# भारत का इतिहास -
# प्राचीन भारत #
जैसा की ज्ञात है , की प्राचीन भारत के इतिहास को इतिहास शाआस्त्रिओं के अनुसार - सामान्य रूप से तीन कालखंडों में विभाजित किया गया है :
1. प्रागैतिहासिक काल :
2.आद्य -एतिहासिक काल :
3.पूर्ण ऐतिहासिक काल :
" वैदिक सभ्यता "
सिन्धु सभ्यता के पश्चात वैदिक सभ्यता को भारतीय संस्कृति का आधार माना जाता है , भारतीय इतिहास में 1500ईसा .पूर्व से 600ईसा पूर्व तक , के कालखंड को -वैदिक सभ्यता की , संज्ञा दी जाती है , !
वैदिक सभ्यता को भी दो भागों में विभक्त कर प्रस्तुत किया जाता है - 1500ईसा पूर्व से 1000ईसा पूर्व तक , के कालखंड को ऋग्वैदिक सभ्यता की संज्ञा दी जाती है !तथा 1000ईसा पूर्व .से 600ईसा पूर्व तक के कालखंड को "उत्तरवैदिक सभ्यता "के रूप में जाना जाता है , वैदिक शब्द की उत्पत्ति "वेद"अथवा "ज्ञान "से हुई है इस सभ्यता और संस्कृति के निर्माताओं को , ऋग्वेद "में "आर्य "कहा गया है !
#प्राचीन भारतीय धर्म एवं धर्म दर्शन :#
प्राचीन भारतीय इतिहास का अध्यन -जहाँ भारतीय सभ्यता और संस्कृति के विभिन्न कालखंडों के विकासक्रम पर प्रकाश डालता है , वही , विभिन्न धार्मिक आंदोलनों व् धर्मों के उद्भव को भी प्रमाणिकता प्रदान करता है !
वस्तुत:ईसा पूर्व छठी शताब्दी केवल भारत के लिए ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लिए - एक बड़ी क्रान्ति , परिवर्तनों की शताब्दी थी , सम्वन्धित कालखंड प्रबुद्ध दार्शनिक विचारों एवं सत्य के अनुसंधान का युग था !यही वो काल था जब भारत में गंगा की पवित्र मध्य घाटी में प्रमुख दो धर्मों बौद्ध धर्म एवं जैन धर्म का उद्भ भव हुआ था !
"महाजन पद युग "
छठी सदी ईसा पूर्व में व्यापार की प्रगति ,लोहे का व्यापक प्रयोग ,मुद्रा का प्रचलन और नगरों के उत्थान ने बौद्धिक आंदोलनों के रूप में जहा एक ओर सामाजिक एवं धार्मिक क्षेत्र में क्रांतिकारी प्रयोग एवं परिवर्तन किये -वही उन्ही परिस्थितियों ने , राजनैतिक व्यवस्था , में भी युगांतकारी परिवर्तन किये , !
उत्तर वैदिक काल के जनपद जो की अब महाजनपदों में परिवर्तित हो गये , जहा तक महाजनपदों की संख्या का प्रश्न है , विभिन्न ग्रन्थों में इसकी , अलग - अलग संख्याये मिलती है , बौद्ध ग्रन्थ " अन्ग्युत्तर निकाय "के अनुसार 16 महाजनपद ही , अस्तित्व में थे , इस ग्रन्थ में संदर्भित महाजनपदों में सर्वाधिक शक्तिशाली "मगध "है !यह हर्यक वंश के शाशक के साथ प्रभाव में आया था !इसके पश्चात नन्द वंश तक मगध ने अपनी साम्राज्यवादी नीति के तहत प्रायःसमस्त उत्तर भारत पर अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया था !
मौर्यकाल तक "मगध "सामराज्य अपराज्येय, स्थाई , और सुद्रड शाशन के रूप में स्थापित हो चूका था !
प्राचीन भारत धर्म एवं इतिहास :
# निम्न मध्य - गंगा घाटी में कुल 62 धार्मिक सम्प्रदायों का उदय हुआ था ,इन्ही में से एक प्रमुख धर्म "बौद्ध "भी था ,!बौद्ध धर्म ही पहला एसा धर्म था ,जिसने ब्रह्मंण बाद के समक्ष चुनौती प्रस्तुत की थी !
# गौतम बुद्ध का जन्म लगभग ५६३ ईसा पूर्व - कपिल वस्तु के समीप -"लुम्विनी" नामक स्थान पर हुआ था !
#गौतम बुद्ध के पिटा "सुद्धोधंन शाक्य गण के मुखिया थे !उनकी माता " माया " का सम्वन्ध " कौशल गणराज्य " से था !
#गौतम बुद्ध के जन्म के कुछ ही दिनों पश्चात ,उनकी माता "माया "का देहांत हो गया था !
#गौतम बुद्ध की माँ के देहांत के पश्चात गौतम का पालन - पोषण उनकी "मौसी " प्रजापति गौतमी " ने किया था !
#गौतम बुद्ध का प्रारम्भिक सांसारिक जीवन सुख - सुविधाओं से पूर्ण एबम वैभव शाली तरीके से व्यतीत हुआ था !
#गौतम बुद्ध ने 29वर्ष की अवस्था में पत्नी "यशोधरा " एवं पुत्र "राहुल " को छोड़ गृह त्याग कर सन्यासी जीवन में प्रवेश किया था !
#गौतम बुद्ध का गृह -त्याग करना "बौद्ध - साहित्य में " महाभिनिश्क्रिम्र्ण " कहलाता है !
#गौतम बुद्ध से सम्वन्धित छार द्रश्यों में क्रमशः चार द्रश्य - वृद्ध व्यक्ति को देखना -, रोगी को देखना -, मृतक को देखना -, तथा सन्यासी को देखना शामिल है !
#"घोड़े " को बौद्ध धर्म का प्रतीक माना जाता है !
#बुद्ध के घोड़े का नाम "क्न्थ्क "एवं सारथि का नाम "चन्ना "था !
# निम्न मध्य - गंगा घाटी में कुल 62 धार्मिक सम्प्रदायों का उदय हुआ था ,इन्ही में से एक प्रमुख धर्म "बौद्ध "भी था ,!बौद्ध धर्म ही पहला एसा धर्म था ,जिसने ब्रह्मंण बाद के समक्ष चुनौती प्रस्तुत की थी !
# गौतम बुद्ध का जन्म लगभग ५६३ ईसा पूर्व - कपिल वस्तु के समीप -"लुम्विनी" नामक स्थान पर हुआ था !
#गौतम बुद्ध के पिटा "सुद्धोधंन शाक्य गण के मुखिया थे !उनकी माता " माया " का सम्वन्ध " कौशल गणराज्य " से था !
#गौतम बुद्ध के जन्म के कुछ ही दिनों पश्चात ,उनकी माता "माया "का देहांत हो गया था !
#गौतम बुद्ध की माँ के देहांत के पश्चात गौतम का पालन - पोषण उनकी "मौसी " प्रजापति गौतमी " ने किया था !
#गौतम बुद्ध का प्रारम्भिक सांसारिक जीवन सुख - सुविधाओं से पूर्ण एबम वैभव शाली तरीके से व्यतीत हुआ था !
#गौतम बुद्ध ने 29वर्ष की अवस्था में पत्नी "यशोधरा " एवं पुत्र "राहुल " को छोड़ गृह त्याग कर सन्यासी जीवन में प्रवेश किया था !
#गौतम बुद्ध का गृह -त्याग करना "बौद्ध - साहित्य में " महाभिनिश्क्रिम्र्ण " कहलाता है !
#गौतम बुद्ध से सम्वन्धित छार द्रश्यों में क्रमशः चार द्रश्य - वृद्ध व्यक्ति को देखना -, रोगी को देखना -, मृतक को देखना -, तथा सन्यासी को देखना शामिल है !
#"घोड़े " को बौद्ध धर्म का प्रतीक माना जाता है !
#बुद्ध के घोड़े का नाम "क्न्थ्क "एवं सारथि का नाम "चन्ना "था !
# 2 * मध्य कालीन भारत का इतिहास :
# 3.आधुनिक भारत का इतिहास:
Modern History:-
# भारत का व्यापर मुख्य रूप से पाश्चात्य देशो से सम्वन्धित रहा है !
#यूरोपीय देशो से आने वाली कंपनियो के पूर्व भारत का व्यापार , यूरोपीय देशो के साथ फारस की खाड़ी एवं लाल सागर मार्ग के द्वारा किया जाता था !
#नये जितने भी राष्ट्र पाश्चात्य देशो से व्यापरिक सम्वन्ध स्थापित करना चाहते थे , उन सभी के लिए सबसे बड़ी कठिनाई इटली से थी !क्योकि प्राचीन जितने भी व्यापारिक मार्ग थे उन सभी मार्गों पर इटली का पूर्ण रूप से एकाधिकार था !
#भारत युरोपिय देशों को ,सूती कपड़ा , - नील - , मसाले -, औषधियां इत्यादि भेजता था !
#काली मिर्च की मांग यूरोपीय देशो में सबसे अधिक थी !
#युरोप में काली मिर्च की अत्यधिक मांग होने के कारण , यूरोपीय लोगों को "यवन -प्रिये " कहा जाता था !
#भारत में यूरोप से सर्वप्रथम पुर्तगाली आये थे !
----* भारत में "पुर्तों "का आगमन :- सर्वप्रथम संन 1487 में भारत आने का अभियान प्रारम्भ किया गया !इस अभियान की शरुआत करने वाला नाविक "बार्थोलोमोडीयाज "था !
# "बार्थोलोमोडीयाज "उत्तमाशा अंतरीप से वापिस पुर्तगाल लौट गया था !
#एक गुजराती मार्गदर्शक जिसका नाम " अब्दुल मनीद " के सानिद्ध्य में संन 1498ईसा .में , केरल के "कालीकट " बन्दरगाह पर उतरा !
#केरल का कालीकट बन्दर गाह "मालाबार क्षेत्र "में स्थित है !
#1505ईसा .में "फ्रांसिस्को -डी -अल्मीडा " एवं सन 1509 ईसा .में" अलबुकर्क " पुर्तगाली गवर्नर बनकर भारत आये थे !
# भारत पुर्तगाली साम्राज्य को स्थापित करने में "अलबुकर्क "की महत्त्व पूर्ण भूमिका थी !
#अलबुकर्क ने कोचीन को अपना मुख्यालय बनाया एवं 1510ई .में बीजापुर के शाशक युसूफ आदिल शाह से गोवा बन्दरगाह "छीन लिया था !
#सन 1530ईसा में कोचीन के स्थान पर गोवा को समस्त गतिविधियों का केंद्र बनाया गया था !
# "नीनो -डी - कुन्हा "ने सन 1530ई .में ही , बहादुर शाह से दीव , तथा बेसिन ले लिया था !
#बहादुर शाह गुजरात का शासक था !
Remember:-(स्मरणीय )
* सन 1505 ई .में प्रथम पुर्तगाली गवर्नर "फ्रांसिस्को -डी -अल्मीडा "द्वारा लागू की गई नीति " ब्लू वाटर पालिसी "अथवा "शांत जल नीति "कहलाती है !
** पुर्तगालियों ने सन 1661ई .में बम्बई शहर अंग्रेजों को दहेज़ में दे दिया था !
* भारत में सबसे पहले आने वाले एवं सबसे बाद में जाने वाले "पुर्तगाली "ही थे !
** पुर्तगाली भारत से सन 1961ई .में , "गोवा "के अधिग्रहण के पश्चात् भारत छोडकर चले गये थे !
*भारत में "तंबाकू से अवगत कराने वाले "पुर्तगाली "ही थे !
** भारत में सर्वप्रथम "प्रिंटिंग -प्रेस ' लाने का श्रेय पुर्त्गालिओं को ही जाता है !
* पुर्त्गालिओं ने सन 1556ई .में श्री -लंका पर व्यापारिक - एकाधिकार जमाने में सफलता प्राप्त कर ली थी !
** 16वि शताव्दी में , लगभग एक शताब्दी के व्यापारिक एकाधिकार के बाद "पुर्त्गलिओ"का पतन हो गया !
** पुर्त्गालिओं के पतन के पश्चात सन 1602रई . में डच अथवा हॉलैंड बासी भारत में आय ,!
*डचों ने सभी प्रमुख डच कम्पनिओ को मिलाकर एक नइ कंपनी united East India Company Of Neiderland की स्थापना सन 1602ई.में की !
*डचों द्वारा बनी गई इसी कंपनी को , "veringde Oast Indse thee Company" के नाम से भी जाना जाता था !
*डचों ने पहली कम्पनी "मुसलीपट्टनम"में एवं दूसरी कम्पनी "नागपटनम "में सन 1605 ई .में की थी !
*1627 में डचों ने बंगाल में अपनी डच कम्पनी की स्थापना की थी !
*डचों ने सन 1659 ई .में हुगली (चिनसूरा )में अपनी कम्पनी स्थापित की थी !
*डचों के भारत आगमन के बाद से ही , भारत में पुर्त्गालिओं का ,व्यापारिक एकाधिकार समाप्त हो गया था !
" अंग्रेज़ो का भारत में आगमन "
*मर्चेंट adventures " के द्वारा सन 1599 ई में East India Company का गठन किया गया !
* मर्चेंट अद्वनचर "एक व्यापरियो का समूह था !
* सर्वप्रथम भारत में "हाकिंस " नामक अँगरेज़ ज़हाज़ का कप्तान बनकर भारत आया था !
*जिस जहाज़ से "हाकिंस " भारत आया था ,उस ज़हाज़ का नाम #Hactor# था !
*#हाकिंस # सन 1608ई . में भारत के सुरत में आया था !
# हाकिंस सर्वप्रथम जहांगीर के दरवार में पहुचा था ,!
#हाकिंस ने जहांगीर से फ़ारसी भाषा में बात की थी !
#हाकिंस को जहाँगीर ने 400 मनसब एवं इंग्लिश खान की उपाधि प्रदान की थी !
#अंग्रेजों ने सन 1611 में अपनी पहली factry मुस्ली पटनम में स्थापित की थी !
#"स्वज़िहाल "में अंग्रेजों ने , पुर्तगालियों को पराजित किया था !
#"स्वज़िहाल " गुजरात के सुरत के पास स्थित जगह का नाम है !(सन -1612)
#अंग्रेजों ने जाहांगीर से अनुमति लेकर ,पश्चिमी भारत में पहली तथा शेष भारत में दूसरी फैक्ट्री की स्थापना की !(सन -1613)
# टॉमस रो " जो व्रिटिश सम्राट "James 1st का दूत था ,जहाँगीर के दरवार में आया था ,एवं कंपनी को कई और रियायते जारी करवाने में सफल रहा था !(सन -1615)
#अंग्रेजों ने उडीसा के "बालासौर एवं हरिपुरा में "अपनी फक्ट्रियाँ स्थापित की ,!(सन -1632-33)
#पुर्तगालियों से दहेज़ में प्राप्त बम्बई को ब्रिटिश युवराज चार्ल्स सेकंड ने 10पौंड वार्षिक के बदले कम्पनी को प्रदान कर दिया था !(सन - 1661)
#जॉन सुर्मंन का एक शिष्ट मंडल मुगल सम्राट फरूखसियर के दरवार में आया था , !(सन 1717_)
#फरूखसियर " का इलाज़ इसी शिष्ट मंडल के एक सदस्य "विलिंयम हेमिल्टन "ने किया था !वह एक डॉक्टर था !
#फरूखसियर " ने खुश होकर कम्पनी के नाम एक आदेश जारी किया , जिसे कम्पनी का" मैग्नाकार्टा" या माहाधिकार - पत्र कहा जाता है !(सन -1717)
#अंग्रेजों द्वारा भारत में निर्माण कार्य #
@ अंग्रेजों ने 1611ईसवी में , मुस्लीपट्टनम में पहली फक्ट्री स्थापित की थी !यह आन्ध्र प्रदेश में था !
@ अंग्रेजों ने १६१३ में सूरत में फक्ट्री स्थापित की थी !
@1651में हुगली पश्चिम बंगाल में अँगरेज़ कोठी का निर्माण -
@ 1720 में चार्ल्स बून के द्वारा बम्बई के किले की किलेबंदी !
@फोर्ट विलींयम का पहला प्रेसिडेंट "चार्ल्स आइयेर "था !
DENIS COMPANY :IN INDIA(1616)
डेनिस कम्पनी का आगमन सन 1616में हुआ था !
@ सन 1620ईसवी में डेनिस कम्पनी की पहली फक्ट्री "ट्रावनकोर " में स्थापित की गई !जो की तंजौर जिले में आता था !
@तंजोर के बाद बंगाल के श्रीराम पुर में 1676 में एक और फेक्ट्री की स्थापना की गई !
@ डेनिस कम्पनी की समस्त गतिविधियों का मुख्य केंद्र श्रीराम पुर ही था !
@ डेनिस कम्पनि ने अंग्रेजों को अपनी भारतीय बस्तिया सन - 1845ईसवी में बेंच दी थी !
@डेनिस कम्पनी के भारत में असफल होने का मुख्य कारण उनका -व्यापार से अधिक धार्मिक -क्रियाकालापो में लिप्त होना था !
फ़्रांसीसी
** 1720- 1742 ई .के बीच पांडिचेरी के नये गवर्नर लुमेर और डयूमा थे !
*** भारत में सर्वप्रथम राजनीति के विस्तार के बारे में फ़्रांसिसी गवर्नर डूप्ले ने ही सोचा था !
** पहले आंग्ल - फ़्रांसिसी युद्ध के दौरान डुप्ले ने कर्नाटक के नवाब को पराजित किया था !
** सूरत -- 1668 में फ्रंसिस कैरो
**मछली पट्टनम --- मर्कारा द्वारा 1669
**पांडिचेरी ---- 1673-74ई .
**चन्द्रनगर ---- 1690ई .
प्रमुख :-
फ्रांसीसियों एवं अंग्रेजों के मध्य संघर्ष का प्रमुख कारण - "डुप्ले "का भारत पर साम्राज्य
स्थापित करने का विचार था !
** बंगाल क्षेत्र में फ़्रांसिसी की प्रमुख फैक्ट्री चन्द्र नगर में स्थापित थी !
**भारत में अंग्रेजों का आगमन फ्रेंच कम्पनी के आगमन के पूर्व ही हो गया था !
**फ्रेंच एवं अँगरेज़ दोनों ही भारत पर अपने अपने प्रभुत्त्व जमाने के चलते संघर्षरत हो गये थे !
** 1721ईसवी में फ्रांसीसियों ने मारिशस पर अधिकार लिया था !
** मालावार तट पर स्थित माहि पर फ्रांसीसियों ने 1725ईसा में अधिकार कर लिया था !
** 1739ईसा में तंजौर के नवाब ने कोरोमंडल तट पर स्थित कालिकट फ्रांसीसियों को उपहार स्वरुप दे दिया था !
** फ्रंच गवर्नर डुप्ले सन 1742ईसा में गवर्नर बनकर भारत आया था !
; !!मैसूर की लड़ाई !!
प्रमुख :-
बंगाल एवं ईस्ट इंडिया कम्पनी :-
# स्वतंत्र बंगाल राज्य की घोषणा "मुर्शिद कुली"खा ने सन 1717ई .में की थी !
# बिहार के नायब -निजाम "अलीवर्दी खा "ने 1740 में घेरिया के युद्ध में "सरफराज खा को हराकर बंगाल का नवाब पद ग्रहण किया था !
# अलीवर्दी खा ने ही यूरोपियों की तुलना मधु -मक्खियों से की थी !
# 1756 ईसवी में अलीवर्दी खान की मृत्यु के पश्चात उसकी छोटी बेटी का पुत्र "सिराजुद्दौला "बंगाल का नवाब बना था !
-- बंगाल 1756 से 1757 ईसवी ,._ :नवाब की अनुमति के बगैर 20जून 1756 ई.में अंग्रेजो ने कलकत्ता स्थित अपनी कम्पनी की किलाबंदी शुरू कर दी !
# कलकत्ता में स्थित काशिम बाज़ार वाली फैक्ट्री पर सिराज़िद्दौला ने अपना अधिकार कर लिया -
# सिराज़िद्दौला के फैक्ट्री पर अधिकार के पश्चात बहुत से अँगरेज़ एक ज्वार ग्रस्त द्वीप पर भाग गये जिसका नाम "फुल्ताद्वीप "था !
# बहुचर्चित "काल कोठरी "की घटना 20 जून 1756 को सिराज़िद्दौला के शाशन काल में ही हुई थी !
# "काल कोठरी "की घटना में 146 अंग्रेजो को बंदी बनाया गया था ,जिसमे से सिर्फ 23 ही जीवित मिले थे !
# जीवित बचने वाले अंग्रेजों में से एक का नाम "हालवेल "था -जिसने इस भ्रामक घटना के बारे में जानकारी दी थी !
# हुगली एवं आस -पास के क्षेत्रों को लूट कर - सन 1757 में अंग्रेजों ने पुनः कलकत्ता पर अपना अधिकार जमा लिया था !
#इसी लूट के फलस्वरूप दोनों पक्षों में युद्ध हुआ जिसका कोई परिणाम नहीं निकला था !
# युद्ध के पश्चात 09 फरवरी 1757 को नवाब तथा अंग्रेजो के बीच अलीनगर की संधि हुई थी !
# संधि की शर्तानुसार - नवाब द्वारा छेनी गई संपत्ति - फैक्ट्री तथा किले अंग्रेजो को बापिस कर दिए जायेगे !
# सिराज़िद्दौला के शाशन से पूर्व लागू समस्त सुविधाए अंग्रेजो को पुनः प्रदान की जाएँगी !
# कलकत्ता में अंग्रेजो को सिक्के चलाने का अधिकार मान्य कर दिया गया !
# अंग्रेजो को कलकत्ता को फिर से किला बंदी करने की छुट मिली !
# इनके अलावा यह भी समझौता हुआ कि - नवाब तथा अँगरेज़ एक दुसरे के शत्रु को अपना शत्रु समझेंगे ,एवं युद्ध के समय एक दुसरे की सहायता करेंगे !
स्मरणीय :-
इन समस्त शर्तों से अंग्रेजों के असंतुष्ट होने के कारण अँगरेज़ मिलकर नवाब सिराज़िद्दौला को नवाब के पद से हटाने का षड्यंत्र रचने लगे !
-अंग्रेजों ने सिराज़िद्दौला के साथी एवं सेनापति "मीरजाफर "को नवाब बनाने का लालच दिया एवं अपने षड्यंत्र में शामिल कर लिया !
- नवाब की हत्या के बाद अंग्रेजो की मदद से मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाया गया !
मीर जाफर के नवाब बनने के बाद ही अंग्रेजो ने बंगाल की प्रथम क्रांति का बिगुल बजाया ,एवं भारत में अपने साम्राज्य को स्थापित करने की नीव डाली !
# मीर जाफर किसी भी तरीके से एक योग्य शाशक नहीं बन सका था ,जिससे अंग्रेजो ने मीर जाफर को नवाब के पद से हटा दिया ,एवं मीर जाफर के दामाद मीर कासिम को बंगाल के नवाब की गद्दी पर बैठा दिया !
# मीर कासिम एक योग्य शाशक साबित हुआ ,जिसने बंगाल की सेना के आधुनिकरण के प्रयास किये थे ,
मीर कासिम ने राजधानी मुर्शिदा वाद से हटाकर "मुंगेर "में स्थानानात्रित की थी !साथ ही मुंगेर में ही मीर कासिम ने तोप तथा बंदूके बनाने की व्यवस्था की थी !
मीर कासिम से व्यापारिओं को समस्त करो से मुक्त कर दिया , एवं अंग्रेजो पर व्यक्तिगत व्यापार के उपर कर लगाया ;
- इससे गुस्साए अंग्रेजों ने मीरकासिम के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी !
- # मीर कासिम ने अवध के नवाब "सुजौद्दौला " के यहाँ शरण ली ,:
# अंग्रेजो ने मीर जाफर "को फिरसे नवाब की गद्दी सौप दी !
# सुजौद्दौला -,मीर कासिम -,एवं मुग़ल बादशाह "शाह-आलम "ने मिलकर एक गुट बनाया जिसे "त्रिगुट "के नाम से जाना गया ," बक्सर " के युद्ध में इस "त्रिगुट " को अंग्रेजों से पराजित कर दिया था !
# "बक्सर "के युद्ध में अंग्रेजी सेना का नेत्त्रत्त्व " हक्टर -मुनरो " ने किया था !
याद रखने योग्य :-
- सिराज़िद्दौला के बाद बंगाल का सबसे कुशल एवं योग्य शाशक "मीरकासिम "था !
# भारत का व्यापर मुख्य रूप से पाश्चात्य देशो से सम्वन्धित रहा है !
#यूरोपीय देशो से आने वाली कंपनियो के पूर्व भारत का व्यापार , यूरोपीय देशो के साथ फारस की खाड़ी एवं लाल सागर मार्ग के द्वारा किया जाता था !
#नये जितने भी राष्ट्र पाश्चात्य देशो से व्यापरिक सम्वन्ध स्थापित करना चाहते थे , उन सभी के लिए सबसे बड़ी कठिनाई इटली से थी !क्योकि प्राचीन जितने भी व्यापारिक मार्ग थे उन सभी मार्गों पर इटली का पूर्ण रूप से एकाधिकार था !
#भारत युरोपिय देशों को ,सूती कपड़ा , - नील - , मसाले -, औषधियां इत्यादि भेजता था !
#काली मिर्च की मांग यूरोपीय देशो में सबसे अधिक थी !
#युरोप में काली मिर्च की अत्यधिक मांग होने के कारण , यूरोपीय लोगों को "यवन -प्रिये " कहा जाता था !
#भारत में यूरोप से सर्वप्रथम पुर्तगाली आये थे !
----* भारत में "पुर्तों "का आगमन :- सर्वप्रथम संन 1487 में भारत आने का अभियान प्रारम्भ किया गया !इस अभियान की शरुआत करने वाला नाविक "बार्थोलोमोडीयाज "था !
# "बार्थोलोमोडीयाज "उत्तमाशा अंतरीप से वापिस पुर्तगाल लौट गया था !
#एक गुजराती मार्गदर्शक जिसका नाम " अब्दुल मनीद " के सानिद्ध्य में संन 1498ईसा .में , केरल के "कालीकट " बन्दरगाह पर उतरा !
#केरल का कालीकट बन्दर गाह "मालाबार क्षेत्र "में स्थित है !
#1505ईसा .में "फ्रांसिस्को -डी -अल्मीडा " एवं सन 1509 ईसा .में" अलबुकर्क " पुर्तगाली गवर्नर बनकर भारत आये थे !
# भारत पुर्तगाली साम्राज्य को स्थापित करने में "अलबुकर्क "की महत्त्व पूर्ण भूमिका थी !
#अलबुकर्क ने कोचीन को अपना मुख्यालय बनाया एवं 1510ई .में बीजापुर के शाशक युसूफ आदिल शाह से गोवा बन्दरगाह "छीन लिया था !
#सन 1530ईसा में कोचीन के स्थान पर गोवा को समस्त गतिविधियों का केंद्र बनाया गया था !
# "नीनो -डी - कुन्हा "ने सन 1530ई .में ही , बहादुर शाह से दीव , तथा बेसिन ले लिया था !
#बहादुर शाह गुजरात का शासक था !
Remember:-(स्मरणीय )
* सन 1505 ई .में प्रथम पुर्तगाली गवर्नर "फ्रांसिस्को -डी -अल्मीडा "द्वारा लागू की गई नीति " ब्लू वाटर पालिसी "अथवा "शांत जल नीति "कहलाती है !
** पुर्तगालियों ने सन 1661ई .में बम्बई शहर अंग्रेजों को दहेज़ में दे दिया था !
* भारत में सबसे पहले आने वाले एवं सबसे बाद में जाने वाले "पुर्तगाली "ही थे !
** पुर्तगाली भारत से सन 1961ई .में , "गोवा "के अधिग्रहण के पश्चात् भारत छोडकर चले गये थे !
*भारत में "तंबाकू से अवगत कराने वाले "पुर्तगाली "ही थे !
** भारत में सर्वप्रथम "प्रिंटिंग -प्रेस ' लाने का श्रेय पुर्त्गालिओं को ही जाता है !
* पुर्त्गालिओं ने सन 1556ई .में श्री -लंका पर व्यापारिक - एकाधिकार जमाने में सफलता प्राप्त कर ली थी !
** 16वि शताव्दी में , लगभग एक शताब्दी के व्यापारिक एकाधिकार के बाद "पुर्त्गलिओ"का पतन हो गया !
** पुर्त्गालिओं के पतन के पश्चात सन 1602रई . में डच अथवा हॉलैंड बासी भारत में आय ,!
*डचों ने सभी प्रमुख डच कम्पनिओ को मिलाकर एक नइ कंपनी united East India Company Of Neiderland की स्थापना सन 1602ई.में की !
*डचों द्वारा बनी गई इसी कंपनी को , "veringde Oast Indse thee Company" के नाम से भी जाना जाता था !
*डचों ने पहली कम्पनी "मुसलीपट्टनम"में एवं दूसरी कम्पनी "नागपटनम "में सन 1605 ई .में की थी !
*1627 में डचों ने बंगाल में अपनी डच कम्पनी की स्थापना की थी !
*डचों ने सन 1659 ई .में हुगली (चिनसूरा )में अपनी कम्पनी स्थापित की थी !
*डचों के भारत आगमन के बाद से ही , भारत में पुर्त्गालिओं का ,व्यापारिक एकाधिकार समाप्त हो गया था !
" अंग्रेज़ो का भारत में आगमन "
*मर्चेंट adventures " के द्वारा सन 1599 ई में East India Company का गठन किया गया !
* मर्चेंट अद्वनचर "एक व्यापरियो का समूह था !
* सर्वप्रथम भारत में "हाकिंस " नामक अँगरेज़ ज़हाज़ का कप्तान बनकर भारत आया था !
*जिस जहाज़ से "हाकिंस " भारत आया था ,उस ज़हाज़ का नाम #Hactor# था !
*#हाकिंस # सन 1608ई . में भारत के सुरत में आया था !
# हाकिंस सर्वप्रथम जहांगीर के दरवार में पहुचा था ,!
#हाकिंस ने जहांगीर से फ़ारसी भाषा में बात की थी !
#हाकिंस को जहाँगीर ने 400 मनसब एवं इंग्लिश खान की उपाधि प्रदान की थी !
#अंग्रेजों ने सन 1611 में अपनी पहली factry मुस्ली पटनम में स्थापित की थी !
#"स्वज़िहाल "में अंग्रेजों ने , पुर्तगालियों को पराजित किया था !
#"स्वज़िहाल " गुजरात के सुरत के पास स्थित जगह का नाम है !(सन -1612)
#अंग्रेजों ने जाहांगीर से अनुमति लेकर ,पश्चिमी भारत में पहली तथा शेष भारत में दूसरी फैक्ट्री की स्थापना की !(सन -1613)
# टॉमस रो " जो व्रिटिश सम्राट "James 1st का दूत था ,जहाँगीर के दरवार में आया था ,एवं कंपनी को कई और रियायते जारी करवाने में सफल रहा था !(सन -1615)
#अंग्रेजों ने उडीसा के "बालासौर एवं हरिपुरा में "अपनी फक्ट्रियाँ स्थापित की ,!(सन -1632-33)
#पुर्तगालियों से दहेज़ में प्राप्त बम्बई को ब्रिटिश युवराज चार्ल्स सेकंड ने 10पौंड वार्षिक के बदले कम्पनी को प्रदान कर दिया था !(सन - 1661)
#जॉन सुर्मंन का एक शिष्ट मंडल मुगल सम्राट फरूखसियर के दरवार में आया था , !(सन 1717_)
#फरूखसियर " का इलाज़ इसी शिष्ट मंडल के एक सदस्य "विलिंयम हेमिल्टन "ने किया था !वह एक डॉक्टर था !
#फरूखसियर " ने खुश होकर कम्पनी के नाम एक आदेश जारी किया , जिसे कम्पनी का" मैग्नाकार्टा" या माहाधिकार - पत्र कहा जाता है !(सन -1717)
#अंग्रेजों द्वारा भारत में निर्माण कार्य #
@ अंग्रेजों ने 1611ईसवी में , मुस्लीपट्टनम में पहली फक्ट्री स्थापित की थी !यह आन्ध्र प्रदेश में था !
@ अंग्रेजों ने १६१३ में सूरत में फक्ट्री स्थापित की थी !
@1651में हुगली पश्चिम बंगाल में अँगरेज़ कोठी का निर्माण -
@ 1720 में चार्ल्स बून के द्वारा बम्बई के किले की किलेबंदी !
@फोर्ट विलींयम का पहला प्रेसिडेंट "चार्ल्स आइयेर "था !
DENIS COMPANY :IN INDIA(1616)
डेनिस कम्पनी का आगमन सन 1616में हुआ था !
@ सन 1620ईसवी में डेनिस कम्पनी की पहली फक्ट्री "ट्रावनकोर " में स्थापित की गई !जो की तंजौर जिले में आता था !
@तंजोर के बाद बंगाल के श्रीराम पुर में 1676 में एक और फेक्ट्री की स्थापना की गई !
@ डेनिस कम्पनी की समस्त गतिविधियों का मुख्य केंद्र श्रीराम पुर ही था !
@ डेनिस कम्पनि ने अंग्रेजों को अपनी भारतीय बस्तिया सन - 1845ईसवी में बेंच दी थी !
@डेनिस कम्पनी के भारत में असफल होने का मुख्य कारण उनका -व्यापार से अधिक धार्मिक -क्रियाकालापो में लिप्त होना था !
फ़्रांसीसी
** 1720- 1742 ई .के बीच पांडिचेरी के नये गवर्नर लुमेर और डयूमा थे !
*** भारत में सर्वप्रथम राजनीति के विस्तार के बारे में फ़्रांसिसी गवर्नर डूप्ले ने ही सोचा था !
** पहले आंग्ल - फ़्रांसिसी युद्ध के दौरान डुप्ले ने कर्नाटक के नवाब को पराजित किया था !
** सूरत -- 1668 में फ्रंसिस कैरो
**मछली पट्टनम --- मर्कारा द्वारा 1669
**पांडिचेरी ---- 1673-74ई .
**चन्द्रनगर ---- 1690ई .
प्रमुख :-
फ्रांसीसियों एवं अंग्रेजों के मध्य संघर्ष का प्रमुख कारण - "डुप्ले "का भारत पर साम्राज्य
स्थापित करने का विचार था !
** बंगाल क्षेत्र में फ़्रांसिसी की प्रमुख फैक्ट्री चन्द्र नगर में स्थापित थी !
**भारत में अंग्रेजों का आगमन फ्रेंच कम्पनी के आगमन के पूर्व ही हो गया था !
**फ्रेंच एवं अँगरेज़ दोनों ही भारत पर अपने अपने प्रभुत्त्व जमाने के चलते संघर्षरत हो गये थे !
** 1721ईसवी में फ्रांसीसियों ने मारिशस पर अधिकार लिया था !
** मालावार तट पर स्थित माहि पर फ्रांसीसियों ने 1725ईसा में अधिकार कर लिया था !
** 1739ईसा में तंजौर के नवाब ने कोरोमंडल तट पर स्थित कालिकट फ्रांसीसियों को उपहार स्वरुप दे दिया था !
** फ्रंच गवर्नर डुप्ले सन 1742ईसा में गवर्नर बनकर भारत आया था !
; !!मैसूर की लड़ाई !!
(ENGLISH - FRENCH -- STRIFE)
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**सैनिको के
प्रशिक्षण के लिए हैदर ने फ्रांसीसियों को रखा था !
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** द्वितीये आंग्ल
-मैसूर युद्ध के चलते हैदर की मृत्यु 1782ईसा में हो गई थी !
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**हैदर के बाद उसके
पुत्र टीपू -सुलतान ने मैसूर की कमान सम्हाली थी !
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** हैदर -टीपू सुलतान
के अंग्रेजो से कुल चार वार युद्ध हुए !
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!!आंग्ल -- मैसूर संघर्ष !!
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युद्ध मैसूर शाशक बं.गवर्नर संधि प्रमुख
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1767-69 प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध
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हैदर अली
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लार्ड वेरेलुस्ट
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1769-मद्रास संधि
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हैदर अली का पलड़ा भारी रहा !
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1780-84 द्वितीय आंग्ल -मैसूर युद्ध
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हैदर अली
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वारेन -हास्टिंग्स
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मंग्लौर की संधि
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टीपू सुलतान का नेत्रत्त्व !
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1790-92 तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध
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टीपू सुलतान
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लार्ड -कार्नवालिस
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श्रीरंग पट्टनम की संधि
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टीपू सुल्तान की स्थिति कमजोर
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1799 चतुर्थ आंग्ल -मैसूर युद्ध
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टीपू सुलतान
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लार्ड वैलेज़ली
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मैसूर पर जबरन संधि लगा दी गई !
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टीपू सुलतान की मृत्यु के पश्चात अंग्रेजों ने पुनः वोडियारवंश के शाशक से संधि की !
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टीपू सुलतान का कथन :
"" सौ दिन गीदड़ के जैसे जीने से अच्छा है ,:एक दिन ही सही पर शेर के जैसे जिया जाए ""
प्रमुख : टीपू सुलतान ने कुल नौ सैन्य बोर्डो का गठन किया था !
"" सौ दिन गीदड़ के जैसे जीने से अच्छा है ,:एक दिन ही सही पर शेर के जैसे जिया जाए ""
प्रमुख : टीपू सुलतान ने कुल नौ सैन्य बोर्डो का गठन किया था !
प्रमुख :-
बंगाल एवं ईस्ट इंडिया कम्पनी :-
# स्वतंत्र बंगाल राज्य की घोषणा "मुर्शिद कुली"खा ने सन 1717ई .में की थी !
# बिहार के नायब -निजाम "अलीवर्दी खा "ने 1740 में घेरिया के युद्ध में "सरफराज खा को हराकर बंगाल का नवाब पद ग्रहण किया था !
# अलीवर्दी खा ने ही यूरोपियों की तुलना मधु -मक्खियों से की थी !
# 1756 ईसवी में अलीवर्दी खान की मृत्यु के पश्चात उसकी छोटी बेटी का पुत्र "सिराजुद्दौला "बंगाल का नवाब बना था !
-- बंगाल 1756 से 1757 ईसवी ,._ :नवाब की अनुमति के बगैर 20जून 1756 ई.में अंग्रेजो ने कलकत्ता स्थित अपनी कम्पनी की किलाबंदी शुरू कर दी !
# कलकत्ता में स्थित काशिम बाज़ार वाली फैक्ट्री पर सिराज़िद्दौला ने अपना अधिकार कर लिया -
# सिराज़िद्दौला के फैक्ट्री पर अधिकार के पश्चात बहुत से अँगरेज़ एक ज्वार ग्रस्त द्वीप पर भाग गये जिसका नाम "फुल्ताद्वीप "था !
# बहुचर्चित "काल कोठरी "की घटना 20 जून 1756 को सिराज़िद्दौला के शाशन काल में ही हुई थी !
# "काल कोठरी "की घटना में 146 अंग्रेजो को बंदी बनाया गया था ,जिसमे से सिर्फ 23 ही जीवित मिले थे !
# जीवित बचने वाले अंग्रेजों में से एक का नाम "हालवेल "था -जिसने इस भ्रामक घटना के बारे में जानकारी दी थी !
# हुगली एवं आस -पास के क्षेत्रों को लूट कर - सन 1757 में अंग्रेजों ने पुनः कलकत्ता पर अपना अधिकार जमा लिया था !
#इसी लूट के फलस्वरूप दोनों पक्षों में युद्ध हुआ जिसका कोई परिणाम नहीं निकला था !
# युद्ध के पश्चात 09 फरवरी 1757 को नवाब तथा अंग्रेजो के बीच अलीनगर की संधि हुई थी !
# संधि की शर्तानुसार - नवाब द्वारा छेनी गई संपत्ति - फैक्ट्री तथा किले अंग्रेजो को बापिस कर दिए जायेगे !
# सिराज़िद्दौला के शाशन से पूर्व लागू समस्त सुविधाए अंग्रेजो को पुनः प्रदान की जाएँगी !
# कलकत्ता में अंग्रेजो को सिक्के चलाने का अधिकार मान्य कर दिया गया !
# अंग्रेजो को कलकत्ता को फिर से किला बंदी करने की छुट मिली !
# इनके अलावा यह भी समझौता हुआ कि - नवाब तथा अँगरेज़ एक दुसरे के शत्रु को अपना शत्रु समझेंगे ,एवं युद्ध के समय एक दुसरे की सहायता करेंगे !
स्मरणीय :-
इन समस्त शर्तों से अंग्रेजों के असंतुष्ट होने के कारण अँगरेज़ मिलकर नवाब सिराज़िद्दौला को नवाब के पद से हटाने का षड्यंत्र रचने लगे !
-अंग्रेजों ने सिराज़िद्दौला के साथी एवं सेनापति "मीरजाफर "को नवाब बनाने का लालच दिया एवं अपने षड्यंत्र में शामिल कर लिया !
- नवाब की हत्या के बाद अंग्रेजो की मदद से मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाया गया !
मीर जाफर के नवाब बनने के बाद ही अंग्रेजो ने बंगाल की प्रथम क्रांति का बिगुल बजाया ,एवं भारत में अपने साम्राज्य को स्थापित करने की नीव डाली !
# मीर जाफर किसी भी तरीके से एक योग्य शाशक नहीं बन सका था ,जिससे अंग्रेजो ने मीर जाफर को नवाब के पद से हटा दिया ,एवं मीर जाफर के दामाद मीर कासिम को बंगाल के नवाब की गद्दी पर बैठा दिया !
# मीर कासिम एक योग्य शाशक साबित हुआ ,जिसने बंगाल की सेना के आधुनिकरण के प्रयास किये थे ,
मीर कासिम ने राजधानी मुर्शिदा वाद से हटाकर "मुंगेर "में स्थानानात्रित की थी !साथ ही मुंगेर में ही मीर कासिम ने तोप तथा बंदूके बनाने की व्यवस्था की थी !
मीर कासिम से व्यापारिओं को समस्त करो से मुक्त कर दिया , एवं अंग्रेजो पर व्यक्तिगत व्यापार के उपर कर लगाया ;
- इससे गुस्साए अंग्रेजों ने मीरकासिम के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी !
- # मीर कासिम ने अवध के नवाब "सुजौद्दौला " के यहाँ शरण ली ,:
# अंग्रेजो ने मीर जाफर "को फिरसे नवाब की गद्दी सौप दी !
# सुजौद्दौला -,मीर कासिम -,एवं मुग़ल बादशाह "शाह-आलम "ने मिलकर एक गुट बनाया जिसे "त्रिगुट "के नाम से जाना गया ," बक्सर " के युद्ध में इस "त्रिगुट " को अंग्रेजों से पराजित कर दिया था !
# "बक्सर "के युद्ध में अंग्रेजी सेना का नेत्त्रत्त्व " हक्टर -मुनरो " ने किया था !
याद रखने योग्य :-
- सिराज़िद्दौला के बाद बंगाल का सबसे कुशल एवं योग्य शाशक "मीरकासिम "था !
००० इलाहवाद की प्रथम संधि -
० 12 अगस्त 1765ई . को बक्सर के युद्ध में पराजित मुगल बादशाह -शाह -आलम - द्वितीये के साथ 'रोबर्ट क्लाइव ' ने इलाहावाद की प्रसिद्द संधि की !
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००इलाहावाद की संधि की शर्ते :-
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०-उडीसा -विहार -तथा बंगाल -की दीवानी 'मुगल सम्राट 'ने अंग्रेजो को सौप दी !
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०- उडीसा - बिहार -तथा बंगाल की दीवानी अंग्रेजो को सौपने के बदले में अंग्रेजों
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इलाहावाद की दूसरी संधि -
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