MPPSC# SPECIAL STREATEGY
FRIENDS ,
now I am going to begin syllabus wise , best master streategy , which i told , my previous post , that how to prepare , this MPPSC exams in just a few days efforts ,
so friends In this sequence today i am going to start about the Madhya pradesh , , M.P. is the most important part of this exam , specially in to the "Prelims " , it is the matter of value of study about M.P. ,
At this curriculum we are divided , the M.P. syllabus , the following sequences :
1- About The M.P.
,,, established time & Date some general knowledge ,
Madhya pradesh Established day ,
- about the Capital , and cities of M.P.
- Ancient geographical structure of M.P.
- Story Behind the name of madhya pradesh by whom
- cultures and traditions ,
-
- State gmaes , name , state birds name , state , flower , state , Dance , state , languages ,
and some other various related topics about the state .
2- About the History Of Madhya pradesh
1857 Revolutions related with Madhy
apradesh
Named the Revolutionaries participated at M.p.
M.P. s Role of Freedom fighting
M.p.s Martyrs and about their homage , and sacrifices ,
besides this some other topics related to the history of M.P.,s
3- About the National Parks ,
4- Rivers Of Madhya Pradesh
flowing , directions , exist point and others ,
5- Economic Informations ,
6- Agricultures ,
7- Important day and dates ,
8- festivals , and Melas ,
10- Political impact etc.
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be the winner to set a huge Goal , think , and actions towards your Goal , without Actions "thoughts are Folly "
*********************************************************************************मध्य प्रदेश भारत का एक राज्य है ,इसकी राजधानी भोपाल है !
-01 - नवंबर 2000 तक ,मध्य प्रदेश ,क्षेत्रफल के आधार पर , भारत का सबसे बड़ा राज्य था !
-01 नवम्वर 2000 को मध्य प्रदेश राज्य से ,14 ,जिले अलग कर दिए गये ,एवं छत्तीसगढ़ , राज्य ,की अलग स्थापना हुई थी !
-मध्य प्रदेश के उत्तर में उत्तर प्रदेश , ,पूर्व में छत्तीसगढ़ ,दक्षिण ,में महाराष्ट्र ,पश्चिम में गुजरात , तथा ,उत्तर ,पश्चिम में राजस्थान है !,इस तरह ,मध्य प्रदेश की ,सीमा कुल ,पांच पड़ोसी प्रदेशों से घिरी हुई है !
देश के कुल वन क्षेत्र का लगभग 30 % वन क्षेत्र , मध्य प्रदेश के अधीन है !
- साथ ही ,खनिज संसाधनों से भरपूर मध्यप्रदेश में हीरे और ताम्वे का भण्डार है !
विशेष -: मध्य प्रदेश ने अपने पर्यटन ,उद्योग में भी पहचान बनानी सुरु क्र दी है , इसी का परिणाम था की , वर्ष 2010 -11 में राज्य ने राष्ट्रीय पर्यटन पुरुष्कार जीत लिया था !
-*
मध्य प्रदेश का इतिहास :-
पूर्व में मध्य प्रदेश 3 -4 हिस्सों में वटा हुआ था ,सर्वप्रथम ,1950 ,में मध्य -प्रांत और बरार को ,छत्तीसगढ़ ,की मक्राई ,रियासतों में मिलाया गया था !एवं इसके पश्चात मध्य प्रदेश का गठन किया गया था !
-तत्कालीन समय में मध्यप्रदेश की राजधानी ,नागपुर थी !
-तत्पश्चात ,01 ,नवम्बर 1956 ,को , मध्य भारत ,विन्ध्य प्रदेश , तथा भोपाल राज्यों को ,इसी में मिला लिया गया था !
-बाकी दक्षिण - के मराठी भाषी ,विदर्भ क्षेत्र को , बॉम्बे राज्य में ,सम्मिलित कर दिया गया था !
- भोपाल से पूर्व मध्य प्रदेश की राजधानी को , जबलपुर , निश्चित किया गया था , किन्तु अंतिम क्षणों ,में भोपाल को ही , मध्यप्रदेश की राजधानी घोषित ,कर दिया गया !
01 नबम्बर 2000-को एक बार पुन: मध्य प्रदेश का पुनर्गठन हुआ ,जिसमे छ्ततीस गढ़ को ,मध्यप्रदेश से अलग करके , भारत का 26वा राज्य घोषित कर दिया गया था !
विशेष :
मध्यप्रदेश के तुंग -उतुंग ,शेल शिखर ,,विन्ध्य -सतपुडा , ,मैकाल ,कैमूर ,में स्थित , अनेक पौराणिक आख्यान , और नर्मदा , ,सोंन ,,चमवल ,वेतवा , केन ,धसान ,तवा ,ताप्ति ,क्षिप्रा , काली सिध ,आदि ,सरिताओं के उद्गम ,,और मिलन , की , पौराणिक मिथ कथाओं से फूटती ,सहश्त्र- धाराएँ ,यहाँ की ,जीवन शैली को ,परि -तृप्त करती है !
संस्कृति :-
मध्य प्रदेश कुल पांच ,लोक - संस्कृतियों का समावेशी संसार है !जो निम्न है _
1 -निमाड़
२-मालवा
3 बुन्देल खंड
४-बघेल खंड
5-चमवल /ग्वालियर
मध्यप्रदेश की संस्कृति ,विविध वर्णी है ,महाराष्ट्र उडीसा ,अथवा ,गुजरात की तरह ,इस प्रदेश को किसी भाषाई ,प्रदेश के रूप में नहीं पहचाना जाता है !
- मध्य प्रदेश में जहाँ एक ओर ,पांच संस्कृतियों का समावेशी संसार है ,,तो दुसरी ओर ,अनेक जनजातियों की , आदिम जनजातियों ,का विशाल साम्राज्य फेला हुआ देख सकते है !
मालवा
बुन्देल खंड
Mppsc # 2019 Special
दोस्तों मध्यप्रदेश के बारे में कुछ सामान्य जानकारियाँ मै , आपको अपने पिछले आर्टिकल्स में बता चूका हु ,किन्तु इस आर्टिकल का मुख्या उद्देश्य , लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा 2019 में , मध्य प्रदेश से संदर्भित आने वाले , तथ्यों का महत्त्व पूर्ण तरीके से क्रम बार अध्यन रूप रेखा प्रदान करने जा रहा हु , जो निश्चित ही आपके लिए अति महत्त्व पूर्ण साबित होगा !
*********************************************************************************मध्य प्रदेश भारत का एक राज्य है ,इसकी राजधानी भोपाल है !
-01 - नवंबर 2000 तक ,मध्य प्रदेश ,क्षेत्रफल के आधार पर , भारत का सबसे बड़ा राज्य था !
-01 नवम्वर 2000 को मध्य प्रदेश राज्य से ,14 ,जिले अलग कर दिए गये ,एवं छत्तीसगढ़ , राज्य ,की अलग स्थापना हुई थी !
-मध्य प्रदेश के उत्तर में उत्तर प्रदेश , ,पूर्व में छत्तीसगढ़ ,दक्षिण ,में महाराष्ट्र ,पश्चिम में गुजरात , तथा ,उत्तर ,पश्चिम में राजस्थान है !,इस तरह ,मध्य प्रदेश की ,सीमा कुल ,पांच पड़ोसी प्रदेशों से घिरी हुई है !
देश के कुल वन क्षेत्र का लगभग 30 % वन क्षेत्र , मध्य प्रदेश के अधीन है !
- साथ ही ,खनिज संसाधनों से भरपूर मध्यप्रदेश में हीरे और ताम्वे का भण्डार है !
विशेष -: मध्य प्रदेश ने अपने पर्यटन ,उद्योग में भी पहचान बनानी सुरु क्र दी है , इसी का परिणाम था की , वर्ष 2010 -11 में राज्य ने राष्ट्रीय पर्यटन पुरुष्कार जीत लिया था !
-*
मध्य प्रदेश का इतिहास :-
पूर्व में मध्य प्रदेश 3 -4 हिस्सों में वटा हुआ था ,सर्वप्रथम ,1950 ,में मध्य -प्रांत और बरार को ,छत्तीसगढ़ ,की मक्राई ,रियासतों में मिलाया गया था !एवं इसके पश्चात मध्य प्रदेश का गठन किया गया था !
-तत्कालीन समय में मध्यप्रदेश की राजधानी ,नागपुर थी !
-तत्पश्चात ,01 ,नवम्बर 1956 ,को , मध्य भारत ,विन्ध्य प्रदेश , तथा भोपाल राज्यों को ,इसी में मिला लिया गया था !
-बाकी दक्षिण - के मराठी भाषी ,विदर्भ क्षेत्र को , बॉम्बे राज्य में ,सम्मिलित कर दिया गया था !
- भोपाल से पूर्व मध्य प्रदेश की राजधानी को , जबलपुर , निश्चित किया गया था , किन्तु अंतिम क्षणों ,में भोपाल को ही , मध्यप्रदेश की राजधानी घोषित ,कर दिया गया !
01 नबम्बर 2000-को एक बार पुन: मध्य प्रदेश का पुनर्गठन हुआ ,जिसमे छ्ततीस गढ़ को ,मध्यप्रदेश से अलग करके , भारत का 26वा राज्य घोषित कर दिया गया था !
विशेष :
मध्यप्रदेश के तुंग -उतुंग ,शेल शिखर ,,विन्ध्य -सतपुडा , ,मैकाल ,कैमूर ,में स्थित , अनेक पौराणिक आख्यान , और नर्मदा , ,सोंन ,,चमवल ,वेतवा , केन ,धसान ,तवा ,ताप्ति ,क्षिप्रा , काली सिध ,आदि ,सरिताओं के उद्गम ,,और मिलन , की , पौराणिक मिथ कथाओं से फूटती ,सहश्त्र- धाराएँ ,यहाँ की ,जीवन शैली को ,परि -तृप्त करती है !
संस्कृति :-
मध्य प्रदेश कुल पांच ,लोक - संस्कृतियों का समावेशी संसार है !जो निम्न है _
1 -निमाड़
२-मालवा
3 बुन्देल खंड
४-बघेल खंड
5-चमवल /ग्वालियर
मध्यप्रदेश की संस्कृति ,विविध वर्णी है ,महाराष्ट्र उडीसा ,अथवा ,गुजरात की तरह ,इस प्रदेश को किसी भाषाई ,प्रदेश के रूप में नहीं पहचाना जाता है !
- मध्य प्रदेश में जहाँ एक ओर ,पांच संस्कृतियों का समावेशी संसार है ,,तो दुसरी ओर ,अनेक जनजातियों की , आदिम जनजातियों ,का विशाल साम्राज्य फेला हुआ देख सकते है !
मालवा
बुन्देल खंड
क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रदेश का सबसे बड़ा जिला छिंदवाड़ा है !
· क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रदेश का सबसे छोटा जिला भोपाल है !
· क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रदेश का सबसे बड़ा संभाग जबलपुर है !
· क्षेत्रफल की दृष्टि से प्रदेश का सबसे छोटा संभाग शहडोल है !
· सर्वाधिक जनसंख्या वृद्धि करने वाला जिला इंदौर है ! (34%)
· सबसे कम जनसंख्या वृद्धि करने वाला जिला अनूपपुर है ! (13%)
· जनसंख्या की दृष्टि से प्रदेश का सबसे बड़ा जिला इंदौर है !
· जनसंख्या की दृष्टि से प्रदेश का सबसे छोटा जिला आगर मालवा है !
· जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ी तहसील इंदौर है !
· सर्वाधिक नगरीकृत जनसंख्या वाला जिला भोपाल है !
· सबसे कम नगरीय जनसंख्या वाला जिला डिंडोरी है !
· प्रदेश का सर्वाधिक लिंगानुपात वाला जिला बालाघाट है ! (1021)
· सबसे कम लिंगानुपात वाला जिला भिंड है ! (837)
· चंबल संभाग प्रदेश का सबसे कम लिंगानुपात वाला संभाग है !
· प्रदेश का सबसे बड़ा नगर इंदौर है !
· सबसे बड़ा वनवृत्त खंडवा में है !
· सबसे छोटा वनवृत्त शाजापुर में है !
· सबसे कम पुरुष व महिला साक्षरता वाला जिला अलीराजपुर है !
· मध्य प्रदेश में सर्वाधिक वन वृक्ष सागौन के है
· मध्यप्रदेश में सर्वाधिक पाया जाने वाला वन्य पशु चीतल है !
· सबसे कम सिंचाई वाला जिला डिंडोरी है !
· सबसे बड़ी जनजाति भील है !
मध्य प्रदेश में प्रथम:
· प्रथम राज्यपाल – पट्टाभि सितारमैया
· प्रथम महिला राज्पाल – सरला ग्रेवाल
· प्रथम आदिवासी महिला राज्यपाल – उर्मिलासिंह (हिमाचल प्रदेश)
· प्रथम मुख्यमंत्री – पं. रविशंकर शुक्ल
· प्रथम गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री – वीरेन्द्र सकलेचा
· प्रथम महिला मुख्यमंत्री – उमा भारती
· प्रथम न्यायधीश – मो. हिदायतुल्ला
· प्रथम महिला न्यायधीश – सरोजनी सक्सेना
· प्रथम विधानसभा अध्यक्ष – कुंजीलाल दुबे
· प्रथम विधानसभा उपाध्यक्ष – विष्णु विनायक सरवटे
· प्रथम मुख्य सचिव – एच.एस. कामथ
· प्रथम महिला मुख्य सचिव – निर्मला बुच
· प्रथम विपक्ष का नेता – विष्णु नाथ तामस्कर
· प्रथम महिला विपक्ष नेता – जमुनादेवी
· प्रथम राज्य निर्वाचन आयुक्त – एन.बी. लोहानी
· प्रथम राज्य सूचना आयुक्त – टी.एन. श्रीवास्तव
· प्रथम राज्य वित्त आयोग – शीतला सहाय
· प्रथम पुलिस महानिरीक्षक – बी.जी. घाटे
· प्रथम पुलिस महानिदेशक – वी.पी दुबे
· प्रथम महाधिवक्ता – एम. धर्माधिकारी
· प्रथम लोकायुक्त – पी.व्ही दीक्षित
· प्रथम राज्य योजना मण्डल अध्यक्ष – प्रकाशचंन्द्र सेठी
· प्रथम महिला पुलिस सेवा(ips) – आशा गोपालन
· प्रथम महिला भारतीय प्रशासनिक सेवा(ias) – निर्मला बुच
· प्रथम लोक सेवा आयोग अध्यक्ष – डी.बी. रेगे
· राज्य का नाम – मध्य प्रदेश
· राज्य का अन्य नाम – हृतयप्रदेश, सोया प्रदेश, टाइगर स्टेट
· राज्य का क्षेत्रफल – 3,08,252 वर्ग किमी
· राजकीय पशु – बारहसिंगा
· राजकीय पुष्प – सफेद लिली
· राजकीय वृक्ष – बरगद (वट वृक्ष)
· राजकीय पक्षी – दूधराज (पैराडाइज फ्लाई) इसे शाहे बुल-बुल के नाम से भी जाना जाता है।
· राजकीय नदी – नर्मदा
· राजकीय नाच – माच
· राजकीय फसल – सोयाबीन
· राजकीय भाषा – हिन्दी
· राज्य की स्थापना वर्ष – 1 नवम्बर, 1956
#2011 के अनुसार मध्य प्रदेश #
#जनसंख्या
वर्ष 2011 की जनसंख्या के अनुसार , मध्यप्रदेश की कुल जनसंख्या - 72597565 है !
सर्वाधिक जनसंख्या वाले पांच जिले - इंदौर ,जबलपुर ,सागर ,
भोपाल ,रीवा
न्यूनतम जनसंख्या वाले पांच जिले , - हरदा ,उमरिया , श्योपुर ,
दिंडोरी , अलीराजपुर .
देश की कुल जनसंख्या में प्रदेश के हिस्से का प्रतिशत - 6 %
मध्यप्रदेश की कुल पुरुष जनसंख्या - 37611370 है !
मध्यप्रदेश में कुल महिला जनसंख्या - 34984645 - है !
जनसँख्या वृद्धि दर -
2001से 2011 के आकड़ों के अनुसार प्रदेश की जनसँख्या वृद्धि दर - 20.3 %
मध्यप्रदेश की पुरुष जनसंख्या वृद्धि दर - 19 .6 %
मध्यप्रदेश में महिला जनसंख्या वृद्धि दर - 21 .00%
जनसंख्या वृद्धि वाले पांच जिले - इंदौर ,झाबुआ ,भोपाल ,
सिंगरौली ,वडवानी ,!
सर्वाधिक कम जनसंख्या घ्नत्त्व वाले पांच जिले - अनूपपुर , बैतूल ,छिन्वादा ,
मंदसौर वालाघाट.!
प्रदेश की सर्वाधिक जनसंख्या वृद्धि दर , वर्ष - 1961 से 1971तक 29.28 %
मध्यप्रदेश में सबसे कम जनसंख्या वृद्धि दर , का वर्ष - 1911से 1921तक - 2.4%
मध्य प्रदेश में शिशु - जनसंख्या
* मध्यप्रदेश में कुल 0से लेकर 06 वर्ष की ,शिशु जनसंख्या - 10548295.
*मध्यप्रदेश में कशिशु जनसंख्या का प्रतिशत - 14.53%
*बालक शिशु जनसंख्या - 5516957
*बालिका शिशु जनसंख्या - 5031338
*सर्वाधिक शिशु जनसंख्या वाला सम्भाग - इंदौर
*न्यूनतम शिशु जनसंख्या वाला सम्भाग - जबलपुर
*सर्वाधिक शिशु जनसंख्या वाले पांच जिले - झाबुआ ,अलीराजपुर , वडवानी ,
सिंगरौली , श्योपुर ,
*न्यूनतम शिशु जनसँख्या वाले पांच जिले - जबलपुर ,बालाघाट , भोपाल ,
इंदौर , ग्वालियर ,.
*//जनसंख्या घ्नत्त्व //*
# मध्य प्रदेश का जनसँख्या घ्नत्त्व - 236 व्यक्ति प्रति ,वर्ग किलोमीटर है !
# जनसंख्या घ्नत्व की द्रष्टि से देश में मध्यप्रदेश का स्थान 17 वा है !
# घटते क्रम में अधिक जनसंख्या घ्नत्त्व वाले , पांच जिले - भोपाल -इंदौर -जबलपुर -ग्वालियर -एवं मुरैना है !
# न्यूनतम जनसंख्या घ्नत्त्व वाले पांच जिले बड़ते क्रम में रायसेन -बैतूल -पन्ना -सेहोर- दिंडोरी है !
*-कुल लिंगानुपात *-
# प्रदेश का लिंगानुपात , वर्ष 2011 के आकड़ों के अनुसार , 930 महिलाये - प्रति - 1000पुरुषों पर है !
# मध्यप्रदेश में रीवा संभाग का , लिंगानुपात - प्रदेश के लिंगानुपात 930 के बराबर है !
# प्रदेश में लिंगानुपात में वृद्धि सर्वाधिक इंदौर - में हुई है !
# प्रदेश में सर्वाधिक लिंगानुपात में कमी - रीवा सम्भाग में हुई है !
# लिंगानुपात में न्यूनतम वृद्धि - नर्मदा पुरम में हुई !
# लिंगानुपात में सर्वाधिक कमी वाला सम्भाग - शहडोल है !
# मध्यप्रदेश के अधिक लिंगानुपात वाले पांच जिले - बलाघाट -1021-अलीराजपुर -1009-
मंडला 1005- दिंडोरी ,- - 1004--, झाबुआ 989.
# न्यूनतम लिंगानुपात वाले पांच जिले - भिंड -836,--मुरैना 839,,-- ग्वालियर ,-- 862--,,
दतिया 875- , शिवपुरी - 877---
*--शिशु लिंगानुपात आंकड़े वर्ष - 2011**--
# प्रदेश में शिशु लिंगानुपात के आकड़ों पर नजर डाले तो - 0से 06 वर्ष तक के शिशु में प्रति 1000, वालकों पर ,बालिकाए ,महज़ 912 ही है !
# प्रदेश के सर्वाधिक शिशु लिंगानुपात वाले पांच जिले - घटते क्रम में - अलीराजपुर - दिंडोरी - मंडला - बलाघाट - सिवनी -
# न्यूनतम शिशु लिंगानुपात वाले पांच जिले - बड़ते क्रम में - मुरैना - ग्वालियर - भिंड - दतिया - रीवा .
साक्षरता दर (2011)
# देश में साक्षरता की द्रष्टि से देखा जाये तो - मध्यप्रदेश का - देश में पच्चीसवां स्थान है !
# मध्य प्रदेश की साक्षरता दर वर्ष 2011 के आकड़ों के अनुसार - 70.6 % है !
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mp |
Madhya - Pradesh - At a Glance-:
HISTORY
# इतिहास #
1-- प्राचीन काल -:
*- नवदा टोली , खरगोन जिले में , नर्मदा नदी के तट ,पर , एक ताम्र पाषाण काल का स्थल है
=- * रामायण काल में विन्ध्य प्रदेश व् सतपुडा , में सम्पूर्ण वन क्षेत्र ,निषाद जातियों के अधीन था !
*-- सम्राट रामगुप्त की मुद्राएँ , एरन से प्राप्त हुई है !यही पर सती - प्रथ के प्राचीनतम साक्ष्य मिले है , इन समस्त साक्ष्यों को 510इ . पूर्व के ,स्तम्भ लेखों से खोजा गया है !
-*आदमगढ़ होशंगावाद जिले में , नर्मदा नदी के दक्षिणी , तट ,पर , स्थित , एक पुरातात्विक स्थल है , इन्ही गुफाओं में शैल -चित्रों का अंकन मिलता है ,
-*यहाँ से पूर्व पाशंकालीन ,औज़ार आदि भी प्राप्त हुए है ,
-*यह स्थान जिसका सम्वन्ध मध्यपाशान काल से है ,में भेड व् बकरिओं के साथ , प्राचीन मानव के साथ को वर्णित करता है !
--- * - इन्ही गुफाओं में कुछ , शिकार आदि के चित्रों से यह ,पता चलता है ,की , किस तरीके से यह लोग ,सामुहिकं एकत्रित ,होकर बड़े से बड़े पशुओं का शिकार कर लेते थे !
***--मध्य प्रदेश में "महेश्श्वर "खरगोन जिले में , नर्मदा नदी , के तट ,पर , स्थित है , जिसका सम्वन्ध ताम्र पाषाण काल से है !
**- ध्यान रहे "महेश्वर " को ही पूर्व में "महिष्मती " के नाम से जाना ,जाता था !
**-- एक अन्य पुरातात्विक स्थल , "नालछा ",की खोज सन 2010 में हुई थी ,
** यह धार जिले के "कारम नदी " के "बेसिन "में है !
***-"
***-मध्यप्रदेश के रायेसेंन में एक अन्य पुर्तात्विक स्थल , "भीम बैथिका " विश्व धरोहर 'के रूप में संरक्षित है ,
* यहाँ की गुफाओं में , पूर्व एतिहासिक काल की , चित्रकारी की अद्भुत , कला देखने को मिलती है !
** मध्य प्रदेश में अन्य ,पाए गये स्थल , "नागदा " उज्जैन में - ,, ऐरण " सागर -- ,, कैथल -- उज्जैन में -- त्रिपुरी ---जबलपुर में , पाए गये ताम्र पाषाण काल के स्थान है !
***-"भरहुत " मध्यप्रदेश के सतना जिले में स्थित है , एवं यह स्थान बौद्ध , स्तुप के लिए प्रसिद्द है !
इतिहासकारों के मतानुसार , इन स्तुप को ,कुछ इतिहासकार - , सम्राट अशोक के काल से सम्वन्धित मानते है , एवं कुछ इतिहास कार ,इसे , शुंग काल से स्म्वंधित मानते है !
** इन स्तूपों को , ध्वस्त होने के पश्चात , कोलकाता के स्न्ग्रहाल्या में फिरसे पुनर्निर्मित करवाया गया था !
***-मध्य प्रदेश में "दंद्कारन्य "जिसे आज हम लोग "बस्तर " के नाम से जानते है , के साथ ," महाकांतर "
के सघन वन क्षेत्र थे , " यदुवंशी नरेश " मधु " यहाँ के शाशक थे ! यदुवंशी "नरेश मधु " महाराज "दशरथ "के समकालीन थे ," महाकांतर " का उल्लेख ,समुद्र गुप्त की , प्रयाग प्रशस्ती , में भी , हुआ है ! आज यह क्षेत्र ,छात्तिशगढ़ में स्थित है !
**-
मध्य प्रदेश में प्राचीन काल के महाजन पदों के आधुनिक नाम :
प्राचीन जनपद आधुनिक नाम
1 * अवन्ती --- उज्जैन
2 * वत्स -------- ग्वालियर
3 * अनूप -------- निमाड़
4 * चेदी ---------- खजुराहो
5 * नलपुर ------ ---- शिवपुरी -नरवर
6 * दशार्ण ------------------- विदिशा
याद रखने योग्य -:
मध्य काल में विदिशा को , "भिलसा " नाम से ,एवं प्राचीन काल में " बेसनगर " के नाम से जाना जाता था !
#//#* द्वितीये नगरीय करण के दौरान ,उज्जैनी , भारत का एक प्रमुख व्यापारिक . ,,नगरीय केंद्र था !
#//## * "वढवानी "में मिले सिक्कों को नन्द वंश के सिक्कों के रूप में पहचाना गया है !, अत: इनसे यह अनुमान लगाया गया है ,कि , सम्वन्धित क्षेत्र , का सम्वन्ध नन्द साम्राज्य से था !
#* ग्यारश पुर विदिशा जिले में स्थित , एक पुरातात्विक स्थल है , यहाँ ,ब्राह्मण ,बौद्ध , व् जैन धर्म से सम्वन्धित , गुप्त कालीन , व् उत्तर गुप्त कालीन अवशेष मिले है !
#//*- बेसनगर से यूनानी , राजदूत ," हलिओडोरस" का " गरुण " स्तम्भ लेख , जो भगवान विष्णु को समर्पित है , मिला है !
**-
मध्य प्रदेश में प्राचीन काल के महाजन पदों के आधुनिक नाम :
प्राचीन जनपद आधुनिक नाम
1 * अवन्ती --- उज्जैन
2 * वत्स -------- ग्वालियर
3 * अनूप -------- निमाड़
4 * चेदी ---------- खजुराहो
5 * नलपुर ------ ---- शिवपुरी -नरवर
6 * दशार्ण ------------------- विदिशा
याद रखने योग्य -:
मध्य काल में विदिशा को , "भिलसा " नाम से ,एवं प्राचीन काल में " बेसनगर " के नाम से जाना जाता था !
#//#* द्वितीये नगरीय करण के दौरान ,उज्जैनी , भारत का एक प्रमुख व्यापारिक . ,,नगरीय केंद्र था !
#//## * "वढवानी "में मिले सिक्कों को नन्द वंश के सिक्कों के रूप में पहचाना गया है !, अत: इनसे यह अनुमान लगाया गया है ,कि , सम्वन्धित क्षेत्र , का सम्वन्ध नन्द साम्राज्य से था !
#* ग्यारश पुर विदिशा जिले में स्थित , एक पुरातात्विक स्थल है , यहाँ ,ब्राह्मण ,बौद्ध , व् जैन धर्म से सम्वन्धित , गुप्त कालीन , व् उत्तर गुप्त कालीन अवशेष मिले है !
#//*- बेसनगर से यूनानी , राजदूत ," हलिओडोरस" का " गरुण " स्तम्भ लेख , जो भगवान विष्णु को समर्पित है , मिला है !
#*# श्रीदेवी विदिशा के श्रेष्ठी पुत्री थी \ अशोक भी सम्राट बनने से पूर्व अवन्ती प्रान्त के राज्यपाल थे , बाद में सम्राट अशोक ने उनसे विवाह कर लिया \
#*# कटनी जिले में मिले रूपनाथ अभिलेख और साँची स्तम्भ लेख सिद्ध करते है कि मौर्य साम्राज्य मध्य प्रदेश का अंग था \
#*# मौर्य काल में अवन्ती मौर्य साम्राज्य का एक प्रान्त था जिसकी राजधानी उज्जयिनी थी \
#*# सम्राट अशोक साँची में अभिलेख लिखे है ,यह अभिलेख इसकी सतह पर की गयी अदभुत पालिश के लिए प्रसिद्द है \
#*# मध्य प्रदेश के तीन विश्व धरोहरों में से एक साँची रायसेन जिले में स्थित है ,यहाँ के बौद्ध स्तुपो की नीव सम्राट अशोक ने रखीं थी , लेकिन शुंग काल में इनमे परिवर्धन किया गया , बौद्ध भिक्षु सारिपुत्र और महामोगल्यायन की अस्थियाँ इन स्तूपों में रखी गयी है !
#*# शकों के सबसे प्रतापी राजा और उज्जयनी के शक क्षत्रप रुद्रदामन ने 130 -150 ई. तक शासन किया \
#*# "बेसनगर" विदिशा के निकट का स्थान है , इस स्थान का उल्लेख रामायण और कालिदास के मेघदूतम में मिलता है \ शुंग वंश की राजधानी के रूप में भी विदिशा नगर के को जाना जाता है \
#*# बाघ की गुफाये धार जिले में नर्मदा की एक सहायक नदी बाघ के किनारे पर स्थित है ,ये बौद्ध गुफाये पहाड़ो को काटकर बनायीं गयी थी \इन गुफाओ का सम्बन्ध गुप्तकाल से माना जाता है 4 गुफाओ को " रंग महल "के नाम से जाना जाता है \ इसकी दीवारों पर जातक कथाये अंकित है \
#*# कच्छ्पात राजाओं की राजधानी सिन्ह्पानी वर्तमान में मुरैना के सिन्हौनिया में महाभारत कालीन नगर के अवशेष मिले है !
##* - गुप्त कालीन रॉक कट गुफाएं विदिशा जिले में स्थित - उदय -गिरी की गुफाओं को ही कहा जाता है !
परमार वंश -:
#--* परमार वंश का संस्थापक उपेन्द्र / कृष्णा राज था ! इसकी राजधानी अद्धुनिक धार थी !
#** परमारों ने मध्य भारत में 1305 तक शाशन किया , यही से अलाउद्दीन खिलज़ी द्वारा परमार राज्य को ,दिल्ली सल्तनत में मिला लिया गया था !
#- परमारों को ही , अग्निवंशी "क्षत्रिय माना गया है !
#-सिमुक ,मुंज ,सिन्धुराज , भोज आदि परमार वंश के प्रमुख शासक थे |
#-परमार वंश का सबसे प्रसिद्द राजा भोज था ,राजा भोज ने 1010 से 1060 ई. तक शासन किया ,राजा भोज बहुमुखी प्रतिभा का धनी था |उसने अनेको ग्रंथों की रचना की | उसकी प्रमुख रचनाएँ (1) पतंजलि के योगसूत्र पर टीका, (2)सरस्वती कंठाभरण, (3) तत्वप्रकाश , (4) राजमार्तंड, (5) समरांगनसूत्रधार (यह वास्तुकला का अदभुत ग्रन्थ ) है |
#-धारानगरी में सरस्वती मां का मंदिर राजा भोज ने ही बनवाया था | जिससे ज्ञात होता है की वह विद्या प्रेमी था |
#- भोपाल नगर की स्थापना राजा भोज ने अपने राज्य की सीमओं की रक्षा के लिए की ,यही पर एक विशाल तालाब का भी निर्माण कराया |
#-सोलंकी राजा भीम के सहयोग से गजनवी द्वारा लुटे गये सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया |
#- भर्तृहरि की गुफाओं का निर्माण उज्जैन के पास परमार वंश के शसकों ने राजा भर्तृहरि की याद में ग्यारहवीं शताब्दी में कराया था | इसमें रंगीन भित्तिचित्र है |
#- राजा भोज के जीवित रहने पर कहा जाता था, कि राजा भोज के साथ साथ ही , माँ सरस्वती को सदा यहा पर आश्रय प्राप्त होता है , यहाँ पर सदेव सदाचार व्याप्त है !
किन्तु राजा भोज के निधन के पश्चात , धर नगरी को , निराधार कहा जाने लगा था !
# परमार वंश का अंतिम राजा , "महलक देव "था !जिसे 1305 ईसवी में अलाउद्दीन खिलज़ी ने हराकर मार डाला था !
इसी के बाद मालवा भी दिल्ली सल्तनत का एक भाग बन गया था !
##चंदेल शाशक ##-
//**-चंदेल शाशक आरम्भ में , प्रतिहारों के सामंत थे , प्रतिहार सामंत के निर्वल अथवा कमजोर पड़ने के बाद , चंदेलों ने अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी थी !
**--चन्देल वंश का संस्थापक नानुक था !
==* चंदेलों की , सर्वप्रथम राजधानी खजुराहो थी ! जिसके बाद यह महोबा स्थानांतरित करके ले गये !
-//** चंदेलों को ही चन्द्रवंशी क्षत्रिय कहा जाता था !
==**//** प्रथ्वी राज चौहान से लोहा लेने वाले आल्हा - उदल - चन्देल नरेश परमर्दिदेव , के सेनापति थे !
# ओरछा में बुंदेला राजाओं द्वारा निर्मित छत्रिया#
b- जल - गर्तिका - (Photholes)-: नदियों के प्रवाह मार्ग में - जल - दाब एवं घर्षण क्रिया - से गर्तों का विकास होता है !, छोटे - छोटे गर्तों को , जल् - गर्तिका कहा जाता है !जिसका आकार बडने पर , अवनमन - कुंढ विकसित होता है !
C - जल - प्रपात (Water - Falls ):- नदियों के प्रवाह मार्ग में - चट्टानों के अपरदन - के कारण नदी का जल ऊँचे - स्थल - खंड से - निम्न - स्थल खंड - पर प्रवाहित होता है , ऐसे स्थलरुप पर जल का प्रवाहित होना , जल - प्रपात के अंतर्गत आता है !
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Science
द्रव्य :-
वह वस्तु जो स्थान घेरती है , जिनमे द्रव्यमान होता है , तथा जिनका अनुभव प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से किया जा सकना सम्भव हो , ऐसी वस्तुएं द्रव्य के अंतर्गत आती है !
जैसे : - लोहा -, पत्थर ,- सोना -, वायु -आदि !
Physics : - द्रव्य की संरचनाओं तथा उनमे होने वाली क्रियाओं के वैज्ञानिक अध्यन क भौतिक विज्ञान कहते है !
अनेक भौतिक शास्त्री प्रकाश को भी - द्रव्य का एक स्वरुप मानते है !
#मापन #
ऐसी राशियाँ जिनका मापन सम्भव हो , उसे भौतिक राशि कहते है , !
#किसी भी भौतिक राशी को व्यक्त करने के लिए , कम से कम आंकिक मान , एवं मात्रक की आवश्यकता होती है !
#किसी भी भौतिक राशि को ,व्यक्त करने के लिए , जिस मान का उपयोग करते है , उसे मात्रक कहा जाता है !
#मात्रक दो प्रकार के होते है !
# 1 .मूल मात्रक :
2. व्युत्पन्न मात्रक :
# SI पद्धति में मूल मात्रकों की संख्या सात है !
#मूल राशियों को व्यक्त करने के लिए , किसी अन्य राशि की सहयता नहीं ली जाती है , जबकि व्युत्पन्न रशिओं को , मूल राशियों की सहायता से व्यक्त किया जाता है !
*इसी नियम के अनुसार " किसी वस्तु अथवा पिंड के संवेग परिवर्तन की दर उस पर आरोपित वल के अनुक्रमानुपति होता है !
**** त्रितिये नियम :-प्रत्येक क्रिया के विपरीत प्रतिक्रया :-न्यूटन के इस नियम के अनुसार प्रत्येक क्रिया के बराबर विपरीत प्रतिक्रिया होती है !
@@@ द्विविमिय गति :- द्विविमिये गति को , वक्र रेखीय -एवं समतल गति के नाम से भी जाना जाता है !
@द्विविमिय गति में पिंड का वेग एवं त्वरण भिन्न - भिन्न होता है !
@ प्रक्षेप्य गति एवं एक समान वृत्तिय गति - द्विविमीय गति के ही उदाहरन है !
# Projectile Motion:-इस गति में पिंड को उर्ध्वाधर दिशा से भिन्न किसी अन्य दिशा में प्रथ्वी की सतह से उपर फेंका जाता है , इसी फेंके हुए पिंड को प्रक्षेप्य कहा जाता है !
* इस गति में पिंड का पथ प्र्वल्याकार होता है !
@पिंड के पथ के पूर्ण परवल्याकार होने के लिए वायु का प्रतिरोध शून्य तथा गुरुत्वीय त्वरण का मान अचर रहना चाहिय !
@ कोई भी प्रक्षेप्य जितने समय तक वायु में रहता है , उसे उसका उड्डयन काल काहा जाता है , !
@किसी प्रक्षेप्य का उड्डयन काल (T)= 2vsin8/g होता है !
यहाँ v= प्रक्षेप्य की गति
8= प्रक्षेप्य के द्वारा क्षितिज के साथ बनाया- गया कोण
g= गुरुत्वीय त्वरण है !
@एक समान वृत्तिय गति :-किसी वृत्तिय पथ पर एक समान गति करते हुए पिंड की चाल नियत रहती है , जबकि उसका वेग प्रत्येक बिंदु पर , परिवर्तित होता रहता है !
#वृत्त पर गति करते हुए पिंड पर दो वल कार्य करते है , एक वल वृत्त के केंद्र की ओर लगता है , जबकि दूसरा वल वृत्त के केंद्र के वाहर लगता है !अंदर लगने वाला वल "अभिकेन्द्रीय वल "कहलाता है !
जबकि बाहर लगने वाला वल "अपकेन्द्रिय "वल कहलाता है !
# यदि पिंड संतुलन की स्थिति में होता है , तो अभिकेन्द्रीय वल का मान 'अप्केंद्रिये "वल के मान के बराबर होता है !
@ वल (f) = mv2/r
यहाँ पर m - पिंड का द्रव्यमान
v= पिंड का वेग
r पथ की त्रिज्या है !
विशेष -: ग्रहों एवं उपग्रहों में अभिकेन्द्रीय वल गुरुत्वाकर्षण वल के द्वारा प्राप्त होता है !
@ अपकेन्द्र वल : यह एक छद्म वल होता है , अजड़त्व फ्रेम में न्यूटन ,के नियमों को लागु करनेके लिय इस वल की कल्पना की गई , तथा यह वल पर्यवेक्षक की स्थिति पर निर्भर करता है ,इस वल की दिशा अभिकेन्द्रीय वल के विपरीत होती है !
@विशेष :-दूध से मक्खन अलग करने वाली मशीन ,मथानी , -, वाशिंग - मशीन का अपकेन्द्र शोषक अपकेन्द्र वल के , सिद्धांत पर ही कार्य सम्पादित करते है !
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Original Content provided
#** परमारों ने मध्य भारत में 1305 तक शाशन किया , यही से अलाउद्दीन खिलज़ी द्वारा परमार राज्य को ,दिल्ली सल्तनत में मिला लिया गया था !
#- परमारों को ही , अग्निवंशी "क्षत्रिय माना गया है !
#-सिमुक ,मुंज ,सिन्धुराज , भोज आदि परमार वंश के प्रमुख शासक थे |
#-परमार वंश का सबसे प्रसिद्द राजा भोज था ,राजा भोज ने 1010 से 1060 ई. तक शासन किया ,राजा भोज बहुमुखी प्रतिभा का धनी था |उसने अनेको ग्रंथों की रचना की | उसकी प्रमुख रचनाएँ (1) पतंजलि के योगसूत्र पर टीका, (2)सरस्वती कंठाभरण, (3) तत्वप्रकाश , (4) राजमार्तंड, (5) समरांगनसूत्रधार (यह वास्तुकला का अदभुत ग्रन्थ ) है |
#-धारानगरी में सरस्वती मां का मंदिर राजा भोज ने ही बनवाया था | जिससे ज्ञात होता है की वह विद्या प्रेमी था |
#- भोपाल नगर की स्थापना राजा भोज ने अपने राज्य की सीमओं की रक्षा के लिए की ,यही पर एक विशाल तालाब का भी निर्माण कराया |
#-सोलंकी राजा भीम के सहयोग से गजनवी द्वारा लुटे गये सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण कराया |
#- भर्तृहरि की गुफाओं का निर्माण उज्जैन के पास परमार वंश के शसकों ने राजा भर्तृहरि की याद में ग्यारहवीं शताब्दी में कराया था | इसमें रंगीन भित्तिचित्र है |
#- राजा भोज के जीवित रहने पर कहा जाता था, कि राजा भोज के साथ साथ ही , माँ सरस्वती को सदा यहा पर आश्रय प्राप्त होता है , यहाँ पर सदेव सदाचार व्याप्त है !
किन्तु राजा भोज के निधन के पश्चात , धर नगरी को , निराधार कहा जाने लगा था !
# परमार वंश का अंतिम राजा , "महलक देव "था !जिसे 1305 ईसवी में अलाउद्दीन खिलज़ी ने हराकर मार डाला था !
इसी के बाद मालवा भी दिल्ली सल्तनत का एक भाग बन गया था !
##चंदेल शाशक ##-
//**-चंदेल शाशक आरम्भ में , प्रतिहारों के सामंत थे , प्रतिहार सामंत के निर्वल अथवा कमजोर पड़ने के बाद , चंदेलों ने अपनी स्वतंत्रता घोषित कर दी थी !
**--चन्देल वंश का संस्थापक नानुक था !
==* चंदेलों की , सर्वप्रथम राजधानी खजुराहो थी ! जिसके बाद यह महोबा स्थानांतरित करके ले गये !
-//** चंदेलों को ही चन्द्रवंशी क्षत्रिय कहा जाता था !
==**//** प्रथ्वी राज चौहान से लोहा लेने वाले आल्हा - उदल - चन्देल नरेश परमर्दिदेव , के सेनापति थे !
2 @ आधुनिक काल #-
मल्हार राव होल्कर इंदौर में मराठो के होलकर वंश के संस्थपक थे !
//* 1767 से 1795 तक , राजमाता अहिल्या बाई ने "महिष्मती " महेश्वर को अपनी राजधानी बनाकर शाशन किया
//* 3 जून 1857 को , मध्य प्रदेश में 1857 की क्रांति का पहला उद्घोष , मध्यप्रदेश के "नीमच " से हुआ था !
**// ग्वालियर के सिंधियां वंश के संस्थापक , राणा जी राव शिंदे थे !
** ग्वालियर राजघराने पर सिंधिया राजवंश ने - 1947 तक शाशन किया !
** 1947 में जीवाजी राव सिंधिया ने , सिंधिया राजघराने का विलय - भारत सरकार के अधीन कर दिया था !
** राज माता विजया राजे सिंधिया का जन्म (1919- 2001) सागर में हुआ था !
** राजमाता विजयाराजे का विवाह ग्वालियर के महाराजा जीवाजी राव सिंधिया के साथ हुआ था !
** राज माता विजयाराजे सिंधिया संसद के दोनों सदनों में नियुक्त एक स्वतंत्र राजनेत्री थी !
** प्रसिद्द लेखिका मृदुला सिन्हा ने राजमाता ,विजयाराजे के ऊपर उनकी जीवनी भी लिखी थी जिसका शीर्षक " एक रानी ऐसी भी "था !
## 1821 में नरसिंहगढ़ के कुंवर चैनसिंह ने सीहोर के ब्रिटिश एजेंट मेडाक का विरोध किया , स्वतंत्रता संग्राम में मध्यप्रदेश का प्रथम शहीद कहा जाता है |
## ग्वालियर के सैनिको ने 1857 की क्रांति में विद्रोहियों का साथ दिया |
## झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई को भारत के जॉन ऑफ़ आर्क की संज्ञा दी गयी है|
## महाराष्ट्र के सतारा जिले में रानी लक्ष्मीबाई का जन्म हुआ था ,महराजा गंगाधर राव के साथ इनका विवाह हुआ था | 1853 में इनके पति की म्रत्यु हो गयी |
## इनका बचपन का नाम मनु था | इन्होंने अपने दत्तक पुत्र गंगाधर राव की संरक्षिका के रूप में शासन किया\
## तात्या टोपे की सहायता से 1857 की क्रांति के समय रानी लक्ष्मीबाई ने ग्वालियर पर अधिकार कर लिया | लेकिन 18 जून 1858 को अंग्रेजो से लड़ते हुए शहीद हो गयी | उनकी शहादत पर ह्यूरोज ने लिखा है -" अंग्रेजो की जीत हुई किन्तु गौरव रानी को मिला |
## बाबा गंगादास बाग में रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी अंतिम साँस ली | श्री मति सुभद्राकुमारी चौहान ने उनकी वीरता का बखान करते हुए प्रसिद्ध कविता "खूब लड़ी मर्दानी ,वह तो झाँसी वाली रानी थी " लिखी थी |
## रानी लक्ष्मी बाई की प्रमुख सहेली झलकारी बाई थी |
## नाना साहेब के सबसे अभिन्न मित्र थे तात्या टोपे | तात्या टोपे का वास्तविक नाम रामचन्द्र पांडुरंग टोपे था | रानी लक्ष्मीबाई की म्रत्यु के पश्चात् इन्होनें गुरिल्ला प्रणाली से अंग्रेजो से लड़ाई लड़ी | धोखे से एक मित्र ने पकडवा दिया , शिवपुरी में 18 अप्रेल 1857 को फंसी दे दी गयी |
## नाना साहेब के संदेशवाहक के रूप में ग्वालियर के महादेव शास्त्री ने काम किया | भीलों ने अंग्रेजों के प्रति भीमा नायक और खाज्य नायक के नेतृत्व में मालवा और निमाड़ में विद्रोह किया |
## रामगढ राज्य की रानी अवंतिबाई थी | इन्होने डलहौजी की हड़प नीति का विरोध किया | पकडे जाने से पहले उन्होंने अपने पेट में तलवार मारकर प्राण त्याग कर दिए |
## सेठ गोविन्ददास के साथ मिलकर जबलपुर जिले में असहयोग आन्दोलन किया गया |
## मध्यप्रदेश का जलियांवाला बाग कांड छतरपुर जिले के चरणपादुका नामक स्थान पर हुआ था , मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी 1931 को पुलिस ने गोली चला कर अनेकों लोगों को मार दिया था | इसलिए इसे मध्यप्रदेश का जलियांवाला बाग़ कहा जाता है |
## जंगल सत्याग्रह सिवनी और घोडा डोंगरी में 1930 को हुआ था|
## 1821 में नरसिंहगढ़ के कुंवर चैनसिंह ने सीहोर के ब्रिटिश एजेंट मेडाक का विरोध किया , स्वतंत्रता संग्राम में मध्यप्रदेश का प्रथम शहीद कहा जाता है |
## ग्वालियर के सैनिको ने 1857 की क्रांति में विद्रोहियों का साथ दिया |
## झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई को भारत के जॉन ऑफ़ आर्क की संज्ञा दी गयी है|
## महाराष्ट्र के सतारा जिले में रानी लक्ष्मीबाई का जन्म हुआ था ,महराजा गंगाधर राव के साथ इनका विवाह हुआ था | 1853 में इनके पति की म्रत्यु हो गयी |
## इनका बचपन का नाम मनु था | इन्होंने अपने दत्तक पुत्र गंगाधर राव की संरक्षिका के रूप में शासन किया\
## तात्या टोपे की सहायता से 1857 की क्रांति के समय रानी लक्ष्मीबाई ने ग्वालियर पर अधिकार कर लिया | लेकिन 18 जून 1858 को अंग्रेजो से लड़ते हुए शहीद हो गयी | उनकी शहादत पर ह्यूरोज ने लिखा है -" अंग्रेजो की जीत हुई किन्तु गौरव रानी को मिला |
## बाबा गंगादास बाग में रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी अंतिम साँस ली | श्री मति सुभद्राकुमारी चौहान ने उनकी वीरता का बखान करते हुए प्रसिद्ध कविता "खूब लड़ी मर्दानी ,वह तो झाँसी वाली रानी थी " लिखी थी |
## रानी लक्ष्मी बाई की प्रमुख सहेली झलकारी बाई थी |
## नाना साहेब के सबसे अभिन्न मित्र थे तात्या टोपे | तात्या टोपे का वास्तविक नाम रामचन्द्र पांडुरंग टोपे था | रानी लक्ष्मीबाई की म्रत्यु के पश्चात् इन्होनें गुरिल्ला प्रणाली से अंग्रेजो से लड़ाई लड़ी | धोखे से एक मित्र ने पकडवा दिया , शिवपुरी में 18 अप्रेल 1857 को फंसी दे दी गयी |
## नाना साहेब के संदेशवाहक के रूप में ग्वालियर के महादेव शास्त्री ने काम किया | भीलों ने अंग्रेजों के प्रति भीमा नायक और खाज्य नायक के नेतृत्व में मालवा और निमाड़ में विद्रोह किया |
## रामगढ राज्य की रानी अवंतिबाई थी | इन्होने डलहौजी की हड़प नीति का विरोध किया | पकडे जाने से पहले उन्होंने अपने पेट में तलवार मारकर प्राण त्याग कर दिए |
## सेठ गोविन्ददास के साथ मिलकर जबलपुर जिले में असहयोग आन्दोलन किया गया |
## मध्यप्रदेश का जलियांवाला बाग कांड छतरपुर जिले के चरणपादुका नामक स्थान पर हुआ था , मकर संक्रांति के दिन 14 जनवरी 1931 को पुलिस ने गोली चला कर अनेकों लोगों को मार दिया था | इसलिए इसे मध्यप्रदेश का जलियांवाला बाग़ कहा जाता है |
## जंगल सत्याग्रह सिवनी और घोडा डोंगरी में 1930 को हुआ था|
3 @# मध्य काल #
##- दिल्ली सल्तनत के विघटन के बाद , मध्यप्रदेश में कई , क्षेत्रीय राज्यों का उदय हुआ था ,जैसे मालवा - ग्वालियर , खानदेश इत्यादि !
# मालवा सल्तनत की स्थापना "दिलावर खान गौरी "ने 1392ई . में की थी !
# होशंगशाह ने धार के स्थान पर अपनी राजधानी मांडू को बनाया था , होशंगशाह , दिलावर खा का उत्तराधिकारी यही ,होशंगशाह था ,जिसका वास्तविक नाम "अल्प' खा था !इसने होशंगशाह की उपाधि धारण की थी , इसी ने "होशंगावाद" नगर की स्थापना भी की थी !
*** मांडू को शादियावाद भी कहा जाता था !जिसका अर्थ "आनद की नगरी (The City of Joy)होता है !
** सन 1561 में बाजबहादुर को हराकर अकबर ने , मालवा पर अधिकार कर लिया था , एवं उसे मुग़ल साम्राज्य का एक सूबा बना दिया ! बाजबहादुर मालवा का शाशक सन 1555 ई .में बना था !
## रानी रूपमती के साथ बाज्बह्दुर की कई प्रेम कथाएं प्रचलित है !
##खान देश राज्य ताप्ति नदी की घाटी में स्थित था , जो दिल्ली सल्तनत का ही एक प्रान्त था !
##- मलिक रजा फरुकी " खान देश के स्वतंत्र राज्य का संस्थापक था !
# मलिक राजा फारुकी के वंश को ही , फारुकी वंश कहा जाता था !
# फारुकी वंश का अंतिम शाशक , आदिल खान त्रितिय था !
#1601 ईसवी में , अकबर ने खान देश को - , मुग़ल साम्राज्य में मिला लिया था !
# ग्वालियर में तोमर वंश ने , 1486 - 1526 ई . तक शाशन किया , इस वंश का सबसे प्रमुख शाशक , मानसिंह तोमर था !
# कुछ लोगो के अनुसार तोमर वंश के लोगो को पांडवों का वंशज़ मानाजाता है !
राजा मानसिंह एक महान , स्थापत्यकार , प्रेमी ,व् संगीतज्ञ, मन जाता है , ग्वालियर की प्रसिद्द मोती झील का निर्माण - मान सिंह के द्वारा ही किया गया था !
## " गुजरी - रानी ," म्रग्नयानी ",, अर्थात अपनी गुजरी रानी , म्रग्नयनी के लिए , गुजरी महल का निर्माण करवाया था !
## विक्रमादित्य तोमर तोमर वंश का अंतिम शाशक था !जो 1526 ई . के पानी पत के प्रथम युद्ध में मारा गया था !
## मोहम्मद गॉस " का सम्वन्ध ग्वालियर से ही था , हुमायूँ व् अकबर उनके शिष्य थे व् , बाबर भी उनका सम्मान करता था !
## उनका ग्वालियर में स्थित मकबरा - अकबर के शाशन काल में निर्मित हुआ था !
## गौंड राज्य नर्मदा नदी की घटी में स्थित राज्य था !
==# मुग़ल काल के दौरान , जब आधे से ज्यादा मध्यप्रदेश , मुग़ल साम्राज्य के अधीन आ गया तब भी , महा कौशल एवं गोडवाना अपनी स्वतंत्रता बनाये हुए थे !
=## मुग़ल सेनापति आसफ खा ने (1524- 1564 ) को , गोंड रानी दुर्गावती पर आक्रमण किया , युद्ध में घायल होने पर रानी ने स्वयं की कतार घोंप कर आत्महत्या कर ली थी !
## ओरछा आज वर्तमान में निवाड़ी जिला के अधीन , एक पर्यटन एवं आस्था का केंद्र है , पूर्व में ओरछा बुंदेला राजाओं की राजधानी थी , जो की बेतवा नदी के किनारे स्थित है , ओरछा " से पूर्व - बुन्देलाओं की राजधानी गद्कुंधार थी , किन्तु 1531 में इसे ओरछा स्थानांतरित कर दिया गया था !
## रानी रूपमती के साथ बाज्बह्दुर की कई प्रेम कथाएं प्रचलित है !
##खान देश राज्य ताप्ति नदी की घाटी में स्थित था , जो दिल्ली सल्तनत का ही एक प्रान्त था !
##- मलिक रजा फरुकी " खान देश के स्वतंत्र राज्य का संस्थापक था !
# मलिक राजा फारुकी के वंश को ही , फारुकी वंश कहा जाता था !
# फारुकी वंश का अंतिम शाशक , आदिल खान त्रितिय था !
#1601 ईसवी में , अकबर ने खान देश को - , मुग़ल साम्राज्य में मिला लिया था !
# ग्वालियर में तोमर वंश ने , 1486 - 1526 ई . तक शाशन किया , इस वंश का सबसे प्रमुख शाशक , मानसिंह तोमर था !
# कुछ लोगो के अनुसार तोमर वंश के लोगो को पांडवों का वंशज़ मानाजाता है !
राजा मानसिंह एक महान , स्थापत्यकार , प्रेमी ,व् संगीतज्ञ, मन जाता है , ग्वालियर की प्रसिद्द मोती झील का निर्माण - मान सिंह के द्वारा ही किया गया था !
## " गुजरी - रानी ," म्रग्नयानी ",, अर्थात अपनी गुजरी रानी , म्रग्नयनी के लिए , गुजरी महल का निर्माण करवाया था !
## विक्रमादित्य तोमर तोमर वंश का अंतिम शाशक था !जो 1526 ई . के पानी पत के प्रथम युद्ध में मारा गया था !
## मोहम्मद गॉस " का सम्वन्ध ग्वालियर से ही था , हुमायूँ व् अकबर उनके शिष्य थे व् , बाबर भी उनका सम्मान करता था !
## उनका ग्वालियर में स्थित मकबरा - अकबर के शाशन काल में निर्मित हुआ था !
## गौंड राज्य नर्मदा नदी की घटी में स्थित राज्य था !
==# मुग़ल काल के दौरान , जब आधे से ज्यादा मध्यप्रदेश , मुग़ल साम्राज्य के अधीन आ गया तब भी , महा कौशल एवं गोडवाना अपनी स्वतंत्रता बनाये हुए थे !
=## मुग़ल सेनापति आसफ खा ने (1524- 1564 ) को , गोंड रानी दुर्गावती पर आक्रमण किया , युद्ध में घायल होने पर रानी ने स्वयं की कतार घोंप कर आत्महत्या कर ली थी !
## ओरछा आज वर्तमान में निवाड़ी जिला के अधीन , एक पर्यटन एवं आस्था का केंद्र है , पूर्व में ओरछा बुंदेला राजाओं की राजधानी थी , जो की बेतवा नदी के किनारे स्थित है , ओरछा " से पूर्व - बुन्देलाओं की राजधानी गद्कुंधार थी , किन्तु 1531 में इसे ओरछा स्थानांतरित कर दिया गया था !
# ओरछा में बुंदेला राजाओं द्वारा निर्मित छत्रिया#
# भारत का इतिहास -
# प्राचीन भारत #
जैसा की ज्ञात है , की प्राचीन भारत के इतिहास को इतिहास शाआस्त्रिओं के अनुसार - सामान्य रूप से तीन कालखंडों में विभाजित किया गया है :
1. प्रागैतिहासिक काल :
2.आद्य -एतिहासिक काल :
3.पूर्ण ऐतिहासिक काल :
" वैदिक सभ्यता "
सिन्धु सभ्यता के पश्चात वैदिक सभ्यता को भारतीय संस्कृति का आधार माना जाता है , भारतीय इतिहास में 1500ईसा .पूर्व से 600ईसा पूर्व तक , के कालखंड को -वैदिक सभ्यता की , संज्ञा दी जाती है , !
वैदिक सभ्यता को भी दो भागों में विभक्त कर प्रस्तुत किया जाता है - 1500ईसा पूर्व से 1000ईसा पूर्व तक , के कालखंड को ऋग्वैदिक सभ्यता की संज्ञा दी जाती है !तथा 1000ईसा पूर्व .से 600ईसा पूर्व तक के कालखंड को "उत्तरवैदिक सभ्यता "के रूप में जाना जाता है , वैदिक शब्द की उत्पत्ति "वेद"अथवा "ज्ञान "से हुई है इस सभ्यता और संस्कृति के निर्माताओं को , ऋग्वेद "में "आर्य "कहा गया है !
#प्राचीन भारतीय धर्म एवं धर्म दर्शन :#
प्राचीन भारतीय इतिहास का अध्यन -जहाँ भारतीय सभ्यता और संस्कृति के विभिन्न कालखंडों के विकासक्रम पर प्रकाश डालता है , वही , विभिन्न धार्मिक आंदोलनों व् धर्मों के उद्भव को भी प्रमाणिकता प्रदान करता है !
वस्तुत:ईसा पूर्व छठी शताब्दी केवल भारत के लिए ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व के लिए - एक बड़ी क्रान्ति , परिवर्तनों की शताब्दी थी , सम्वन्धित कालखंड प्रबुद्ध दार्शनिक विचारों एवं सत्य के अनुसंधान का युग था !यही वो काल था जब भारत में गंगा की पवित्र मध्य घाटी में प्रमुख दो धर्मों बौद्ध धर्म एवं जैन धर्म का उद्भ भव हुआ था !
"महाजन पद युग "
छठी सदी ईसा पूर्व में व्यापार की प्रगति ,लोहे का व्यापक प्रयोग ,मुद्रा का प्रचलन और नगरों के उत्थान ने बौद्धिक आंदोलनों के रूप में जहा एक ओर सामाजिक एवं धार्मिक क्षेत्र में क्रांतिकारी प्रयोग एवं परिवर्तन किये -वही उन्ही परिस्थितियों ने , राजनैतिक व्यवस्था , में भी युगांतकारी परिवर्तन किये , !
उत्तर वैदिक काल के जनपद जो की अब महाजनपदों में परिवर्तित हो गये , जहा तक महाजनपदों की संख्या का प्रश्न है , विभिन्न ग्रन्थों में इसकी , अलग - अलग संख्याये मिलती है , बौद्ध ग्रन्थ " अन्ग्युत्तर निकाय "के अनुसार 16 महाजनपद ही , अस्तित्व में थे , इस ग्रन्थ में संदर्भित महाजनपदों में सर्वाधिक शक्तिशाली "मगध "है !यह हर्यक वंश के शाशक के साथ प्रभाव में आया था !इसके पश्चात नन्द वंश तक मगध ने अपनी साम्राज्यवादी नीति के तहत प्रायःसमस्त उत्तर भारत पर अपना अधिपत्य स्थापित कर लिया था !
मौर्यकाल तक "मगध "सामराज्य अपराज्येय, स्थाई , और सुद्रड शाशन के रूप में स्थापित हो चूका था !
प्राचीन भारत धर्म एवं इतिहास :
# निम्न मध्य - गंगा घाटी में कुल 62 धार्मिक सम्प्रदायों का उदय हुआ था ,इन्ही में से एक प्रमुख धर्म "बौद्ध "भी था ,!बौद्ध धर्म ही पहला एसा धर्म था ,जिसने ब्रह्मंण बाद के समक्ष चुनौती प्रस्तुत की थी !
# गौतम बुद्ध का जन्म लगभग ५६३ ईसा पूर्व - कपिल वस्तु के समीप -"लुम्विनी" नामक स्थान पर हुआ था !
#गौतम बुद्ध के पिटा "सुद्धोधंन शाक्य गण के मुखिया थे !उनकी माता " माया " का सम्वन्ध " कौशल गणराज्य " से था !
#गौतम बुद्ध के जन्म के कुछ ही दिनों पश्चात ,उनकी माता "माया "का देहांत हो गया था !
#गौतम बुद्ध की माँ के देहांत के पश्चात गौतम का पालन - पोषण उनकी "मौसी " प्रजापति गौतमी " ने किया था !
#गौतम बुद्ध का प्रारम्भिक सांसारिक जीवन सुख - सुविधाओं से पूर्ण एबम वैभव शाली तरीके से व्यतीत हुआ था !
#गौतम बुद्ध ने 29वर्ष की अवस्था में पत्नी "यशोधरा " एवं पुत्र "राहुल " को छोड़ गृह त्याग कर सन्यासी जीवन में प्रवेश किया था !
#गौतम बुद्ध का गृह -त्याग करना "बौद्ध - साहित्य में " महाभिनिश्क्रिम्र्ण " कहलाता है !
#गौतम बुद्ध से सम्वन्धित छार द्रश्यों में क्रमशः चार द्रश्य - वृद्ध व्यक्ति को देखना -, रोगी को देखना -, मृतक को देखना -, तथा सन्यासी को देखना शामिल है !
#"घोड़े " को बौद्ध धर्म का प्रतीक माना जाता है !
#बुद्ध के घोड़े का नाम "क्न्थ्क "एवं सारथि का नाम "चन्ना "था !
# निम्न मध्य - गंगा घाटी में कुल 62 धार्मिक सम्प्रदायों का उदय हुआ था ,इन्ही में से एक प्रमुख धर्म "बौद्ध "भी था ,!बौद्ध धर्म ही पहला एसा धर्म था ,जिसने ब्रह्मंण बाद के समक्ष चुनौती प्रस्तुत की थी !
# गौतम बुद्ध का जन्म लगभग ५६३ ईसा पूर्व - कपिल वस्तु के समीप -"लुम्विनी" नामक स्थान पर हुआ था !
#गौतम बुद्ध के पिटा "सुद्धोधंन शाक्य गण के मुखिया थे !उनकी माता " माया " का सम्वन्ध " कौशल गणराज्य " से था !
#गौतम बुद्ध के जन्म के कुछ ही दिनों पश्चात ,उनकी माता "माया "का देहांत हो गया था !
#गौतम बुद्ध की माँ के देहांत के पश्चात गौतम का पालन - पोषण उनकी "मौसी " प्रजापति गौतमी " ने किया था !
#गौतम बुद्ध का प्रारम्भिक सांसारिक जीवन सुख - सुविधाओं से पूर्ण एबम वैभव शाली तरीके से व्यतीत हुआ था !
#गौतम बुद्ध ने 29वर्ष की अवस्था में पत्नी "यशोधरा " एवं पुत्र "राहुल " को छोड़ गृह त्याग कर सन्यासी जीवन में प्रवेश किया था !
#गौतम बुद्ध का गृह -त्याग करना "बौद्ध - साहित्य में " महाभिनिश्क्रिम्र्ण " कहलाता है !
#गौतम बुद्ध से सम्वन्धित छार द्रश्यों में क्रमशः चार द्रश्य - वृद्ध व्यक्ति को देखना -, रोगी को देखना -, मृतक को देखना -, तथा सन्यासी को देखना शामिल है !
#"घोड़े " को बौद्ध धर्म का प्रतीक माना जाता है !
#बुद्ध के घोड़े का नाम "क्न्थ्क "एवं सारथि का नाम "चन्ना "था !
# 2 * मध्य कालीन भारत का इतिहास :
- दिल्ली सल्तनत :- तेरहवीं शताब्दी के आरम्भ में तुर्कों के द्वारा भारत विजय के पश्चात "दिल्ली सल्तनत"या तुर्की राज्य की स्थापना हुई !1206 से 1526 तक का काल दिल्ली सल्तनत का काल कहा जाता है , इस काल के दौरान भारत में शासन करने वाले मुसलमान विभिन्न नामों से जाने जाते है !दिल्ली सल्तनत के अंतर्गत सबसे पहले "गुलाम वंश "ने शासन किया !
"गुलाम वंश "
-दिल्ली सल्तनत के अंतर्गत सबसे पहले गुलाम वंश की स्थापना हुई !गुलाम वंश या "मम्लूक वंश"की स्थापना कुतुब्बुद्दीन ऐबक ने की थी !
-कुतुबुद्दीन ऐबक -(1206 से 1210 ईसा०)
-कुतुबुद्दीन ऐबक -(1206 से 1210 ईसा०)
कुतुब्बुद्दीन ऐबक मोहम्मद गौरी के गुलामों में सबसे योग्य था !------- कुतुब्बुद्दीन "ऐबक " नामक "तुर्क "जनजाति का सदस्य था !
-युवावस्था में ही कुतुब्बुद्दीन को "गजनी "ले जाकर बेच दिया गया !
- कुतुब्बुद्दीन को मोहम्मद गौरी ने ख़रीदा था !
- कुतुब्बुद्दीन के सैन्य गुणों के कारण मो ० गौरी ने कुतुब्बुद्दीन को अपने घुड़साल का प्रधान
(अमीर -ऐ -आखुर )बनाया !
- कुतुब्बुद्दीन को मोहम्मद गौरी ने ख़रीदा था !
- कुतुब्बुद्दीन के सैन्य गुणों के कारण मो ० गौरी ने कुतुब्बुद्दीन को अपने घुड़साल का प्रधान
(अमीर -ऐ -आखुर )बनाया !
# 3.आधुनिक भारत का इतिहास:
Modern History:-
# भारत का व्यापर मुख्य रूप से पाश्चात्य देशो से सम्वन्धित रहा है !
#यूरोपीय देशो से आने वाली कंपनियो के पूर्व भारत का व्यापार , यूरोपीय देशो के साथ फारस की खाड़ी एवं लाल सागर मार्ग के द्वारा किया जाता था !
#नये जितने भी राष्ट्र पाश्चात्य देशो से व्यापरिक सम्वन्ध स्थापित करना चाहते थे , उन सभी के लिए सबसे बड़ी कठिनाई इटली से थी !क्योकि प्राचीन जितने भी व्यापारिक मार्ग थे उन सभी मार्गों पर इटली का पूर्ण रूप से एकाधिकार था !
#भारत युरोपिय देशों को ,सूती कपड़ा , - नील - , मसाले -, औषधियां इत्यादि भेजता था !
#काली मिर्च की मांग यूरोपीय देशो में सबसे अधिक थी !
#युरोप में काली मिर्च की अत्यधिक मांग होने के कारण , यूरोपीय लोगों को "यवन -प्रिये " कहा जाता था !
#भारत में यूरोप से सर्वप्रथम पुर्तगाली आये थे !
----* भारत में "पुर्तों "का आगमन :- सर्वप्रथम संन 1487 में भारत आने का अभियान प्रारम्भ किया गया !इस अभियान की शरुआत करने वाला नाविक "बार्थोलोमोडीयाज "था !
# "बार्थोलोमोडीयाज "उत्तमाशा अंतरीप से वापिस पुर्तगाल लौट गया था !
#एक गुजराती मार्गदर्शक जिसका नाम " अब्दुल मनीद " के सानिद्ध्य में संन 1498ईसा .में , केरल के "कालीकट " बन्दरगाह पर उतरा !
#केरल का कालीकट बन्दर गाह "मालाबार क्षेत्र "में स्थित है !
#1505ईसा .में "फ्रांसिस्को -डी -अल्मीडा " एवं सन 1509 ईसा .में" अलबुकर्क " पुर्तगाली गवर्नर बनकर भारत आये थे !
# भारत पुर्तगाली साम्राज्य को स्थापित करने में "अलबुकर्क "की महत्त्व पूर्ण भूमिका थी !
#अलबुकर्क ने कोचीन को अपना मुख्यालय बनाया एवं 1510ई .में बीजापुर के शाशक युसूफ आदिल शाह से गोवा बन्दरगाह "छीन लिया था !
#सन 1530ईसा में कोचीन के स्थान पर गोवा को समस्त गतिविधियों का केंद्र बनाया गया था !
# "नीनो -डी - कुन्हा "ने सन 1530ई .में ही , बहादुर शाह से दीव , तथा बेसिन ले लिया था !
#बहादुर शाह गुजरात का शासक था !
Remember:-(स्मरणीय )
* सन 1505 ई .में प्रथम पुर्तगाली गवर्नर "फ्रांसिस्को -डी -अल्मीडा "द्वारा लागू की गई नीति " ब्लू वाटर पालिसी "अथवा "शांत जल नीति "कहलाती है !
** पुर्तगालियों ने सन 1661ई .में बम्बई शहर अंग्रेजों को दहेज़ में दे दिया था !
* भारत में सबसे पहले आने वाले एवं सबसे बाद में जाने वाले "पुर्तगाली "ही थे !
** पुर्तगाली भारत से सन 1961ई .में , "गोवा "के अधिग्रहण के पश्चात् भारत छोडकर चले गये थे !
*भारत में "तंबाकू से अवगत कराने वाले "पुर्तगाली "ही थे !
** भारत में सर्वप्रथम "प्रिंटिंग -प्रेस ' लाने का श्रेय पुर्त्गालिओं को ही जाता है !
* पुर्त्गालिओं ने सन 1556ई .में श्री -लंका पर व्यापारिक - एकाधिकार जमाने में सफलता प्राप्त कर ली थी !
** 16वि शताव्दी में , लगभग एक शताब्दी के व्यापारिक एकाधिकार के बाद "पुर्त्गलिओ"का पतन हो गया !
** पुर्त्गालिओं के पतन के पश्चात सन 1602रई . में डच अथवा हॉलैंड बासी भारत में आय ,!
*डचों ने सभी प्रमुख डच कम्पनिओ को मिलाकर एक नइ कंपनी united East India Company Of Neiderland की स्थापना सन 1602ई.में की !
*डचों द्वारा बनी गई इसी कंपनी को , "veringde Oast Indse thee Company" के नाम से भी जाना जाता था !
*डचों ने पहली कम्पनी "मुसलीपट्टनम"में एवं दूसरी कम्पनी "नागपटनम "में सन 1605 ई .में की थी !
*1627 में डचों ने बंगाल में अपनी डच कम्पनी की स्थापना की थी !
*डचों ने सन 1659 ई .में हुगली (चिनसूरा )में अपनी कम्पनी स्थापित की थी !
*डचों के भारत आगमन के बाद से ही , भारत में पुर्त्गालिओं का ,व्यापारिक एकाधिकार समाप्त हो गया था !
" अंग्रेज़ो का भारत में आगमन "
*मर्चेंट adventures " के द्वारा सन 1599 ई में East India Company का गठन किया गया !
* मर्चेंट अद्वनचर "एक व्यापरियो का समूह था !
* सर्वप्रथम भारत में "हाकिंस " नामक अँगरेज़ ज़हाज़ का कप्तान बनकर भारत आया था !
*जिस जहाज़ से "हाकिंस " भारत आया था ,उस ज़हाज़ का नाम #Hactor# था !
*#हाकिंस # सन 1608ई . में भारत के सुरत में आया था !
# हाकिंस सर्वप्रथम जहांगीर के दरवार में पहुचा था ,!
#हाकिंस ने जहांगीर से फ़ारसी भाषा में बात की थी !
#हाकिंस को जहाँगीर ने 400 मनसब एवं इंग्लिश खान की उपाधि प्रदान की थी !
#अंग्रेजों ने सन 1611 में अपनी पहली factry मुस्ली पटनम में स्थापित की थी !
#"स्वज़िहाल "में अंग्रेजों ने , पुर्तगालियों को पराजित किया था !
#"स्वज़िहाल " गुजरात के सुरत के पास स्थित जगह का नाम है !(सन -1612)
#अंग्रेजों ने जाहांगीर से अनुमति लेकर ,पश्चिमी भारत में पहली तथा शेष भारत में दूसरी फैक्ट्री की स्थापना की !(सन -1613)
# टॉमस रो " जो व्रिटिश सम्राट "James 1st का दूत था ,जहाँगीर के दरवार में आया था ,एवं कंपनी को कई और रियायते जारी करवाने में सफल रहा था !(सन -1615)
#अंग्रेजों ने उडीसा के "बालासौर एवं हरिपुरा में "अपनी फक्ट्रियाँ स्थापित की ,!(सन -1632-33)
#पुर्तगालियों से दहेज़ में प्राप्त बम्बई को ब्रिटिश युवराज चार्ल्स सेकंड ने 10पौंड वार्षिक के बदले कम्पनी को प्रदान कर दिया था !(सन - 1661)
#जॉन सुर्मंन का एक शिष्ट मंडल मुगल सम्राट फरूखसियर के दरवार में आया था , !(सन 1717_)
#फरूखसियर " का इलाज़ इसी शिष्ट मंडल के एक सदस्य "विलिंयम हेमिल्टन "ने किया था !वह एक डॉक्टर था !
#फरूखसियर " ने खुश होकर कम्पनी के नाम एक आदेश जारी किया , जिसे कम्पनी का" मैग्नाकार्टा" या माहाधिकार - पत्र कहा जाता है !(सन -1717)
#अंग्रेजों द्वारा भारत में निर्माण कार्य #
@ अंग्रेजों ने 1611ईसवी में , मुस्लीपट्टनम में पहली फक्ट्री स्थापित की थी !यह आन्ध्र प्रदेश में था !
@ अंग्रेजों ने १६१३ में सूरत में फक्ट्री स्थापित की थी !
@1651में हुगली पश्चिम बंगाल में अँगरेज़ कोठी का निर्माण -
@ 1720 में चार्ल्स बून के द्वारा बम्बई के किले की किलेबंदी !
@फोर्ट विलींयम का पहला प्रेसिडेंट "चार्ल्स आइयेर "था !
DENIS COMPANY :IN INDIA(1616)
डेनिस कम्पनी का आगमन सन 1616में हुआ था !
@ सन 1620ईसवी में डेनिस कम्पनी की पहली फक्ट्री "ट्रावनकोर " में स्थापित की गई !जो की तंजौर जिले में आता था !
@तंजोर के बाद बंगाल के श्रीराम पुर में 1676 में एक और फेक्ट्री की स्थापना की गई !
@ डेनिस कम्पनी की समस्त गतिविधियों का मुख्य केंद्र श्रीराम पुर ही था !
@ डेनिस कम्पनि ने अंग्रेजों को अपनी भारतीय बस्तिया सन - 1845ईसवी में बेंच दी थी !
@डेनिस कम्पनी के भारत में असफल होने का मुख्य कारण उनका -व्यापार से अधिक धार्मिक -क्रियाकालापो में लिप्त होना था !
फ़्रांसीसी
** 1720- 1742 ई .के बीच पांडिचेरी के नये गवर्नर लुमेर और डयूमा थे !
*** भारत में सर्वप्रथम राजनीति के विस्तार के बारे में फ़्रांसिसी गवर्नर डूप्ले ने ही सोचा था !
** पहले आंग्ल - फ़्रांसिसी युद्ध के दौरान डुप्ले ने कर्नाटक के नवाब को पराजित किया था !
** सूरत -- 1668 में फ्रंसिस कैरो
**मछली पट्टनम --- मर्कारा द्वारा 1669
**पांडिचेरी ---- 1673-74ई .
**चन्द्रनगर ---- 1690ई .
प्रमुख :-
फ्रांसीसियों एवं अंग्रेजों के मध्य संघर्ष का प्रमुख कारण - "डुप्ले "का भारत पर साम्राज्य
स्थापित करने का विचार था !
** बंगाल क्षेत्र में फ़्रांसिसी की प्रमुख फैक्ट्री चन्द्र नगर में स्थापित थी !
**भारत में अंग्रेजों का आगमन फ्रेंच कम्पनी के आगमन के पूर्व ही हो गया था !
**फ्रेंच एवं अँगरेज़ दोनों ही भारत पर अपने अपने प्रभुत्त्व जमाने के चलते संघर्षरत हो गये थे !
** 1721ईसवी में फ्रांसीसियों ने मारिशस पर अधिकार लिया था !
** मालावार तट पर स्थित माहि पर फ्रांसीसियों ने 1725ईसा में अधिकार कर लिया था !
** 1739ईसा में तंजौर के नवाब ने कोरोमंडल तट पर स्थित कालिकट फ्रांसीसियों को उपहार स्वरुप दे दिया था !
** फ्रंच गवर्नर डुप्ले सन 1742ईसा में गवर्नर बनकर भारत आया था !
; !!मैसूर की लड़ाई !!
प्रमुख :-
बंगाल एवं ईस्ट इंडिया कम्पनी :-
# स्वतंत्र बंगाल राज्य की घोषणा "मुर्शिद कुली"खा ने सन 1717ई .में की थी !
# बिहार के नायब -निजाम "अलीवर्दी खा "ने 1740 में घेरिया के युद्ध में "सरफराज खा को हराकर बंगाल का नवाब पद ग्रहण किया था !
# अलीवर्दी खा ने ही यूरोपियों की तुलना मधु -मक्खियों से की थी !
# 1756 ईसवी में अलीवर्दी खान की मृत्यु के पश्चात उसकी छोटी बेटी का पुत्र "सिराजुद्दौला "बंगाल का नवाब बना था !
-- बंगाल 1756 से 1757 ईसवी ,._ :नवाब की अनुमति के बगैर 20जून 1756 ई.में अंग्रेजो ने कलकत्ता स्थित अपनी कम्पनी की किलाबंदी शुरू कर दी !
# कलकत्ता में स्थित काशिम बाज़ार वाली फैक्ट्री पर सिराज़िद्दौला ने अपना अधिकार कर लिया -
# सिराज़िद्दौला के फैक्ट्री पर अधिकार के पश्चात बहुत से अँगरेज़ एक ज्वार ग्रस्त द्वीप पर भाग गये जिसका नाम "फुल्ताद्वीप "था !
# बहुचर्चित "काल कोठरी "की घटना 20 जून 1756 को सिराज़िद्दौला के शाशन काल में ही हुई थी !
# "काल कोठरी "की घटना में 146 अंग्रेजो को बंदी बनाया गया था ,जिसमे से सिर्फ 23 ही जीवित मिले थे !
# जीवित बचने वाले अंग्रेजों में से एक का नाम "हालवेल "था -जिसने इस भ्रामक घटना के बारे में जानकारी दी थी !
# हुगली एवं आस -पास के क्षेत्रों को लूट कर - सन 1757 में अंग्रेजों ने पुनः कलकत्ता पर अपना अधिकार जमा लिया था !
#इसी लूट के फलस्वरूप दोनों पक्षों में युद्ध हुआ जिसका कोई परिणाम नहीं निकला था !
# युद्ध के पश्चात 09 फरवरी 1757 को नवाब तथा अंग्रेजो के बीच अलीनगर की संधि हुई थी !
# संधि की शर्तानुसार - नवाब द्वारा छेनी गई संपत्ति - फैक्ट्री तथा किले अंग्रेजो को बापिस कर दिए जायेगे !
# सिराज़िद्दौला के शाशन से पूर्व लागू समस्त सुविधाए अंग्रेजो को पुनः प्रदान की जाएँगी !
# कलकत्ता में अंग्रेजो को सिक्के चलाने का अधिकार मान्य कर दिया गया !
# अंग्रेजो को कलकत्ता को फिर से किला बंदी करने की छुट मिली !
# इनके अलावा यह भी समझौता हुआ कि - नवाब तथा अँगरेज़ एक दुसरे के शत्रु को अपना शत्रु समझेंगे ,एवं युद्ध के समय एक दुसरे की सहायता करेंगे !
स्मरणीय :-
इन समस्त शर्तों से अंग्रेजों के असंतुष्ट होने के कारण अँगरेज़ मिलकर नवाब सिराज़िद्दौला को नवाब के पद से हटाने का षड्यंत्र रचने लगे !
-अंग्रेजों ने सिराज़िद्दौला के साथी एवं सेनापति "मीरजाफर "को नवाब बनाने का लालच दिया एवं अपने षड्यंत्र में शामिल कर लिया !
- नवाब की हत्या के बाद अंग्रेजो की मदद से मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाया गया !
मीर जाफर के नवाब बनने के बाद ही अंग्रेजो ने बंगाल की प्रथम क्रांति का बिगुल बजाया ,एवं भारत में अपने साम्राज्य को स्थापित करने की नीव डाली !
# मीर जाफर किसी भी तरीके से एक योग्य शाशक नहीं बन सका था ,जिससे अंग्रेजो ने मीर जाफर को नवाब के पद से हटा दिया ,एवं मीर जाफर के दामाद मीर कासिम को बंगाल के नवाब की गद्दी पर बैठा दिया !
# मीर कासिम एक योग्य शाशक साबित हुआ ,जिसने बंगाल की सेना के आधुनिकरण के प्रयास किये थे ,
मीर कासिम ने राजधानी मुर्शिदा वाद से हटाकर "मुंगेर "में स्थानानात्रित की थी !साथ ही मुंगेर में ही मीर कासिम ने तोप तथा बंदूके बनाने की व्यवस्था की थी !
मीर कासिम से व्यापारिओं को समस्त करो से मुक्त कर दिया , एवं अंग्रेजो पर व्यक्तिगत व्यापार के उपर कर लगाया ;
- इससे गुस्साए अंग्रेजों ने मीरकासिम के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी !
- # मीर कासिम ने अवध के नवाब "सुजौद्दौला " के यहाँ शरण ली ,:
# अंग्रेजो ने मीर जाफर "को फिरसे नवाब की गद्दी सौप दी !
# सुजौद्दौला -,मीर कासिम -,एवं मुग़ल बादशाह "शाह-आलम "ने मिलकर एक गुट बनाया जिसे "त्रिगुट "के नाम से जाना गया ," बक्सर " के युद्ध में इस "त्रिगुट " को अंग्रेजों से पराजित कर दिया था !
# "बक्सर "के युद्ध में अंग्रेजी सेना का नेत्त्रत्त्व " हक्टर -मुनरो " ने किया था !
याद रखने योग्य :-
- सिराज़िद्दौला के बाद बंगाल का सबसे कुशल एवं योग्य शाशक "मीरकासिम "था !
# भारत का व्यापर मुख्य रूप से पाश्चात्य देशो से सम्वन्धित रहा है !
#यूरोपीय देशो से आने वाली कंपनियो के पूर्व भारत का व्यापार , यूरोपीय देशो के साथ फारस की खाड़ी एवं लाल सागर मार्ग के द्वारा किया जाता था !
#नये जितने भी राष्ट्र पाश्चात्य देशो से व्यापरिक सम्वन्ध स्थापित करना चाहते थे , उन सभी के लिए सबसे बड़ी कठिनाई इटली से थी !क्योकि प्राचीन जितने भी व्यापारिक मार्ग थे उन सभी मार्गों पर इटली का पूर्ण रूप से एकाधिकार था !
#भारत युरोपिय देशों को ,सूती कपड़ा , - नील - , मसाले -, औषधियां इत्यादि भेजता था !
#काली मिर्च की मांग यूरोपीय देशो में सबसे अधिक थी !
#युरोप में काली मिर्च की अत्यधिक मांग होने के कारण , यूरोपीय लोगों को "यवन -प्रिये " कहा जाता था !
#भारत में यूरोप से सर्वप्रथम पुर्तगाली आये थे !
----* भारत में "पुर्तों "का आगमन :- सर्वप्रथम संन 1487 में भारत आने का अभियान प्रारम्भ किया गया !इस अभियान की शरुआत करने वाला नाविक "बार्थोलोमोडीयाज "था !
# "बार्थोलोमोडीयाज "उत्तमाशा अंतरीप से वापिस पुर्तगाल लौट गया था !
#एक गुजराती मार्गदर्शक जिसका नाम " अब्दुल मनीद " के सानिद्ध्य में संन 1498ईसा .में , केरल के "कालीकट " बन्दरगाह पर उतरा !
#केरल का कालीकट बन्दर गाह "मालाबार क्षेत्र "में स्थित है !
#1505ईसा .में "फ्रांसिस्को -डी -अल्मीडा " एवं सन 1509 ईसा .में" अलबुकर्क " पुर्तगाली गवर्नर बनकर भारत आये थे !
# भारत पुर्तगाली साम्राज्य को स्थापित करने में "अलबुकर्क "की महत्त्व पूर्ण भूमिका थी !
#अलबुकर्क ने कोचीन को अपना मुख्यालय बनाया एवं 1510ई .में बीजापुर के शाशक युसूफ आदिल शाह से गोवा बन्दरगाह "छीन लिया था !
#सन 1530ईसा में कोचीन के स्थान पर गोवा को समस्त गतिविधियों का केंद्र बनाया गया था !
# "नीनो -डी - कुन्हा "ने सन 1530ई .में ही , बहादुर शाह से दीव , तथा बेसिन ले लिया था !
#बहादुर शाह गुजरात का शासक था !
Remember:-(स्मरणीय )
* सन 1505 ई .में प्रथम पुर्तगाली गवर्नर "फ्रांसिस्को -डी -अल्मीडा "द्वारा लागू की गई नीति " ब्लू वाटर पालिसी "अथवा "शांत जल नीति "कहलाती है !
** पुर्तगालियों ने सन 1661ई .में बम्बई शहर अंग्रेजों को दहेज़ में दे दिया था !
* भारत में सबसे पहले आने वाले एवं सबसे बाद में जाने वाले "पुर्तगाली "ही थे !
** पुर्तगाली भारत से सन 1961ई .में , "गोवा "के अधिग्रहण के पश्चात् भारत छोडकर चले गये थे !
*भारत में "तंबाकू से अवगत कराने वाले "पुर्तगाली "ही थे !
** भारत में सर्वप्रथम "प्रिंटिंग -प्रेस ' लाने का श्रेय पुर्त्गालिओं को ही जाता है !
* पुर्त्गालिओं ने सन 1556ई .में श्री -लंका पर व्यापारिक - एकाधिकार जमाने में सफलता प्राप्त कर ली थी !
** 16वि शताव्दी में , लगभग एक शताब्दी के व्यापारिक एकाधिकार के बाद "पुर्त्गलिओ"का पतन हो गया !
** पुर्त्गालिओं के पतन के पश्चात सन 1602रई . में डच अथवा हॉलैंड बासी भारत में आय ,!
*डचों ने सभी प्रमुख डच कम्पनिओ को मिलाकर एक नइ कंपनी united East India Company Of Neiderland की स्थापना सन 1602ई.में की !
*डचों द्वारा बनी गई इसी कंपनी को , "veringde Oast Indse thee Company" के नाम से भी जाना जाता था !
*डचों ने पहली कम्पनी "मुसलीपट्टनम"में एवं दूसरी कम्पनी "नागपटनम "में सन 1605 ई .में की थी !
*1627 में डचों ने बंगाल में अपनी डच कम्पनी की स्थापना की थी !
*डचों ने सन 1659 ई .में हुगली (चिनसूरा )में अपनी कम्पनी स्थापित की थी !
*डचों के भारत आगमन के बाद से ही , भारत में पुर्त्गालिओं का ,व्यापारिक एकाधिकार समाप्त हो गया था !
" अंग्रेज़ो का भारत में आगमन "
*मर्चेंट adventures " के द्वारा सन 1599 ई में East India Company का गठन किया गया !
* मर्चेंट अद्वनचर "एक व्यापरियो का समूह था !
* सर्वप्रथम भारत में "हाकिंस " नामक अँगरेज़ ज़हाज़ का कप्तान बनकर भारत आया था !
*जिस जहाज़ से "हाकिंस " भारत आया था ,उस ज़हाज़ का नाम #Hactor# था !
*#हाकिंस # सन 1608ई . में भारत के सुरत में आया था !
# हाकिंस सर्वप्रथम जहांगीर के दरवार में पहुचा था ,!
#हाकिंस ने जहांगीर से फ़ारसी भाषा में बात की थी !
#हाकिंस को जहाँगीर ने 400 मनसब एवं इंग्लिश खान की उपाधि प्रदान की थी !
#अंग्रेजों ने सन 1611 में अपनी पहली factry मुस्ली पटनम में स्थापित की थी !
#"स्वज़िहाल "में अंग्रेजों ने , पुर्तगालियों को पराजित किया था !
#"स्वज़िहाल " गुजरात के सुरत के पास स्थित जगह का नाम है !(सन -1612)
#अंग्रेजों ने जाहांगीर से अनुमति लेकर ,पश्चिमी भारत में पहली तथा शेष भारत में दूसरी फैक्ट्री की स्थापना की !(सन -1613)
# टॉमस रो " जो व्रिटिश सम्राट "James 1st का दूत था ,जहाँगीर के दरवार में आया था ,एवं कंपनी को कई और रियायते जारी करवाने में सफल रहा था !(सन -1615)
#अंग्रेजों ने उडीसा के "बालासौर एवं हरिपुरा में "अपनी फक्ट्रियाँ स्थापित की ,!(सन -1632-33)
#पुर्तगालियों से दहेज़ में प्राप्त बम्बई को ब्रिटिश युवराज चार्ल्स सेकंड ने 10पौंड वार्षिक के बदले कम्पनी को प्रदान कर दिया था !(सन - 1661)
#जॉन सुर्मंन का एक शिष्ट मंडल मुगल सम्राट फरूखसियर के दरवार में आया था , !(सन 1717_)
#फरूखसियर " का इलाज़ इसी शिष्ट मंडल के एक सदस्य "विलिंयम हेमिल्टन "ने किया था !वह एक डॉक्टर था !
#फरूखसियर " ने खुश होकर कम्पनी के नाम एक आदेश जारी किया , जिसे कम्पनी का" मैग्नाकार्टा" या माहाधिकार - पत्र कहा जाता है !(सन -1717)
#अंग्रेजों द्वारा भारत में निर्माण कार्य #
@ अंग्रेजों ने 1611ईसवी में , मुस्लीपट्टनम में पहली फक्ट्री स्थापित की थी !यह आन्ध्र प्रदेश में था !
@ अंग्रेजों ने १६१३ में सूरत में फक्ट्री स्थापित की थी !
@1651में हुगली पश्चिम बंगाल में अँगरेज़ कोठी का निर्माण -
@ 1720 में चार्ल्स बून के द्वारा बम्बई के किले की किलेबंदी !
@फोर्ट विलींयम का पहला प्रेसिडेंट "चार्ल्स आइयेर "था !
DENIS COMPANY :IN INDIA(1616)
डेनिस कम्पनी का आगमन सन 1616में हुआ था !
@ सन 1620ईसवी में डेनिस कम्पनी की पहली फक्ट्री "ट्रावनकोर " में स्थापित की गई !जो की तंजौर जिले में आता था !
@तंजोर के बाद बंगाल के श्रीराम पुर में 1676 में एक और फेक्ट्री की स्थापना की गई !
@ डेनिस कम्पनी की समस्त गतिविधियों का मुख्य केंद्र श्रीराम पुर ही था !
@ डेनिस कम्पनि ने अंग्रेजों को अपनी भारतीय बस्तिया सन - 1845ईसवी में बेंच दी थी !
@डेनिस कम्पनी के भारत में असफल होने का मुख्य कारण उनका -व्यापार से अधिक धार्मिक -क्रियाकालापो में लिप्त होना था !
फ़्रांसीसी
** 1720- 1742 ई .के बीच पांडिचेरी के नये गवर्नर लुमेर और डयूमा थे !
*** भारत में सर्वप्रथम राजनीति के विस्तार के बारे में फ़्रांसिसी गवर्नर डूप्ले ने ही सोचा था !
** पहले आंग्ल - फ़्रांसिसी युद्ध के दौरान डुप्ले ने कर्नाटक के नवाब को पराजित किया था !
** सूरत -- 1668 में फ्रंसिस कैरो
**मछली पट्टनम --- मर्कारा द्वारा 1669
**पांडिचेरी ---- 1673-74ई .
**चन्द्रनगर ---- 1690ई .
प्रमुख :-
फ्रांसीसियों एवं अंग्रेजों के मध्य संघर्ष का प्रमुख कारण - "डुप्ले "का भारत पर साम्राज्य
स्थापित करने का विचार था !
** बंगाल क्षेत्र में फ़्रांसिसी की प्रमुख फैक्ट्री चन्द्र नगर में स्थापित थी !
**भारत में अंग्रेजों का आगमन फ्रेंच कम्पनी के आगमन के पूर्व ही हो गया था !
**फ्रेंच एवं अँगरेज़ दोनों ही भारत पर अपने अपने प्रभुत्त्व जमाने के चलते संघर्षरत हो गये थे !
** 1721ईसवी में फ्रांसीसियों ने मारिशस पर अधिकार लिया था !
** मालावार तट पर स्थित माहि पर फ्रांसीसियों ने 1725ईसा में अधिकार कर लिया था !
** 1739ईसा में तंजौर के नवाब ने कोरोमंडल तट पर स्थित कालिकट फ्रांसीसियों को उपहार स्वरुप दे दिया था !
** फ्रंच गवर्नर डुप्ले सन 1742ईसा में गवर्नर बनकर भारत आया था !
; !!मैसूर की लड़ाई !!
(ENGLISH - FRENCH -- STRIFE)
सरल
क्र .
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संघर्ष
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काल
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कारण
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संधि
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परिणाम
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1
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प्रथम कर्नाटक युद्ध
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1746-48
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आस्ट्रिया उत्तराधिकार
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1748-एक्स्ला -शापेल संधि
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फ्रांसीसियों की विजय !
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2
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द्वितीये कर्नाटक युद्ध
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1749-54
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हैद्रावाद/कर्नाटक मामलो का उलझना
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1754 पांडिचेरी की संधि
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भारतीय राजाओ को स्व्येत्ता देना !अंग्रेजो का प्रभाव बड़ा !
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३
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त्रितये कर्नाटक युद्ध
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१७५८ -६३
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स्प्त्वर्षीय युद्ध
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1763
पेरिस की संधि
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वानदीवाश 1760 ईसा के युद्ध में फ्रेंचो की पराजय !
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!! " मैसूर एवं ईस्ट इंडिया कम्पनी "!!
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**मैसूर के वोदियार वंश के शाशक चिक्का "कृष्णा राज "द्वितीये के काल में नन्द राज एवं देव राज नामक दो भाईओं का प्रशाशन में वर्चस्व था !
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**हैदर अली को मैसूर सेना में जगह "नंदराज "ने दिलवाई थी !
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** हैदर अली एक अशिक्षित व्यक्ति था ,जो 1775 ईसा में वह डिंडीगुल का फौजदार बना !
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** खान्देराओ नामक ब्राह्मण को हैदर अली ने अपना सलाह कार नियुक्त किया था !
** खांडेराव की सहायता से ही हैदर ने नंदराज को पराजित करके मैसूर की सत्ता सम्हाली थी !
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**सैनिको के प्रशिक्षण के लिए हैदर ने फ्रांसीसियों को रखा था !
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** द्वितीये आंग्ल -मैसूर युद्ध के चलते हैदर की मृत्यु 1782ईसा में हो गई थी !
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**हैदर के बाद उसके पुत्र टीपू -सुलतान ने मैसूर की कमान सम्हाली थी !
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** हैदर -टीपू सुलतान के अंग्रेजो से कुल चार वार युद्ध हुए !
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!!आंग्ल -- मैसूर संघर्ष !!
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युद्ध मैसूर शाशक बं.गवर्नर संधि प्रमुख
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1767-69 प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध
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हैदर अली
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लार्ड वेरेलुस्ट
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1769-मद्रास संधि
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हैदर अली का पलड़ा भारी रहा !
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1780-84 द्वितीय आंग्ल -मैसूर युद्ध
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हैदर अली
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वारेन -हास्टिंग्स
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मंग्लौर की संधि
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टीपू सुलतान का नेत्रत्त्व !
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1790-92 तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध
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टीपू सुलतान
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लार्ड -कार्नवालिस
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श्रीरंग पट्टनम की संधि
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टीपू सुल्तान की स्थिति कमजोर
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1799 चतुर्थ आंग्ल -मैसूर युद्ध
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टीपू सुलतान
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लार्ड वैलेज़ली
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मैसूर पर जबरन संधि लगा दी गई !
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टीपू सुलतान की मृत्यु के पश्चात अंग्रेजों ने पुनः वोडियारवंश के शाशक से संधि की !
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टीपू सुलतान का कथन :
"" सौ दिन गीदड़ के जैसे जीने से अच्छा है ,:एक दिन ही सही पर शेर के जैसे जिया जाए ""
प्रमुख : टीपू सुलतान ने कुल नौ सैन्य बोर्डो का गठन किया था !
"" सौ दिन गीदड़ के जैसे जीने से अच्छा है ,:एक दिन ही सही पर शेर के जैसे जिया जाए ""
प्रमुख : टीपू सुलतान ने कुल नौ सैन्य बोर्डो का गठन किया था !
प्रमुख :-
बंगाल एवं ईस्ट इंडिया कम्पनी :-
# स्वतंत्र बंगाल राज्य की घोषणा "मुर्शिद कुली"खा ने सन 1717ई .में की थी !
# बिहार के नायब -निजाम "अलीवर्दी खा "ने 1740 में घेरिया के युद्ध में "सरफराज खा को हराकर बंगाल का नवाब पद ग्रहण किया था !
# अलीवर्दी खा ने ही यूरोपियों की तुलना मधु -मक्खियों से की थी !
# 1756 ईसवी में अलीवर्दी खान की मृत्यु के पश्चात उसकी छोटी बेटी का पुत्र "सिराजुद्दौला "बंगाल का नवाब बना था !
-- बंगाल 1756 से 1757 ईसवी ,._ :नवाब की अनुमति के बगैर 20जून 1756 ई.में अंग्रेजो ने कलकत्ता स्थित अपनी कम्पनी की किलाबंदी शुरू कर दी !
# कलकत्ता में स्थित काशिम बाज़ार वाली फैक्ट्री पर सिराज़िद्दौला ने अपना अधिकार कर लिया -
# सिराज़िद्दौला के फैक्ट्री पर अधिकार के पश्चात बहुत से अँगरेज़ एक ज्वार ग्रस्त द्वीप पर भाग गये जिसका नाम "फुल्ताद्वीप "था !
# बहुचर्चित "काल कोठरी "की घटना 20 जून 1756 को सिराज़िद्दौला के शाशन काल में ही हुई थी !
# "काल कोठरी "की घटना में 146 अंग्रेजो को बंदी बनाया गया था ,जिसमे से सिर्फ 23 ही जीवित मिले थे !
# जीवित बचने वाले अंग्रेजों में से एक का नाम "हालवेल "था -जिसने इस भ्रामक घटना के बारे में जानकारी दी थी !
# हुगली एवं आस -पास के क्षेत्रों को लूट कर - सन 1757 में अंग्रेजों ने पुनः कलकत्ता पर अपना अधिकार जमा लिया था !
#इसी लूट के फलस्वरूप दोनों पक्षों में युद्ध हुआ जिसका कोई परिणाम नहीं निकला था !
# युद्ध के पश्चात 09 फरवरी 1757 को नवाब तथा अंग्रेजो के बीच अलीनगर की संधि हुई थी !
# संधि की शर्तानुसार - नवाब द्वारा छेनी गई संपत्ति - फैक्ट्री तथा किले अंग्रेजो को बापिस कर दिए जायेगे !
# सिराज़िद्दौला के शाशन से पूर्व लागू समस्त सुविधाए अंग्रेजो को पुनः प्रदान की जाएँगी !
# कलकत्ता में अंग्रेजो को सिक्के चलाने का अधिकार मान्य कर दिया गया !
# अंग्रेजो को कलकत्ता को फिर से किला बंदी करने की छुट मिली !
# इनके अलावा यह भी समझौता हुआ कि - नवाब तथा अँगरेज़ एक दुसरे के शत्रु को अपना शत्रु समझेंगे ,एवं युद्ध के समय एक दुसरे की सहायता करेंगे !
स्मरणीय :-
इन समस्त शर्तों से अंग्रेजों के असंतुष्ट होने के कारण अँगरेज़ मिलकर नवाब सिराज़िद्दौला को नवाब के पद से हटाने का षड्यंत्र रचने लगे !
-अंग्रेजों ने सिराज़िद्दौला के साथी एवं सेनापति "मीरजाफर "को नवाब बनाने का लालच दिया एवं अपने षड्यंत्र में शामिल कर लिया !
- नवाब की हत्या के बाद अंग्रेजो की मदद से मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाया गया !
मीर जाफर के नवाब बनने के बाद ही अंग्रेजो ने बंगाल की प्रथम क्रांति का बिगुल बजाया ,एवं भारत में अपने साम्राज्य को स्थापित करने की नीव डाली !
# मीर जाफर किसी भी तरीके से एक योग्य शाशक नहीं बन सका था ,जिससे अंग्रेजो ने मीर जाफर को नवाब के पद से हटा दिया ,एवं मीर जाफर के दामाद मीर कासिम को बंगाल के नवाब की गद्दी पर बैठा दिया !
# मीर कासिम एक योग्य शाशक साबित हुआ ,जिसने बंगाल की सेना के आधुनिकरण के प्रयास किये थे ,
मीर कासिम ने राजधानी मुर्शिदा वाद से हटाकर "मुंगेर "में स्थानानात्रित की थी !साथ ही मुंगेर में ही मीर कासिम ने तोप तथा बंदूके बनाने की व्यवस्था की थी !
मीर कासिम से व्यापारिओं को समस्त करो से मुक्त कर दिया , एवं अंग्रेजो पर व्यक्तिगत व्यापार के उपर कर लगाया ;
- इससे गुस्साए अंग्रेजों ने मीरकासिम के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी !
- # मीर कासिम ने अवध के नवाब "सुजौद्दौला " के यहाँ शरण ली ,:
# अंग्रेजो ने मीर जाफर "को फिरसे नवाब की गद्दी सौप दी !
# सुजौद्दौला -,मीर कासिम -,एवं मुग़ल बादशाह "शाह-आलम "ने मिलकर एक गुट बनाया जिसे "त्रिगुट "के नाम से जाना गया ," बक्सर " के युद्ध में इस "त्रिगुट " को अंग्रेजों से पराजित कर दिया था !
# "बक्सर "के युद्ध में अंग्रेजी सेना का नेत्त्रत्त्व " हक्टर -मुनरो " ने किया था !
याद रखने योग्य :-
- सिराज़िद्दौला के बाद बंगाल का सबसे कुशल एवं योग्य शाशक "मीरकासिम "था !
1 - India and World
## Geography## ( भौगोलिक परिद्रश्य ) Geographic - Creation
(A) Structure Of The Earth - ( प्रथ्वी की संरचना ) :-
a - Volcano (ज्वालामुखी )
ज्वाला मुखी भू - पटल पर पाए जाने वाले - मुख छिद्र - दरार होते है !जिनसे गैसे - तरल पदार्थ - एवं ठोस पदार्थों के उदगार होते है !
#* ज्वालामुखिय - पदार्थ -: ज्वालामुखी उदगार से निकलने वाली गैसों में सर्वाधिक मात्रा - (80%) जलवाष्प की पाई जाती है !
# इसके पश्चात - Co2- So2 इत्यादि गैसों के भी उत्सर्जन होते है !
# ज्वाला मुखी उदगार स्व निकलने वाले तरल पदार्थों के रूप में - प्रथ्वी की तप्त एवं द्रवित - चट्टानों - की प्रधानता है , जिसे धरातल के अन्दर - मैग्मा - तथा - धरातल के नीचे "लावा " कहा जाता है !
# ज्वालामुखिय उदगार से निकलने वाले - बड़े - बड़े तप्त एवं ज्वालामुखिय बम लैपिली ,, स्कोरिया ,,piroclaast "पायरो -क्लास्ट" तथा जुमिस की प्रधानता होती है !
# 1 *ज्वालामुखीय बम :- उदगार के समय निकलने वाले बड़े - बड़े तप्त - शिलाखंड - ज्वालामुखीय बम कहलाते है !
# 2* लैल्पी :- उदगार के समय निकलने वाले मटर के दाने के समान शिलाखंड लैलिपी कहलाते है !
# 3*स्कोरिया " उदगार के समय निस्सृत कुछ cm व्यास वाले , बंदूक की गोली के समान - शिलाखंड अवस्कर स्कोरिया कहलाते है !
#4*पायरो - क्लस्ट " -- उदगार के समय निकलने वाले विभिन्न अकार प्रकार के लावा - से युक्त - चट्टानी खंड जो संयुक्त रूप से गिरते है !बे ज्वाला अग्नि - ख्न्दाश्म कहलाते है !
# 5*प्युमिस - ज्वालामुखीय उदगार के समय - निकलने वाले झागदार शिलाखंड - प्युमिस कहलाते है !इन्हें झामक भी कहा जाता है !
2. जलीय- स्थ्लाकृतियाँ -एवं शुष्क - स्थ्लाकृतियाँ -#
आद्र प्रदेशों में नदियाँ अपरदन - परिवहन एवं निक्षेपंन क्रिया करती है , नदियों के इन कार्यों से - विभिन्न प्रकार के स्थल रूपों का विकास होता है !
a- Gorge and Canyon:-
नदियों के लमववत कटाव क्रिया से ," V"आकार की घाटी , गार्ज़ एवं कान्नियन के रूप में विकसित होती है !
# ** संयुक्त राज्य अमेरिका में ," Collorado" नदी पर ग्रैंड कैनियन का विकास हुआ है !
#** भारत में सुत्लुज़ - सिन्धु - , ब्रहमपुत्र - आदि नदियाँ अपने प्रवाह मार्ग पर गार्ज़ बनाती है !
# ** संयुक्त राज्य अमेरिका में ," Collorado" नदी पर ग्रैंड कैनियन का विकास हुआ है !
#** भारत में सुत्लुज़ - सिन्धु - , ब्रहमपुत्र - आदि नदियाँ अपने प्रवाह मार्ग पर गार्ज़ बनाती है !
b- जल - गर्तिका - (Photholes)-: नदियों के प्रवाह मार्ग में - जल - दाब एवं घर्षण क्रिया - से गर्तों का विकास होता है !, छोटे - छोटे गर्तों को , जल् - गर्तिका कहा जाता है !जिसका आकार बडने पर , अवनमन - कुंढ विकसित होता है !
C - जल - प्रपात (Water - Falls ):- नदियों के प्रवाह मार्ग में - चट्टानों के अपरदन - के कारण नदी का जल ऊँचे - स्थल - खंड से - निम्न - स्थल खंड - पर प्रवाहित होता है , ऐसे स्थलरुप पर जल का प्रवाहित होना , जल - प्रपात के अंतर्गत आता है !
3. हिम्नदीय एवं तटीय स्थालाक्रितियाँ :-
सागर तट वर्ती क्षेत्रों से प्रभावित होकर - साग्रिये तरंगों की उत्पत्ती होती है !
U आकार की घाटी -: हिमनदियों द्वारा उसके प्रवाह - मार्ग में नदी , - निर्मित किसी घाटी में - अपघर्षण - एबम उत्पातन के कारण , क्रिया करने के पश्चात - उसे U आकार में परिवर्तित कर दिया जाता है !
# लटकती घाटी -: हिमानी क्षेत्र में किसी मुख्या हिमनदी - घाटी में गिरने वाली सहायक नदी हिमनदी को लटकती हुई घाटी कहा जाता है !
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Career Builder
##Indian Constitutions##
मंत्रीपरिषद संसद
राज्यसभा लोकसभा
अधिकतम 250 सदस्य अधिकतम 552सदस्य
- कोई भी भारतीय नागरिक ,जिसने 35 वर्षो की आयु पूर्ण कर ली हो , साथ ही लोकसभा का सदस्य होने की योग्यता रखता हो , एसा नागरिक राष्ट्रपति के पद हेतु निर्वाचित हो सकता है !
- किसी भी प्रकार के लाभ के पद पर पदस्थ व्यक्ति राष्ट्रपति पद के लिए योग्य नहीं हो सकता है !
-- राष्ट्रपति संसद एवं राज्य विधान मंडलों का सदस्य नहीं होगा !
-- सम्विधान के अनुसार राष्ट्रपति पद के लिए नागरिक का भारत में जन्म लेना जरूरी नहीं है ,यदि वह भारत की नागरिकता धारण किये हुए है तो वह राष्ट्रपति पद हेतु योग्य है !
- राष्ट्रपति का निर्वाचन एक निर्वाचक मंडल के माध्यम से किया जाता है , इस निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य एवं राज्य की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते है !
--
भारत के राष्ट्रपति
*-भारत के कार्य बाहक राष्ट्रपति *-
*- भारत में मौलिक अधिकारों की स्थिति *-
! राष्ट्र - पति एवं उप राष्ट्र - पति तुलनात्मक अध्ययन !
-- राष्टपति संसद का एक मुख्य अंग होता है ! जबकि उप-राष्ट्रपति संसद के एक अंग राज्य सभा का सभापति होता है !
--- राष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के सदस्य तथा राज्य विधान मंडल के सदस्यों के द्वारा किया जाता है !जबकि उपराष्ट्रपति का निर्वाचन सिर्फ संसद के दोनों सदनों के सदस्यों के द्वारा होता है !
---- राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी में लोकसभा का सदस्य निर्वाचित हो सकने योग्य - योग्यता होनी चाहिए ,जबकि उपराष्ट्रप्ति पद के लिए प्रत्याशी को , राज्यसभा की सदस्यता के लिए अर्ह होना चाहिए !
-- राष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए 14दिन की नोटिस के साथ - संसद के किसी भी सदन में प्रस्ताव लाया जा सकता है !इसे ही महाभियोग कहा जाता है !जबकि उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए प्रस्ताव राज्यसभा में ही लाया जाता है !
---- महाभियोग की प्रक्रिया में राष्ट्रपति को अपना पक्ष रखने का अधिकार प्राप्त है !जबकि उपराष्ट्रपति को ऐसा कोई भी अधिकार नहीं दिया गया है !
---- संसद के दोनों सदनों के दो- तिहाई सदस्यों के बहुमत पारित होने के उपरान्त ही , राष्ट्रपति पर महाभियोग संकल्पित किया जा सकता है !
जबकि उपराष्ट्रपति को पद से हटाने का संकल्प राज्यसभा में उपस्थित सदस्यों के बहुमत के द्वारा पारित किया जाता है ,इसके बाद लोकसभा के द्वारा स्वीकृति भी गृहीत की जाती है !
- डॉ .राधाकृष्णन सर्वाधिक समय तक राष्ट्रपति के पद पर आसीन रहे थे !
- व्ही .व्ही .गिरि -उपराष्ट्रपति के पद पर सबसे कम समय तक पदासीन रहने वाले उपराष्ट्रपति थे !
U आकार की घाटी -: हिमनदियों द्वारा उसके प्रवाह - मार्ग में नदी , - निर्मित किसी घाटी में - अपघर्षण - एबम उत्पातन के कारण , क्रिया करने के पश्चात - उसे U आकार में परिवर्तित कर दिया जाता है !
# लटकती घाटी -: हिमानी क्षेत्र में किसी मुख्या हिमनदी - घाटी में गिरने वाली सहायक नदी हिमनदी को लटकती हुई घाटी कहा जाता है !
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Career Builder
##Indian Constitutions##
# सम्विधान की रचना :
** केविनेट मिशन के प्रस्तावों में एक प्रस्ताव "सम्विधान सभा" के गठन का भी था !
**कैबिनेट मिशन योजना के अनुसार सम्विधान सभा के सदस्यों का चुनाव प्रान्तिये विधान सभाओं के सदस्यों द्वारा अप्रत्यक्ष रूप से किया गया !
** प्रान्तों से प्रतिनिधियों की संख्या का निर्धारण प्रति दस लाख की जनसँख्या पर एक प्रतिनिधि के हिसाब से किया गया था !
** सम्विधान सभा के लिए कुल 389स्थान निर्धारित किये गये जिनमे प्रान्तों से 292सदस्यों देशी रियासतों से 93 सदस्यों एवं कमिश्नरी क्षेत्रों से चार सदस्यों को लिया जाना था !
## सम्विधान सभा का मुस्लिम लीग ने वहिष्कार किया ,जिसके कारण सम्विधान सभा के सदस्यों की संख्या 389 से घटकर 299 हो गई थी !
## सम्विधान सभा की पहली बैठक 09 दिसम्बर 1946 में सच्चिदानंद सिन्हा को -सभा का अस्थाई -अध्यक्ष चुना गया था !
## 11दिसम्बर 1946 को सम्विधान सभा के स्थाई अध्यक्ष के रूप में डॉ .राजेन्द्र प्रसाद को चुना गया था !
## बी .एन .राय को सम्विधान सभा का संवैधानिक सलाहकार नियुक्त किया गया !
## सम्विधान सभा की प्रथम बैठक कौंसिल चेम्बर के पुस्तकालय में हुई थी ,जो दिल्ली में स्थित है !
## "कौंसिल चेम्बर के पुस्तकालय"को अब "Constitutional Haata" के नाम से जाना जाता है !
## 15नवम्बर 1948 को सम्विधान के प्रारूप पर विचार शुरू किया गया !
## 26नवम्बर 1949को सम्विधान सभा द्वारा निर्मित सम्विधान को अंतिम रूप से स्वीकार करलिया गया !
## 24जनवरी 1950को सम्विधान सभा द्वारा सम्विधान की तीन प्रतियां सभा पटल पर रखी गई , इस सम्विधान पर 284सदस्यों ने एक एक करके तीनो प्रतियों पर हस्ताक्षर किये , !
## 26जनवरी 1950को यह भारतीय गणराज्य की अंतरिम संसद के रूप में अवतरित हुई !
## सम्पूर्ण सम्विधान के निर्माण में 2वर्ष 11महीने और 18दिन लगे !
## सम्विधान के कुछ प्रावधान 26जनवरी 49 को को ही लागू कर दिए गये थे ,एवं शेष 26जनवरी 50 को लागु किये गये !
## सम्विधान सभा पूर्ण प्रभुसत्ता संपन्न संस्था नहीं थी !15अगस्त 1947को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम प्रवर्तित होने के बाद ,सम्विधान भी पूर्ण प्रभुसत्ता सम्पन्नं संस्था हो गई !
## सम्विधान सभा का अंतिम एवं 11वा सत्र 14-26नवम्वर 1949 को सम्पन्न हुआ !इसी दिन सम्विधान को अंतरिम रूप से स्वीकार किया गया !
## नागरिकता ,निर्वाचन ,अंतरिम संसद आदि से सम्वन्धित कुछ अनुच्छेद 26नवम्वर 1949 से ही लागू हो गये थे !
## सम्विधान की मूल प्रस्तावना में 42वे सम्विधान संसोधन ,1976 के माध्यम से समाजवादी पन्थ निरपेक्ष तथा अखंडता शब्दों को जोडा गया !
## केशवानंद भारती बनाम केरल में सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि सम्विधान की प्रस्तावना में संसोधन किया जा सकता है !
##सम्विधान की प्रस्तावना में भारत को गणराज्य घोषित किया गया है !
## सम्विधान की प्रस्तावना में भारत के समस्त नागरिकों के लिए सामाजिक ,आर्थिक ,राजनैतिक न्याय ,प्रतिष्ठा और अवसर की समानता तथा व्यक्ति की गरिमा ,को सुनिश्चित करने का संकल्प लिया गया है !
## सम्विधान की प्रस्तावना का उद्देश्य लोगों को सामाजिक तथा आर्थिक ,राजनैतिक न्याय ,मत , विश्वास तथा धर्म की स्वतंत्रता ,पद एवं अवसर की समानता ,व्यक्ति की गरिमा तथा राष्ट्र की एकता के लिए भाई -चारा को बडाना है !
## 42बे सम्विधान संसोधन अधिनियम 1976के माध्यम से सम्विधान की प्रस्तावना में ,"पन्थ निरपेक्ष "शब्द को जोड़ा गया है !इससे तात्पर्य है ,की किसी भी राज्य विशेष का अपना कोई पन्थ या धर्म नहीं होगा !
## प्रस्तावना सम्विधान का एक भाग है ,जोकि सर्वथा न्याय योग्य नही है , !
## पंथ -निरपेक्षता भारतीय -लोकतंत्र की अति -विशिष्ट विशेषता है , भारत के पड़ोसी राज्य ,पाकिस्तान -, बांगलादेश ,श्रीलंका ,-म्यांमार -,, एवं नेपाल धर्म आधारित राज्य है , !
## प्रस्तावना के उद्देश्य को , पूरा करने के ध्येय से सम्विधान के अनुच्छेद 25-28 में भारत के सभी नागरिकों को धर्म तथा उपासना की स्वतंत्रता मूल अधिकार के रूप में प्रदान की !
## इस उद्देश्य के तहत राज्य -न तो किसी व्यक्ति अथवा नागरिक को कोई धर्म मानने के लिए बाध्य कर सकता है , एवं न ही किसी धर्म को मानने हेतु प्रोत्साहित कर सकता है !
## -- विशिष्टता ## --
## भारत का सम्विधान लिखित सम्विधान है , जो की ब्रिटेन के जैसे परम्पराओं और रीतिरिवाजों पर आधारित नहीं है !
## भारतीय सम्विधान में संघात्मक और एकात्मक व्यवस्थाओं का समन्वय है !
## भारतीय संघ की इकाईओं को अपना सम्विधान रखने की अनुमति नहीं है , !
## भारतीय संघ में जम्मू -कश्मीर अकेला एक एसा अपवाद राज्य है ,जिसका अपना सम्विधान है !
## भारतीय सम्विधान में केंद्र की सर्वोच्चता को स्वीकार किया गया है !
## भारतीय सम्विधान ,- सम्विधान के कुछ क्षेत्रों में नम्य तथा कुछ क्षेत्रों में अनम्य है !
## भारतीय सम्विधान के आधार पर देश का राष्ट्रपति नाम मात्र का प्रधान होता है ,क्योकि सम्विधान में संसदीय व्यवस्था को अपनाया गया है !
## संघ तथा संघ के राज्य क्षेत्र :-
## भारतीय सम्विधान में अनुच्छेद 01के आधार पर भारत को India(इंडिया )कहते हुए स्म्वोधित किया गया है !एवं स्पष्ट किया गया है कि ,भारत राज्यों का एक संघ होगा !
## भारत संघ की संसद भारतीय संघ में नये राज्यों का प्रवेश एवं स्थापना सम्विधान के अनुच्छेद 02के अनुसार कर सकता है !
## भारतीय सम्विधान के अनुच्छेद 03के अनुसार ,संसद विधि के माध्यम से :-
@किसी भी राज्य का क्षेत्र बड़ा सकती है !
@@ किसी भी राज्य का क्षेत्र घटा सकती है !
@@ किसी भी राज्य क्षेत्र की सीमाओं में परिवर्तन कर सकेगी !
@@ किसी भी राज्य के नाम में परिवर्तन कर सकेगी !
नोट :- इन सभी संदर्भित मामलों में कोई भी विधेयक -बिना राष्ट्रपति की सिफारिश के सदन में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता !
## स्वतंत्रता के समय देश में केवल दो ही प्रकार की राजनैतिक इकाइयाँ थी : - ब्रिटिश सरकार के अधीन प्रांत एवं देशी रियासते !
## देशी रियासतों के विलय में सरदार बल्लभ भाई पटेल ने अपनी महत्त्व -पूर्ण भूमिका निभाई थी !
## एस .के .दर .आयोग जिसका गठन 1948में हुआ था , ने भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन को - अस्वीकार कर दिया था !
## केंद्र सरकार के द्वारा फजल अली की अध्यक्षता में - 29दिसम्बर 1953को एक आयोग का गठन किया गया ,जिसमे "के .एम् .पन्निकर "एवं " हृदय नाथ कुंजरू " सदस्यों के रूप में शामिल थे !
## भाषाई आधार पर गठित देश का पहला राज्य आंध्र-प्रदेश है !
## पंजाब तथा हरियाणा राज्य का पुनर्गठन शाह आयोग की सिफारिशों के अनुसार संन -1966में किया गया था !
## सम्विधान में 53वां एवं 56वां संसोधन क्रमशः 1986एवं 87में किया गया था !जिसके आधार पर मिज़ोरम -,अरुणाचल प्रदेश -एवं गोवा को राज्य के रूप में मान्यता प्रदान की गई !
## उत्तरप्रदेश -मध्य-प्रदेश -,, विहार -,, का पुनर्गठन कर क्रमशः -,, उतराखंड --,, छत्तीसगढ़ --,, तथा झारखंड नामक तीन नये राज्यों का गठन संन 2000में किया गया !
## संघ राज्य क्षेत्र ##
## सम्विधान सभा का मुस्लिम लीग ने वहिष्कार किया ,जिसके कारण सम्विधान सभा के सदस्यों की संख्या 389 से घटकर 299 हो गई थी !
## सम्विधान सभा की पहली बैठक 09 दिसम्बर 1946 में सच्चिदानंद सिन्हा को -सभा का अस्थाई -अध्यक्ष चुना गया था !
## 11दिसम्बर 1946 को सम्विधान सभा के स्थाई अध्यक्ष के रूप में डॉ .राजेन्द्र प्रसाद को चुना गया था !
## बी .एन .राय को सम्विधान सभा का संवैधानिक सलाहकार नियुक्त किया गया !
## सम्विधान सभा की प्रथम बैठक कौंसिल चेम्बर के पुस्तकालय में हुई थी ,जो दिल्ली में स्थित है !
## "कौंसिल चेम्बर के पुस्तकालय"को अब "Constitutional Haata" के नाम से जाना जाता है !
## 15नवम्बर 1948 को सम्विधान के प्रारूप पर विचार शुरू किया गया !
## 26नवम्बर 1949को सम्विधान सभा द्वारा निर्मित सम्विधान को अंतिम रूप से स्वीकार करलिया गया !
## 24जनवरी 1950को सम्विधान सभा द्वारा सम्विधान की तीन प्रतियां सभा पटल पर रखी गई , इस सम्विधान पर 284सदस्यों ने एक एक करके तीनो प्रतियों पर हस्ताक्षर किये , !
## 26जनवरी 1950को यह भारतीय गणराज्य की अंतरिम संसद के रूप में अवतरित हुई !
## सम्पूर्ण सम्विधान के निर्माण में 2वर्ष 11महीने और 18दिन लगे !
## सम्विधान के कुछ प्रावधान 26जनवरी 49 को को ही लागू कर दिए गये थे ,एवं शेष 26जनवरी 50 को लागु किये गये !
## सम्विधान सभा पूर्ण प्रभुसत्ता संपन्न संस्था नहीं थी !15अगस्त 1947को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम प्रवर्तित होने के बाद ,सम्विधान भी पूर्ण प्रभुसत्ता सम्पन्नं संस्था हो गई !
## सम्विधान सभा का अंतिम एवं 11वा सत्र 14-26नवम्वर 1949 को सम्पन्न हुआ !इसी दिन सम्विधान को अंतरिम रूप से स्वीकार किया गया !
## नागरिकता ,निर्वाचन ,अंतरिम संसद आदि से सम्वन्धित कुछ अनुच्छेद 26नवम्वर 1949 से ही लागू हो गये थे !
## सम्विधान की मूल प्रस्तावना में 42वे सम्विधान संसोधन ,1976 के माध्यम से समाजवादी पन्थ निरपेक्ष तथा अखंडता शब्दों को जोडा गया !
## केशवानंद भारती बनाम केरल में सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि सम्विधान की प्रस्तावना में संसोधन किया जा सकता है !
##सम्विधान की प्रस्तावना में भारत को गणराज्य घोषित किया गया है !
## सम्विधान की प्रस्तावना में भारत के समस्त नागरिकों के लिए सामाजिक ,आर्थिक ,राजनैतिक न्याय ,प्रतिष्ठा और अवसर की समानता तथा व्यक्ति की गरिमा ,को सुनिश्चित करने का संकल्प लिया गया है !
## सम्विधान की प्रस्तावना का उद्देश्य लोगों को सामाजिक तथा आर्थिक ,राजनैतिक न्याय ,मत , विश्वास तथा धर्म की स्वतंत्रता ,पद एवं अवसर की समानता ,व्यक्ति की गरिमा तथा राष्ट्र की एकता के लिए भाई -चारा को बडाना है !
## 42बे सम्विधान संसोधन अधिनियम 1976के माध्यम से सम्विधान की प्रस्तावना में ,"पन्थ निरपेक्ष "शब्द को जोड़ा गया है !इससे तात्पर्य है ,की किसी भी राज्य विशेष का अपना कोई पन्थ या धर्म नहीं होगा !
## प्रस्तावना सम्विधान का एक भाग है ,जोकि सर्वथा न्याय योग्य नही है , !
## पंथ -निरपेक्षता भारतीय -लोकतंत्र की अति -विशिष्ट विशेषता है , भारत के पड़ोसी राज्य ,पाकिस्तान -, बांगलादेश ,श्रीलंका ,-म्यांमार -,, एवं नेपाल धर्म आधारित राज्य है , !
## प्रस्तावना के उद्देश्य को , पूरा करने के ध्येय से सम्विधान के अनुच्छेद 25-28 में भारत के सभी नागरिकों को धर्म तथा उपासना की स्वतंत्रता मूल अधिकार के रूप में प्रदान की !
## इस उद्देश्य के तहत राज्य -न तो किसी व्यक्ति अथवा नागरिक को कोई धर्म मानने के लिए बाध्य कर सकता है , एवं न ही किसी धर्म को मानने हेतु प्रोत्साहित कर सकता है !
## -- विशिष्टता ## --
## भारत का सम्विधान लिखित सम्विधान है , जो की ब्रिटेन के जैसे परम्पराओं और रीतिरिवाजों पर आधारित नहीं है !
## भारतीय सम्विधान में संघात्मक और एकात्मक व्यवस्थाओं का समन्वय है !
## भारतीय संघ की इकाईओं को अपना सम्विधान रखने की अनुमति नहीं है , !
## भारतीय संघ में जम्मू -कश्मीर अकेला एक एसा अपवाद राज्य है ,जिसका अपना सम्विधान है !
## भारतीय सम्विधान में केंद्र की सर्वोच्चता को स्वीकार किया गया है !
## भारतीय सम्विधान ,- सम्विधान के कुछ क्षेत्रों में नम्य तथा कुछ क्षेत्रों में अनम्य है !
## भारतीय सम्विधान के आधार पर देश का राष्ट्रपति नाम मात्र का प्रधान होता है ,क्योकि सम्विधान में संसदीय व्यवस्था को अपनाया गया है !
## संघ तथा संघ के राज्य क्षेत्र :-
## भारतीय सम्विधान में अनुच्छेद 01के आधार पर भारत को India(इंडिया )कहते हुए स्म्वोधित किया गया है !एवं स्पष्ट किया गया है कि ,भारत राज्यों का एक संघ होगा !
## भारत संघ की संसद भारतीय संघ में नये राज्यों का प्रवेश एवं स्थापना सम्विधान के अनुच्छेद 02के अनुसार कर सकता है !
## भारतीय सम्विधान के अनुच्छेद 03के अनुसार ,संसद विधि के माध्यम से :-
@किसी भी राज्य का क्षेत्र बड़ा सकती है !
@@ किसी भी राज्य का क्षेत्र घटा सकती है !
@@ किसी भी राज्य क्षेत्र की सीमाओं में परिवर्तन कर सकेगी !
@@ किसी भी राज्य के नाम में परिवर्तन कर सकेगी !
नोट :- इन सभी संदर्भित मामलों में कोई भी विधेयक -बिना राष्ट्रपति की सिफारिश के सदन में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता !
## स्वतंत्रता के समय देश में केवल दो ही प्रकार की राजनैतिक इकाइयाँ थी : - ब्रिटिश सरकार के अधीन प्रांत एवं देशी रियासते !
## देशी रियासतों के विलय में सरदार बल्लभ भाई पटेल ने अपनी महत्त्व -पूर्ण भूमिका निभाई थी !
## एस .के .दर .आयोग जिसका गठन 1948में हुआ था , ने भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन को - अस्वीकार कर दिया था !
## केंद्र सरकार के द्वारा फजल अली की अध्यक्षता में - 29दिसम्बर 1953को एक आयोग का गठन किया गया ,जिसमे "के .एम् .पन्निकर "एवं " हृदय नाथ कुंजरू " सदस्यों के रूप में शामिल थे !
## भाषाई आधार पर गठित देश का पहला राज्य आंध्र-प्रदेश है !
## पंजाब तथा हरियाणा राज्य का पुनर्गठन शाह आयोग की सिफारिशों के अनुसार संन -1966में किया गया था !
## सम्विधान में 53वां एवं 56वां संसोधन क्रमशः 1986एवं 87में किया गया था !जिसके आधार पर मिज़ोरम -,अरुणाचल प्रदेश -एवं गोवा को राज्य के रूप में मान्यता प्रदान की गई !
## उत्तरप्रदेश -मध्य-प्रदेश -,, विहार -,, का पुनर्गठन कर क्रमशः -,, उतराखंड --,, छत्तीसगढ़ --,, तथा झारखंड नामक तीन नये राज्यों का गठन संन 2000में किया गया !
!! भारतीय संघ !!
#27राज्य सन 1949 की स्थिति #
भारतीय संघ राज्यों के घटते - एवंबढ़ते हुए आंकड़े
सरलक्र
|
राज्य "A"
|
राज्य "B"
|
राज्य "C"
|
1
|
असम
|
हैदरावाद
|
अजमेर-मेवाड़
|
2
|
बिहार
|
जम्मू -कश्मीर
|
भोपाल
|
3
|
बम्बई
|
मध्य -भारत
|
कुर्ग
|
4
|
मध्य -प्रांत /बिहार
|
मैसूर
|
दिल्ली
|
5
|
मद्रास
|
पूप्सू
|
हिमाचल
|
6
|
उडीसा
|
राजस्थान
|
कच्छ
|
7
|
पंजाब
|
कोचीन /त्रावणकोर
|
विन्ध्य-प्रदेश
|
8
|
संयुक्त प्रांत
|
सौ-राष्ट्र
|
मणिपुर
|
09
|
पश्चिम - बंगाल
|
त्रिपुरा
| |
10
|
बिलासपुर
|
!! राज्यों के पुनर्गठन के बाद !!
## सन - 1956 - भारत संघ : 14 राज्य #
12-मध्य प्रदेश
| |||||
##वर्ष 1956 से वर्ष 2000 की अवधि में राज्यों के दर्जे एवं नामों में परिवर्तन ##
वर्ष
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1960
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1963
| |||||||||
1971
| |||||||||
1972
| |||||||||
1972
|
मध्य प्रदेश
| ||||||||
1972
| |||||||||
Index:- (*) संदर्भित स्टार से तात्पर्य संघ राज्य क्षेत्र से है !
- (H) संदर्भित (H) से तात्पर्य सहयोगी राज्य से है !
# वर्तमान स्थिति # भारत संघ : राज्य 29#
क्रमांक
|
राज्य
|
स्थापना दिवस /सन
| |
1
| |||
2
| |||
3
| |||
4
| |||
5
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6
| |||
7
| |||
8
| |||
9
| |||
10
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11
| |||
12
| |||
13
| |||
14
| |||
15
| |||
16
| |||
17
| |||
18
| |||
19
| |||
20
| |||
21
| |||
22
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23
| |||
24
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25
| |||
26
| |||
27
| |||
28
| |||
29
| |||
कुल 07
क्रमांक
|
संघ राज्य क्षेत्र
|
स्थापना दिवस /सन
| |
1
| |||
2
| |||
3
| |||
4
|
दादरा नागर हवेली
| ||
5
| |||
6
| |||
7
|
#जम्मू -कश्मीर को विशेष दर्जा :-
जम्मू - कश्मीर को भारतीय सम्विधान के अनुच्छेद 370 के अंतर्गत विशेष दर्जा प्राप्त राज्य घोषित किया गया है !
## अनुच्छेद 352 के अंतर्गत जम्मू -कश्मीर में बिना उसकी सहमती के राष्ट्रीय आपात -लागू नहीं किया जा सकता है !
## सम्विधान के अनुच्छेद 360 के अंतर्गत वित्तीय आपात जम्मू -कश्मीर पर किसी भी तरीके से लागू नहीं हो सकता है !
## सम्विधान के अनुच्छेद 356 के अनुसार जम्मू -कश्मीर में पहले राज्यपाल -शाशन की घोषणा की जाती है !
## नियंत्रक ,महालेखक ,परीक्षक ,, निर्वाचन ,,आयोग तथा उच्चतम न्यायालय की विशेष अनुमति की अधिकारिता का विस्तार जम्मू -कश्मीर राज्य पर किया गया है !
## जम्मू -कश्मीर का अपना स्वयम का सम्विधान है ,जो वर्ष 1957 से लागू है !
भारतीय नागरिकता अधिनियम, - 1955
## भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 , को पारित करते हुए सम्विधान में नागरिकता सम्वन्धी व्यापक नियमावली तैयार की गई है !जैसे कि :-
:- किसी भी नागरिक को भारत का नागरिक तभी माना जायेगा जब वह :
@ भारत में जन्मा हो !
@ भारत में निवासरत वंशाधिकारी हो !
@ उसने नागरिकता प्राप्त करने हेतु पंजीकरण कराया हो !
@देशीकरण के द्वारा !
@ किसी भी क्षेत्र विशेष की समाविष्टि के माध्यम से !
## 26जनवरी 1950 के बाद भारत में जन्मा कोई भी व्यक्ति जन्म से ही भारत का नागरिक होगा !
नोट :- ऐसे नागरिक जो भारत में जन्मे विदेशी राजनायको एवं कर्मचारिओं के बच्चे तथा ऐसा भाग जो भारत में तो हो किन्तु किसी शत्रु के अधीन हो - ऐसी स्थिति में वे भारतीय नागरिकता से वंचित रहेंगे !
## 26 जनवरी 1950 के बाद भारत के बाहर जन्म कोई भी व्यक्ति , जिसके पिता भारतीय नागरिकता प्राप्त किये हो ,,अपेक्षाओं के अधीन रहते हुए ,भारत का नागरिक होगा !
## कुछ ऐसी परिस्थितियों में जिनमे कोई व्यक्ति विहित रीति में पंजीकरण द्वारा भारतीय नागरिकता अर्जित कर सकते है !
## विदेशी व्यक्ति कुछ उचित मान्य शर्तो के आधार पर , नागरिकता प्राप्त करने हेतु ,आवेदन देकर नागरिकता प्राप्त कर सकते है !
## यदि कोई राज्य क्षेत्र - भारत देश का अंग बन जाता है , तो भारत सरकार आदेश द्वारा यह निर्दिष्ट कर सकती है , कि उसके परिणाम स्वरुप कौन - व्यक्ति भारत के नागरिक बन सकते है !
## नागरिकता कतिपय आधारों पर - स्वेच्छा से त्याग दिए जाने या वंचित कर दिए जाने के कारण समाप्त हो सकती है !
## राष्ट्र मंडल देश के किसी नागरिक को भारत में - राष्ट्र मंडल नागरिक का दर्जा प्राप्त होगा -सरकार परस्परता के आधार पर उपयुक्त प्रावधान कर सकती है !
## 1986 में किये गये संसोधन के अनुसार कोई व्यक्ति जिसका जन्म भारत में 26जनवरी 1950- के पश्चात् किन्तु 26नवम्बर 1986के पूर्व हुआ हो , उसे देश की नागरिकता तभी प्राप्त होगी - जब उसके जन्म के समय उसके माता -पिता में से कोई एक भारत का नागरिक रहा होगा !
## भारत के प्रत्येक नागरिक को एकल -नागरिकता प्राप्त है -
## संयुक्त -राज्य अमेरिका की भाति - नागरिक को किसी -प्रदेश या प्रान्त की नागरिकता प्राप्त नहीं है !
## अलग -अलग सोलह देशों में रहने वाले भारतीय मूल के नागरिकों को -वर्ष 2003 में एक संसोधन करके - दोहरी नागरिकता प्रदान की गई !
## सम्वन्धित सोलह भारत वंशी लोगो को अधिकार /सुविधाए :-
@ भारत के अंदर शिक्षा का अधिकार !
@ व्यापारिक अथवा वाणिज्यिक क्रियाकलापों के अधिकार ! एवं :-
@ आर्थिक गतिविधियाँ चलाने के अधिकार !
@ देश में सम्पत्ति क्रय कर सकते है !
## भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम - 1986 ##
## भारतीय नागरिकता अधिनियम -:1956 -में किये गये संशोधन :-
1 - देशियकरण द्वारा तभी नागरिकता प्रदान की जाएगी ,जबकि सम्वन्धित व्यक्ति कम से कम 10 वर्षों तक भारत में रह चूका हो ! यही आव्धि पूर्व में पांच वर्षों की थी !
2 - अब भारत में जन्मे केवल उस व्यक्ति को ही नागरिकता प्रदान की जायेगी -,जिसके माता -पिता में से कोई एक भारत का नागरिक रहा हो !
3 -जो व्यक्ति पंजीकरण के माध्यम से नागरिकता प्राप्त करना चाहते है ,उन्हें भी अब भारत में कम से कम पांच वर्षो तक निवास करना होगा !यही अवधि पूर्व में सिर्फ छः माह की थी !
## संसद द्वारा सर्वसम्मति से सन 1992 में , ना गरिकता संशोधन विधेयक पारित करके यह व्यवस्था की गई कि ,भारत से बाहर जन्मे बच्चे को ,यदि उसकी माँ भारत की नागरिक है , तो उसके बच्चे को भी भारतीय नागरिकता प्राप्त होगी !
नोट # इससे पूर्व उसी स्थिति में -बच्चे को भारत की नागरिकता प्राप्त होती थी ,जबकि जन्मे बच्चे का पिता भारतीय नागरिक हो !
## कोई भी नागरिक अपनी मर्जी से अपनी नागरिकता का त्याग कर सकता है !
## कुछ विशेष वर्गो को जैसे कि ,अंगीकृत नागरिक वर्ग -,दीर्घ आवासीय नागरिक वर्ग -,, पंजीकृत नागरिक वर्ग -,, को नागरिकता से वंचित करने के अधिकार है !
## भारत सरकार उन नागरिकों की नागरिकता का भी हरण करने का अधिकार अपने पास सुरक्षित रखती है ,जो :,
@ देश में रहते हुए -शत्रु पक्ष को गोपनीय सूचनाओ को पहुचाये !
@ देश की नागरिकता के लिए किसी भी प्रकार से जाली दस्तावेजों का प्रयोग किये हो !
@ देश में निवासरत ऐसे नागरिक जो ,भारतीय सम्विधान के प्रति अपनी अनिष्ठा प्रकट करते हो !एवं ,,
@ भारत देश में निवासरत कोई एसा नागरिक जिसे भारतीय नागरिकता प्राप्त किये हुए पूर्ण पांच वर्ष नहीं हुए ,एवं ऐसे व्यक्ति को किसी न्यायालय से दो वर्ष या उससे अधिक का कारावास की सजा कारित की गई हो , तो भारत सरकार ऐसे नागरिक की नागरिकता को हरण करने का अधिकार रखती है !
**********************************************//****************************//***********************************************************************//****************************//*************************
# अनुच्छेद -'17'में अस्प्रश्यता के उन्मूलन सम्वन्धी प्रावधान का उल्लेख है !
## यही वह अनुच्छेद है, जिसके आधार पर ,संसद के द्वारा -अस्प्रश्यता -अधिनियम -1955 का निर्माण किया गया था ## सन -1976 में एक अन्य संसोधन द्वारा इसी अधिनियम का नाम "सिविल अधिकार -संरक्षण -अधिनियम 1955हुआ !
## -विधि के समक्ष समानता -:
विधि -के समक्ष समानता से आशय है कि ,देश में निवासरत कोई भी नागरिकता प्राप्त नागरिक किसी भी स्थिति में विधि -से ऊपर नहीं है !चाहे वह किसी ऊँचे -पद या ओहदे पर आसीन क्यों न हो ! ## -विधि -के समान संरक्षण -:
विधि-के समान संरक्षण से आशय ,यह है ,कि -समान लोगो के लिए -एक समान विधि होगी -तथा समान परिस्थितियों के होने पर -उसमे किसी भी प्रकार का भेदभाव कारित नहीं किया जायेगा !
- याद रखने योग्य -
2 .##
## भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 , को पारित करते हुए सम्विधान में नागरिकता सम्वन्धी व्यापक नियमावली तैयार की गई है !जैसे कि :-
:- किसी भी नागरिक को भारत का नागरिक तभी माना जायेगा जब वह :
@ भारत में जन्मा हो !
@ भारत में निवासरत वंशाधिकारी हो !
@ उसने नागरिकता प्राप्त करने हेतु पंजीकरण कराया हो !
@देशीकरण के द्वारा !
@ किसी भी क्षेत्र विशेष की समाविष्टि के माध्यम से !
## 26जनवरी 1950 के बाद भारत में जन्मा कोई भी व्यक्ति जन्म से ही भारत का नागरिक होगा !
नोट :- ऐसे नागरिक जो भारत में जन्मे विदेशी राजनायको एवं कर्मचारिओं के बच्चे तथा ऐसा भाग जो भारत में तो हो किन्तु किसी शत्रु के अधीन हो - ऐसी स्थिति में वे भारतीय नागरिकता से वंचित रहेंगे !
## 26 जनवरी 1950 के बाद भारत के बाहर जन्म कोई भी व्यक्ति , जिसके पिता भारतीय नागरिकता प्राप्त किये हो ,,अपेक्षाओं के अधीन रहते हुए ,भारत का नागरिक होगा !
## कुछ ऐसी परिस्थितियों में जिनमे कोई व्यक्ति विहित रीति में पंजीकरण द्वारा भारतीय नागरिकता अर्जित कर सकते है !
## विदेशी व्यक्ति कुछ उचित मान्य शर्तो के आधार पर , नागरिकता प्राप्त करने हेतु ,आवेदन देकर नागरिकता प्राप्त कर सकते है !
## यदि कोई राज्य क्षेत्र - भारत देश का अंग बन जाता है , तो भारत सरकार आदेश द्वारा यह निर्दिष्ट कर सकती है , कि उसके परिणाम स्वरुप कौन - व्यक्ति भारत के नागरिक बन सकते है !
## नागरिकता कतिपय आधारों पर - स्वेच्छा से त्याग दिए जाने या वंचित कर दिए जाने के कारण समाप्त हो सकती है !
## राष्ट्र मंडल देश के किसी नागरिक को भारत में - राष्ट्र मंडल नागरिक का दर्जा प्राप्त होगा -सरकार परस्परता के आधार पर उपयुक्त प्रावधान कर सकती है !
## 1986 में किये गये संसोधन के अनुसार कोई व्यक्ति जिसका जन्म भारत में 26जनवरी 1950- के पश्चात् किन्तु 26नवम्बर 1986के पूर्व हुआ हो , उसे देश की नागरिकता तभी प्राप्त होगी - जब उसके जन्म के समय उसके माता -पिता में से कोई एक भारत का नागरिक रहा होगा !
## भारत के प्रत्येक नागरिक को एकल -नागरिकता प्राप्त है -
## संयुक्त -राज्य अमेरिका की भाति - नागरिक को किसी -प्रदेश या प्रान्त की नागरिकता प्राप्त नहीं है !
## अलग -अलग सोलह देशों में रहने वाले भारतीय मूल के नागरिकों को -वर्ष 2003 में एक संसोधन करके - दोहरी नागरिकता प्रदान की गई !
##सोलह देश जिनमे ,भारतीय मूल के लोगो को "दोहरी नागरिकता "की सुविधा प्रदान की गई है !##
|
1
|
5
|
9
|
13
| ||||
2
|
6
|
10
|
14
| ||||
3
|
7
|
11
|
15
| ||||
4
|
8
|
12
|
16
|
सोलह देश जिनमे ,भारतीय मूल के लोगो को "दोहरी नागरिकता "की सुविधा प्रदान की गई है !
|
## सम्वन्धित सोलह भारत वंशी लोगो को अधिकार /सुविधाए :-
@ भारत के अंदर शिक्षा का अधिकार !
@ व्यापारिक अथवा वाणिज्यिक क्रियाकलापों के अधिकार ! एवं :-
@ आर्थिक गतिविधियाँ चलाने के अधिकार !
@ देश में सम्पत्ति क्रय कर सकते है !
## भारतीय नागरिकता संशोधन अधिनियम - 1986 ##
## भारतीय नागरिकता अधिनियम -:1956 -में किये गये संशोधन :-
1 - देशियकरण द्वारा तभी नागरिकता प्रदान की जाएगी ,जबकि सम्वन्धित व्यक्ति कम से कम 10 वर्षों तक भारत में रह चूका हो ! यही आव्धि पूर्व में पांच वर्षों की थी !
2 - अब भारत में जन्मे केवल उस व्यक्ति को ही नागरिकता प्रदान की जायेगी -,जिसके माता -पिता में से कोई एक भारत का नागरिक रहा हो !
3 -जो व्यक्ति पंजीकरण के माध्यम से नागरिकता प्राप्त करना चाहते है ,उन्हें भी अब भारत में कम से कम पांच वर्षो तक निवास करना होगा !यही अवधि पूर्व में सिर्फ छः माह की थी !
## संसद द्वारा सर्वसम्मति से सन 1992 में , ना गरिकता संशोधन विधेयक पारित करके यह व्यवस्था की गई कि ,भारत से बाहर जन्मे बच्चे को ,यदि उसकी माँ भारत की नागरिक है , तो उसके बच्चे को भी भारतीय नागरिकता प्राप्त होगी !
नोट # इससे पूर्व उसी स्थिति में -बच्चे को भारत की नागरिकता प्राप्त होती थी ,जबकि जन्मे बच्चे का पिता भारतीय नागरिक हो !
## कोई भी नागरिक अपनी मर्जी से अपनी नागरिकता का त्याग कर सकता है !
## कुछ विशेष वर्गो को जैसे कि ,अंगीकृत नागरिक वर्ग -,दीर्घ आवासीय नागरिक वर्ग -,, पंजीकृत नागरिक वर्ग -,, को नागरिकता से वंचित करने के अधिकार है !
## भारत सरकार उन नागरिकों की नागरिकता का भी हरण करने का अधिकार अपने पास सुरक्षित रखती है ,जो :,
@ देश में रहते हुए -शत्रु पक्ष को गोपनीय सूचनाओ को पहुचाये !
@ देश की नागरिकता के लिए किसी भी प्रकार से जाली दस्तावेजों का प्रयोग किये हो !
@ देश में निवासरत ऐसे नागरिक जो ,भारतीय सम्विधान के प्रति अपनी अनिष्ठा प्रकट करते हो !एवं ,,
@ भारत देश में निवासरत कोई एसा नागरिक जिसे भारतीय नागरिकता प्राप्त किये हुए पूर्ण पांच वर्ष नहीं हुए ,एवं ऐसे व्यक्ति को किसी न्यायालय से दो वर्ष या उससे अधिक का कारावास की सजा कारित की गई हो , तो भारत सरकार ऐसे नागरिक की नागरिकता को हरण करने का अधिकार रखती है !
**********************************************//****************************//***********************************************************************//****************************//*************************
## -- राज्य के नीति निदेशक तत्व :-
विशेष ;- सम्विधान के नीति-निदेशक तत्वों का विचार भारतीय सम्विधान में "आयरलैंड " से लिया गया है !
@-:- कोई एक राज्य स्वयम की नीतियों का निर्धारण करने हेतु जिन नीतियों का निर्धारण करेगा , सम्विधान में उसे नीति -निदेशक तत्व के द्वारा वर्णित किया गया है !
@ नीति -निदेशक तत्वों को कोई भी वैधानिक शक्ति प्राप्त नहीं है ,अत:इसे न्यायालय द्वारा लागु नहीं करवाया जा सकता है !
@ सम्विधान के अनुच्छेद 38 के अनुसार -सामाजिक व्यवस्था का निर्माण -, राज्य लोक -कल्याण की -अभिवृद्धि हेतु करेगा ,जिससे कि व्यक्तियों में असामानता की भावना का विकास न हो सके !
@ सम्विधान के अनुच्छेद 42--43 के अनुसार राज्य श्रीमिकों के लिए एक ऐसी व्यवस्था बनाएगा , जिससे उन्हें रोज़गार ,, अवकाश ,तथा शिष्ट जीवन स्तर प्राप्त हो सके !
@
@ सम्विधान के अनुच्छेद 43 (क )के अनुसार राज्य कुटीर उद्योगों को - सहकारी आधार पर -प्रोत्साहन करेगा !
@ सम्विधान के अनुच्छेद 47 के अंतर्गत -लोक -स्वास्थ्य में सुधार लाना -,, नागरिकों के पोषण -स्तर तथा --जीवन स्तर को ऊँचा करना -,प्राथमिक कर्तव्य की श्रेणी में होगा !
@ अनुच्छेद 39के अनुसार राज्य भौतिक संसाधनों का समान वितरण करेगा तथा उनका संकेन्द्रण करेगा !
@ सम्विधान के अनुच्छेद 51 के अंतर्गत - ,, राज्य - अन्तराष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा बनाये रखने का हर सम्भव प्रयास करेगा !
----**-- राज्य की नीति को प्रभावित करने वाले तत्व :-
सम्बिधान के अनुच्छेद 44 में वर्णित "राज्य नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता का निर्माण करेगा "!
** - प्रारम्भिक शैशवावस्था की देख रेख ,छः वर्ष से कम आयु के बालकों की शिक्षा का प्रावधान !
** -इसी क्रम में अनुच्छेद 48के अनुसार राज्य कृषि एवं पशुपालन को वैज्ञानिक ढंग से संगठित करेगा !
**- सम्विधान में नीति को प्रभावित करने वाले तत्त्वों में अनुच्छेद 46 के अनुसार "राज्य अनुसूचित जातियों ,अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य दुर्वल वर्गो के हितो की अभिवृद्धि के लिए कानून बनाएगा !
**- राज्य पर्यावरण संरक्षण ,वन तथा वन्य जीवों के संरक्षण एवं सम्वर्धन हेतु प्रयास सम्वन्धी प्रभावी तत्त्व अनुच्छेद 48क में वर्णित है !
**- अगले क्रम में अनुच्छेद 49 के अनुसार "राज्य ऐतिहासिक महत्व के स्मारकों ,स्थानों तथा वस्तुओं का संरक्षण सम्वन्धी उल्लेख है !
**- राज्य की नीति को प्रभावित करने वाले तत्त्वों में अनुच्छेद 50 के अनुसार -"राज्य "कार्यपालिका "एवं "न्याय पालिका "की शक्तियों का प्रथक्करण ,"करने सम्वन्धी उल्लेख है !
## नागरिकों के अप्रवर्त्निये अधिकार से संवंधित तत्त्व :-
# इन तत्त्वों में अनुच्छेद 39 (क )के अनुसार राज्य के नागरिकों को एक समान रूप से आजीविका के साधन प्राप्त करने का अधिकार :-
# इसी सन्दर्भ में अनुच्छेद 39 (घ ) के अनुसार एक समान कार्य हेतु "एक समान वेतन का अधिकार :
# अनुच्छेद 39(ड )के अनुसार -"आर्थिक शोषण के विरुद्ध अधिकार ":-
# समान न्याय एवं समान निशुल्क विधिक सहायता के अधिकार का उल्लेख ब्यालीस्बे (42बे ) सम्विधान संशोधन के अधिनियम के अनुच्छेद "39 क " में संदर्भित है !
# इनही अधिकारों के क्रम में अनुच्छेद 41 के अनुसार ,काम शिक्षा एवं लोक सहायता पाने का अधिकार निहित है !,जबकि अनुच्छेद 42 के अनुसार कार्य की न्याय संगत ,एवं मानवोचित दशाओं तथा प्रसूति सहायता सम्वन्धी अधिकार वर्णित है !
# अनुच्छेद 43 के अनुसार मजदूरों अथवा श्रमिकों को "निर्वाह पारिश्रीमिक "पाने सम्वन्धी अधिकार है !,जबकि अनुच्छेद 43 'क " के अनुसार मजदूरों को उद्योगों के प्रवंध में भाग लेने सम्वन्धी अधिकार का उल्लेख किया गया है !
!!विशेष :-ब्यालिस्बे '42 वे ' सम्विधान संशोधन के माध्यम से जोड़े गये "नीति -निदेशक -तत्त्व "!!
अनुच्छेद 48 'क ' - पर्यावरण एवं वन्य जीव संरक्षण -
अनुच्छेद 39 'च ' - अल्प-वयस्कों -,बालको -, को शोषण से बचाने के साथ -साथ स्वस्थ विकास का अवसर पाने का अधिकार :
अनुच्छेद 39'क '- एक समान न्याय एवं निशुल्क विधिक सहायता प्राप्त करने का अधिकार :-
अनुच्छेद 43'क' - उद्योगों के प्रवंध में कर्मकारों की सहभागिता सम्वन्धी अधिकार :-
!!विशेष :- चबालिस्वें '44वे 'सम्विधान संशोधन द्वारा जोड़े गये -तत्व -!!
अनुच्छेद '38 "2 " - विभिन्न व्यवसायों में लगे हुए लोगों के समूहों के मध्य -प्रतिष्ठा ,सुविधाओं - और अवसरों की असमानता को समाप्त करने का प्रयास राज्य करेगा !
नोट :-
# सम्विधान में मूल प्रारूप से कुल मिलाकर सात ( 7 ) मौलिक अधिकारों को वर्णित किया गया है !
1 - समानता का अधिकार -जिसे अनुच्छेद ' 14 से 18 'में वर्णित है !
2- अनुच्छेद 19 से 22 में 'विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार -
3 -अनुच्छेद 23 एवं 24 में "शोषण के विरुद्ध अधिकार -
4 -अनुच्छेद 25 से 28 में "धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार -
5 -अनुच्छेद 29 - 31 में "संस्कृति व् शिक्षा सम्वन्धी अधिकार -
6 -अनुच्छेद 32 - 35 में "संवैधानिक उपचारों का अधिकार -
नोट -
* '44 वे ' सम्विधान संशोधन के द्वारा सन -1978 में "सम्पत्ति के अधिकार "से सम्वन्धित 'अनुच्छेद 19(1 )'च 'एवं अनुच्छेद '31' को निरसित कर दिया गया !
## स्पष्टीकरण :-
# अनुच्छेद 14 के अनुसार भारत राज्य क्षेत्र में -राज्य किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समानता अथवा विधि द्वारा समान रूप से संरक्षण प्रदान करेगा !
----**-- राज्य की नीति को प्रभावित करने वाले तत्व :-
सम्बिधान के अनुच्छेद 44 में वर्णित "राज्य नागरिकों के लिए एक समान सिविल संहिता का निर्माण करेगा "!
** - प्रारम्भिक शैशवावस्था की देख रेख ,छः वर्ष से कम आयु के बालकों की शिक्षा का प्रावधान !
** -इसी क्रम में अनुच्छेद 48के अनुसार राज्य कृषि एवं पशुपालन को वैज्ञानिक ढंग से संगठित करेगा !
**- सम्विधान में नीति को प्रभावित करने वाले तत्त्वों में अनुच्छेद 46 के अनुसार "राज्य अनुसूचित जातियों ,अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य दुर्वल वर्गो के हितो की अभिवृद्धि के लिए कानून बनाएगा !
**- राज्य पर्यावरण संरक्षण ,वन तथा वन्य जीवों के संरक्षण एवं सम्वर्धन हेतु प्रयास सम्वन्धी प्रभावी तत्त्व अनुच्छेद 48क में वर्णित है !
**- अगले क्रम में अनुच्छेद 49 के अनुसार "राज्य ऐतिहासिक महत्व के स्मारकों ,स्थानों तथा वस्तुओं का संरक्षण सम्वन्धी उल्लेख है !
**- राज्य की नीति को प्रभावित करने वाले तत्त्वों में अनुच्छेद 50 के अनुसार -"राज्य "कार्यपालिका "एवं "न्याय पालिका "की शक्तियों का प्रथक्करण ,"करने सम्वन्धी उल्लेख है !
## नागरिकों के अप्रवर्त्निये अधिकार से संवंधित तत्त्व :-
# इन तत्त्वों में अनुच्छेद 39 (क )के अनुसार राज्य के नागरिकों को एक समान रूप से आजीविका के साधन प्राप्त करने का अधिकार :-
# इसी सन्दर्भ में अनुच्छेद 39 (घ ) के अनुसार एक समान कार्य हेतु "एक समान वेतन का अधिकार :
# अनुच्छेद 39(ड )के अनुसार -"आर्थिक शोषण के विरुद्ध अधिकार ":-
# समान न्याय एवं समान निशुल्क विधिक सहायता के अधिकार का उल्लेख ब्यालीस्बे (42बे ) सम्विधान संशोधन के अधिनियम के अनुच्छेद "39 क " में संदर्भित है !
# इनही अधिकारों के क्रम में अनुच्छेद 41 के अनुसार ,काम शिक्षा एवं लोक सहायता पाने का अधिकार निहित है !,जबकि अनुच्छेद 42 के अनुसार कार्य की न्याय संगत ,एवं मानवोचित दशाओं तथा प्रसूति सहायता सम्वन्धी अधिकार वर्णित है !
# अनुच्छेद 43 के अनुसार मजदूरों अथवा श्रमिकों को "निर्वाह पारिश्रीमिक "पाने सम्वन्धी अधिकार है !,जबकि अनुच्छेद 43 'क " के अनुसार मजदूरों को उद्योगों के प्रवंध में भाग लेने सम्वन्धी अधिकार का उल्लेख किया गया है !
!!विशेष :-ब्यालिस्बे '42 वे ' सम्विधान संशोधन के माध्यम से जोड़े गये "नीति -निदेशक -तत्त्व "!!
अनुच्छेद 48 'क ' - पर्यावरण एवं वन्य जीव संरक्षण -
अनुच्छेद 39 'च ' - अल्प-वयस्कों -,बालको -, को शोषण से बचाने के साथ -साथ स्वस्थ विकास का अवसर पाने का अधिकार :
अनुच्छेद 39'क '- एक समान न्याय एवं निशुल्क विधिक सहायता प्राप्त करने का अधिकार :-
अनुच्छेद 43'क' - उद्योगों के प्रवंध में कर्मकारों की सहभागिता सम्वन्धी अधिकार :-
!!विशेष :- चबालिस्वें '44वे 'सम्विधान संशोधन द्वारा जोड़े गये -तत्व -!!
अनुच्छेद '38 "2 " - विभिन्न व्यवसायों में लगे हुए लोगों के समूहों के मध्य -प्रतिष्ठा ,सुविधाओं - और अवसरों की असमानता को समाप्त करने का प्रयास राज्य करेगा !
नोट :-
# सम्विधान में मूल प्रारूप से कुल मिलाकर सात ( 7 ) मौलिक अधिकारों को वर्णित किया गया है !
1 - समानता का अधिकार -जिसे अनुच्छेद ' 14 से 18 'में वर्णित है !
2- अनुच्छेद 19 से 22 में 'विचारों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार -
3 -अनुच्छेद 23 एवं 24 में "शोषण के विरुद्ध अधिकार -
4 -अनुच्छेद 25 से 28 में "धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार -
5 -अनुच्छेद 29 - 31 में "संस्कृति व् शिक्षा सम्वन्धी अधिकार -
6 -अनुच्छेद 32 - 35 में "संवैधानिक उपचारों का अधिकार -
नोट -
* '44 वे ' सम्विधान संशोधन के द्वारा सन -1978 में "सम्पत्ति के अधिकार "से सम्वन्धित 'अनुच्छेद 19(1 )'च 'एवं अनुच्छेद '31' को निरसित कर दिया गया !
## स्पष्टीकरण :-
1.समता का अधिकार
RIGHT TO Equality
|
# अनुच्छेद -'17'में अस्प्रश्यता के उन्मूलन सम्वन्धी प्रावधान का उल्लेख है !
## -विधि के समक्ष समानता -:
विधि -के समक्ष समानता से आशय है कि ,देश में निवासरत कोई भी नागरिकता प्राप्त नागरिक किसी भी स्थिति में विधि -से ऊपर नहीं है !चाहे वह किसी ऊँचे -पद या ओहदे पर आसीन क्यों न हो ! ## -विधि -के समान संरक्षण -:
विधि-के समान संरक्षण से आशय ,यह है ,कि -समान लोगो के लिए -एक समान विधि होगी -तथा समान परिस्थितियों के होने पर -उसमे किसी भी प्रकार का भेदभाव कारित नहीं किया जायेगा !
- याद रखने योग्य -
b-मौलिक अधिकार -न्याय -योग्य है !
| |
c-मौलिक -अधिकार वैधिक -अनुशक्ति से युक्त है !
|
c-नीति-निदेशक तत्वों में वैधिक अनु शक्ति का अभाव है !
|
d-नीति-निदेशक तत्व - राज्य विशेष के उपयोग हेतु होते है !
| |
#अनुच्छेद 19 में कुल -छह स्वतंत्रताओं का उल्लेख संदर्भित है :-
A)अनुच्छेद 19 'A' में वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सम्वन्धी अधिकार वर्णित है !
B)अनुच्छेद 19'B' में शांतिपूर्ण एवं निरायुद्ध सम्मेलन की स्वतंत्रता सम्वन्धी अधिकार वर्णित है !
C)अनुच्छेद 19'C'में संघ अथवा संगम बनाने की स्वतंत्रता का अधिकार -
D)अनुच्छेद 19'D'भारत के राज्य में अबाध संचरण की स्वतंत्रता -
E)अनुच्छेद 19'E'के अनुसार भारत के किसी भी राज्य क्षेत्र में निवास अथवा बस जाने का अधिकार -
F)अनुच्छेद 19'G'उपजीविका -,व्यापार ,अथवा कारोबार करने की स्वतंत्रता -
नोट :-
अनुच्छेद 19'E का अपवाद :-
यह कि -जम्मू -कश्मीर में बसने अथवा सम्पत्ति -क्रय -करने की स्वतंत्रता नहीं है !
3 .###
## शोषण के विरुद्ध अधिकार का उल्लेख सम्विधान के अनुच्छेद -23 एवं 24 के अंतर्गत किया गया है जो कि :-
1 -मानव का व्यापार नहीं किया जाएगा !
2- राज्य के किसी भी व्यक्ति से बेगार नहीं लिया जायेगा !
3- किसी भी फैक्ट्री -कंपनी अथवा कोई अन्य संकटमय नियोजन में 14वर्ष से कम आयु के बालको को नहीं लगाया जायेगा !
4- राज्य -सार्वजनिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु अनिवार्य सेवा अधिरोपित कर सकती है !इससे तात्पर्य अनिवार्य सैनिक सेवा -राष्ट्रनिर्माण -कार्यक्रम तथा सामाजिक सेवा से है !
4 .##
## धार्मिक स्वतंत्रता सम्वन्धी अधिकार का वर्णन -सम्विधान के अनुच्छेद 25-28के अंतर्गत किया गया है !
1 -धार्मिक कार्यो के प्रवंधो की स्वतंत्रता -
2 - अपने -अपने धर्म -का प्रचार -प्रसार करने सम्वन्धी स्वतंत्रता -
3 - कुछ शिक्षण संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा /प्रार्थना में उपस्थित होने के सम्वन्ध में स्वतंत्रता -
4 - धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार पर -सदाचार -जनता के स्वास्थ्य -समाज कल्याण - तथा समाज सुधार -की द्रष्टि से प्रति -बन्ध लगाये जा सकने सम्वन्धी अधिकार -
5 .##
# सम्विधान के अनुच्छेद -29 एवं 30 में संस्कृति एवं शिक्षा से सम्बन्धित प्रावधान दिए गये है :-
1 - भारत के नागरिको को अपनी विशेष भाषा -लिपि या संस्कृति को बनाये रखने का अधिकार -
2 - राज्य द्वारा पोषित अथवा राज्य निधि से सहायता प्राप्त -किसी भी शिक्षण संस्था में - प्रवेश के लिए नागरिको -को मूलवंश -धर्म -भाषा एवं जाति -के आधार पर वंचित नहीं किया जायेगा !
3 - अल्प-संख्यक वर्गो को - अपनी पसंद के शिक्षण संस्थान चलाने सम्वन्धी अधिकार अनुच्छेद 30 में वर्णित है !
6 .##
# अनुच्छेद 32-35 में दिए गये सम्वैधानिक उपचारों के अधिकार के द्वारा -मौलिक अधिकारों को -न्यायालय द्वारा प्रवर्तनिय बनाया गया है :-
1-इसके अंतर्गत -न्यायालय प्रलेख जारी कर अनुतोष प्रदान करता है !
2- अनुच्छेद 32का निलम्वन संविधान के द्वारा अन्यथा उप-वंधित किये जाने के अतिरिक्त नहीं किया जा सकता है !
3-संदर्भित अनुच्छेदों को डॉ.भीमराव आंबेडकर ने सम्विधान की आत्मा कह कर सम्बोधित किया है !
## संघ का शाशन ##
राष्ट्रपति
|
कार्यपालिका विधानमंडल
|
कबिनेट
मंत्री
|
राज्य मंत्री
|
उप् राज्यमंत्री
|
उच्च सदन
|
निम्नसदन
|
राज्यसभा
राष्ट्रपति द्वारा नामित
12 सदस्य
|
राज्यों
तथा संघ राज्यों से अधिकतम238 सदस्य
|
530 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामित02 सद. अधि.20 प्रतिनिधि
|
- राष्ट्रपति का निर्वाचन एक निर्वाचक मंडल के माध्यम से किया जाता है , इस निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य एवं राज्य की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते है !
--
क्यों बने ?-
|
० राष्ट्रपति से सम्वन्धित विशेष तथ्यों पर एक नजर -
० राज्य की विधानसभा के भंग होने का देश के राष्ट्रपति - के निर्वाचन पर कोई प्रभाव नही पड़ता है !
| ||||
० राष्ट्रपति -पद के प्रत्याशी को - 50 अनुमोदकों एवं 50 प्रस्तावकों द्वारा लिखित
| ||||
०राष्ट्रपति के पद हेतु - प्रत्याशी को जमानत राशि जमा करनी अनिवार्य होती है !
| ||||
०राज्य की विधानसभाओं के सदस्य के मतो का निर्धारण :-=
| ||||
०संसद के सदस्यों के मतों का निर्धारण इस सूत्र के माध्यम से किया जाता है !
| ||||
| ||||
०अवधि -राष्ट्रपति पद की अवधि पद ग्रहण करने की तारीख से ठीक पांच वर्ष तक होती है !
| ||||
०भारत के राष्ट्रपति का मासिक वेतन 1.5 लाख रूपये है , !
| ||||
०भारत के राष्ट्रपति का वेतन पूरी तरीके से आयकर से मुक्त होता है !
| ||||
०पद से मुक्त होने के पश्चात राष्ट्रपति को नौ - लाख रूपये प्रति वर्ष के मान से पेंशन मिलती है !
| ||||
! राष्ट्र - पति एवं उप राष्ट्र - पति तुलनात्मक अध्ययन !
-- राष्टपति संसद का एक मुख्य अंग होता है ! जबकि उप-राष्ट्रपति संसद के एक अंग राज्य सभा का सभापति होता है !
--- राष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के सदस्य तथा राज्य विधान मंडल के सदस्यों के द्वारा किया जाता है !जबकि उपराष्ट्रपति का निर्वाचन सिर्फ संसद के दोनों सदनों के सदस्यों के द्वारा होता है !
---- राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी में लोकसभा का सदस्य निर्वाचित हो सकने योग्य - योग्यता होनी चाहिए ,जबकि उपराष्ट्रप्ति पद के लिए प्रत्याशी को , राज्यसभा की सदस्यता के लिए अर्ह होना चाहिए !
-- राष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए 14दिन की नोटिस के साथ - संसद के किसी भी सदन में प्रस्ताव लाया जा सकता है !इसे ही महाभियोग कहा जाता है !जबकि उपराष्ट्रपति को पद से हटाने के लिए प्रस्ताव राज्यसभा में ही लाया जाता है !
---- महाभियोग की प्रक्रिया में राष्ट्रपति को अपना पक्ष रखने का अधिकार प्राप्त है !जबकि उपराष्ट्रपति को ऐसा कोई भी अधिकार नहीं दिया गया है !
---- संसद के दोनों सदनों के दो- तिहाई सदस्यों के बहुमत पारित होने के उपरान्त ही , राष्ट्रपति पर महाभियोग संकल्पित किया जा सकता है !
जबकि उपराष्ट्रपति को पद से हटाने का संकल्प राज्यसभा में उपस्थित सदस्यों के बहुमत के द्वारा पारित किया जाता है ,इसके बाद लोकसभा के द्वारा स्वीकृति भी गृहीत की जाती है !
अब तक निर्विरोध चुने गये - उपराष्ट्रपति
|
1- 01 डॉ.राधाकृष्णन
02- एम् .हिदायेतुल्ला
03- डॉ.शंकर दयाल शर्मा
|
-- उपराष्ट्रपति - पद से सेवा - निर्वृत्त होने के कुछ समय पूर्व ही उपराष्ट्रपति कृष्ण-कान्त का निधन हो गया था !
विशेष- उपराष्ट्रपति के निर्वाचन संदर्भित सभी विवादों पर अंतिम अधिकार "सर्वोच्च न्यायालय "का ही होता है !
-राष्ट्रपति एवं उप-राष्ट्रपति के निर्वाचन से सम्वन्धित समस्त विषयों का विनियमन संसद के द्वारा किया जाता है !
उपराष्ट्रपति जो राष्ट्रपति नहीं बन सके
|
1-गोपाल स्वरुप पाठक 2- बी . डी . जत्ती
3- एम० हिदायेतुल्ला 4- कृष्णकांत
|
- यदि उपराष्ट्रपति के निर्वाचन को सर्वोच्च न्यायालय के द्वारा "शून्य "घोषित कर दिया जाता है !
तो पदस्थ रहते हुए पूर्व के निर्णय किसी भी सन्दर्भ में अवैधानिक नहीं होते है !
तो पदस्थ रहते हुए पूर्व के निर्णय किसी भी सन्दर्भ में अवैधानिक नहीं होते है !
संसद
|
- संसद का निचला सदन लोकसभा एवं उच्च सदन राज्यसभा कहलाती है !
|
- भारतीय संसद राष्ट्रपति ,राज्यसभा तथा लोकसभा से मिलकर बनते है !
|
- लोकसभा में जनता का प्रतिनिधित्त्व होता है ,जबकि राज्यसभा में भारत के राज्यों
|
राज्य - सभा
|
- राज्य सभा एक स्थाई सदन है ,तथा इसका विघटन नही होता इसके सदस्य 6वर्ष के लिए निर्वाचित होते है !
|
- मन्त्रिपरिषद राज्यसभा के प्रति उत्तरदाई नहीं होती है !
|
- राज्यसभा की सदस्यता के लिए न्यूनतम आयु सीमा 30वर्ष है !
|
- अखिल भारतीय सेवाओं का सृजन राज्य सभा के दो तिहाई सदस्यों के बहुमत के माध्यम से किया जाता है !
|
- धन - विधयेक से सन्दर्भ में राज्य सभा को केवल सिफारिशे करने के अधिकार प्राप्त है !
|
- लगातार 60 दिनों तक सदन की बैठक से अनुपस्थित रहने पर सदस्य की
|
राज्यसभा के विशेषाधिकार
|
अनुच० 249 के अंतर्गत राज्यसभा को यह अधिकार प्राप्त है ,कि वह राज्य सूचि के किसी विषय को राष्ट्रीय महत्त्व का घोषित कर सकती है !
|
इसके परिणाम स्वरुप उक्त विषय पर संसद को विधि निर्माण का अधिकार प्राप्त हो जाता है !
|
०० अनुच्छेद 312के अंतर्गत राज्यसभा नइ अखिल भारतीय - सेवाओं का सृजन कर सकती है !इसके परिणामस्वरूप केंद्र सरकार नइ अखिलभारतीय सेवाओं का सृजन हेतु अधिकृत हो जाती है !
|
लोकसभा
|
--लोकसभा के सदस्य सीधे जनता के माध्यम से प्रत्यक्ष निर्वाचन के माध्यम से चुने जाते है !
|
-- लोकसभा संसद का निम्न सदन है ,
|
-- लोकसभा की सदस्यता के लिए प्रत्याशी की आयु 25 वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए !
|
-- लोकसभा का सदस्य पांच वर्षो के लिये चुना जाता है !यदि चाहे तो त्यागपत्र के माध्यम से सदस्यता का त्याग कर सकता है !
|
-- लगातार 60दिनों तक लोकसभा की बैठक से बिना अनुज्ञा के अनुपस्थित रहने पर उसकी सदस्यता स्वत:ही समाप्त हो जाती है !
|
-- लोकसभा की अधिकतम सदस्य संख्या 552 है , जिसमे 530सदस्य राज्यों से तथा 20सदस्य केंद्र शाशित प्रदेशों से चुने जाते है !वर्तमान में लोकसभा की सदस्य संख्या 545है !
|
-- राष्ट्रपति एंग्लो - इंडियन समुदाए से दो सदस्यों को मनोनीत कर सकता है !
|
--आपात उद्घोषणा की स्थिति में संसद विधि द्वारा लोकसभा की अवधि एक वर्ष के लिए बड़ा सकती है !किन्तु इस प्रकार से बड़ाई गई अवधि किसी भी स्थिति में आपात उद्घोषणा के समाप्त होने के पश्चात 6 माह से अधिक नहीं होगी !
|
--लोकसभा की प्रथम बैठक के पश्चात जल्द से जल्द लोकसभा अध्यक्ष एवं लोकसभा उपाध्यक्ष का चुनाव् अपने सदस्यों के बीच से करती है !
|
-- एक व्यक्ति एक समय में केवल एक ही सदन का सदस्य हो सकता है !
|
-- धन - विधेयक केवल लोकसभा में ही प्रेषित किये जाते है !
|
--- वार्षिक वित्तीय विवरण केवल लोकसभा में प्रस्तुत किये जाते है !
|
--- संयुक्त अधिवेशन की अध्यक्षता लोकसभा का अद्यक्ष करता है !
|
-- लोकसभा में सिर्फ अनुसूचित जातियों - जनजातियो को ही आरक्षण प्रदान
|
किया जाता है !अन्य किसी जाती या वर्ग को आरक्षण नहीं दिया जाता है !
|
--
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संसद सत्र- सत्रावसान एवं विघटन
|
- संसद का सत्र राष्ट्रपति के द्वारा आहूत किया जाता है !
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- संसद की कार्यवाही में कोई भी सदस्य यदि अनुपस्थित है ,अथवा अन्य कोई अनाधिक्रत रूप से उपस्थित होता है ,तो यह किसी भी तरीके से सदन की कार्यवाही को प्रभावित नही करेगा !
|
-- राष्ट्रपति समय - समय पर संसद का सत्रावसान करता है !सदन के सत्रावसान के परिणाम स्वरुप सदन में लम्बित विधयेक अथवा कार्य समाप्त नहीं होते !
|
-- एक सत्र में कई बैठके होती है , स्थगन स्वयम सदन का कार्य होता है , जो सभापति अथवा स्पीकर के माध्यम से किया जाता है !
|
-- विघटन सदन की कालावधि को समाप्त कर देता है !जबकि राज्यसभा का विघटन ही नहीं होता है !
|
-- लोकसभा का विघटन राष्ट्रपति प्रधनमंत्री की सलाह से करता है !
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विघटन
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*यदि कोई विधेयक लोकसभा के माध्यम से प्रेषित नहीं किया गया किन्तु राज्यसभा में ल्म्वित है ,तो वह समाप्त नहीं किया जा सकता है !
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* यदि विधेयक राज्यसभा द्वारा पारित करके लोकसभा में भेजा जा चूका है , तथा लोकसभा में लम्बित है , उसे समाप्त ही मन जाता है !
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Science
1 . Physics -- भौतिक - विज्ञान
भौतिकी की परिभाषा :-
विज्ञान की वह शाखा - जिसमे ऊर्जा के बिभिन्न स्वरूपों तथा - द्रव्य से उसकी अन्योन्य - क्रियाओं - का अधयन्न किया जाता है , भौतिकी -अथवा भौतिक - विज्ञान कहलाता है !
द्रव्य :-
वह वस्तु जो स्थान घेरती है , जिनमे द्रव्यमान होता है , तथा जिनका अनुभव प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से किया जा सकना सम्भव हो , ऐसी वस्तुएं द्रव्य के अंतर्गत आती है !
जैसे : - लोहा -, पत्थर ,- सोना -, वायु -आदि !
Physics : - द्रव्य की संरचनाओं तथा उनमे होने वाली क्रियाओं के वैज्ञानिक अध्यन क भौतिक विज्ञान कहते है !
अनेक भौतिक शास्त्री प्रकाश को भी - द्रव्य का एक स्वरुप मानते है !
#मापन #
ऐसी राशियाँ जिनका मापन सम्भव हो , उसे भौतिक राशि कहते है , !
#किसी भी भौतिक राशी को व्यक्त करने के लिए , कम से कम आंकिक मान , एवं मात्रक की आवश्यकता होती है !
#किसी भी भौतिक राशि को ,व्यक्त करने के लिए , जिस मान का उपयोग करते है , उसे मात्रक कहा जाता है !
#मात्रक दो प्रकार के होते है !
# 1 .मूल मात्रक :
2. व्युत्पन्न मात्रक :
# SI पद्धति में मूल मात्रकों की संख्या सात है !
#मूल राशियों को व्यक्त करने के लिए , किसी अन्य राशि की सहयता नहीं ली जाती है , जबकि व्युत्पन्न रशिओं को , मूल राशियों की सहायता से व्यक्त किया जाता है !
# सन 1960तक विश्व स्तर पर माप -तौल की कई प्रणालियाँ प्रचलित थी , जिन्हें CGS सेंटीमीटर , ग्राम सेकंड -, फ्रेंच या मेट्रिक पद्धति -MKS -- मीटर -किलोग्राम -सेकंड - ऍफ़ .पी .एस . फुट ,पौंड ,सेकंड - के नामों से जाना जाता था !
#SI ' desystemy International डी " units का संक्षिप्ताक्षर , है , !
# SI में मूल राशियों एवं व्युत्पन्न राशियों के मात्रक निम्न लिखित है :
मूल राशि मूल मात्रक
#SI ' desystemy International डी " units का संक्षिप्ताक्षर , है , !
# SI में मूल राशियों एवं व्युत्पन्न राशियों के मात्रक निम्न लिखित है :
मूल राशि मूल मात्रक
* दूरी मीटर
* द्रव्यमान किलोग्राम
* समय सेकंड
* उष्मागतिकी ताप केल्विन
* विद्युत् धारा एम्पिएर
* ज्योति तीव्रता कैंन्डेला
* पदार्थ की मात्रा मोल
* उष्मागतिकी ताप केल्विन
* विद्युत् धारा एम्पिएर
* ज्योति तीव्रता कैंन्डेला
* पदार्थ की मात्रा मोल
## सम्पूरक मूल राशि मात्रक
* समतल कोण रेडियन
* घन कोण स्टे -रेडियन
2 . गति ( MOTION)
यदि कोई वस्तु अथवा पिंड - किसी बिंदु के सापेक्ष - समय के साथ साथ अपने वर्तमान स्वरूप के सन्दर्भ में स्थान परिवर्तन करना सुनिश्चित कराती है , तो उपर्युक्त अवस्था , वस्तु अथवा पिंड की "गति " कहलाती है !
भौतिक शास्त्रियों के अनुसार गति को , तीन प्रमुख भागों में विभाजित किया- गया है ,जो निम्न है :
1 - एक विमिय गति :- (One Dimensional )
2 - द्विविमीय गति :-(Two Dimensional)
3-त्रिविमीय गति :- (Three Dimensional)
1- एक विमीय गति : एक विमीय गति को सरल रेखीय गति ,रैखिक गति ,इत्यादि नामों से जाना जाता है !
* इस गति में पिंड का वेग (v)और त्वरण (a)एक ही दिशा में कार्य करता है !
* इस गति का प्रारम्भिक वैज्ञानिक अध्यन "गेलिलियो "ने किया था !
# भौतिकी वैज्ञानिक "न्यूटन " ने अपने प्रसिद्द ग्रन्थ "Mathemetticia Pricipia" के भाग एक में गति के तीन नियम प्रस्तुत किये थे !
जो निम्न है :
1. जड़त्त्व का नियम : इसी नियम को जड़त्त्व का नियम भी कहते है !
# अगर वस्तु पर कोई बाह्य वल न लगे , तो वह विरामाव्स्था या एक समान गति , की अवस्था में ही बनी रहती है , गलीलियो ने इस गुण को जड़त्त्व कहा !
#इस नियम के अनुसार यदि कोई बस्तु अथवा पिंड अपनी स्थिर अवस्था में है तो ,वह स्थिर अवस्था में ही रहेगा जब तक की उस पर कोई वाह्य वल न लगाया जाये !
#वल _: वल वह कारक है , जो किसी वस्तु अथवा पिंड की विरामाव्स्था अथवा गतिज अवस्था में परिवर्तन लाता है !
#
# द्वितीये - नियम :- संवेग परिवर्तन का नियम :इस नियम के द्वारा वल का समीकरण तथा मात्रक प्राप्त होता है !
भौतिक शास्त्रियों के अनुसार गति को , तीन प्रमुख भागों में विभाजित किया- गया है ,जो निम्न है :
1 - एक विमिय गति :- (One Dimensional )
2 - द्विविमीय गति :-(Two Dimensional)
3-त्रिविमीय गति :- (Three Dimensional)
1- एक विमीय गति : एक विमीय गति को सरल रेखीय गति ,रैखिक गति ,इत्यादि नामों से जाना जाता है !
* इस गति में पिंड का वेग (v)और त्वरण (a)एक ही दिशा में कार्य करता है !
* इस गति का प्रारम्भिक वैज्ञानिक अध्यन "गेलिलियो "ने किया था !
# भौतिकी वैज्ञानिक "न्यूटन " ने अपने प्रसिद्द ग्रन्थ "Mathemetticia Pricipia" के भाग एक में गति के तीन नियम प्रस्तुत किये थे !
जो निम्न है :
1. जड़त्त्व का नियम : इसी नियम को जड़त्त्व का नियम भी कहते है !
# अगर वस्तु पर कोई बाह्य वल न लगे , तो वह विरामाव्स्था या एक समान गति , की अवस्था में ही बनी रहती है , गलीलियो ने इस गुण को जड़त्त्व कहा !
#इस नियम के अनुसार यदि कोई बस्तु अथवा पिंड अपनी स्थिर अवस्था में है तो ,वह स्थिर अवस्था में ही रहेगा जब तक की उस पर कोई वाह्य वल न लगाया जाये !
#वल _: वल वह कारक है , जो किसी वस्तु अथवा पिंड की विरामाव्स्था अथवा गतिज अवस्था में परिवर्तन लाता है !
#
# द्वितीये - नियम :- संवेग परिवर्तन का नियम :इस नियम के द्वारा वल का समीकरण तथा मात्रक प्राप्त होता है !
*इसी नियम के अनुसार " किसी वस्तु अथवा पिंड के संवेग परिवर्तन की दर उस पर आरोपित वल के अनुक्रमानुपति होता है !
**** त्रितिये नियम :-प्रत्येक क्रिया के विपरीत प्रतिक्रया :-न्यूटन के इस नियम के अनुसार प्रत्येक क्रिया के बराबर विपरीत प्रतिक्रिया होती है !
@@@ द्विविमिय गति :- द्विविमिये गति को , वक्र रेखीय -एवं समतल गति के नाम से भी जाना जाता है !
@द्विविमिय गति में पिंड का वेग एवं त्वरण भिन्न - भिन्न होता है !
@ प्रक्षेप्य गति एवं एक समान वृत्तिय गति - द्विविमीय गति के ही उदाहरन है !
# Projectile Motion:-इस गति में पिंड को उर्ध्वाधर दिशा से भिन्न किसी अन्य दिशा में प्रथ्वी की सतह से उपर फेंका जाता है , इसी फेंके हुए पिंड को प्रक्षेप्य कहा जाता है !
* इस गति में पिंड का पथ प्र्वल्याकार होता है !
@पिंड के पथ के पूर्ण परवल्याकार होने के लिए वायु का प्रतिरोध शून्य तथा गुरुत्वीय त्वरण का मान अचर रहना चाहिय !
@ कोई भी प्रक्षेप्य जितने समय तक वायु में रहता है , उसे उसका उड्डयन काल काहा जाता है , !
@किसी प्रक्षेप्य का उड्डयन काल (T)= 2vsin8/g होता है !
यहाँ v= प्रक्षेप्य की गति
8= प्रक्षेप्य के द्वारा क्षितिज के साथ बनाया- गया कोण
g= गुरुत्वीय त्वरण है !
@एक समान वृत्तिय गति :-किसी वृत्तिय पथ पर एक समान गति करते हुए पिंड की चाल नियत रहती है , जबकि उसका वेग प्रत्येक बिंदु पर , परिवर्तित होता रहता है !
#वृत्त पर गति करते हुए पिंड पर दो वल कार्य करते है , एक वल वृत्त के केंद्र की ओर लगता है , जबकि दूसरा वल वृत्त के केंद्र के वाहर लगता है !अंदर लगने वाला वल "अभिकेन्द्रीय वल "कहलाता है !
जबकि बाहर लगने वाला वल "अपकेन्द्रिय "वल कहलाता है !
# यदि पिंड संतुलन की स्थिति में होता है , तो अभिकेन्द्रीय वल का मान 'अप्केंद्रिये "वल के मान के बराबर होता है !
@ वल (f) = mv2/r
यहाँ पर m - पिंड का द्रव्यमान
v= पिंड का वेग
r पथ की त्रिज्या है !
विशेष -: ग्रहों एवं उपग्रहों में अभिकेन्द्रीय वल गुरुत्वाकर्षण वल के द्वारा प्राप्त होता है !
@ अपकेन्द्र वल : यह एक छद्म वल होता है , अजड़त्व फ्रेम में न्यूटन ,के नियमों को लागु करनेके लिय इस वल की कल्पना की गई , तथा यह वल पर्यवेक्षक की स्थिति पर निर्भर करता है ,इस वल की दिशा अभिकेन्द्रीय वल के विपरीत होती है !
@विशेष :-दूध से मक्खन अलग करने वाली मशीन ,मथानी , -, वाशिंग - मशीन का अपकेन्द्र शोषक अपकेन्द्र वल के , सिद्धांत पर ही कार्य सम्पादित करते है !
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3. विद्युत् एवं चुम्बकत्त्व( ELECTRICITY & MAGNETISM)
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विद्युत् चुम्बकत्त्व |
-जैसा की हम सभी को ज्ञात है ,की विद्युत् से अभिप्राय सीधा - सीधा" आवेश " से होता है !
1600 ई .पू . में ब्रिटेन के वैज्ञानिक ने सर्वप्रथम विद्युत् शब्द का प्रयोग किया था ,जिसका नाम "Gilbert"था !
आवेश :-
" किसी भी पदार्थ के निर्माण के लिए , जिन मूल कणों की आवश्यकता होती है , उनमे से :"आवेश" भी एक कण है , हालांकि , वैज्ञानिकों ने आवेश की कोई एक निर्धारित परिभाषा परिलब्ध नहीं की है , लेकिन "आवेश "को इसके द्वारा उत्पन्न प्रभावों के माध्यम से समझा जा सकता है !
"आवेश " एक द्रव्य पर उपस्थित वह गुण है ,जिसके कारण वह - द्रव्य चुम्वकिय क्षेत्र उत्पन्न करता है,या इस प्रकार के क्षेत्रों का अनुभव कराता है !
जैसे उदाहरण के तौर पर देखे तो ;
--"कांच की बनी हुई छड को जब - , रेशम के कपड़े से रगडा जाता है तो , कांच की छड पर धन आवेश एवं रेशम के कपड़े पर ऋण आवेश आ जाता है" !
तरंग गति :- (WAVE-MOTION)
तरंग एक विक्षोभ है , जिसमे माध्यम के कण अपने माध्य स्थिति (mean position)से स्थाई रूप से विस्थापित हुए बिना उर्जा का संचरण करते है !
** यदि किसी भी तरंग को माध्यम की आवश्यकता होती है , तो ऐसी तरंगो को यांत्रिक तरंगे कहा जाता है !
*** ऐसी तरंगे जिन तरंगो को संचरण हेतु किसी भी माध्यम की आवश्यकता न हो ऐसी तरंगे अप्रत्याक्ष तरंगे कहलाती है !
माध्यम की कणों के कम्पन की दिशा के आधार पर यांत्रिक तरंगो को दो भागों में बिभाजित किया गया है !:
(#) अनुप्रष्थ तरंग (Transverse )
(#) अनुधेर्य तरंग (Longitudinal)
(#) अनुप्रष्थ तरंग (Transverse ):- माध्यम के कणों का कम्पन तरंग संचरण की दिशा के लमव्वत होता है ,यह शीर्ष और गर्त के रूप में संचरित होती है , !
** इस प्रकार की तरंगे ठोस एवं द्रव के उपरी सतह पर पैदा होती है !
**विद्युत् चुम्वक्त्त्व :
1600 ई .पू . में ब्रिटेन के वैज्ञानिक ने सर्वप्रथम विद्युत् शब्द का प्रयोग किया था ,जिसका नाम "Gilbert"था !
आवेश :-
" किसी भी पदार्थ के निर्माण के लिए , जिन मूल कणों की आवश्यकता होती है , उनमे से :"आवेश" भी एक कण है , हालांकि , वैज्ञानिकों ने आवेश की कोई एक निर्धारित परिभाषा परिलब्ध नहीं की है , लेकिन "आवेश "को इसके द्वारा उत्पन्न प्रभावों के माध्यम से समझा जा सकता है !
"आवेश " एक द्रव्य पर उपस्थित वह गुण है ,जिसके कारण वह - द्रव्य चुम्वकिय क्षेत्र उत्पन्न करता है,या इस प्रकार के क्षेत्रों का अनुभव कराता है !
जैसे उदाहरण के तौर पर देखे तो ;
--"कांच की बनी हुई छड को जब - , रेशम के कपड़े से रगडा जाता है तो , कांच की छड पर धन आवेश एवं रेशम के कपड़े पर ऋण आवेश आ जाता है" !
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विद्युत् चुम्वक्त्त्व |
तरंग एक विक्षोभ है , जिसमे माध्यम के कण अपने माध्य स्थिति (mean position)से स्थाई रूप से विस्थापित हुए बिना उर्जा का संचरण करते है !
** यदि किसी भी तरंग को माध्यम की आवश्यकता होती है , तो ऐसी तरंगो को यांत्रिक तरंगे कहा जाता है !
*** ऐसी तरंगे जिन तरंगो को संचरण हेतु किसी भी माध्यम की आवश्यकता न हो ऐसी तरंगे अप्रत्याक्ष तरंगे कहलाती है !
माध्यम की कणों के कम्पन की दिशा के आधार पर यांत्रिक तरंगो को दो भागों में बिभाजित किया गया है !:
(#) अनुप्रष्थ तरंग (Transverse )
(#) अनुधेर्य तरंग (Longitudinal)
(#) अनुप्रष्थ तरंग (Transverse ):- माध्यम के कणों का कम्पन तरंग संचरण की दिशा के लमव्वत होता है ,यह शीर्ष और गर्त के रूप में संचरित होती है , !
** इस प्रकार की तरंगे ठोस एवं द्रव के उपरी सतह पर पैदा होती है !
**विद्युत् चुम्वक्त्त्व :
विद्युत् चुम्बकीय तरंगों में -गामा किरणें -एक्स -किरणें -द्रश्य प्रकाश -अवरक्त किरने - परा -वैगनी किरणें - तथा रेडियो तरंगे शामिल होती है !किसी बंधी हुई रस्सी के एक छोर को -पकड़कर हिलाने पर उत्पन्न तरंगे -सितार के तार को -छेड़ने पर उत्पन्न तरंगे इत्यादि अनुप्रष्थ तरंगों के उदाहरण है !
(#) अनुधेर्य तरंग (Longitudinal):- माध्यम के कणों का कम्पन तरंग संचरण के दिशा के , समानांतर होता है !यह स्मपीरण तथा विरलन के रूप में संचरित होती है !
** इस प्रकार की तरंगे -ठोस द्रव -तथा गैस तीनो ही माध्यम में पैदा हो सकती है !
** गैस में उत्पन्न तरंगे हमेशा ही सिर्फ अनुधेर्य तरंगे होती है !
@ तरंगों की विशेषताए :-
*परावर्तन (Reflection)- तरंगो का किसी सतह से टकराकर फिरसे उसी माध्यम में वापिस होना -परा वर्तन कहलाता है !
* अपवर्तन -(Refraction)- :- यह तरंग की वह विशेषता है , जिसके कारण तरंगे एक माध्यम से दुसरे माध्यम में जाने पर अपने मूल पथ से विचलित हो जाती है !
सरल माध्यम से विरल माध्यम में जाने पर यह अभिल्म्व से दूर हट जाती है !
विवर्तन :(Diffraction):- तरंगो की ऐसी विशेषता जिसमे किसी वाधा के किनारे पर मुड जाती है , यह भी अनुप्र्ष्थ एवं अनुधेर्य दोनों प्रकार की तरंगो में पाया जाता है !
** व्यतिकरण :- यदि दो समान आवृत्ति वाली तरंगे एक ही दिशा में वेग से गतिशील हो तो किसी विन्दु पर इनकी तीव्रता अधिकतम तथा किसी विन्दु पर न्यूनतम होती है !यही कारक व्यतिकरण कहलाता है !
ध्रुवन:- ऐसी अवस्था जिसमे तरंग के कम्पन तरंग की गति के ल्म्व्वत तल में केवल एक ही दिशा में होता है !
धुर्वन केवल अनुप्रष्थ तरंग में होता है !
(#) अनुधेर्य तरंग (Longitudinal):- माध्यम के कणों का कम्पन तरंग संचरण के दिशा के , समानांतर होता है !यह स्मपीरण तथा विरलन के रूप में संचरित होती है !
** इस प्रकार की तरंगे -ठोस द्रव -तथा गैस तीनो ही माध्यम में पैदा हो सकती है !
** गैस में उत्पन्न तरंगे हमेशा ही सिर्फ अनुधेर्य तरंगे होती है !
@ तरंगों की विशेषताए :-
*परावर्तन (Reflection)- तरंगो का किसी सतह से टकराकर फिरसे उसी माध्यम में वापिस होना -परा वर्तन कहलाता है !
* अपवर्तन -(Refraction)- :- यह तरंग की वह विशेषता है , जिसके कारण तरंगे एक माध्यम से दुसरे माध्यम में जाने पर अपने मूल पथ से विचलित हो जाती है !
सरल माध्यम से विरल माध्यम में जाने पर यह अभिल्म्व से दूर हट जाती है !
विवर्तन :(Diffraction):- तरंगो की ऐसी विशेषता जिसमे किसी वाधा के किनारे पर मुड जाती है , यह भी अनुप्र्ष्थ एवं अनुधेर्य दोनों प्रकार की तरंगो में पाया जाता है !
** व्यतिकरण :- यदि दो समान आवृत्ति वाली तरंगे एक ही दिशा में वेग से गतिशील हो तो किसी विन्दु पर इनकी तीव्रता अधिकतम तथा किसी विन्दु पर न्यूनतम होती है !यही कारक व्यतिकरण कहलाता है !
ध्रुवन:- ऐसी अवस्था जिसमे तरंग के कम्पन तरंग की गति के ल्म्व्वत तल में केवल एक ही दिशा में होता है !
धुर्वन केवल अनुप्रष्थ तरंग में होता है !
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