पुर्तों  "का आगमन :- सर्वप्रथम संन 1487 में भारत आने का अभियान प्रारम्भ किया गया !इस अभियान की शरुआत करने वाला नाविक "बार्थोलोमोडीयाज "था !
# "बार्थोलोमोडीयाज "उत्तमाशा अंतरीप से वापिस पुर्तगाल लौट गया था !
#एक गुजराती मार्गदर्शक जिसका नाम " अब्दुल मनीद " के सानिद्ध्य में संन 1498ईसा .में , केरल के "कालीकट " बन्दरगाह पर उतरा !
#केरल का कालीकट बन्दर गाह "मालाबार क्षेत्र "में स्थित है !
#1505ईसा .में "फ्रांसिस्को -डी -अल्मीडा " एवं सन 1509 ईसा .में" अलबुकर्क " पुर्तगाली गवर्नर बनकर भारत आये थे !
# भारत पुर्तगाली साम्राज्य को स्थापित करने में "अलबुकर्क "की महत्त्व पूर्ण भूमिका थी !
#अलबुकर्क ने कोचीन को अपना मुख्यालय बनाया एवं 1510ई .में बीजापुर के शाशक युसूफ आदिल शाह से गोवा बन्दरगाह "छीन लिया था !
#सन 1530ईसा में कोचीन के स्थान पर गोवा को समस्त गतिविधियों का केंद्र बनाया गया था !
# "नीनो -डी - कुन्हा "ने सन 1530ई .में ही , बहादुर शाह से दीव , तथा बेसिन ले लिया था !
#बहादुर शाह गुजरात का शासक था !

Remember:-(स्मरणीय )
               *  सन 1505 ई .में प्रथम पुर्तगाली गवर्नर "फ्रांसिस्को -डी -अल्मीडा "द्वारा लागू की गई नीति " ब्लू               वाटर पालिसी "अथवा "शांत जल नीति "कहलाती है !

** पुर्तगालियों ने सन 1661ई .में बम्बई शहर अंग्रेजों को दहेज़ में दे दिया था !
* भारत में सबसे पहले आने वाले एवं सबसे बाद में जाने वाले "पुर्तगाली "ही थे !
** पुर्तगाली भारत से सन 1961ई .में , "गोवा "के अधिग्रहण के पश्चात् भारत छोडकर चले गये थे !
*भारत में "तंबाकू से अवगत कराने वाले "पुर्तगाली "ही थे !
** भारत में सर्वप्रथम "प्रिंटिंग -प्रेस ' लाने का श्रेय पुर्त्गालिओं को ही जाता है !
* पुर्त्गालिओं ने सन 1556ई .में श्री -लंका पर व्यापारिक - एकाधिकार जमाने में सफलता प्राप्त कर ली थी !
** 16वि शताव्दी में , लगभग एक शताब्दी के व्यापारिक एकाधिकार के बाद "पुर्त्गलिओ"का पतन हो गया !


** पुर्त्गालिओं के पतन के पश्चात सन 1602रई . में डच अथवा हॉलैंड बासी भारत में आय ,!
*डचों ने सभी प्रमुख डच कम्पनिओ को मिलाकर एक नइ कंपनी united East India Company Of Neiderland की स्थापना सन 1602ई.में की !
*डचों द्वारा बनी गई इसी कंपनी को , "veringde Oast Indse thee Company" के नाम से भी जाना जाता था !
*डचों ने पहली कम्पनी "मुसलीपट्टनम"में एवं दूसरी कम्पनी "नागपटनम "में सन 1605 ई .में की थी !
*1627 में डचों ने बंगाल में अपनी डच कम्पनी की स्थापना की थी !
*डचों ने सन 1659 ई .में हुगली (चिनसूरा )में अपनी कम्पनी स्थापित की थी !
*डचों के भारत आगमन के बाद से ही , भारत में पुर्त्गालिओं का ,व्यापारिक एकाधिकार समाप्त हो गया था !


                                                           "  अंग्रेज़ो का भारत में आगमन "

*मर्चेंट adventures " के द्वारा सन 1599 ई में East India Company का गठन किया गया !
* मर्चेंट अद्वनचर "एक व्यापरियो का समूह था !
* सर्वप्रथम भारत में "हाकिंस " नामक अँगरेज़ ज़हाज़ का कप्तान बनकर भारत आया था !
*जिस जहाज़ से "हाकिंस " भारत आया था ,उस ज़हाज़ का नाम #Hactor# था !
*#हाकिंस # सन 1608ई . में भारत के सुरत में आया था !
# हाकिंस सर्वप्रथम जहांगीर के दरवार में पहुचा था ,!
#हाकिंस ने जहांगीर से फ़ारसी भाषा में बात की थी !
#हाकिंस को जहाँगीर ने 400 मनसब एवं इंग्लिश खान की उपाधि प्रदान की थी !
#अंग्रेजों ने सन 1611 में अपनी  पहली factry मुस्ली पटनम में स्थापित की थी !
#"स्वज़िहाल "में  अंग्रेजों ने , पुर्तगालियों को पराजित किया था !
#"स्वज़िहाल " गुजरात के सुरत के पास स्थित  जगह का नाम है !(सन -1612)

#अंग्रेजों ने जाहांगीर से अनुमति लेकर ,पश्चिमी भारत में पहली तथा शेष भारत में दूसरी फैक्ट्री की स्थापना की !(सन -1613)
# टॉमस रो " जो व्रिटिश सम्राट "James 1st का दूत था ,जहाँगीर के दरवार में आया था ,एवं कंपनी को कई और रियायते  जारी करवाने में सफल रहा था !(सन -1615)

#अंग्रेजों ने उडीसा के "बालासौर एवं हरिपुरा में "अपनी फक्ट्रियाँ स्थापित की ,!(सन -1632-33)
#पुर्तगालियों से दहेज़ में प्राप्त बम्बई को ब्रिटिश युवराज चार्ल्स सेकंड ने 10पौंड वार्षिक के बदले कम्पनी को प्रदान कर दिया था !(सन - 1661)

#जॉन सुर्मंन का एक शिष्ट मंडल मुगल सम्राट फरूखसियर के दरवार में आया था , !(सन 1717_)

#फरूखसियर " का इलाज़ इसी शिष्ट मंडल के एक सदस्य "विलिंयम हेमिल्टन "ने किया था !वह एक डॉक्टर था !
#फरूखसियर " ने खुश होकर कम्पनी के नाम एक आदेश जारी किया , जिसे कम्पनी का" मैग्नाकार्टा" या माहाधिकार - पत्र  कहा जाता है !(सन -1717)


                                             #अंग्रेजों द्वारा भारत में निर्माण कार्य #
@ अंग्रेजों ने 1611ईसवी में , मुस्लीपट्टनम में पहली फक्ट्री स्थापित की थी !यह आन्ध्र प्रदेश में था !
@ अंग्रेजों ने १६१३ में सूरत में फक्ट्री स्थापित की थी !
@1651में हुगली पश्चिम बंगाल में अँगरेज़ कोठी का निर्माण -
@ 1720 में चार्ल्स बून के द्वारा बम्बई के किले की किलेबंदी !
@फोर्ट विलींयम का पहला प्रेसिडेंट "चार्ल्स आइयेर "था !


                                                      DENIS COMPANY :IN INDIA(1616)
डेनिस कम्पनी का आगमन सन 1616में हुआ था !
@ सन 1620ईसवी में  डेनिस कम्पनी की पहली फक्ट्री "ट्रावनकोर " में स्थापित की गई !जो की तंजौर जिले में आता था !

 
@तंजोर के बाद बंगाल के श्रीराम पुर में 1676 में एक और फेक्ट्री की स्थापना की गई !
@ डेनिस कम्पनी की समस्त गतिविधियों का मुख्य केंद्र श्रीराम पुर ही था !
@ डेनिस कम्पनि ने अंग्रेजों को अपनी भारतीय बस्तिया सन - 1845ईसवी में बेंच दी थी !
@डेनिस कम्पनी के भारत में असफल होने का मुख्य कारण उनका -व्यापार से अधिक धार्मिक -क्रियाकालापो में लिप्त होना था !

                                                                   फ़्रांसीसी 
** 1720- 1742 ई .के बीच पांडिचेरी के नये गवर्नर लुमेर और डयूमा थे !
*** भारत में सर्वप्रथम राजनीति के विस्तार के बारे में फ़्रांसिसी गवर्नर डूप्ले ने ही सोचा था !
** पहले आंग्ल - फ़्रांसिसी  युद्ध के दौरान डुप्ले ने कर्नाटक के नवाब को पराजित किया था !

**  सूरत                                          --     1668 में फ्रंसिस कैरो 
**मछली पट्टनम                             ---     मर्कारा द्वारा 1669
**पांडिचेरी                                      ----   1673-74ई .
**चन्द्रनगर                                    ----   1690ई .

प्रमुख :- 
           फ्रांसीसियों एवं अंग्रेजों के मध्य संघर्ष का प्रमुख कारण - "डुप्ले "का भारत पर साम्राज्य
           स्थापित करने का विचार था !
** बंगाल क्षेत्र में फ़्रांसिसी की प्रमुख फैक्ट्री चन्द्र नगर में स्थापित थी !
**भारत में अंग्रेजों का आगमन फ्रेंच कम्पनी के आगमन के पूर्व ही हो गया था !
**फ्रेंच एवं अँगरेज़ दोनों ही भारत पर अपने अपने प्रभुत्त्व जमाने के चलते संघर्षरत हो गये थे !
** 1721ईसवी में फ्रांसीसियों ने मारिशस  पर अधिकार  लिया था !
** मालावार तट पर स्थित माहि पर फ्रांसीसियों ने 1725ईसा में अधिकार कर   लिया था !
**  1739ईसा में तंजौर के नवाब ने कोरोमंडल तट पर स्थित कालिकट फ्रांसीसियों को उपहार स्वरुप दे दिया था !
** फ्रंच गवर्नर डुप्ले सन 1742ईसा में गवर्नर बनकर भारत आया था !





;                                                               !!मैसूर की लड़ाई !!
                                                   (ENGLISH - FRENCH -- STRIFE)


सरल
क्र .
  संघर्ष  
  काल
  कारण     
     संधि
      परिणाम

1
प्रथम कर्नाटक युद्ध


1746-48
आस्ट्रिया उत्तराधिकार
1748-एक्स्ला -शापेल संधि
 फ्रांसीसियों की   विजय !

2
द्वितीये कर्नाटक युद्ध
1749-54 
हैद्रावाद/कर्नाटक मामलो का उलझना
1754 पांडिचेरी की संधि
भारतीय राजाओ को स्व्येत्ता देना!अंग्रेजो का प्रभाव बड़ा !


3


त्रितये कर्नाटक युद्ध
  १७५८ -६३


स्प्त्वर्षीय युद्ध

1763
पेरिस की संधि
वानदीवाश 1760 ईसा के युद्ध में फ्रेंचो की पराजय !


                                        !!  "   मैसूर एवं ईस्ट इंडिया  कम्पनी "!!
**मैसूर के वोदियार वंश के शाशक चिक्का "कृष्णा राज "द्वितीये के काल में नन्द राज एवं         देव राज नामक दो भाईओं का प्रशाशन में वर्चस्व था !
**हैदर अली को मैसूर सेना में जगह "नंदराज "ने दिलवाई थी !
** हैदर अली एक अशिक्षित व्यक्ति था ,जो 1775 ईसा में वह डिंडीगुल का फौजदार बना !

**सैनिको के प्रशिक्षण के लिए हैदर ने फ्रांसीसियों को रखा था !
** द्वितीये आंग्ल -मैसूर युद्ध के चलते हैदर की मृत्यु 1782ईसा में हो गई थी !
**हैदर के बाद उसके पुत्र टीपू -सुलतान ने मैसूर की कमान सम्हाली थी !
** हैदर -टीपू सुलतान के अंग्रेजो से कुल चार वार युद्ध हुए !




                                                  !!आंग्ल -- मैसूर संघर्ष !!
 युद्ध                           मैसूर शाशक           बं.गवर्नर                संधि                       प्रमुख 

 1767-69 प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध 
 हैदर अली 
 लार्ड वेरेलुस्ट 
 1769-मद्रास संधि 
 हैदर अली का पलड़ा भारी रहा !
1780-84 द्वितीय आंग्ल -मैसूर युद्ध 
 हैदर अली 
 वारेन -हास्टिंग्स 
 मंग्लौर की संधि 
 टीपू सुलतान  का नेत्रत्त्व !

1790-92 तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध 
 टीपू सुलतान 
 लार्ड -कार्नवालिस 
 श्रीरंग पट्टनम की संधि 
 टीपू सुल्तान की स्थिति कमजोर 





 1799 चतुर्थ आंग्ल -मैसूर युद्ध 
 टीपू सुलतान 
 लार्ड वैलेज़ली 
 मैसूर पर जबरन संधि लगा दी गई !
टीपू सुलतान की मृत्यु के पश्चात अंग्रेजों ने पुनः वोडियारवंश के शाशक से संधि की !






टीपू सुलतान का कथन :
                      "" सौ दिन गीदड़ के जैसे जीने से अच्छा है ,:एक दिन ही सही पर शेर के जैसे जिया जाए ""
प्रमुख : टीपू सुलतान ने कुल नौ सैन्य बोर्डो का गठन किया था !



प्रमुख :-
          बंगाल एवं  ईस्ट इंडिया कम्पनी :-
                                                # स्वतंत्र बंगाल राज्य की घोषणा "मुर्शिद कुली"खा ने सन 1717ई .में की थी !

# बिहार के नायब -निजाम "अलीवर्दी खा "ने  1740 में घेरिया के युद्ध में "सरफराज खा को हराकर बंगाल का नवाब पद ग्रहण किया था !
# अलीवर्दी खा ने ही यूरोपियों की तुलना मधु -मक्खियों से की थी !
# 1756 ईसवी में अलीवर्दी खान की मृत्यु के पश्चात उसकी छोटी बेटी का पुत्र "सिराजुद्दौला "बंगाल का नवाब बना था !

-- बंगाल 1756 से 1757 ईसवी ,._ :नवाब की अनुमति के बगैर 20जून 1756 ई.में अंग्रेजो ने कलकत्ता स्थित अपनी कम्पनी की किलाबंदी शुरू कर दी !

# कलकत्ता में स्थित काशिम बाज़ार वाली फैक्ट्री पर सिराज़िद्दौला ने अपना अधिकार कर लिया -
# सिराज़िद्दौला के फैक्ट्री पर अधिकार के पश्चात बहुत से अँगरेज़ एक ज्वार ग्रस्त द्वीप पर भाग गये जिसका नाम "फुल्ताद्वीप "था !

# बहुचर्चित "काल कोठरी "की घटना 20 जून 1756 को सिराज़िद्दौला के शाशन काल में ही हुई थी !
# "काल कोठरी "की घटना में 146 अंग्रेजो को बंदी बनाया गया था ,जिसमे से सिर्फ 23 ही जीवित मिले थे !
# जीवित बचने वाले अंग्रेजों में से एक का नाम "हालवेल "था -जिसने इस भ्रामक घटना के बारे में जानकारी दी थी !

# हुगली एवं आस -पास के क्षेत्रों को लूट कर - सन 1757 में अंग्रेजों ने पुनः कलकत्ता पर अपना अधिकार जमा लिया था !

#इसी लूट के फलस्वरूप दोनों पक्षों में युद्ध हुआ जिसका कोई परिणाम नहीं निकला था !
# युद्ध के पश्चात 09 फरवरी 1757 को नवाब तथा अंग्रेजो के बीच अलीनगर की संधि हुई थी !
# संधि की शर्तानुसार - नवाब द्वारा छेनी गई संपत्ति - फैक्ट्री तथा किले अंग्रेजो को बापिस कर दिए जायेगे !
# सिराज़िद्दौला के शाशन से पूर्व लागू समस्त सुविधाए अंग्रेजो को पुनः प्रदान की जाएँगी !
# कलकत्ता में अंग्रेजो को सिक्के चलाने का अधिकार मान्य कर दिया गया !
# अंग्रेजो को कलकत्ता को फिर से किला बंदी करने की छुट मिली !
# इनके अलावा यह भी समझौता हुआ कि - नवाब तथा अँगरेज़ एक दुसरे के शत्रु को अपना शत्रु समझेंगे ,एवं युद्ध के समय एक दुसरे की सहायता करेंगे !

स्मरणीय :-
                 इन समस्त शर्तों से अंग्रेजों के असंतुष्ट होने के कारण अँगरेज़ मिलकर नवाब सिराज़िद्दौला को नवाब के पद से हटाने का षड्यंत्र रचने लगे !
-अंग्रेजों ने सिराज़िद्दौला के साथी एवं सेनापति "मीरजाफर "को नवाब बनाने का लालच दिया एवं अपने षड्यंत्र में शामिल कर लिया !
- नवाब की हत्या के बाद अंग्रेजो की मदद से मीर  जाफर को  बंगाल का नवाब बनाया गया !
मीर जाफर के नवाब बनने के बाद ही अंग्रेजो ने बंगाल की प्रथम क्रांति का बिगुल बजाया ,एवं भारत में अपने साम्राज्य को स्थापित करने की नीव डाली !

# मीर जाफर किसी भी तरीके से एक योग्य शाशक नहीं बन सका था ,जिससे अंग्रेजो ने मीर जाफर को नवाब के पद से हटा दिया ,एवं मीर जाफर के दामाद मीर कासिम को बंगाल के नवाब की गद्दी पर बैठा दिया !

# मीर कासिम एक योग्य शाशक साबित हुआ ,जिसने बंगाल की सेना के आधुनिकरण के प्रयास किये थे ,
मीर कासिम ने राजधानी मुर्शिदा वाद से हटाकर "मुंगेर "में स्थानानात्रित की थी !साथ ही मुंगेर में ही मीर कासिम ने तोप तथा बंदूके बनाने की व्यवस्था की थी !
मीर कासिम से व्यापारिओं को समस्त करो से मुक्त कर दिया , एवं अंग्रेजो पर व्यक्तिगत व्यापार के उपर कर लगाया ;
- इससे गुस्साए अंग्रेजों ने मीरकासिम के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी !
- # मीर कासिम ने अवध के नवाब "सुजौद्दौला " के यहाँ शरण ली ,:
# अंग्रेजो ने मीर जाफर "को फिरसे नवाब की गद्दी सौप दी !
# सुजौद्दौला -,मीर कासिम -,एवं मुग़ल बादशाह "शाह-आलम "ने मिलकर एक गुट बनाया जिसे "त्रिगुट "के नाम से जाना गया ," बक्सर " के युद्ध में इस "त्रिगुट " को अंग्रेजों से पराजित कर दिया था !
# "बक्सर "के युद्ध में अंग्रेजी सेना का नेत्त्रत्त्व  " हक्टर -मुनरो " ने किया था !

याद रखने योग्य :- 
                            - सिराज़िद्दौला के बाद बंगाल का सबसे कुशल एवं योग्य शाशक "मीरकासिम "था !



बक्सर का युद्ध  -22 अक्टूबर 1764 


 *- बक्सर का युद्ध त्रिगुट सेना एवं अंग्रेजो के बीच हुआ था , !
*- मीरकासिम -,सुजौद्दौला -, एवं शाह- आलम -के गुट को त्रिगुट नाम दिया गया था !
*- बक्सर के युद्ध में त्रिगुट सेना की पराजय हुई थी !
*- अंग्रेजो की सेना का नेत्रत्त्व -"हेक्टर -मुनरों "ने किया था 
*- बक्सर के युद्ध के पश्चात - शाह -आलम एवं अवध के नवाब सुजौद्दौला ने अंग्रेजो के साथ संधि कर ली थी !
*- बक्सर के युद्ध के पश्चात - ही अंग्रेजों की भारत में वास्तिविक सत्ता स्थापित होना प्रारंभ हुई !
*- बक्सर के युद्ध के समय बंगाल का शाशक "मीर जाफर था "!
*- बक्सर "विहार ":में स्थित है !


















 ००० इलाहवाद की प्रथम संधि -
० 12 अगस्त 1765ई . को बक्सर के युद्ध में पराजित मुगल बादशाह -शाह -आलम - द्वितीये के साथ 'रोबर्ट क्लाइव ' ने इलाहावाद की प्रसिद्द संधि की !
००इलाहावाद की संधि की शर्ते :-  
०- अंग्रेजो को उत्तरी सरकार की जागीर सौपी गई ! 
०-शर्त के अनुसार इलाहावाद एवं कड़ा के जिले 'मुगल बादशाह 'को दे दिए गये ! 
०-उडीसा -विहार -तथा बंगाल -की दीवानी 'मुगल सम्राट 'ने अंग्रेजो को सौप दी !
०- उडीसा - बिहार -तथा बंगाल की दीवानी अंग्रेजो को सौपने के बदले में अंग्रेजों 
ने मुगल बादशाह को 26 लाख रूपये वार्षिक पेंशन प्रति वर्ष देना स्वीकार किया !
०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-००-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-०-
                               इलाहावाद की दूसरी संधि -
    16 अगस्त 1765
०-अवध के नवाब  शुजाउद्दौला एवं बंगाल के गवर्नर क्लाइव  के बीच  
 इलाहावाद की संधि 16 अगस्त 1765 ईसवी में हुई थी !

००-दूसरी संधि की शर्त के अनुसार अवध के नवाब ने कम्पनी को अवध के 
 क्षेत्र में करमुक्त व्यापार करने की अनुमति प्रदान की !
००-नवाब ने कड़ा एवं इलाहावाद का क्षेत्र मुगल सम्राट को सौप दिया !
००-इलाहावाद की दूसरी संधि की शर्त के अनुसार 'नवाब ने अंग्रेजों को 
 50लाख रूपये के साथ साथ चुनार का दुर्ग भी दिया !


Physics # Goal 2019

     1  .            Physics  -- भौतिक - विज्ञान 

भौतिकी की परिभाषा :- 
                                      विज्ञान की वह शाखा - जिसमे ऊर्जा के बिभिन्न स्वरूपों तथा - द्रव्य से उसकी अन्योन्य - क्रियाओं - का अधयन्न किया जाता है , भौतिकी -अथवा भौतिक - विज्ञान कहलाता है !


द्रव्य :-
        वह वस्तु जो स्थान घेरती है , जिनमे द्रव्यमान होता है , तथा जिनका अनुभव प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से किया जा सकना सम्भव हो , ऐसी वस्तुएं द्रव्य के अंतर्गत आती है !
जैसे : - लोहा -, पत्थर ,- सोना -, वायु -आदि !

Physics : - द्रव्य की संरचनाओं तथा उनमे होने वाली क्रियाओं के वैज्ञानिक अध्यन क भौतिक विज्ञान कहते है !
अनेक भौतिक शास्त्री प्रकाश को भी - द्रव्य का एक स्वरुप मानते है !
                                                                        #मापन #
ऐसी राशियाँ जिनका मापन सम्भव हो , उसे भौतिक राशि कहते है , !
#किसी भी भौतिक राशी को व्यक्त करने के लिए , कम से कम आंकिक मान , एवं मात्रक की आवश्यकता होती है !
#किसी भी भौतिक राशि को ,व्यक्त करने के लिए , जिस मान का उपयोग करते है , उसे मात्रक कहा जाता है !
#मात्रक दो प्रकार के होते है !
# 1  .मूल मात्रक :

   2. व्युत्पन्न मात्रक :
#  SI पद्धति में मूल मात्रकों की संख्या सात है !
#मूल राशियों को व्यक्त करने के लिए , किसी अन्य राशि की सहयता  नहीं ली जाती है , जबकि व्युत्पन्न रशिओं को , मूल राशियों की सहायता से व्यक्त किया जाता है !
# सन 1960तक  विश्व स्तर पर माप -तौल की कई प्रणालियाँ प्रचलित थी , जिन्हें CGS सेंटीमीटर , ग्राम सेकंड -, फ्रेंच या मेट्रिक पद्धति -MKS -- मीटर -किलोग्राम -सेकंड  - ऍफ़ .पी .एस . फुट ,पौंड ,सेकंड - के नामों से जाना जाता था !
#SI  ' desystemy International डी " units का संक्षिप्ताक्षर , है , !
# SI में मूल राशियों एवं व्युत्पन्न राशियों के मात्रक निम्न लिखित है :
      मूल राशि                                                                      मूल मात्रक 
    *      दूरी                                                                              मीटर 

*       द्रव्यमान                                                                     किलोग्राम 

*        समय                                                                            सेकंड
*    उष्मागतिकी ताप                                                             केल्विन
*    विद्युत् धारा                                                                   एम्पिएर
*     ज्योति तीव्रता                                                                 कैंन्डेला
*     पदार्थ की मात्रा                                                                 मोल

## सम्पूरक मूल राशि                                                           मात्रक 
*    समतल कोण                                                                 रेडियन 

*    घन कोण                                                                    स्टे -रेडियन 









2 . गति ( MOTION)

यदि कोई वस्तु अथवा पिंड - किसी बिंदु के सापेक्ष - समय के साथ साथ अपने वर्तमान स्वरूप के सन्दर्भ में स्थान परिवर्तन करना सुनिश्चित कराती है , तो उपर्युक्त अवस्था , वस्तु अथवा पिंड की "गति " कहलाती है !




भौतिक शास्त्रियों के अनुसार  गति को , तीन प्रमुख भागों में विभाजित किया- गया है ,जो निम्न है :
1 - एक विमिय गति :- (One Dimensional )
2 - द्विविमीय गति :-(Two Dimensional)
3-त्रिविमीय गति :-  (Three Dimensional)
1- एक विमीय गति : एक विमीय गति को सरल रेखीय गति ,रैखिक गति ,इत्यादि नामों से जाना जाता है !
       * इस गति में पिंड का वेग (v)और त्वरण (a)एक ही दिशा में कार्य करता है !
* इस गति का प्रारम्भिक  वैज्ञानिक अध्यन "गेलिलियो "ने किया था !
# भौतिकी वैज्ञानिक "न्यूटन " ने अपने प्रसिद्द ग्रन्थ "Mathemetticia Pricipia" के भाग एक में गति के तीन नियम प्रस्तुत किये थे !
जो निम्न है :
1.  जड़त्त्व का नियम : इसी नियम को जड़त्त्व का नियम भी कहते है !
# अगर वस्तु पर कोई बाह्य वल न लगे , तो वह विरामाव्स्था या एक समान गति , की अवस्था में ही बनी रहती है , गलीलियो ने इस गुण को जड़त्त्व कहा !
#इस नियम के अनुसार यदि कोई बस्तु अथवा पिंड अपनी स्थिर अवस्था में है तो ,वह स्थिर अवस्था में ही रहेगा जब तक की उस पर कोई वाह्य वल  न लगाया जाये !
#वल _: वल वह कारक है , जो किसी वस्तु अथवा पिंड की विरामाव्स्था अथवा गतिज अवस्था में परिवर्तन लाता है !
#
   # द्वितीये - नियम :- संवेग परिवर्तन का नियम :इस नियम के द्वारा वल का समीकरण तथा मात्रक प्राप्त होता है !

*इसी नियम के अनुसार " किसी वस्तु अथवा पिंड के संवेग परिवर्तन की दर उस पर आरोपित वल के अनुक्रमानुपति होता है !


**** त्रितिये नियम :-प्रत्येक क्रिया के विपरीत प्रतिक्रया :-न्यूटन के इस नियम के अनुसार प्रत्येक क्रिया के बराबर विपरीत प्रतिक्रिया होती है !


@@@ द्विविमिय गति :- द्विविमिये गति को , वक्र रेखीय -एवं समतल गति के नाम से भी जाना जाता है !
@द्विविमिय गति में पिंड का वेग एवं त्वरण भिन्न - भिन्न होता है !
@ प्रक्षेप्य गति एवं एक समान वृत्तिय गति - द्विविमीय गति के ही उदाहरन है !


# Projectile Motion:-इस गति में पिंड को उर्ध्वाधर दिशा से भिन्न किसी अन्य दिशा में प्रथ्वी की सतह से उपर फेंका जाता है , इसी फेंके हुए पिंड को प्रक्षेप्य कहा जाता है !
* इस गति में पिंड का पथ प्र्वल्याकार होता है !
@पिंड के पथ के पूर्ण परवल्याकार होने के लिए वायु का प्रतिरोध शून्य तथा  गुरुत्वीय त्वरण का मान अचर रहना चाहिय !
@ कोई भी प्रक्षेप्य जितने समय तक वायु में रहता है , उसे उसका उड्डयन काल काहा जाता है , !
@किसी प्रक्षेप्य का उड्डयन काल (T)= 2vsin8/g होता है !
                                             यहाँ v= प्रक्षेप्य की गति
                                                  8= प्रक्षेप्य के द्वारा  क्षितिज के साथ बनाया- गया कोण
                                                  g= गुरुत्वीय  त्वरण है !
@एक समान वृत्तिय गति :-किसी वृत्तिय पथ पर एक समान गति करते हुए पिंड की चाल नियत रहती है , जबकि उसका वेग प्रत्येक बिंदु पर , परिवर्तित होता रहता है !
#वृत्त पर गति करते हुए पिंड पर दो वल कार्य करते है , एक वल वृत्त के केंद्र की ओर लगता है , जबकि दूसरा वल वृत्त के केंद्र के वाहर लगता है !अंदर लगने वाला वल "अभिकेन्द्रीय वल "कहलाता है !
जबकि बाहर लगने वाला वल "अपकेन्द्रिय "वल कहलाता है !


# यदि पिंड संतुलन की स्थिति में होता है , तो अभिकेन्द्रीय वल का मान 'अप्केंद्रिये "वल के मान के बराबर होता है !
@     वल (f) = mv2/r
यहाँ पर m - पिंड का द्रव्यमान 
v= पिंड का वेग 
r पथ की त्रिज्या है !
विशेष -: ग्रहों एवं उपग्रहों में अभिकेन्द्रीय वल गुरुत्वाकर्षण वल के द्वारा प्राप्त होता है !

@ अपकेन्द्र वल : यह एक छद्म वल होता है , अजड़त्व फ्रेम में न्यूटन ,के नियमों को लागु करनेके लिय इस वल  की कल्पना की गई , तथा यह वल पर्यवेक्षक की स्थिति पर निर्भर करता है ,इस वल की दिशा अभिकेन्द्रीय वल के विपरीत होती है !


@विशेष :-दूध से मक्खन अलग करने वाली मशीन ,मथानी , -, वाशिंग - मशीन  का अपकेन्द्र शोषक अपकेन्द्र वल के , सिद्धांत पर ही कार्य सम्पादित करते है !



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3. विद्युत् एवं चुम्बकत्त्व( ELECTRICITY  & MAGNETISM)

विद्युत् चुम्बकत्त्व 

-जैसा की हम सभी को ज्ञात है ,की विद्युत् से अभिप्राय सीधा  - सीधा" आवेश "  से होता है !
1600 ई .पू . में ब्रिटेन के वैज्ञानिक ने सर्वप्रथम विद्युत् शब्द का प्रयोग किया था ,जिसका नाम "Gilbert"था !
आवेश :-
             " किसी भी पदार्थ के निर्माण के लिए , जिन मूल कणों की आवश्यकता होती है , उनमे से :"आवेश" भी एक कण  है , हालांकि , वैज्ञानिकों ने आवेश की कोई एक निर्धारित परिभाषा परिलब्ध नहीं की है , लेकिन "आवेश "को  इसके द्वारा उत्पन्न प्रभावों के माध्यम से समझा जा सकता है !

"आवेश " एक द्रव्य पर उपस्थित वह गुण है ,जिसके कारण वह - द्रव्य चुम्वकिय क्षेत्र उत्पन्न करता है,या इस प्रकार के क्षेत्रों का अनुभव कराता है !
जैसे उदाहरण के तौर पर देखे तो ;
--"कांच की बनी हुई छड को जब - , रेशम के कपड़े से रगडा जाता है तो , कांच की छड पर धन आवेश एवं रेशम के कपड़े पर ऋण आवेश आ जाता है" !
विद्युत् चुम्वक्त्त्व 
                                                          तरंग गति :- (WAVE-MOTION)
तरंग एक विक्षोभ है , जिसमे माध्यम के कण अपने माध्य स्थिति (mean position)से स्थाई रूप से विस्थापित हुए बिना उर्जा का संचरण करते है !
** यदि किसी भी तरंग को माध्यम की आवश्यकता होती है , तो ऐसी तरंगो को यांत्रिक तरंगे कहा जाता है !
*** ऐसी तरंगे जिन तरंगो को संचरण हेतु किसी भी माध्यम की आवश्यकता न हो ऐसी तरंगे अप्रत्याक्ष तरंगे कहलाती है !

माध्यम की कणों के कम्पन की दिशा के आधार पर यांत्रिक तरंगो को दो भागों में बिभाजित किया गया है !:
(#)   अनुप्रष्थ तरंग (Transverse )

(#)   अनुधेर्य तरंग (Longitudinal)

(#)   अनुप्रष्थ तरंग (Transverse ):-  माध्यम के कणों का कम्पन तरंग संचरण की दिशा के लमव्वत होता है ,यह शीर्ष और गर्त के रूप में संचरित होती है , !
** इस प्रकार की तरंगे ठोस एवं द्रव के उपरी सतह पर पैदा होती है !

**विद्युत् चुम्वक्त्त्व  :
                                    विद्युत् चुम्बकीय तरंगों में -गामा किरणें -एक्स -किरणें -द्रश्य प्रकाश -अवरक्त किरने - परा -वैगनी किरणें - तथा रेडियो तरंगे शामिल होती है !किसी बंधी हुई रस्सी के एक छोर को -पकड़कर हिलाने पर उत्पन्न तरंगे -सितार के तार को -छेड़ने पर उत्पन्न तरंगे इत्यादि अनुप्रष्थ तरंगों के उदाहरण है !

(#)   अनुधेर्य तरंग (Longitudinal):-  माध्यम के कणों का कम्पन तरंग संचरण के दिशा के , समानांतर होता है !यह स्मपीरण तथा विरलन के रूप में संचरित होती है !
** इस प्रकार की तरंगे -ठोस द्रव -तथा गैस तीनो ही माध्यम में पैदा हो सकती है !
** गैस में उत्पन्न तरंगे हमेशा ही सिर्फ अनुधेर्य तरंगे होती है !

@  तरंगों की विशेषताए :- 
                                 *परावर्तन (Reflection)- तरंगो का किसी सतह से टकराकर फिरसे उसी माध्यम में वापिस होना -परा वर्तन कहलाता है !
* अपवर्तन -(Refraction)- :- यह तरंग की वह विशेषता है , जिसके कारण तरंगे एक माध्यम से दुसरे माध्यम में जाने पर अपने मूल पथ से विचलित हो जाती है !
सरल माध्यम से विरल माध्यम में जाने पर यह अभिल्म्व से दूर हट जाती है !

विवर्तन :(Diffraction):- तरंगो की ऐसी विशेषता जिसमे किसी वाधा के किनारे पर मुड जाती है , यह भी अनुप्र्ष्थ एवं अनुधेर्य दोनों प्रकार की तरंगो में पाया जाता है !
** व्यतिकरण :- यदि दो समान आवृत्ति वाली तरंगे एक ही दिशा में  वेग से गतिशील हो तो किसी विन्दु पर इनकी तीव्रता अधिकतम तथा किसी विन्दु पर न्यूनतम होती है !यही कारक व्यतिकरण कहलाता है !
ध्रुवन:- ऐसी अवस्था जिसमे तरंग के कम्पन तरंग की गति के ल्म्व्वत तल में केवल एक ही दिशा में होता है !
धुर्वन केवल अनुप्रष्थ तरंग में होता है !


                                   




भारत एवं विश्व से सम्वन्धित: प्रमुख तथ्य

1  -   India and World

   ## Geography## (  भौगोलिक  परिद्रश्य  )                                Geographic - Creation

 (A) Structure Of The Earth  - ( प्रथ्वी की संरचना  )  :- 
                                                             a   -   Volcano (ज्वालामुखी ) 
ज्वाला मुखी भू - पटल पर पाए जाने वाले - मुख छिद्र - दरार होते है !जिनसे गैसे - तरल पदार्थ - एवं ठोस पदार्थों के उदगार होते है !
  #* ज्वालामुखिय - पदार्थ -: ज्वालामुखी उदगार से निकलने वाली गैसों में  सर्वाधिक मात्रा - (80%) जलवाष्प की पाई जाती है !
# इसके पश्चात - Co2- So2 इत्यादि गैसों के भी उत्सर्जन होते है !
# ज्वाला मुखी उदगार स्व निकलने वाले तरल पदार्थों के रूप में - प्रथ्वी की तप्त एवं द्रवित - चट्टानों - की प्रधानता है , जिसे धरातल के अन्दर - मैग्मा - तथा - धरातल के नीचे "लावा " कहा जाता है !
# ज्वालामुखिय उदगार से निकलने वाले - बड़े - बड़े तप्त एवं ज्वालामुखिय बम लैपिली ,, स्कोरिया ,,piroclaast "पायरो -क्लास्ट" तथा जुमिस की प्रधानता होती है !
#  1 *ज्वालामुखीय बम :- उदगार के समय निकलने वाले बड़े - बड़े तप्त - शिलाखंड - ज्वालामुखीय बम कहलाते है !
# 2* लैल्पी :- उदगार के समय निकलने वाले मटर के दाने के समान  शिलाखंड लैलिपी कहलाते है !
# 3*स्कोरिया " उदगार के समय निस्सृत कुछ cm व्यास वाले , बंदूक की गोली के समान - शिलाखंड अवस्कर स्कोरिया कहलाते है !
#4*पायरो - क्लस्ट " -- उदगार के समय निकलने वाले विभिन्न अकार प्रकार के लावा - से युक्त - चट्टानी खंड जो संयुक्त रूप से गिरते है !बे ज्वाला अग्नि - ख्न्दाश्म  कहलाते है !
# 5*प्युमिस - ज्वालामुखीय उदगार के समय - निकलने वाले झागदार शिलाखंड - प्युमिस कहलाते है !इन्हें झामक भी कहा जाता है !




2.  जलीय- स्थ्लाकृतियाँ -एवं शुष्क - स्थ्लाकृतियाँ -# 

                                                                      आद्र प्रदेशों में नदियाँ अपरदन - परिवहन एवं निक्षेपंन क्रिया करती है , नदियों के इन कार्यों से - विभिन्न प्रकार के स्थल रूपों का विकास होता है !

a- Gorge and Canyon:-
 नदियों के लमववत   कटाव क्रिया से ," V"आकार की घाटी , गार्ज़ एवं कान्नियन के रूप में विकसित होती है !
# ** संयुक्त राज्य अमेरिका में ," Collorado"  नदी पर ग्रैंड कैनियन का विकास हुआ है !
#** भारत में सुत्लुज़ - सिन्धु - , ब्रहमपुत्र - आदि नदियाँ अपने प्रवाह मार्ग पर गार्ज़ बनाती है !

b- जल - गर्तिका - (Photholes)-: नदियों के प्रवाह मार्ग में - जल - दाब एवं घर्षण क्रिया - से गर्तों का विकास होता है !, छोटे - छोटे गर्तों को , जल् - गर्तिका कहा जाता है !जिसका आकार बडने पर , अवनमन - कुंढ  विकसित  होता है !

C - जल - प्रपात (Water - Falls ):- नदियों के प्रवाह मार्ग में - चट्टानों के अपरदन - के कारण नदी का जल ऊँचे - स्थल - खंड से - निम्न - स्थल खंड - पर प्रवाहित होता है , ऐसे स्थलरुप पर जल का प्रवाहित होना , जल - प्रपात के अंतर्गत आता है !













3. हिम्नदीय एवं तटीय  स्थालाक्रितियाँ :- 

                                                            सागर तट वर्ती क्षेत्रों से प्रभावित होकर - साग्रिये तरंगों की उत्पत्ती होती है !
U आकार की घाटी -: हिमनदियों द्वारा उसके प्रवाह - मार्ग में नदी , - निर्मित किसी घाटी में - अपघर्षण - एबम उत्पातन के कारण , क्रिया करने के पश्चात - उसे U आकार में परिवर्तित कर दिया जाता है !
# लटकती घाटी -: हिमानी क्षेत्र में किसी मुख्या हिमनदी - घाटी में गिरने वाली सहायक नदी हिमनदी को लटकती हुई घाटी कहा जाता है !

                                                              ० ब्रह्माण्ड ० 
०-ब्रह्माण्ड आकाशिय पिंडों की एक सुव्यवस्था है , जिसमे एक निश्चित दुरी पर समस्त अकाशिय पिंड ,एक निश्चित दिशा में ,हमेशा गतिशील पाए जाते है !
०ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के सम्वन्ध में तीन सिद्धांतों का प्रतिपादन किया गया है !
1 ० बिग बैंग का सिद्धांत - 

2० सतत स्रष्टि सिद्धांत -

3० संकुचन विमोचन का सिद्धांत - 

० ब्रह्माण्ड में पाए जाने वाले सभी आकाशीय पिंडो की विशेषताओं का वैज्ञानिक अध्यन 'खगोलशास्त्र 'में किया जाता है !
०- आकाशिय पिंडों का मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्यन ज्योतिष विज्ञान में किया जाता है !

०- आकाशिये पिंडो की भौतिक अवस्थाओं का अध्यन करने वाले विज्ञान को 'खगोल भौतिकी 'कहा जाता है ! 
०- सौर मंडल की उत्पत्ति का समय ब्रह्माण्ड में लगभग - आज से करीब - चार से पांच अरब वर्ष पूर्व निर्धारित किया गया है !

०पोलैंड के खगोलशास्त्री 'निकोलस कोपरनिकस ' ने 1543 ईसवी में सूर्य केन्द्रित संकल्पना प्रतिपादित की थी !
०      +





MPPSC special Streategy #2019

Mppsc # 2019 Special 

                         
mp 
 

दोस्तों मध्यप्रदेश के बारे में कुछ सामान्य जानकारियाँ मै , आपको अपने पिछले आर्टिकल्स में बता चूका हु ,किन्तु इस आर्टिकल का मुख्या उद्देश्य , लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा 2019 में , मध्य प्रदेश से संदर्भित आने वाले , तथ्यों का महत्त्व पूर्ण तरीके से क्रम बार अध्यन रूप रेखा प्रदान करने जा रहा हु , जो निश्चित ही आपके लिए अति महत्त्व पूर्ण साबित होगा !


Madhya - Pradesh - At a Glance-:

                                                                      HISTORY
                                                                      # इतिहास #
1-- प्राचीन काल -:
                     *-    नवदा टोली , खरगोन जिले में , नर्मदा नदी के  तट ,पर , एक ताम्र पाषाण काल का स्थल है 
                    =- * रामायण काल में विन्ध्य प्रदेश व् सतपुडा , में सम्पूर्ण वन क्षेत्र ,निषाद जातियों के अधीन था !
*-- सम्राट रामगुप्त की मुद्राएँ ,  एरन से प्राप्त हुई है !यही पर सती - प्रथ के प्राचीनतम साक्ष्य मिले है , इन समस्त साक्ष्यों को 510इ . पूर्व के ,स्तम्भ लेखों से खोजा गया है !

-*आदमगढ़ होशंगावाद जिले में , नर्मदा नदी के दक्षिणी , तट ,पर , स्थित , एक पुरातात्विक स्थल है , इन्ही गुफाओं में शैल -चित्रों का अंकन मिलता है , 

-*यहाँ से पूर्व पाशंकालीन ,औज़ार आदि भी प्राप्त हुए है , 

-*यह स्थान जिसका सम्वन्ध मध्यपाशान काल से है ,में भेड व् बकरिओं के साथ , प्राचीन मानव के साथ को वर्णित करता है !

--- * - इन्ही गुफाओं में कुछ , शिकार आदि के चित्रों से यह ,पता चलता है ,की , किस तरीके से यह लोग ,सामुहिकं एकत्रित ,होकर बड़े से बड़े पशुओं का शिकार कर लेते थे !

***--मध्य प्रदेश में   "महेश्श्वर "खरगोन जिले में , नर्मदा नदी , के तट ,पर , स्थित है , जिसका सम्वन्ध ताम्र पाषाण काल से है !
**- ध्यान रहे "महेश्वर " को ही पूर्व में "महिष्मती " के नाम से जाना ,जाता था !

**-- एक अन्य पुरातात्विक स्थल , "नालछा ",की खोज  सन 2010  में हुई थी , 
** यह धार जिले के "कारम नदी " के "बेसिन "में है !
***-"
***-मध्यप्रदेश के रायेसेंन में एक अन्य पुर्तात्विक स्थल , "भीम बैथिका " विश्व धरोहर 'के रूप में संरक्षित है , 
* यहाँ की गुफाओं में , पूर्व एतिहासिक काल की , चित्रकारी की अद्भुत , कला देखने को मिलती है !

** मध्य प्रदेश में अन्य ,पाए गये स्थल ,   "नागदा " उज्जैन में - ,, ऐरण " सागर -- ,, कैथल -- उज्जैन में -- त्रिपुरी ---जबलपुर में , पाए गये ताम्र पाषाण काल के स्थान है !

***-"भरहुत " मध्यप्रदेश के सतना जिले में स्थित है , एवं यह स्थान बौद्ध , स्तुप  के लिए प्रसिद्द है !
इतिहासकारों के मतानुसार , इन स्तुप को ,कुछ इतिहासकार - , सम्राट अशोक के काल से सम्वन्धित मानते है , एवं कुछ इतिहास कार ,इसे , शुंग काल से स्म्वंधित मानते है !
** इन स्तूपों को , ध्वस्त होने के पश्चात , कोलकाता के स्न्ग्रहाल्या में फिरसे पुनर्निर्मित करवाया गया था !

***-मध्य प्रदेश में "दंद्कारन्य "जिसे आज हम लोग "बस्तर " के नाम से जानते है , के साथ ,"  महाकांतर "
के सघन वन क्षेत्र थे , " यदुवंशी  नरेश " मधु " यहाँ के शाशक थे ! यदुवंशी "नरेश मधु " महाराज "दशरथ "के समकालीन थे ," महाकांतर " का उल्लेख ,समुद्र गुप्त की , प्रयाग प्रशस्ती  , में भी , हुआ है ! आज यह क्षेत्र ,छात्तिशगढ़ में स्थित है !


**- 
                            मध्य प्रदेश में प्राचीन काल के महाजन पदों के आधुनिक नाम :
                    प्राचीन जनपद                                                        आधुनिक नाम 
           1 *     अवन्ती                                                       ---         उज्जैन
        
           2 *      वत्स                                                       --------    ग्वालियर 
           3 *      अनूप                                                      --------    निमाड़ 
          4 *       चेदी                                                       ----------   खजुराहो 
          5 *     नलपुर                                                    ------ ---- शिवपुरी -नरवर 
          6 *    दशार्ण                                          -------------------      विदिशा 
   याद रखने योग्य -: 
                                  मध्य काल में विदिशा को , "भिलसा " नाम से ,एवं प्राचीन काल में " बेसनगर " के नाम से जाना जाता था !

#//#* द्वितीये नगरीय करण के दौरान ,उज्जैनी , भारत का एक प्रमुख व्यापारिक . ,,नगरीय केंद्र था !
#//## *  "वढवानी "में  मिले सिक्कों को नन्द वंश के सिक्कों के रूप में पहचाना गया है !, अत: इनसे यह अनुमान लगाया गया है ,कि , सम्वन्धित क्षेत्र , का सम्वन्ध नन्द साम्राज्य से था !

#* ग्यारश पुर विदिशा जिले में स्थित , एक पुरातात्विक स्थल है , यहाँ ,ब्राह्मण ,बौद्ध , व् जैन धर्म से सम्वन्धित , गुप्त कालीन , व् उत्तर गुप्त कालीन अवशेष मिले है !

#//*- बेसनगर से यूनानी , राजदूत ," हलिओडोरस" का " गरुण " स्तम्भ लेख , जो भगवान विष्णु को समर्पित है , मिला है !

#*# श्रीदेवी  विदिशा  के  श्रेष्ठी पुत्री  थी \ अशोक भी सम्राट  बनने से पूर्व  अवन्ती  प्रान्त के राज्यपाल थे , बाद में सम्राट  अशोक  ने  उनसे विवाह कर लिया \
#*# कटनी  जिले में मिले रूपनाथ  अभिलेख  और  साँची  स्तम्भ  लेख   सिद्ध करते है कि  मौर्य  साम्राज्य  मध्य प्रदेश  का अंग था \

#*# मौर्य काल  में अवन्ती   मौर्य साम्राज्य   का एक प्रान्त   था  जिसकी  राजधानी  उज्जयिनी थी  \

#*# सम्राट अशोक  साँची  में अभिलेख लिखे है ,यह अभिलेख  इसकी सतह पर की गयी अदभुत पालिश के लिए  प्रसिद्द है \


#*#  मध्य प्रदेश के तीन विश्व धरोहरों में से एक  साँची  रायसेन  जिले  में  स्थित है ,यहाँ के बौद्ध स्तुपो  की  नीव  सम्राट  अशोक  ने रखीं  थी , लेकिन  शुंग  काल  में इनमे परिवर्धन किया गया , बौद्ध भिक्षु    सारिपुत्र और  महामोगल्यायन  की अस्थियाँ   इन स्तूपों में रखी  गयी है !

#*#  शकों के सबसे प्रतापी राजा  और उज्जयनी के शक क्षत्रप  रुद्रदामन ने 130 -150 ई. तक शासन किया \

#*#  "बेसनगर"  विदिशा के निकट का स्थान है , इस स्थान का उल्लेख रामायण और कालिदास के मेघदूतम में मिलता है \ शुंग वंश की राजधानी के रूप में भी विदिशा नगर के को जाना जाता है \

#*# बाघ की गुफाये  धार जिले में नर्मदा की एक सहायक नदी बाघ के किनारे पर स्थित है ,ये बौद्ध  गुफाये  पहाड़ो को काटकर बनायीं गयी थी \इन गुफाओ का सम्बन्ध  गुप्तकाल से  माना जाता है  4 गुफाओ को           " रंग महल "के नाम से जाना जाता है \ इसकी दीवारों पर जातक कथाये  अंकित है \

#*#  कच्छ्पात राजाओं की राजधानी सिन्ह्पानी वर्तमान में मुरैना के सिन्हौनिया में महाभारत कालीन  नगर के अवशेष मिले है !

##* - गुप्त कालीन रॉक कट गुफाएं  विदिशा जिले में  स्थित - उदय -गिरी की गुफाओं को ही  कहा जाता है !
नोट ":- उदयगिरी गुफाओं  में से एक गुफा में "विष्णु के बाराह अवतार "का आख्यान है !


परमार वंश -:
                     #--*  परमार वंश का संस्थापक  उपेन्द्र / कृष्णा राज था ! इसकी राजधानी अद्धुनिक धार थी !
      #** परमारों ने मध्य भारत में 1305 तक शाशन किया , यही से अलाउद्दीन खिलज़ी द्वारा  परमार राज्य को ,दिल्ली सल्तनत में मिला लिया  गया था !
#- परमारों को ही , अग्निवंशी "क्षत्रिय माना गया है !
#-सिमुक ,मुंज ,सिन्धुराज , भोज आदि परमार वंश के प्रमुख शासक थे | 
#-परमार वंश का सबसे प्रसिद्द राजा भोज था ,राजा भोज ने 1010 से 1060 ई. तक शासन किया ,राजा भोज बहुमुखी प्रतिभा का धनी था |उसने अनेको ग्रंथों की रचना की | उसकी प्रमुख रचनाएँ (1) पतंजलि के योगसूत्र पर टीका, (2)सरस्वती कंठाभरण, (3) तत्वप्रकाश , (4) राजमार्तंड, (5) समरांगनसूत्रधार  (यह वास्तुकला का अदभुत ग्रन्थ ) है | 
#-धारानगरी में सरस्वती मां का मंदिर राजा भोज ने ही बनवाया था | जिससे ज्ञात होता है की वह विद्या प्रेमी था | 
#- भोपाल नगर की स्थापना राजा भोज ने अपने राज्य की सीमओं की रक्षा के लिए की ,यही पर एक विशाल तालाब का भी निर्माण कराया |
#-सोलंकी राजा भीम के सहयोग से गजनवी द्वारा लुटे गये सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया |
#- भर्तृहरि की गुफाओं का निर्माण उज्जैन के पास परमार वंश के शसकों ने राजा भर्तृहरि की याद में ग्यारहवीं शताब्दी में कराया था | इसमें रंगीन भित्तिचित्र है |
#- राजा भोज के जीवित रहने पर कहा जाता था, कि राजा भोज के साथ साथ ही , माँ सरस्वती को सदा यहा पर आश्रय प्राप्त होता है , यहाँ पर सदेव सदाचार व्याप्त है !
किन्तु राजा भोज के निधन के पश्चात , धर नगरी को , निराधार कहा जाने लगा था !
# परमार वंश का अंतिम राजा , "महलक देव "था !जिसे 1305 ईसवी में अलाउद्दीन खिलज़ी ने हराकर मार डाला था !
इसी के बाद मालवा भी दिल्ली सल्तनत का एक भाग बन गया था !   


##चंदेल शाशक ##-

                            //**-चंदेल शाशक आरम्भ में , प्रतिहारों के सामंत थे , प्रतिहार सामंत के निर्वल अथवा कमजोर पड़ने के बाद , चंदेलों ने अपनी स्वतंत्रता  घोषित कर दी थी !

**--चन्देल वंश का संस्थापक नानुक था !
    ==* चंदेलों की , सर्वप्रथम राजधानी खजुराहो थी ! जिसके बाद यह महोबा स्थानांतरित करके ले गये !
          -//** चंदेलों को ही चन्द्रवंशी क्षत्रिय  कहा जाता था !
      ==**//** प्रथ्वी राज चौहान से लोहा लेने वाले आल्हा - उदल  - चन्देल नरेश  परमर्दिदेव , के सेनापति थे !



      2  @   आधुनिक काल #-   

मल्हार राव होल्कर इंदौर में मराठो के होलकर वंश के संस्थपक थे !
//* 1767  से 1795 तक , राजमाता अहिल्या बाई ने "महिष्मती " महेश्वर को अपनी राजधानी बनाकर शाशन किया 
//* 3 जून 1857 को , मध्य प्रदेश में 1857 की क्रांति का पहला  उद्घोष , मध्यप्रदेश के "नीमच " से हुआ था !
**// ग्वालियर के सिंधियां वंश के संस्थापक , राणा जी राव शिंदे थे !
** ग्वालियर राजघराने पर सिंधिया राजवंश ने - 1947 तक शाशन किया !
** 1947 में  जीवाजी राव सिंधिया ने , सिंधिया राजघराने का विलय - भारत सरकार के अधीन कर दिया था !
** राज माता विजया राजे सिंधिया का जन्म (1919- 2001) सागर में हुआ था !
** राजमाता विजयाराजे का विवाह ग्वालियर के महाराजा जीवाजी राव सिंधिया के साथ हुआ था !
** राज माता विजयाराजे सिंधिया  संसद के दोनों सदनों में नियुक्त एक स्वतंत्र राजनेत्री थी !
** प्रसिद्द लेखिका मृदुला सिन्हा ने राजमाता ,विजयाराजे के ऊपर उनकी जीवनी भी लिखी थी जिसका शीर्षक " एक रानी ऐसी भी "था !

## 1821 में नरसिंहगढ़ के कुंवर चैनसिंह ने सीहोर के ब्रिटिश एजेंट मेडाक का विरोध किया , स्वतंत्रता  संग्राम में मध्यप्रदेश का प्रथम शहीद कहा जाता है |
## ग्वालियर के सैनिको ने 1857 की क्रांति में विद्रोहियों का साथ दिया |
## झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई को भारत के जॉन ऑफ़ आर्क की संज्ञा दी गयी है|
## महाराष्ट्र के सतारा जिले में रानी लक्ष्मीबाई का जन्म हुआ था ,महराजा गंगाधर राव के साथ इनका विवाह हुआ था | 1853 में इनके पति की म्रत्यु हो गयी | 
## इनका बचपन का नाम  मनु था | इन्होंने अपने दत्तक पुत्र गंगाधर राव की संरक्षिका के रूप में शासन किया\ 
## तात्या टोपे की सहायता से 1857 की क्रांति के समय रानी लक्ष्मीबाई ने ग्वालियर पर अधिकार कर  लिया | लेकिन 18 जून 1858 को अंग्रेजो से लड़ते हुए शहीद हो गयी | उनकी शहादत पर ह्यूरोज ने लिखा है -" अंग्रेजो की जीत हुई किन्तु गौरव रानी को मिला |
## बाबा गंगादास बाग में रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी अंतिम साँस ली | श्री मति सुभद्राकुमारी चौहान ने  उनकी वीरता का बखान करते हुए  प्रसिद्ध कविता "खूब लड़ी मर्दानी ,वह तो झाँसी वाली रानी थी " लिखी थी |
## रानी लक्ष्मी बाई की प्रमुख सहेली झलकारी बाई थी | 
## नाना साहेब के सबसे अभिन्न मित्र थे तात्या टोपे | तात्या टोपे का वास्तविक नाम  रामचन्द्र पांडुरंग टोपे था | रानी लक्ष्मीबाई की म्रत्यु  के पश्चात् इन्होनें  गुरिल्ला  प्रणाली से अंग्रेजो से लड़ाई लड़ी | धोखे से एक मित्र  ने  पकडवा दिया , शिवपुरी में  18  अप्रेल  1857 को फंसी दे दी गयी |
## नाना साहेब के संदेशवाहक के रूप में  ग्वालियर के महादेव शास्त्री ने काम किया | भीलों ने अंग्रेजों के प्रति भीमा नायक और खाज्य नायक के नेतृत्व में मालवा और निमाड़ में विद्रोह किया | 
## रामगढ  राज्य की रानी अवंतिबाई थी |  इन्होने  डलहौजी की हड़प नीति का विरोध किया | पकडे जाने से पहले  उन्होंने अपने पेट में तलवार मारकर प्राण त्याग कर दिए |
## सेठ गोविन्ददास के साथ मिलकर जबलपुर जिले में असहयोग आन्दोलन किया गया |
## मध्यप्रदेश का जलियांवाला बाग कांड छतरपुर जिले के चरणपादुका नामक स्थान पर  हुआ था , मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी 1931  को  पुलिस ने गोली चला कर अनेकों लोगों को मार दिया था |  इसलिए इसे मध्यप्रदेश का जलियांवाला बाग़ कहा जाता है | 
## जंगल सत्याग्रह सिवनी और घोडा डोंगरी में 1930 को हुआ था| 
 # मान सिंह तोमर के पिता जी का नाम "कल्याणमल :"तोमर था ! 
#झलकारी बाई  रानी   लक्ष्मी बाई की ,अन्तरंग      सहायिका थी !उसकी मुख्य विशेषता यह थी कि उसका चेहरा हु -बहू -रानी लक्ष्मी बाई से मिलता था !

#1857   की क्रांति के एक वीर - नायक तात्या - टोपे (1814-1859)का वास्तिविक नाम "रामचन्द्र -पांडुरंग -टोपे "था !वे "नाना धोंदूपन्त "  के सबसे अन्तरंग मित्र थे , जिन्होंने रानी लक्ष्मी बाई को ,ग्वालियर का किला जीतने में मदद की थी , रानी के बलिदान के पश्चात -, उन्होंने गुरिल्ला पद्धति से अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई ज़ारी रखी !किन्तु उन्ही के एक मित्र के विश्वास - घात के कारण वह पकड़े गये एवं , 18    अप्रैल 1859 को , उन्हें शिवपुरी में फांसी दे दी गई !ज्ञात हो कि "नाना ढोंदुपन्त "को ही  "नाना साहेब" के नाम से जाना जाता था !                                                     

3 @#  मध्य काल #

##- दिल्ली सल्तनत के विघटन के बाद , मध्यप्रदेश में कई , क्षेत्रीय राज्यों का उदय हुआ था ,जैसे मालवा - ग्वालियर , खानदेश इत्यादि !

                              # मालवा सल्तनत की स्थापना "दिलावर खान गौरी "ने 1392ई . में की थी !
              # होशंगशाह ने धार के स्थान पर अपनी राजधानी मांडू को बनाया था , होशंगशाह , दिलावर खा का उत्तराधिकारी यही ,होशंगशाह था ,जिसका वास्तविक नाम "अल्प'  खा था !इसने होशंगशाह की उपाधि धारण की थी , इसी ने "होशंगावाद" नगर की स्थापना भी की थी !
        *** मांडू को शादियावाद भी कहा जाता था !जिसका अर्थ "आनद की नगरी  (The City of Joy)होता है ! 
** सन 1561 में बाजबहादुर को हराकर अकबर ने , मालवा पर अधिकार कर लिया था , एवं उसे मुग़ल साम्राज्य का एक सूबा बना दिया ! बाजबहादुर मालवा का शाशक सन 1555 ई .में बना था !
## रानी रूपमती के साथ बाज्बह्दुर की कई प्रेम कथाएं प्रचलित है !
##खान देश राज्य ताप्ति नदी की घाटी में स्थित था , जो दिल्ली सल्तनत का ही एक प्रान्त था !
##- मलिक रजा फरुकी " खान देश के स्वतंत्र राज्य का संस्थापक था !
# मलिक राजा फारुकी के वंश को ही , फारुकी वंश कहा जाता था !
# फारुकी वंश का अंतिम शाशक , आदिल खान त्रितिय था !
#1601 ईसवी में , अकबर ने खान देश को - , मुग़ल साम्राज्य में मिला लिया था !
# ग्वालियर में तोमर वंश ने , 1486 -    1526 ई . तक शाशन किया , इस वंश का सबसे प्रमुख शाशक , मानसिंह तोमर था !
# कुछ लोगो के अनुसार तोमर वंश के लोगो को पांडवों का वंशज़ मानाजाता है !

राजा मानसिंह एक महान , स्थापत्यकार , प्रेमी ,व् संगीतज्ञ, मन जाता है , ग्वालियर की प्रसिद्द मोती झील का निर्माण - मान सिंह के द्वारा ही किया गया था !
## " गुजरी - रानी ," म्रग्नयानी ",, अर्थात अपनी  गुजरी  रानी , म्रग्नयनी  के लिए , गुजरी महल का निर्माण करवाया था !
##  विक्रमादित्य तोमर तोमर वंश का अंतिम शाशक था !जो 1526 ई . के पानी पत के प्रथम युद्ध में मारा गया था !
## मोहम्मद गॉस " का सम्वन्ध ग्वालियर से ही था , हुमायूँ व् अकबर उनके शिष्य थे व् , बाबर भी उनका सम्मान करता था !
## उनका ग्वालियर में स्थित मकबरा - अकबर के शाशन काल में निर्मित हुआ था !
## गौंड राज्य नर्मदा नदी की घटी में स्थित राज्य था !
==# मुग़ल काल के दौरान , जब आधे से ज्यादा मध्यप्रदेश , मुग़ल साम्राज्य के अधीन आ गया  तब भी , महा कौशल एवं गोडवाना अपनी स्वतंत्रता बनाये हुए थे !
=## मुग़ल सेनापति आसफ खा ने (1524- 1564 ) को , गोंड रानी दुर्गावती पर आक्रमण किया , युद्ध में घायल                      होने पर रानी ने स्वयं की कतार घोंप कर आत्महत्या  कर ली थी !

##  ओरछा आज वर्तमान में निवाड़ी जिला के अधीन , एक पर्यटन एवं आस्था का केंद्र है , पूर्व में ओरछा बुंदेला            राजाओं की राजधानी थी , जो की बेतवा नदी के किनारे स्थित है , ओरछा " से पूर्व - बुन्देलाओं की                         राजधानी गद्कुंधार थी , किन्तु 1531 में इसे ओरछा स्थानांतरित कर दिया गया था !
                                                                   
      
                                               # ओरछा में बुंदेला राजाओं द्वारा निर्मित छत्रिया# 


                                                  

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