Career builder : February 2019

A deep motivation:

A deep motivation:just for  all of you -

       
                                           हममे से ऐसे बहुत से लोग है जो किसी न किसी तरीके से अपने वास्तिविक कार्यशेली जिसमे उनसे स्वयं से कुछ सकारात्मक कार्य नहीं किया जा सका है ,को किसी न किसी अन्य दुसरे इंसानों ,पारिवारिक परिस्थितियों अथवा जीवन में चल रही जटिलताओं के माध्यम से स्वय को सांत्वना देते हुए प्रतीत होते है ! इन सब में अपनी वास्तविकता का आकलन करना किसी भी परिप्रेक्ष्य में उन्हें बड़ी तकलीफ देता है -वो चाहते है की जिनसे वो जुडा हुआ है उसके जीवन में जुड़े हुए इन्ही सब लोगो के कारण में अपने जीवन में सफल नहीं हो पा रहा / रही हु !
किन्तु क्या यह तर्क सत्य की कसौटी पर सौ फीसदी खरा है ? क्या वास्तिविकता में कोई अन्य आपके जीवन में उपस्थित व्यक्ति अथवा परिस्थिति आपके लक्ष्य से आपको विचलित कर सकती है ? 
नही ! कभी नहीं !

- असफलता के जिम्मेदार - 

इस बात को एक छोटे से उदाहरण के माध्यम से समझाने का प्रयास करता हु ,
"एक प्राइवेट नामी कम्पनी का" बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर " बड़ा ही समय पावंद , प्रवंधन में प्रवल ,एवं अपने बनाये हुए सिद्धांतों पर चलने वाला था ! इस कम्पनी में कोई अपना 100 फीसदी देकर ही प्रमोशन पा सकता था ,नतीजा यह था कि - कम्पनी में पदस्थ कर्मचारी एक ही पद पर कई सालों तक कार्य करते एवं उनमे से जो सबसे प्रतिभाशाली कर्मी होता उसको कई कसौटियों पर कसकर ही प्रमोशन मिल पाता था !
अपने बॉस के इस मिजाज़ के कारण कम्पनी के बहुत से कर्मचारी मन - ही मन बॉस को खरी - खोटी कहते एवं उनके प्रमोशन में सबसे बड़ी हड्डी के नाम पर बॉस को कोसा करते थे !
एक दिन की बात है सुबह सुबह जैसे ही सभी कर्मचारी अपनी अपनी टेबल पर पहुचते है - उनसभी कर्मचारियों को अपनी अपनी टेबल पर एक - एक लिफाफा रखा हुआ मिलता है - जिसमे एक संदेश होता है -कि कम्पनी के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर ' इज नो मोर' !  वो अब दुनिया में नहीं रहे -जिसको भी उनके अंतिम दर्शन करने की लालसा हो आडिओटोरियम में जाकर शोक - व्यक्त कर बॉस के प्रति अपनी श्रद्धांजली अर्पित कर सकते है !
कम्पनी के हर छोटे से लेकर बड़े कर्मचारी अंदर ही अंदर बड़े प्रसन्न हो रहे थे - आखिर उन सभी के प्रमोशन का सबसे बड़ा रोड़ा जो दुनिया छोड़ चूका था - आखिर में सभी स्टाफ ने एक साथ शोक व्यक्त करने हेतु 
आडिओटोरियम  की ओर रुख किया वहा पर एक सफेद कफन में शव रखा हुआ था !जहाँ पर शोक व्याप्त करने एक एक करकर जाना पड़ता है -यहाँ सभी कर्मचारी एक साथ ही अपनी अपनी शोक सम्वेदना व्यक्त करने हेतु शव के पास पहुचते है - वहां मौजूद एक शख्स कफन को अलग करता है - जैसे ही लोग शव के स्थान पर देखते है - सभी के सभी कर्मचारी एक दम से भौचक्के रह जाते है - एवं बड़ी शर्मिंदगी महसूस करते है !
"असल में जहाँ शव होना समझ कर सभी गये हुए थे वहां पर कफन के अंदर शव के स्थान पर एक "आइना "रखा हुआ था !जैसे ही सभी ने देखा सबको अपने - अपने चेहरे ही दिखाई दिए !
अंदर से एक अन्य कर्मचारी जो पूर्व में उच्च पद पा चूका था ,सामने आता है - और बतलाता है -"आपकी सफलता - में बाधक हमारे कम्पनी के डायरेक्टर नहीं बल्कि आप लोग स्वय हो - जो अपनी अपनी नाकामी को छुपाने एवं अपने आपको झूठी सांत्वना देने के लिए सर (बॉस )को दोषी ठहराते हो !दोष आप लोगो में स्वयं में है -आपकी सोच में है आपकी मानसिकता में है -आपमें वो   धैर्य है ही नहीं जिसकी आवश्यकता एक सफल व्यक्तित्व को होती है - आप सभी अपने अपने सीमित अवसरों से अपने अपने जीवन में संतुष्ट हो - किन्तु जब कभी अपने से आंगे वाले सफल व्यक्तित्व पर आपकी नजर पडती है तो अपनी असफलता को अपनी नकारात्मक सोच को किसी अन्य के मत्थे लगा देते है "
कम्पनी के समस्त कर्मचारिओं का सर शर्मिंदगी से झुक जाता है एवं उन्हें एहसास होता है कि किसी भी व्यक्ति विशेष का आपकी सफलता पर किसी भी परिप्रेक्ष्य में कोई प्रभाव नहीं पड़ता है - जिसने ठान लिया है उसे फर्क नहीं पड़ता है दुनिया किस फैर में है और वह स्वयम किस फेर में -वो चेन की सास तभी लेगा जब वो अपनी मंजिल पर अपनी उपलब्धि अपनी सफलता का झंडा फहरा देगा !
हो सकता है बहुत से लोग मेरे इस आर्टिकल को dislike करदे पर - बात गहरी है - जिस दिन भी समझ आएगी एक सीमित जीवन यापन करने वाला साधारण से साधारण इंसान भी असीम संसाधनों से युक्त योद्धा बनकर जीवन में कुछ कर गुजरने का संकल्प ले लेगा !
                                                                                  धन्यवाद !

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Lakshya bhedi MPPSC-2021-22

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